शनिवार, 29 जनवरी 2011

तरही बढ़ रहा है, मौसम धीरे धीरे बदल रहा है, हवा में वसंत का रंग घुला दिखाई दे रहा है और ऐसे में याद आ रहे हैं गुरू साहब जो वसंत के आते ही वासंती हो जाते थे ।

हठीला जी के बिना जो सबसे पीड़ादायी समय होगा वो होगा फागुन का । एक माह पहले सेही उनका उपाधियां देने का काम शुरू हो जाता था । हर किसी को उसके अनुरूप उपाधियां देना । होली के हास्‍य समाचार लिखना और होली की कविताएं लिखना । पूरी तरह से होली के रंग में डूब जाते थे वे । मैंने फैसला लिया है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो इस बार भी होली का विशेषांक निकलेगा । जिसके संपादक श्री रमेश हठीला जी ही रहेंगें । इस बार का होली विशेषांक दो अंकों में बंटा रहेगा । पहला अंक सीहोर शहर के लिये होगा । और दूसरा अंक पीडीएफ फार्मेट में इंटरनेट के मित्रगणों के लिये रहेगा । सीहोर के प्रिंट संस्‍करण में सीहोर के लोगों के लिये हास्‍य समाचार तथा उपाधियां रहेंगीं तो इंटरनेट संस्‍करण में इंटरनेट के लोगों के लिये उपाधियां तथा समाचार । यही वे चाहते थे । वे कहते थे कि पंकज होली का समाचार पत्र निकालते रहना और खबरदार जो मेरे अलावा किसी और को संपादक बनाया तो । खैर उसमें तो अभी समय है अभी तो हम तरही को बढ़ाते हैं आज कुछ और आगे ।

नव वर्ष तरही मुशायरा

नये साल में नये गुल खिलें, नई खुश्‍बुएं नया रंग हो

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( फोटो सौजन्‍य श्री बब्‍बल गुरू )

आज के तरही मुशायरे में तीन युवा शायरों की तिकड़ी जमा हो रही है । तीनों ही प्रतिभावान हैं और अपने अपने तरीके से ग़ज़ल कहते हैं । तो मुशायरे को आगे बढ़ाते हैं तीनों के साथ ।

गौतम राजरिशी

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लीजिये हाजिर है हमारी तरही। काफ़िये ने बहुत तंग किया। हर शेर को नये साल की शुभकामना बना कर लिखा है और इसे कंचन,अर्श,रवि,वीनस और अंकित को समर्पित कर रहा हूँ। मेरी तरही जब लगाइयेगा तो इस बात का जिक्र कर दीजियेगा प्लीज। पेश है:-

हो नया-नया तेरा जोश और नयी-नयी सी उमंग हो

नये साल में नये गुल खिलें, नयी हो महक, नया रंग हो

रहे बरकरार जुनून ये, तू छुये तमाम बुलंदियाँ

जो कदम तेरे चले सच की राह तो हौसला तेरे संग हो

है जो आसमान वो दूर कुछ, तो हुआ करे, तो हुआ करे

तेरे पंख हो नया दम लिये, नयी कोशिशें, नया ढ़ंग हो

कई आँधियाँ अभी आयेंगी, तेरी डोर को जरा तौलने

है यही दुआ, तेरे नाम की यहाँ सबसे ऊँची पतंग हो

चलें सर्द-सर्द हवायें जब तेरे खूं में शूल चुभोने को

हो उबाल तेरी रगों में औ’ कोई खौलती-सी तरंग हो

हो कलम तेरी जरा और तेज, निखर उठे तेरे लफ़्ज़ और

तेरे शेर पर मिले दाद सौ, तुझे सुन के दुनिया ये दंग हो

 अंकित सफ़र

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मेरी ओर से हठीला जी को एक साहित्यिक श्रद्धांजलि इस तरही ग़ज़ल की शक्ल में.
"तेरे ज़िक्र से कई मुश्किलों में भी हँस रही है ये ज़िन्दगी,
वो खुदा करे, तेरी चाहतों की भी खुशबुएँ मेरे संग हों."
ये शेर आप के लिए, आप का आशीर्वाद, प्यार हम सभी(गुरुकुल) को सदैव मिलता रहे.
"तेरा बाग़ है ये जो बागवां इसे अपने प्यार से सींच यूँ,
नए साल में, नए गुल खिलें, नयी खुशबुएँ नए रंग हों."
तरही ग़ज़ल

कोई रुख हवाएं ये तय करें, मेरे हौसलों से वो दंग हों.

चढ़े डोर जब ये उम्मीद की, मेरी कोशिशें भी पतंग हों.
तेरे ज़िक्र से कई मुश्किलों में भी हँस रही है ये ज़िन्दगी,
वो खुदा करे, तेरी चाहतों की भी खुशबुएँ मेरे संग हों.
ये जो आड़ी तिरछी लकीरें हैं, मेरे हाथ में तेरे हाथ में,
किसी ख्वाब की कई सूरतें, किसी ख्वाब के कई रंग हों.
कई ख्वाहिशों, कई हसरतों की निबाह के लिए उम्र-भर,

इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों.

जो रिवाज और रवायतें यूँ रखे हुए हैं सम्हाल के,
वो लिबास वक़्त की उम्र संग बदन कसें कहीं तंग हों.
तेरा बाग़ है ये जो बागवां इसे अपने प्यार से सींच यूँ,
नए साल में नए गुल खिलें नयी खुशबुएँ नए रंग हों.
ये फकीर की दुआ ही है, जो मुझे इस मकाम पे लाई है,
तू जहाँ भी जाएगा ऐ "सफ़र", तेरी हिम्मतें तेरे संग हों.

वीनस केशरी

venus

नये साल में, नये गुल खिलें, नई हो महक, नया रंग हो

नई हो कहन, नये शेर हों, नई हो ग़ज़ल, नया ढंग हो

तू ही हमसफ़र, तू ही राहबर, तू ही रह्गुज़र, तू ही कारवां

यही ख़्वाब है, यही है दुआ, मेरा हर सफ़र, तेरे संग हो

खुले दिल से तुम, कभी मिल तो लो, न निराश मैं, करूंगा तुम्हें

तो ये क्या कि मैं, कोई आईना, तो ये क्या कि तुम, कोई संग हो

किसी ख़्वाब में, मेरा नाम ले, पशेमान है, मेरा मोतबर

मेरी ख़्वाहिशें, जो बता दूं तो, कहीं होश खो, न दे दंग हो

वहां जीत कर, खुशी क्या मिले, वहां हार कर, करूं क्या गिला

जहां दांव पर, मेरी सोच हो, मेरी मुझ से ही, छिडी जंग हो

गुरु जी कभी, हमें दीजिये, कोइ मिसरा वो, जो हो कुछ सरल

न तो काफ़िये, लगें तंग से, न कहन से ही, मेरी जंग हो

बच्‍चे तो उस्‍ताद होते जा रहे हैं । एक मिसरा तो सन्‍न से तीर की तरह आकर कलेजे में फिर से धंस गया है । क्‍या कहूं इन ग़ज़लों पर खुशी होती है कि चलो पौधे अब वृक्ष बन कर फल देने लगे हैं । तो दीजिये दाद तीनों को और इंतजार कीजिये अगली तरही का ।

30 टिप्‍पणियां:

  1. वाह पंकज जी, वाक़ई, तीनों ग़ज़लें शानदार हैं...
    गौतम जी तो माशा अल्लाह हमेशा बहुत अच्छा कहते हैं...तरही का ये शेर-
    कई आंधियां अभी आएंगी तेरी डोर को ज़रा तौलने
    है दुआ यही तेरे नाम की यहां सबसे ऊंची पतंग हो
    कमाल की उड़ान है...बधाई.
    अंकित जी, आपकी गिरह लाजवाब है...
    और ये भी-
    तेरे ज़िक्र से कई मुश्किलों में भी हंस रही है ये ज़िन्दगी
    वो खु़दा करे तेरी चाहतों की भी खुशबुएं मेरे संग हो
    वीनस जी, आपने भी बहुत अच्छा कलाम पेश किया है...
    तू ही हमसफ़र तू ही राहबर तू ही रहगुज़र तू ही कारवां
    यही ख्वाब है यही है दुआ मेरा हर सफ़र तेरे संग हो
    कितना प्यारा शेर है...बधाई

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  2. हठीला जी को सच्ची श्रधांजली तभी होगी यदि हम उनके दिखाए मार्ग पर वैसे ही चलते रहें जैसे उनके सामने चलते आये थे...आपने जो फागुन का कार्यक्रम सोचा है उससे उनकी आत्मा प्रसन्न ही होगी इसमें कोई संदेह नहीं है.

    इस बार की तरही किसी राज मार्ग की तरह सीधी सपाट नहीं थी जिस पर शायर लोग ग़ज़ल की गाडी दनदनाती चलाए चलें... इस बार की तरही ऊंचे पहाड़ों पर बनी टेडी मेढ़ी पगडण्डी के समान थी जिसपर ग़ज़ल के पाँव चलते चलते अगर जरा सा गलत पड़ते तो वो समझो सीधे जाती खाई में...लेकिन वाह गुरुकुल के गुणी जनों आप लोगों ने इस खतरनाक पगडण्डी को राज पथ में बदल डाला और ग़ज़ल को बड़े मजे से दौड़ाते ले गए...आपके हुनर के सामने सिवा सर झुकाने के और बाकि कुछ बचता ही नहीं...जय हो...हे भावी ग़ज़ल कारो आपकी सदा ही जय हो...अब यकीन के साथ कहा जा सकता है के कल आपका ही है...
    गौतम जी का "कई आंधियां अभी आएंगी...."
    अंकित का " ये जो आड़ी तिरछी लकीरें हैं..."
    और वीनस जिनिअस का "वहाँ जीत कर ख़ुशी क्या मिले..."

    शेर ख़ास तौर पर बहुत पसंद आये.

    गुरुदेव आपके गुरुकुल के मेधावी छात्रों के लिए एक बड़ी सी पार्टी आयोजित करते हैं...खोपोली में...बोलिए हाँ के ना?

    नीरज

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  3. नीरज जी पार्टी स्‍वीकृत, तारीख बताइये ?

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  4. पार्टी हमारी...तारीख आपकी. तय कीजिये

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  5. मैं अभी कुछ न कहूंगा... कहने बैठा तो मैं जहाँ के लिए निकल रहा हूँ. ससमय नहीं पहुँच पाऊंगा.
    तरही अपने उफान पर है आचार्य जी "मजा आ गया" ! गौतम भैया, अंकित, वीनस और नीरज सर मैं शाम में लौट कर गुफ्तगू करता हूँ...

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  6. गुरुकुल के होनहार Star Students की ग़ज़लें अब आना शुरू हुई हैं.. बहुत ही बढ़िया ग़ज़लें. मन खुश हो गया. तीनों ग़ज़लें शुरू से अंत तक पसंद आयीं..फिर भी कुछ कुछ शेर कोट करना चाहूँगा जो खास तौर पर अच्छे लगे.
    @गौतम राजरिशी:
    "है जो आसमान वो दूर कुछ, तो हुआ करे..", "कई आंधियां अभी आयेंगीं तेरी डोर को ज़रा तौलने..", "रहे बरक़रार जूनून ये..". ये शेर ज़ोरदार लगे.
    @अंकित:
    "तेरे ज़िक्र से कई मुश्किलों..", "ये तो आडी तिरछी लकीरें है..","कई ख्वाहिशों, कई हसरतों..", "ये फ़कीर की दुआ ही है..". ये शेर तो कमाल के हैं. एकदम अंकित इस्टाइल; गज़ब के.
    @वीनस:
    "खुले दिल से तुम कभी मिल तो लो.." वाला शेर बहुत अच्छा बन पड़ा है. "वहाँ जीत कर क्या खुशी मिले...","तू हि हमसफर, तू हि राहबर.." ये दो शेर भी कमाल के हैं..

    तीनों गुरुभाइयों को बहुत बहुत बधाई. आप अपने हुनर और मेहनत और गुरूजी के आशीर्वाद से इसी तरह अच्छी अच्छी ग़ज़लें कहते रहें.

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  7. वाह गुरुदेव आज तो इन तीनों ने समा बाँध दिया ...
    गौतम जी का शेर ... है वो आसमान वो दूर कुछ ... उनके फौजी अंदाज़ के तेवर लिए है... बहुत ही कमाल का शेर है ...
    अंकित जी की दुआ तो इस शेर में उभर कर आ रही है ... ये फ़कीर की दुआ ही है ... उनकी दुवाओं में असर हो ... उनकी हिम्मतें हमेशा संग हों ...
    वीनस जी ने बहुत कमाल किया है ... और उनका अंतिम शेर तो जैसे हम जैसे स्टुडेंट्स की जैसे दिल की आवाज़ है ...
    इस तरही में युवा रूह ने कमाल किया है ... लाजवाब शेर और बेहतरीन कहन है ...

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  8. भई पार्टी कहाँ है हमें भी जरूर खबर देना ... अगर उस समय आस पास हुवे तो रंग में भंग ... मतलब कुछ मज़ा लेने हम भी आ जायेंगे ...
    और अगर पार्टी दुबई में रखते हैं तो पार्टी मेरी तरफ से वो भी हर रोज़ ... जब तक आप सब दुबई में होंगे ... आप बस आने की जुगाड़ करे लें ..

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  9. बेहतरीन..बादशाहों को बधाई.

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  10. तीनों की तीनों बहुत अच्छी, सफल प्रयोग।

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  11. अगर एक एक शेर तीनों से चुनना हो तो मैं कर्नल गौतम का शेर 'रहे बरकरार जुनून ये..... तेरे संग हो'। अंकित सफ़र का शेर 'कई ख्‍वाहिशों, कई हस्रतों....... से ही जंग हो' और वीनस का शेर 'तू ही हमसफ़र..... तेरे संग हो।' चुनूँगा। तीर वाला मिस्रा तलाशूँ तो कर्नल गौतम का मिसरा 'तेरे पंख हों',
    और वीनस केसरी का मिसरा 'वहॉं जीत कर खुशी...... छिड़ी जंग हो' धँसने वाले मिसरे समझ में आते हैं।

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  12. वीनस , अंकित और गौतम
    तीनों शाईर एक से बढ़ कर एक शेर लेकर
    हाज़िर हुए हैं ....
    वहाँ जीत कर ख़ुशी क्या मिले ,
    वहाँ हार कर करूँ क्या गिला
    जहां दाँव पर मेरी सोच हो,
    मेरी मुझ से ही छिड़ी जंग हो
    वीनस जी के इस शानदार शेर ने तो
    लाजवाब कर दिया है..... वाह

    तेरे ज़िक्र से कई मुश्किलों में भी
    हँस रही है ये ज़िंदगी
    वो खुदा करे तेरी चाहतों की भी
    खुशबुएँ मेरे संग हों
    अंकित साहब की ये दुआ पल -पल कबूल हो , यही दुआ है

    है जो आसमान जो दूर कुछ ,
    तो हुआ करे, तो हुआ करे
    जनाब गौतम साहब !
    भई इस " तो हुआ करे, तो हुआ करे ...." का जवाब नहीं है ....
    और
    कई आंधियां अभी आएंगी ,
    तेरी डोर को ज़रा तौलने
    है यही दुआ तेरे नाम की
    यहाँ सबसे ऊंची पतंग हो
    कमाल का शेर कहा है हुज़ूर....

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  13. कई आंधियां अभी आएंगी............
    है जो आसमान से...........
    बहुत ख़ूब !हौसले वाले ख़ूबसूरत अश’आर

    ये जो आड़ी तिरछी लकीरें हैं...........
    बहुत उम्दा!

    तू ही हमसफ़र ,तू ही राहबर...........
    वहां जीत कर ख़ुशी क्या मिले..........
    बहुत उम्दा वीनस !
    धन्यवाद पंकज जी ,आप की कोशिशें अदब की दुनिया को ऐसे शायर अता कर रही हैं

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  14. गुरूवर,

    सादर प्रणाम,

    आज तो भाई लोगों ने वो समाँ बांधा है कि क्या कहें क्या न कहें।

    गौतम जी के लिये तो यह कह सकता हूँ उन्हें आप मिलें या सुनें (यह मौका मुझे दिल्ली में मिला है इकबार), पढ़ें तेवर एक से ही होते हैं। बहुत ऊँचाईयों लिये हुये होती उनकी हर बात।

    (1) है जो आसमान वो दूर कुछ, तो हुआ करे..,
    (2) कई आंधियां अभी आयेंगीं तेरी डोर को ज़रा तौलने..,

    अंकित जी के लिये गुरूवंदना और हठीला जी को समर्पित शे’र दिल के करीब से यूँ गुजरे कि लगा मेरे भावों को शब्द अंकित ने भर दिये हो।

    वीनस जी के लिये " वहाँ जीतकर, खुशी क्या मिलें, वहाँ हार कर, करूं क्या गिला " शे’र बहुत ही पसंद आया। हालांकि दबी जुबान से वीनस जी ने भी हम सबकी बात आपतक पहुँचा ही दी अपनी गज़ल के अतिंम शे’र में।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  15. गुरु देव प्रणाम ,
    हठीला जी को सच्ची श्रधांजलि इसी रूप में दी जा सकती है की आप होली विशेषांक उनके सम्पादन में निकालें ! और यही उत्तम है !
    अहा तीनो गुरु भाइयों ने क्या कमाल की शायरी की है , सभी कह रहे थे की इस बह'र पर मुश्किल है और काफिया भी थोडा तंग है मगर इनकी गज़लें पढ़कर ऐसा नहीं लग रहा है ! गौतम भाई की ग़ज़ल का हर शे'र बधाई और शुभकामनाओं से लबालब है !रहे बरक़रार और कई आँधियाँ इन दोनों शे'रों से कमाल किया है!
    अंकित ने दुसरे वाले रदीफ़ काफिये का चुनाव करके साहस का परिचय दिया है और फ़तह हासिल हुई है उसे ! ये जो आड़ी तिरछी लकीर वाले शे'र ने फिर से इसे साबित किया है !
    वीनस के ग़ज़ल की ख़ास बात ये है की इसके शे'र के सारे ही रुक्न मुकम्मल है ! इसका खास तौर से ध्यान रखा है इसने मुझे लगता है ! तू ही हमसफ़र तू ही राहबर ... ये शे'र मेरे मन मुताबिक़ है ! वहां जीत कर वाला शे'र भी बहुत अच्छा बन पडा है !
    थोडा रश्क तो कर रहा हूँ क्यूंकि आपने इन तीनो की जैसी तारीफ की है, वो वाकई हक़ के काबिल हैं और मैंभी सहमत हूँ !
    बहुत बधाई सभी को !

    अर्श

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  16. चले सर्द सर्द हवाएं जो, तेरे खूं में शूल चुभोने को,
    हो उबाल तेरे रगों में औ कोई खौलती सी तरंग हो


    ये मेरा शेर है, इसे कोई ना छूना :) चाहे जिसे जिसे भी समर्पित हो ये गज़ल... ये शेर मैं किसी को नही देने वाली....!!

    जब से तरही शुरू हुई, बहुत कुछ ऊँच नीच झंझावात आये। अब अगर यहाँ से कमेंट शूरू किया तो भाईभतीजावाद का लेबेल लग जायेगा, इस लिये पीछे से परिक्रमा लगा कर आती हूँ।

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  17. और हाँ खपोली में पार्टी इन्ही तीनो शिष्यों को मिलेगी या अन्य शिष्यों को भी ????

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  18. गौतम भाई:-
    रहे बरकरार जुनून ये......वाकई ग़ज़ब का जुनून है
    है जो आसमान........नयी कोशिशें..........वाह गौतम भाई, दिल की बात कह रहे हैं आप
    कई आँधियाँ........वाकई ग़ज़ब का शे'र है गौतम भाई, डायरेक्ट दिल से
    हो कलम तेरी ज़रा और तेज.............आमीन

    अंकित सफ़र भाई:-
    मतले से ही ठोक बजा कर शुरुआत की है भैया आपने तो, बधाई हो
    आडी तिरछी लकीरें.........ओहोहो क्या बात है, काफ़ी दुरुस्त ख़याल हैं भाई
    कई ख्वाहिशों कई हसरतों.........वाह वाह वाह, बहुत खूब


    वीनस केशरी भाई:-
    भाई आप का नाम तो ग़ज़ल केशरी होना चाहिए :)
    क्या मतला है और क्या गिरह बाँधी है आपने, भई वाह
    तू ही हमसफ़र.........वाह वाह, मैं ज़्यादा तो नहीं जानता पर ये एक आला रिवायती शे'र लग रहा है
    खुले दिल से तुम.....वाह बन्धु बहुत खूब
    वहाँ जीत कर.............बात तो सही है वीनस भाई|

    पर वीनस भाई मैं आपके आख़िरी शे'र के लिए तारीफ नही करूँगा, सॉरी यार| क्यूँकि अभी तो पंकज जी ने टेढ़ी बहरों पर हमें ले के जाना बाकी है| और मुझे यकीन है यहाँ शिरकत करने वाले सभी जन उस दिन की बाट ज़ोह रहे हैं, मैं भी|

    नीरज भाई का ख़याल अच्छा है, और हाँ भाई लोग रास्ते में मुंबई भी पड़ता है...........
    नीरज भाई खोपोली / लोनावला में तो एक गोष्ठी का भी आयोजन हो जाए तो क्या कहने................

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  19. Neeraj

    Ye nainsaafi mat karna. main mumbai mein aapon to yeh mauka in bahut hi acche sahayaron se milne ka khona nahin chahti..Mujhe umeed hai pankaj ji mere saath sahmat rahenge.
    Jitni bhi ghazals padi hai, sabhi lajawaab. is beher mein apne aap ko abhivyakt karna bhi kala hai jiski nipurnta ke ansh yahan mil rahe hain.Anki, Gautam Venus aur ko meri bahdhayi v shubhkamnayein kabool ho..

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  20. तीनों शायरों के अशआर मनभावन तीनों को तहेदिल मुबारकबाद।

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  21. समय पृष्ठ पर आज कर दिया गौतम ने वीनस ने अंकित
    पूर्ण द्रोंण से शिक्षा पाकर अर्जुन तीरन्दाज हो गया
    लक्ष्य बेध का अद्भुत्त कौशल, शिष्यों ने जो दिखलाया है
    उनसे अधिक आपका गुरुवर,इस तरही से नाम हो गया

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  22. तीनों कलाम उम्दा,और एक दम कसी हुई शायरी वाह!

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  23. तीनों कलाम उम्दा,और एक दम कसी हुई शायरी वाह!

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  24. गौतम भैया ये शेर अपने साथ लिए जा रहा हूँ


    रहे बरकरार जुनून ये, तू छुये तमाम बुलंदियाँ
    जो कदम तेरे चले सच की राह तो हौसला तेरे संग हो

    है जो आसमान वो दूर कुछ, तो हुआ करे, तो हुआ करे
    तेरे पंख हो नया दम लिये, नयी कोशिशें, नया ढ़ंग हो

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  25. अंकित भाई आपकी गज़ल पर क्या कहूँ
    सारे ही शेर लाजवाब बने है

    तेरे ज़िक्र से कई मुश्किलों में भी हँस रही है ये ज़िन्दगी,
    वो खुदा करे, तेरी चाहतों की भी खुशबुएँ मेरे संग हों.

    ये जो आड़ी तिरछी लकीरें हैं, मेरे हाथ में तेरे हाथ में,
    किसी ख्वाब की कई सूरतें, किसी ख्वाब के कई रंग हों.

    ते शेर तो क़यामत बरपा रहे हैं

    बहुत बहुत बधाई

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  26. वाकई शुरुआत में मिसरा थोड़ा कठिन लग रहा था..पर जैसे जैसे शेर आ रहे है ऐसा कुछ लग नही रहा है अब ..बात यही सिद्ध होती है यदि ठान कर बैठ जाओ तो सब कुछ आसान हो जाता है,..

    गौतम जी,अंकित जी और वीनस जी आप सब लोगों को बहुत पहले से पढ़ता आ रहा हूँ| अलग तरीके से ग़ज़ल पढ़ने के माहिर उस्ताद है आप सब...

    आज भी बढ़िया बढ़िया शेर पढ़ने को मिले.....आप सब को दिल से बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  27. हर बार गुरू जी नीचे से ऊपर की तरफ चलते हैं, पर लग रहा है इस बार ऊपर से नीचे की ओर आने को सोचा है और हम सबसे निचली आखिरी सीढ़ी हैं :( :(

    कोई नही...मैं काम भी वही कर रही हूँ।

    @ गौतम भईया, तो हुआ करे, तो हुआ करे

    सबको पसंद आया, तो मुझे क्यों नही? और फिर

    कई आँधियाँ अभी आयेंगी...!! सब को अपना लगने वाला शेर था ये

    और जिस पे मैने सर्वाधिकार सुरक्षित कराया, वो यूँ कर क्योंकि जब ये गज़ल लिखी जा रही थी, तब ठंढ से बढ़ी बीमारी में ये शेर मूझे खुद के लिये लिखा सा ही लगा था। :) :)

    और आप के ही शब्द पे फिर ये दुआ

    तेरे शेर पे मिले दाद सौ, तुझे सुन के दुनिया ये दंग हो यूँ ऐसा ही हो रहा है, पर अभी और भी ये हुआ करे, ये हुआ करे

    और अंकित तुम अपने मतले पर ढेरों दाद लेने के साथ मेरे की जगह तेरे कर के इसे मेरी दुआ भी समझ लो

    चढ़े डोर जब ये उम्मीद की तेरी कोशिशें भी पतंग हों

    और फिर तेरे ज़िक्र से वाले शेर की कहन.. आह, वाह सब निकल रहा है।

    ये जो आड़ी तरछी लकीरे हैं, तेरे हाथ में मेरे हाथ में ये अकेला मिसरा ही दिल तक पहुँच रहा है और बहुत अंदर तक। मगर मुझे पता है कि तुम इसे अन्यथा नही लोगे इसीलिये तुमसे कह भी रही हूँ कि इसका आगे का निबाह उतनी कुशलता से नही हो सका जितना पहले मिसरे में हुआ था।

    फिर इसी जिंदगी से ही दोस्ती, इसी जिंदगी से ही जंग हो मिसरा खूब असरदार बना है।

    और तेरा बाग है, ये जो बागवाँ इसमें हम सब के हाथ तुम्हारे साथ शामिल...!!

    वीनस तुम्हारे शेर हमेशा ही सोचने पर मजबूर करते हैं कि शेर लिखने वाला और तुम एक ही हो या नही

    तू ही हमसफर, तू ही राहबर, तु ही रहगुजर तू ही कारवाँ
    और फिर ये मिसरा
    तो ये क्या कि मैं कोई आईना, तो ये क्या कि तुम कोई संग हो बहुत खूब..बहुत खूब

    किसी ख्वाब में मेरा नाम ले... बहुत अच्छे, बड़ा सुंदर सा, छुपा सा खुला सा....!!

    जहाँ दाँव पर मेरी सोच हो ये शेर मुझे मेरी आजकल की अपनी मानसिक हालत बयाँ करने वाला लगा

    और आखिरी शेर में गुरू जी से जो कहा, वो तुम लोग क्यों कहते हो भाई, वो तो मुझे और बस मुझे कहना चाहिये :( :(

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  29. तीनो शायरों के सुन्दर शायरी पढने को मिली.. ..आपका यह प्रयास सराहनीय है प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार ..

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  30. गौतम भैय्या और वीनस को पढने का एक अलग ही आनंद है और वो आनंद बारहां ले रहा हूँ.

    है जो आसमान वो दूर कुछ, तो हुआ करे, तो हुआ करे
    तेरे पंख हो नया दम लिये, नयी कोशिशें, नया ढ़ंग हो
    ______________________________

    खुले दिल से तुम, कभी मिल तो लो, न निराश मैं, करूंगा तुम्हें
    तो ये क्या कि मैं, कोई आईना, तो ये क्या कि तुम, कोई संग हो

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