सोमवार, 29 जून 2009

रात भर आवाज़ देता है कोई उस पार से, कौन देता है कोई नहीं जानता लेकिन कोई है तो सही जो पुकारता है और कवि, शायर, कहानीकार उसको तलाशता रहता है ।

बहुत दिनों के बाद आ रहा हूं । दरअसल में कुछ नया काम प्रारंभ किया है सो उसकी व्‍यस्‍तता बनी है । जो नया काम प्रारंभ किया है उसमें आप सबकी शुभकामनाएं चाहिये कि उसमें सफलता मिले । नये काम को लेकर कई दिनों से ऊहापोह की हालत थी । रविकांत और वीनस केसरी से मामले में चर्चा की इसलिये कि दोनों उसी इलाके के हैं । दोनों ने ही जब ग्रीन सिग्‍नल दिया तो काम प्रारंभ करने का हौसला आया । अपने कम्‍प्‍यूटर प्रशिक्षण संस्‍थान में हम लोग कम्‍प्‍यूटर हार्डवेयर, नेटवर्किंग तथा ग्राफिक्‍स आदि का काम करवाते हैं । किन्‍तु पिछले कुछ दिनों से लग रहा था कि कुछ कालेज स्‍तर का काम भी किया जाये । सो बस वही काम प्रारंभ किया है । अब देखें कि कहां तक पहुंचते हैं ।

तरही मुशायरा - इस बार के तरही को लेकर कई अच्‍छी रचनाएं मिल रही हैं । सुधा ओम ढींगरा जी ने उस मिसरे को लेकर एक बहुत ही सुंदर कविता लिख भेजी है । कविता ऐसी है कि पलकों की कोरें नम हो जायें । कुछ ग़ज़लें भी बहुत जबरदस्‍त मिलीं हैं । दरअसल में इस बार का मिसरा हांट करने वाला मिसरा है । हम सबके, हम जो रचनाकार हैं हम सबके साथ ही ये होता है कि हमको ऐसा लगता है जैसे कोई हमें आवाज़ दे रहा है । कौन है हम भी नहीं जानते लेकिन आवाज़ सुनसान रातों में हम सुनते हैं । आवाज़ उस पार की, आवाज़ जो हमें खींचती है बुलाती है । ये ही आवाज़ कई बार रचनाकार के लिये पीड़ादायी हो जाती है । कभी कोई गुरुदत्‍त आत्‍महत्‍या कर लेता है तो कभी कोई मीनाकुमारी शराब में डूब जाती है तो कभी कोई मुकुल शिवपुत्र नैराश्‍य में समा जाता है । बच्‍चन जी की पत्‍नी का जब निधन हुआ तब वे भी उसी नैराश्‍य में थे और उसी नैराश्‍य को उन्‍होंने कविता में ढाल दिया । मुकुल शिवपुत्र जी की भी पत्‍नी का निधन असहज परिस्थितियों में हुआ और वे टूट गये । बात वही है कि कोई आवाज़ देता है उस पार से । मेरी हमेशा से इच्‍छा रही है कि मैं किसी ऐसे शहर में रहूं जहां नदी हो, तालाब हो और पहाड़ हों । लेकिन मेरे शहर में ये तीनों ही नहीं हैं । मगर फिर भी रात के सन्‍नाटे में यूं लगता है कि नदी आ गई है और उस पार से कोई पुकार रहा है । शायद साहिर लुधियानवी का शेर है प्‍यास जो मेरी बुझ गई होती, जिन्‍दगी फिर न जिन्‍दगी होती । तरही का आयोजन होने ही वाला है सो जल्‍द रचनायें भेजें ।

बहरे मुजारे - बहरे मुजारे के बारे में हमने पिछली बार कुछ बातें कीं थीं और मैंने कहा था कि ये जो बहरे हजज की लगभग जुड़वां बहन है ये हजज जैसी ही है । किन्‍तु बहरे हजज जहां मुफरद बहर है वहीं ये मुरक्‍कब है । इसे रमल और हजज के एक एक रुक्‍न से बनाया गया है । 1222-2122-1222-2122

बहरे मुजारे की कई सारी उप बहरें हैं जिनमें एक है बहरे मुजारे मुसमन अखरब । ये भी गाई जाने वाली बहर है और इस पर काफी अच्‍छी ग़ज़लें कहीं गईं हैं । इसका वज़न होता है 221-2122-221-2122, बहर में चार रुक्‍न हैं इसलिये असका नाम होता है मुसमन और इसमें जो रुक्‍न है 221 जिसको कि हम मफऊलु कहते हैं वो होने के कारण इसके नाम में अखरब जुड़ गया है । बहर कव्‍वालियों में काफी उपयोग में लाई जाती है । कववाली के बारे में आप ये जानते ही होंगें कि कव्‍वाली में भी ग़ज़लें ही पढ़ी जाती हैं किन्‍तु गा कर पढ़ी जाती है । एक जमाने में फिल्‍मों में ऐसी कव्‍वालियां बनीं जो आज तक लोगों के जेहन में हैं । खैर तो ये है बहरे मुजारे जिसका कि वज़न है मफऊलु-फाएलातुन-मफऊलु-फाएलातुन । एक उदाहरण देखें जाना न छोड़ के तू यूं राह में कभी भी । मिसरा भले ही बहर में हैं लेकिन कहन का दोष है । मगर हम चूंकि बहर की बात कर रहे हैं सो ये बहरे मुजारे मुसमन अखरब का एक उदाहरण है । आशा है आपको समझ में आ गया होगा । चलिये अब इस पर कुछ ग़ज़लें तलाशिये और तकतीई करके भेजिये । या हो सके तो इस बहर पर एकाध शेर लिख कर कमेंट बाक्‍स में लगाइये । अगले पाठ में हम बातें करेंगें मुजारे की अगली उपबहर की ।

सूर्यग्रहण - आने वाली 22 जुलाई को हमारे देश में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है । ये पूर्ण सूर्य ग्रहण अपने तरह का अनोखा होगा । इस पूर्ण सूर्य ग्रहण की केन्‍द्रीय रेखा हमारे जिले से होकर जा रही है । हमारे जिले का ग्राम गूलरपुरा इस केन्‍द्रीय रेखा के ठीक नीचे आ रहा है ।यदि आप भी पूर्ण सूर्य ग्रहण का आनंद लेना चाहते हैं तो पधारें । हां मगर मानसून यदि मजा बिगाड़े तो हम कुछ नहीं कर पायेंगें । इस ग्रहण पर मैंने एक शोध पत्र तैयार किया है किसी खगोल विज्ञान की संस्‍था के लिये । जल्‍द ही उस शोध पत्र के कुछ हिस्‍से आपको भी पढ़वाता हूं । 22 जुलाई को सुबह सूर्य उदय के साथ ही ये ग्रहण लगेगा और पूर्ण सूर्य ग्रहण लगभग तीन मिनिट अवधि का होगा । गूलरपुरा सीहोर से लगभग तीस किलोमीटर है । वैसे सीहोर शहर में भी पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा । किन्‍तु ग्रहण की केन्‍द्रीय रेखा ( सेण्‍ट्रल लाइन आफ इकलिप्‍स) गूलरपुरा पर से होकर गुजरेगी । मेरा प्रयास रहेगा कि उस दिन गूलरपुरा में रह कर वीडियो शूटिंग करूं पूरे ग्रहण की ।

पहली बरसात - हमारे इलाके में मौसम की पहली बरसात हो गई है । रविवार को लगभग एक घंटे खूब बरसे बादल । नानी कहती हैं कि पहली बरसात में नहाने से घमोरियां मिट जाती हैं । सो हमने भी परी पंखुरी और मोहल्‍ले के बच्‍चों के साथ पूरे घंटे भर नहांने का आनंद लिया । जब तक छींकें नहीं आने लगीं । मुझे छत से गिरते पानी के नीचे खड़े होने में पहले भी मजा आता था और अब भी आता है । बरसात में नहाने का अपना ही आनंद होता है । संयोग ये था कि रविवार को बरसात हुई अगर किसी और दिन होती तो कौन नहा पाता । बच्‍चों को प्रकृति के पास रहना सिखाना चाहिये । उनको बरसात में भीगने का आनंद जरूर बताना चाहिये । बस यही सोच कर बरसात में एक बार जरूर आनंद लेता हूं बच्‍चों के साथ । पंकज उदास की गाई एक ग़ज़ल बहुत याद आती है । उसने मुझे ख़त लिक्‍खा होगा अश्‍कों से तनहाई में, आंख का काजल फैला होगा मौसम की पहली बारिश में ।

सप्‍ताह का गीत - ये गीत वैसे तो फिल्‍म पुराना मंदिर में किसी और गायक ने गाया था लेकिन उसीको जग पाकिस्‍तानी गायक सज्‍जाद अली ने गाया तो रंग ही बदल गया । मूल गीत से जियादह अच्‍छा कवर वर्शन हो सकता है ये इस गीत को सुन कर पता लगता है । इस गीत के साथ मेरी कई कोमल भावनाएं जुड़ी हैं । ये गीत आज भी मेरी आंखें नम कर देता है । इस गीत के बोल मुझे बहुत पसंद हैं । सज्‍जाद अली की आवाज़ भी बहुत मीठी है । आप भी सुनें ये गीत यहां

21 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया पोस्ट या यूँ कहें की देर आयद -दुरुस्त आयद .

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  2. गुरुजी रामराम.

    नये काम के लिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं. और पूरी पोस्ट ही आज तो विविध ज्ञान का भंडार है.
    बहुत धन्यवाद,

    रामराम.

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  3. बरसात मे भीगने का आनंद ही कुछ और है गुरूदेव। आपके शोधपत्र का भी इंतज़ार रहेगा।

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  4. नये काम के लिए शुभ कामनाएं। अच्छा मेरी दादी तो कहती थीं कि पहली बारिश में नहाओ तो फोड़े फुन्सी निकलते हैं। वैसे बारिश की ख़बर सुन कर मज़ा आ गया, नहीं तो यहाँ खबर छपने लगी थी कि लोग मेंढक और मेंढकी की शादी करने लगे हैं बारिश के लिए।

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  5. नया काम जो भी हो उसकी शुभकामनाएं...! कोई भी चीज़ जब इंतजार के बाद आती है तो अधिक सुखद होती है...! बारिश अगर ५-६ जून तक आ ही गई होती तो शायद इतनी सुखद ना होती मगर इस बार जो देर से आई तो मूल्य बढ़ गया इसका..इतना कि एक दिन पहले जब तरही लिखने बैठी तो शेर भी इस से ही संबंधित निकल रहे थे।

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  6. प्रणाम गुरु जी,
    आप का ब्लॉग पे आना भी बारिश के आने जैसा ही आनंद दे रहा है, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं आप जो भी करें उसमे सफलता आपके कदम चूमे.
    बहरे मुजारे के बारे में एक नयी जानकारी के लिए शुक्रिया.
    चलिए बारिश आ गयी है चाहे थोडी देर से ही आई, देश के किसानो और अर्थ-व्यवस्था के लिए शुभ संकेत है.
    तरही मुशायेरे का इंतज़ार है.

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  7. रंग बिरंगी पोस्‍ट के लिए मुबारकबाद।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  8. नये काम के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें आप दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करें

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  9. गुरुदेव नए काम में आपको आशातीत सफलता मिले ये ही दिल से कामना है...आप व्यवसाय के विस्तार में व्यस्त हैं जान ख़ुशी हुई...आगे बढ़ना ही जिन्दा रहने की निशानी होती है...अगर मैं किसी भी रूप में आपके इस काम में सहयोग दे सका तो ये मेरा सौभाग्य होगा...

    लानत है इस मसरूफियत को जिसकी वजह से आपके तरही मुशायरे का मिसरा मेरे जेहन से निकल गया...अब क्या करूँ...??? इन दिनों कुछ काम बढ़ गया है क्यूँ की जिस प्रोजेक्ट को हाथ लिया हुआ था उसका समापन निकट ही है...

    बहुत दिनों बाद आपने बहर के बारे में लिखा है जिसे याद रखना पड़ेगा तभी बात बनेगी सिर्फ पढ़ कर ही काम चलने वाला नहीं है.

    आपके यहाँ भी बारिशों ने दस्तक दी है जान कर बहुत अच्छा लगा...खोपोली भी बादलों की चादर ओढे मुस्कुरा रहा है...लोनावला में आयीये अगर भीगने का असली आनंद लेना हो तो...घुमते रहिये...भीगते रहिये...अनवरत...मुंबई से लोग ख़ास तौर पर भीगने ही यहाँ आते हैं...उन्हें देख कर ही कभी मैंने कहा था...
    खिड़कियों से झांकना बेकार है
    बारिशों में भीग जाना सीखिए

    सज्जाद अली साहेब की आवाज में गीत सुना...अच्छा था...एक बार सुनने से काम चलेगा नहीं थोडी देर में फिर सुनता हूँ.
    नीरज

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  10. सुधा जी का गीत तो पढ़वाया ही नहीं?

    आपको नये काम में सफलता मिले, हमारी हार्दिक शुभकामनाऐं.

    गीत पसंद आया.

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  11. गुरु जी प्रणाम ,
    आज कई दिन बाद आपकी पोस्ट पढने को मिली पिछला सोमवार तो बड़ी निराशा में गुजरा,
    तीन बार नेट कनेक्ट करके आपके ब्लॉग पर आया आयर तीनो बार मायूस होना पड़ा फिर जब आपकी मेल मिली तो लगा ये सोमवार भी .........
    मगर ब्लॉग पर आते ही दिल खुश हो गया, नई पोस्ट वाह

    यदि इलाहाबाद में कोई कार्य मेरे लायक निकले तो आदेश करियेगा

    तरही मुशायरा आयोजित करने की एक निश्चित तारीख बाँध दीजिये तो कृपा होगी
    जैसे --गजल भेजने के लिए २० तारिख तक समय हो और महीने के आख़री सप्ताह कोई भी दिन मुशायरा आयोजित हो मेरे ख्याल से २० दिन बहुत है गजल लिखने के लिए ...

    बाकी तो आप जैसा उचित समझें

    बहरे मुजारे के पाठ में आज एक और कड़ी जुड़ गई, बहरे मुजारे तो थोडा कठिन बहर लग रही है अभी तो मैं क्या लिख पाऊंगा मगर हो सका तो कल तक एक दो शेर प्रस्तुत करूंगा

    सूर्य ग्रहण के विषय में आपका लेख पढने की उत्सुकता है कृपा कर जल्द पढ़वाइये

    गाना अभी सुना नहीं :-)

    venus kesari

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  12. SUBEER JEE,
    JAANKAR HARSH HUAA HAI KI
    AAPNE NAYAA KAAM SHURU KIYA HAI.
    SAFALTA HEE SAFALTA AAPKO MILE,
    MEREE HAARDIK SHUBHKAMNA HAI.

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  13. नए काम में सफलता की सुभकामनाएँ !

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  14. परी और पंखुरी के संग बारिश में भीगने के वर्णन ने मन पुलकित कर दिया....कल ही तो मैं भी भीगा हूँ अपनी छुटकी के संग :-)

    नये कार्य के लिये मेरी और आपकी बहुरानी-दोनों की तरफ से सारी शुभकामनायें

    रात भर आवाज देता है सचमुच कोई तो हम सब को...सुनने की दरकार होती है बस और सृजन होता है एक नयी रचना का।

    बहरे मुजारे ने हमेशा से मन मोहा है। एक-दो ग़ज़लें याद तो हैं...फिर से आता हूँ!

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  15. guru dev ..........नये काम के लिए शुभ कामनाएं.........आपका काम दिन dogni रात chogni unnati karegaa..........
    आपकी पोस्ट kaafi समय के बाद आती है पर bheeni bheeni khushboo लिए आती है........... badhaai हो बरसात के aagman की.......... हमारे dubai में तो dhoop और dhoop का ही sansaar है............ boond तो door दूर तक नज़र नहीं आती

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  16. गुरु देव सादर प्रणाम,
    माफ़ी चाहूँगा देरी से आने के लिए मगर आपने जो काम नए तौर से लिया है वो वाकई बहोत ही साहसिक काम है और आपने जिस चुनौती को स्वीकार है वो प्रसंसनीय है गुरुदेव.... दिल से हार्दिक शुभकामनाएं... सच में आपके यहाँ की सुन ही कल हमारे दिल्ली में भी बारिश हुई हलाकि मुझे बारिश में भीगना पसंद नहीं मगर बालकनी में बैठ देखना बहोत पसंद है... पंखुरी और परी के साथ भीगने की कथा ऐसी लगी जैसे खुबसूरत गुलाब ओस की बूंदों में खुल रहा हो...
    बहरे मुजरे को मैंने आत्मसात करलिया है .....
    थोडी सी मसरूफियत के चलते और बेतहासा गर्मी के चलते ग़ज़ल पूरी नहीं कर पाया हूँ मगर जल्द ही पूरी करके आपको मेल करता हूँ ....

    पहली बारिश की बहोत बहोत शुभकामनाएं...

    आपका
    अर्श

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  17. जिसको मै बुलाता हु वो शहर मे नही,
    शायद इसीलिये मेरी शायरी बहर मे नही.

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  18. पंकज जी नमस्कार, अक्सर साथी ब्लांगर पर आप के चित्र ओर आप ने बारे बहुत पढा, अच्छा लगता है, ओर आज आप के ब्लांग पर आया तो लगा कि एक बहुत बडा खजाना है, कितना ग्याण बांट रहे है आप, यह आप का लेख पढ कर लगा.
    फ़िर बरसात मै नहाना आप ने याद दिला दिया, यह मेरे बचपन का पक्का शोक था, क्योकि मेरे शरीर पर गर्मियो मे दाने बहुत निकल आते थे जिन्हे पित कहते है शायद, लेकिन अब तो सदिया बीत गई बरसात मै नहाये, आप का यह गीत नही चला, बाद मै फ़िर कोशिश करुगां.
    आप का धन्यवाद

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  19. गुरुदेव प्रणाम,
    आपके नव कार्य के लिए शुभ कामनाएं...!
    बारिश का उल्लेख आनंदित कर गया.आपकी पोस्ट और मेल का इन्तजार रहता है.
    प्रकाश.

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  20. कहते हैं जो काम पूरे मन से किया जाए उसमें सफ़लता होती ही है। ईश्वर नये सफ़र पर आपका साथ दे। मुज़ारे को पोरी तरह आत्मसात करने की कोशिश कर रहा हूं। पहली बरसात तो पता नहीं पर आर्द्रा नक्षत्र में नहाने से फोड़े-फुंसियां नहीं होते ऐसा बुजुर्ग कहते हैं। गीत अच्छा है।

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  21. गुरु जी प्रणाम
    प्रतिदिन की भाँती ब्लॉग पर आना हुआ तो अचानक ही प्लेयर दिखने लगा और प्ले करने पर प्ले भी हो गया गीत पहले भी सुना था फिर से सुन कर मज़ा आया

    वीनस केसरी

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