शनिवार, 23 फ़रवरी 2008
विस्टा से मुक्ति पा ली और अब वापस अपने पुराने वाले एक्स पी पर आ गए ( एक दु:स्वप्न का अंत)
मैंने आपको बताया था कि मैंने अपने सिस्टम में विस्टा डाल लिया है और मैं बड़ा ही खुश भी था कि चलो अब तो मेरे पास भी सबसे लेटेस्ट आपरेटिंग सिस्टम है । समीर लाल जी ने सबसे पहले मुझे चेताया था कि विस्टा के रूप में मैंने एक ग़लत निर्णय लिया है और फिर उसके बाद अभिनव ने भी कहा कि विस्टा डाल कर मैंने गलती की है त्र पर अपने राम तो प्रसन्न थे क्यों क्योंकि अपन तो विस्टा चलाने वाले थे । फिर उसके बाद रिपुदमन पचौरी जी का मेल मिला उन्होंने भी विस्टा के डालने पर आश्चर्य व्यक्त किया था । यहां तक आते हुए मैं कुछ परेशान तो था क्योंकि ये सभी मेरे शुभचिंतक ही तो हैं । और यकीन मानिये तब तक तो मेरे विस्टा ने परेशान भी करना प्रारंभ कर दिया । मेरे ब्लाग खोलने बंद कर दिये ये कह कर कि ये तो सिक्योरड साइट नहीं हैं । मैं हैरान सा काम एक कम्प्यूटर पर करता और अपना ही ब्लाग देखने पड़ोस के नेट कैफे पर जाता कि देखें क्या आया है । फिर हुआ ये कि उसने मेरा सारे ई मेल भी बंद कर दिये । बताया तो नहीं कि क्यों करे पर कर दिये । अब मैं अपने मेल चैक करने भी पड़ोस के कैफे में जाने लगा । कोई पूछता तो कहात क्या करें भैया हमने विस्टा डाली है और वो ये सब करने ही नहीं दे रही है । फिर तीसरे ही दिन हुआ ये कि नेटवर्किंग में भी समस्या आने लगी पता चला कि हमारी नेटवर्किंग को सिक्योरड नहीं मान कर उसने बंद कर दिया है । अब गुस्सा चरम पर आ गया था । एक तो छ- सात हजार इस विस्टा नाम की भैंसिया का खूंटा गाड़ने में ( कोर टू, 2 जीबी रेम, 500 जीबी हार्ड डिस्क ) में लग गए और ससुरी दूध है कि दे ही नहीं रही और लात मार रही है सो अलग । दस दिनों से हम नेट से अलग पडें हैं और इनको नखरे सूझ रहे हैं । आखिरकार शुक्रवार को निर्णय लिया गया कि हटाओ इस नखरे वाली विस्टा को और ले आओ अपनी पुरानी एक्सपी को बस बात की बात में कर दिया फार्मेट और लौट कर आ गए अपने पुराने पर । एक दु:स्वप्न का अंत हो गया । लौट कर बुद्धू घर को आए ।
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आपने भेड़चाल में शामिल होने से बचा लिया.पर कंप्यूटर विशेषज्ञों पर पूरी तरह विश्वास करना भी जोखिम भरा होता है.कहीं आप उनमे से तो नहीं जो "विन्डोज़ एक्सपी" के पदार्पण के बाद भी विन्डोज़ ९८ से चिपके हुए थे और यूज़र फ्रेंडली बता बताकर सबको वही उपयोग करने की सलाह दे रहे थे?
जवाब देंहटाएंपंकज जी
जवाब देंहटाएंआप के वापस आने से हमने भी चैन की साँस ली है...विस्टा न हुई विष्ठा हो गयी ये तो जान को...
लगता है अब आप अपने सारे पुराने रुके हुए काम जल्दी से निपटा डालेंगे.
नीरज
जीतनी आप ने परेसानीया बताई विस्टा कि वो थिक हो सकती है। पर आप बहुत दिनो से xp चला रहे है इश लीये ये अछा लगा। वापस आने के बाद आप को बहुत आच्छा लगा हो गा
जवाब देंहटाएंचलिए अच्छा किया कि आपने इस भैंस से पीछा छुड़ा लिया। आखिर कहा गया है न-अक्ल बड़ी कि भैस?
जवाब देंहटाएंरविकांत पाण्डेय-laconicravi@gmail.com
चलिये, सुबह का भूला शाम को लौट आये तो भूला नहीं कहलाता..फिर आप तो दोपहर ही में लौट आये हैं. स्वागत पुराने सिस्टम के साथ वापसी पर. :)
जवाब देंहटाएंमेरी पत्नी को काम की जगह से लैपटॉप विस्टा के साथ मिला था। मैंने उसमें दो महीने पहले यह किया।
जवाब देंहटाएंगुरूजी, कक्षा नियमित होने में विलंब था तो तब तक मैंने कुछ होमवर्क करने की सोची-
जवाब देंहटाएंहर तरफ़ दिख रहा बाज़ार साथी
कौड़ियों के मुकाबिल प्यार साथी
गीत-कविता मधुर अब किस तरह हो
दरमियां दिल के जब दीवार साथी
२१२ २१२ २२१ २२
क्या वज़्न सही निकाला है?? क्या बहर में है? ये भी बताएँ कि "दिल" का प्रयोग सही है?? मैं "दिलों" लिखना चाहता था पर लगा कि मात्रा गड़बड़ हो रही है।
सुबीर जी:
जवाब देंहटाएंकक्षा के दोबारा से शुरु होने की प्रतीक्षा में ...
:)....!
जवाब देंहटाएं:) :)
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