पिछली कक्षा कुछ भारी हो गई थी और मुझे पता था कि कुछ ऊपर से निकल गई होगी मैंने वादा किया था कि फिर से दोहराऊंगा सो आज फिर से हम पिछली ही कक्षा के आस पास रहेंगें और वहीं पर बात करेंगें । एक बात ज़रूर कहना चाहता हूं वो ये कि आप लोग जब टिप्पणी देते हैं तो कृपया अपना मेल एड्रेस वहां पर ज़रूर दे दिया करें क्योंकि मैं टिप्पणियों को आउटलुक में पढ़ता हूं और वहां पर जो मेल मुझे बिना ईमेल पते के आते हैं मैं उनके जवाब नहीं दे पाता हूं ।
सालिम और मुजाहिफ़
इसके बारे में मैं पहली कक्षा में भी कह चुका हूं कि ये थोड़ा कठिन काम है पर ये जान लें कि ये ही खास काम है और हम इसकों अगर समझ लें तो बहर समझना बहुत आसान हो जाएगा हमारे लिये ।
सालिम शब्द का अर्थ होता है समग्र । अब वो जो समग्र है वो कहलाएगा सालिम लेकिन ये कौन तय करेगा कि सालिम कौन है और बेसालिम मुजाहिफ़ कौन है । मैंने पिछली कक्षा में बताया था कि कुल मिलाकर सात मुफ़रद बहरें हैं और ये जान लें कि मुफ़रद का अर्थ होता है जिनके सालिम में एक ही प्रकार का रुक्न हो और ये भी तय है कि वो रुक्न क्या होगा ।
क्रमांक | नाम | प्रकार | रुक्न | वज़्न |
1 | रजज़ | मुफ़रद | मुस्तफएलुन | 2212 |
2 | हज़ज | मुफ़रद | मुफाईलुन | 1222 |
3 | रमल | मुफरद | फाएलातुन | 2122 |
4 | मुतका़रिब | मुफरद | फऊलुन | 122 |
5 | मुतदारिक | मुफरद | फाएलुन | 212 |
6 | कामिल | मुफरद | मुतफाएलुन | 2212 |
7 | वाफ़र | मुफरद | मुफाएलतुन | 12112 |
अब ये तो हुई सूची मुफरद बहरों की । इस सूची को अगर देखें तो ये तो तय ही हो जाता है कि ऐसी ग़ज़ल जिसके मिसरे में सभी रुक्न मुफाईलुन हैं तो उसकी बहर होगी बहरे हज़ज और अगर सभी रुक्न होंगे फाएलातुन तो उसकी बहर का नाम होगा रमल । ये तो आपको पता चल ही गया होगा ऊपर की सूची से । ठीक है अब ये तो सालिम या समग्र का ही वज़्न है पर कभी कभी ऐसा होता है कि किसी बहर में तीन रुक्न तो फाएलातुन हुए पर चौथा जो फाएलातुन था उसमें से एक दीर्घ या लघु कम हो गया और वो हो गया फाएलुन । अब क्या है कि रुक्न तो वही है पर मात्रा की कमी हो गई है अर्थात समग्रता में दोष आ गया है और ये जो दोष है इसमें जो रुक्न नया आया है वो अपने मूल रुक्न की कोख से ही जन्म लेता है । जैसे फाएलातुन की कोख से जन्मा फाएलुन । बाहर से नहीं आएगा वो रुक्न ।
रमल का ही उदाहरण देखें
1 मुसमन सालिम : कह रहा हूं, फैंकिये मत, हाथ का पत्, थर अभी जी
अब इसमें क्या है कि चारों ही रुक्न फाएलातुन हैं । तो ये हो गई सालिम बहर । समग्र बहर । मुसमन तो इसलिये की चार रुक्न हैं । सलिम इसलिये क्योंकि चारों मूल रुक्न ही हैं और रमल इसलिये क्योंकि चारों ही फाएलातुन हैं और रमल का स्थिर रुक्न वही है ।
2 मुसमन महजूफ़
अगर ऊपर के शेर में से आखीर का जी निकाल कर अगर कहा जाए कि
कह रहा हूं, फैंकिये मत, हाथ का पत्, थर अभी
तो क्या हुआ कि आखीर का रुक्न जो है वो अब फाएलातनु न रह कर हो गया है फाएलुन जो कि फाएलातुन की एक दीर्घ मात्रा के कम हो जाने से बना है । तो अब चूंकि समग्रता ख़त्म हो गई है सो अब ये सालिम बहर ना रह कर रमल की मुजाहिफ़ बहर हो गई है और इसका नाम होगा बहरे रमल मुसमन महजूफ़ ये जो नाम महजूफ जुड़ा है ये बताएगा कि रुक्न फाएलुन हो गया है । रमल तो फाएलातुन के कारण है और मुसमन चार रुक्न के कारण ।
चलिये आज के लिये इतना ही अगली कक्षा में आगे की बात करेंगें ।
ha.n guru ji aaj jake smajh me aya...!
जवाब देंहटाएंटूटा ये/ सिलसिला तो/ मुझे सोच/ना पड़ा,
जवाब देंहटाएंमिलकर जु/दा हुए तो /मुझे सोच/ना पड़ा,
तय कर चु/का था अब न /पिऊंगा क/भी मगर,
जैसे ही/दिन ढला तो/ मुझे सोच/ना पड़ा
२२१, २१२१, १२२१, २१२
meri koshish aaj ki yeh rahi hai.
बैठा था बज़्म में, मिरे आते ही उठ गया
उठ वो चल दिया, तो मुझे सोचना पड़ा.
sach mein bahut sochna pada.
Yes Sir
जवाब देंहटाएंji ... samjhe
जवाब देंहटाएंमहजूफ जुड़ा है ये बताएगा कि रुक्न फाएलुन हो गया है - आख़िर कैसे ये मह्जूफ़ क्या केवल फाएलुन के लिए ही होता है. ये जटिल तंत्र लग रहा है. बिनु गुरु कृपा मिलहिं नही संता.
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