पांच साल पहले जब इस सफ़र की शुरूआत की थी तब पता नहीं था कि 'लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया' इस मिसरे को हकीकत में बदलते देखने का मौका आने वाले पांच साल में मिलने वाला है । बहुत डरते डरते की थी वो शुरूआत । इच्छा बस ये थी कि जो कुछ भी मैंने सीखा है उस्तादों से उसे आगे दूसरों को सिखा सकूं । तब बस एक ही बात मन में थी कि हिंदी में ग़ज़ल कह रहे वे रचनाकार जो उर्दू लिपि से अनजान हैं उनके लिये कुछ किया जाये । मैं नहीं जानता कि मैं उस योग्य था कि नहीं । हां बस ये था कि ध्वनि के माध्यम से मात्राएं पकड़ना आ गया था । ग़ज़ल में ध्वनि का जो खेल है उस पर ही सब कुछ निर्भर होता है । तो बस ये ही सोच की कारवां शुरू किया था कि कहीं कुछ किया जाये । तब ये भी नहीं पता था कि इस का फार्मेट क्या होगा, किस प्रकार से ये किया जायेगा । बस जिसे कहते हैं कि एक उलझन सुलझन भरी शुरूआत की थी ।
25 अगस्त 2007 से 25 अगस्त 2012 तक आते आते ये सफर एक परिवार में बदल गया । एक ऐसा परिवार जो एक दूसरे के साथ जुड़ा हुआ है । कई लोग बीच में जुड़े और बाद में हाथ छोड़ कर चले गये । कई जो शुरू से जुड़े हैं और अभी तक सक्रिय हैं । दरअसल इस ब्लाग से वही सक्रिय रूप से लम्बे समय तक जुड़ा रह सकता है जिसने संयुक्त परिवार में रहना सीखा हो । संयुक्त परिवार ही सिखाता है कि बड़ों का मान, छोटों पर नेह क्या होता है । संयुक्त परिवार में ईगो के लिये कोई स्थान नहीं होता । ईगो एकल परिवार की देन है । तो जो लोग संयुक्त परिवारों को जानते थे उन्होंने यहां आकर भी उस परंपरा को आत्मसात कर लिया । ये ब्लाग एक संयुक्त परिवार बन गया । इसकी सफलता और इसको सिद्ध करने के लिये एक वाक्य 'ये ब्लाग तो तुम्हारा मायका है' जो आदरणीया इस्मत जैदी जी से उनके परिजन कहते हैं । ये वाक्य सुबूत है इस बात का कि अब ये एक ब्लाग न होकर एक संयुक्त परिवार है । छोटों को समझाइश देने का काम बड़े लोग बखूबी करते हैं और छोटे बिना इगो के उसे स्वीकार करते हैं ।
पहले वर्ष 78 पोस्ट लगीं फिर 2008 में 75, 2009 में 73, 2010 में 71, 2011 में 63 और इस वर्ष अभी तक 50 पोस्ट यहां लग चुकी हैं । कुल मिलाकर ये आंकड़ा होता है 410 पोस्ट का । इन 410 पोस्ट पर आज तक 7245 टिप्पणियां आईं । और इन पांच वर्षों में 63676 विजिटर्स यहां आये जिन्होंने 1 लाख 6 हजार 9 सौ 78 बार पेज देखे । ये सच है कि पोस्ट लगने की संख्या में हर वर्ष कमी आई है लेकिन आने वालों और जुड़ने वालों की संख्या हर वर्ष बढ़ती गई । इस ब्लाग परिवार में आज की तारीख तक 311 सदस्य हैं । ये आंकड़े सचमुच एक सुखद एहसास प्रदान करते हैं । इस बात का कि जिस उद्देश्य को लेकर काम शुरू किया गया था वो दिशा काम ने पकड़ ली ।
आज के दिन कहने को बहुत कुछ है लेकिन बस मन भावुक है सो ज्यादा कुछ नहीं । बस ये कह सकता हूं कि बहुत प्रेम बहुत स्नेह और बहुत आत्मीयता की जो सौग़ात आप सब ने अपने इस ब्लाग को दी है वो क़ायम रहे । हम इसी प्रकार मिल जुल कर मौसमों को त्यौहारों को मनाते रहें । जो स्वरूप इस ब्लाग को मिला है वो बना रहे । ये उत्सव का दिन है । एक प्रयास अपने पांच सोपान पूरे कर चुका है । एक सफर मील के पांचवे पत्थर पर आ गया है । जहां से आगे और बहुत सी दूरियां तय करनी हैं । कई और पड़ावों पर हमें जाना है । ईश्वर, भगवान, ख़ुदा, रब, गॉड वो जो भी है उसकी रहमत हम सब पर बनी रहे । हम सब यूं ही लिखते रहें, सिरजते रहें, गीत, ग़ज़ल, कविताएं और कहानियां । साहित्य के उस विशाल महासागर में अपनी बूंदों के मोती हम भी आहुति की तरह छोड़ते रहें । ईश्वर से प्रार्थना है कि ये संयुक्त परिवार यूं ही जुड़ा रहे, प्यार से भरा रहे और साथ चलता रहे, आमीन ।
GURU DEV SAADAR PRANAAM,
जवाब देंहटाएंKUCHH LIKHANE KE LIYE FIR SE AANA HOGA MUJHE, FILHAL PADHKAR BAHUT BHAAUK HO GAYAA HUN.
IS PARIVAAR KE SABHEE SADASYA KO YAH DIN MUBAARAK HO.... BAHUT ACHHAA LAG RAHAA HAI.
SAADAR
ARSH
aapako aur blaag se jude har shakhs ko mubaarakbaad.
जवाब देंहटाएंBADHAI...BADHAI...BADHAI...HAMEN SHATAK KA INTEZAAR HAI...:-) HUM RAHE N RAHEN YE BLOG JAROOR RAHEGA...AAMIIN....
जवाब देंहटाएंश्री मुकेश तिवारी जी जो इस वक्त बेंगलूरू से वैल्लोर के रास्ते में हैं उन्होंने एस एम एस के माध्यम से पूरे परिवार को बधाई भेजी है । उनका अनुरोध था कि उनकी बधाई को मैं ही टिप्पणी के माध्यम से सब तक पहुंचाऊं क्योंकि वे मोबाइल के माध्यम से टिप्पणी नहीं कर पा रहे हैं । तो श्री मुकेश जी की बधाई स्वीकार करें और उनको भी बधाई ।
जवाब देंहटाएंपरिवार के सभी सदस्यों को बधाई और नियमित चलने के लिए ढेरों शुभकामनाएं. मुझ जैसो के लिए तो साहित्य बिना प्रेमभाव और प्रेरणा शक्ति के एक कदम भी चल नहीं सकता.
जवाब देंहटाएंबधाई बधाई बधाई बधाई बधाई !!!!!
सर्वे सन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामय:
पाँच वर्ष होने की बहुत बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएंसम्मान्य व अनन्य भाई पंकजजी, सुबीर संवाद सेवा के पाँच अमूल्य तथा सार्थक वर्ष पूर्ण करने के अवसर पर आज समस्त सदस्यों के साथ आपको विशेष बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंआज इतना आश्वस्त अवश्य कर सकता हूँ कि इस ब्लॉग की सदस्यता पर स्वयं अत्यंत मुग्ध हूँ. समय के साथ-साथ ग़ज़ल की विधा में सांस्कारिक भी होता जाऊँगा.
पुनः, इस विशेष अवसर पर आपको सपरिवार बहुत-बहुत बधाइयाँ व शुभकामनाएँ.
सादर
सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
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SUN KAR BAHUT ACHCHHAA LAG RAHAA HAI KI SUBEER SANWAAD SEVAA NE APNE PAANCH
जवाब देंहटाएंSAAL POORE KAR LIYE HAI . AAPKEE LAGAN AUR AAPKE PARISHRAM DONO KEE YAH
KARAAMAAT HAI . DHERON BADHAAEEYAAN AUR SHUBH KAMNAAYEN .
बधाई हो!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (26-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
पॉंच वर्षों की मेहनत का परिणाम सामने है।
जवाब देंहटाएंइंद्रधनुषी रूप का जैसे चंदोबा तन गया है
अजनबी जुड़ते गये परिवार जैसा बन गया है
कुछ नये रिश्तों के बनने की खुशी इसमें मिली पर
बीच में ही छोड़कर कोई ये भारी मन गया है ।
बहुत-2 बधाई व शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबधाई हो!
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुबीर जी,
जवाब देंहटाएंइस अथक और खूबसूरत प्रयास के लिए और पांच वर्ष के खूबसूरत सफर के लिए बहत बहत बधाई ! जितनी मेहनत आप करते हैं ,जिस शौक ,उत्साह से आप काम करते हैं ,काश कि ऐसा शौक इस ब्लॉग के एक चौथाई सदस्यों को भी होता तो ब्लॉग की रौनक और बढ़ जाती !यह ठीक है कि पिछले वर्ष के मुकाबले यहाँ १०० से भी ज्यादा सदस्य नये बने हैं ,लेकिन पिछले वर्ष के मुकाबले ,एक कमी जो मुझे खलती है ,वह सदस्यों के सक्रियता के अभाव की है ,जो इसी ब्लॉग पर ही नहीं बल्कि सभी साइट्स और ब्लॉग इस समस्या से जूझ रहे हैं ,फ़िर भी इस ब्लॉग की स्थिति उनसे कहीं बेहतर है ! इसलिए इस ब्लॉग का शुभचिंतक सदस्य होने के नाते मैं सभी साथी सदस्यों से ये आशा रखूंगा कि अधिक से अधिक शौक के साथ आप इस ब्लॉग पर पाठक ,टिपण्णीकार , अथवा लेखक के रुप में सक्रिय रहेंगे !
ॐ
जवाब देंहटाएंवाह भई वाह यह तो एक ख़ास दिन है तब तो ..
मेरी अनंत मगल कामनाएं आप के हर रचनात्मक प्रयास के लिए
सदैव साथ रही हैं और हमेशा रहेंगीं !
कुछ पारिवारिक व्यस्तता के रहते ,
मैं तरही मुशायरे के बेहतरीन
आयोजन पर अपनी टिप्पणियाँ नहीं दे पाई हूँ
परंतु जब भी संभव हुआ है सभी का लिखा पढ़ती रही हूँ और प्रफुल्लित हुई हूँ
इसका श्रेय आपको मिलता है
जो आप इतने सुघड़ व शानदार तरीके से
हरेक रचनाकार का परिचय देते हुए
उन्हें इतना सुंदर प्लेटफोर्म देकर इज्जत बख्शते हैं सुबीर संवाद सेवा इस का यशस्वी उदाहरण है कि
आज के आधुनिक समय में कौन कहाँ बसा हुआ है
इससे अधिक महत्त्व कौन क्या योगदान दे रहा है
उस बात से व्यक्ति की अमिट छाप
समय के पर्दे पर अंकित होगी --
बहुत सारा स्नेह व मेरी शुभ कामनाएं
आपके लिए व आपके परिवार के लिए
और आपके हर उद्योग के लिए भी भेज रही हूँ ....
सस्नेह आशिष सहित
- आपकी लावण्यादी
आज के आधुनिक समय में कौन कहाँ बसा हुआ है,
हटाएंइस से अधिक महत्व कौन क्या योगदान दे रहा है. -- जी लावण्या दी यही तो जीवन में मिली असल शिक्षा है.
सुबीर संवाद सेवा के ५ वर्ष पूरे होने के अवसर पर आप को बहुत बहुत बधाई..ईश्वर से यही प्रार्थना है की यह ब्लॉग निरंतर और उँचाइयों को छूता रहे|
जवाब देंहटाएं५ वर्ष में ब्लॉग से आप को ही नही बल्कि हम सब को भी बहुत कुछ मिला| ग़ज़ल की बारीक़ियाँ और आप जैसे उस्ताद से मिलने का अवसर यही से संभव हो पाया जो हम लोगो के लिए किसी बड़े अचीवमेंट से कम नही है| अभी इस ब्लॉग को और भी कीर्तिमान बनाने है| मैं इन ब्लॉग से जुड़े सभी लोगो को धन्यवाद देना चाहता हूँ| और पंकज की को हार्दिक शुभकामनाएँ|
प्रणाम..
सुबीर भैया आपको और हम सबको तहेदिल से बधाई...आखिर हम सबका ही तो परिवार है ये....आशीष और शुभकामनाएं...शार्दुला दी
जवाब देंहटाएंसुबीर संवाद सेवा के पांच वर्ष पूरे होने पर इस ब्लॉग से जुड़े सभी साथियों को हार्दिक बधाई.मैं तो खैर इस ब्लॉग से काफी बाद में जुड़ा,पर ऐसा लगता है कि काफी पुराना रिश्ता हो चुका है.इन्ही शुभकामनाओं के साथ कि ये सफ़र यूँ ही आगे बढ़ता रहे ,मैं यह भी उम्मीद करता हूँ कि इसमें और नए साथी जुड़ते जायेंगे.विशेष कर गुरुदेव को प्रणाम कि वे इस जतन के साथ इस काफिले का नेतृत्व कर रहे हैं.
जवाब देंहटाएंयाद आता है कि मैं इस ब्लॉग से मई २००८ को जुड़ा और फिर हमेशा के लिए यहाँ का हो कर रह गया ...
जवाब देंहटाएंसाथ ही यह भी कि अगर आज इंटरनेट पर ग़ज़ल को लेकर ऐसा अच्छा माहौल बना है तो उसमें इस ब्लॉग का महत्वपूर्ण स्थान है
मुझे याद है कि नेट पर सर्वप्रथम सुबीर संवाद सेवा से ही तरही मुशायरे की शुरुआत हुई और आज ब्लॉग वेब साईट्स और फेसबुक पर अनेकानेक तरही मुशायरे हो रहे हैं
२००७ - ०८ में ग़ज़ल पर केंद्रित अनेक वेब साईट्स थी मगर जिस अंदाज़ में इस ब्लॉग पर समझाया गया और परिवार का माहौल बना वैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिला सका
और आज इस ब्लॉग को पांच साल पूरे हुए हैं
सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई
बेहद खुशी और गर्व की बात है कि मैं इस परिवार का हिस्सा हूँ
गुरु जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी टिप्पणी पहुँचा दी, इस बीच टॅबलेट का इस्तेमाल करकमलों देख रहा हूँ।
धन्यवाद,
मुकेश कुमार तिवारी
करके देख रहा हूँ।
हटाएंयहाँ जुड़ने के बाद गज़ल की न सिर्फ बारीकियां बल्कि सहभागिता का आनद और परिवार का माहोल मिला है वो कहीं और नहीं है ... और ये सब आपके कुशल संचालन के चलते ही संभव हुवा है गुरुदेव ... पांच वर्ष देखते देखते ही बीत गए हैं ... ऐसे ही अनेकों वर्ष बीतेंगे ... सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें .... केक काट लिया है हमने तो दुबई में ...
जवाब देंहटाएंसच संयुक्त परिवार.... सबके लिये अनोखा यह ब्लॉग, मेरे लिये वरदान... ये ब्लॉग जहाँ से मिले वो रिश्ते, जिनसे मिलने के बाद लगा कि वे जन्मों से अपने थे।
जवाब देंहटाएंभाई मिले और फिर भाभियाँ, माँएं, भतीजियाँ, मनुहार, नाराज़गी, लाड़, दुलार, उलाहना....!!
धन्यवाद इस ब्लॉग के सर्जक को....!! मेरे गुरू और मेरे अग्रज को....!!!
आपको इस यात्रा के महत्वपूर्ण पडाव पर पहुँचने की बहुत बहुत बधाईयाँ,मंज़िलें और भी हैं कारवाँ चलता रहे!
जवाब देंहटाएंब्लॉग के पांच वर्ष पूरे होने पर गुरूजी और ब्लॉग से जुड़े सभी मित्रों को हार्दिक बधाई. साहित्य से जुड़े सभी लोगों के लिए और खास कर गज़ल सीखने वालों के लिए यह ब्लॉग बहुत ही मायने रखता है. यहाँ मैंने पहली बार गज़ल के नियम सीखे और आज भी सीख रहा हूँ. भगवान करे यह ब्लॉग और फले फूले!
जवाब देंहटाएंपरिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम,
जवाब देंहटाएं"सुबीर संवाद सेवा" कहने को तो एक ब्लॉग है, लेकिन ये एक ऐसा संयुक्त परिवार है, जिसमे बड़ों का प्यार, साथिओं का दुलार और छोटो को ढेर सारा प्यार है. इस परिवार ने हर किसी को कुछ न कुछ दिया है, या कहा जाए बहुत कुछ दिया है. सीखना एक प्रक्रिया है और जब सब लोग साथ में मिलकर सीखते हैं तो उसका मज़ा ही अलग होता है. इस परिवार में आकर कई जगहों से आकर ज्ञान धाराएँ मिलती हैं जो इससे जुड़े लोगों को हमेशा ही कुछ न कुछ नया सिखाती है.
हर किसी की तरह इस संयुक्त परिवार ने मुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे गढ़ा है, तराशा है. एक सूत्रधार की भूमिका में गुरुदेव आपने जो काम किया है वो वन्दनीय है, इस पारिवारिक पाठशाला ने ग़ज़ल साहित्य में जितना योगदान दिया है उसको चंद शब्दों में कहना नामुमकिन है और मैं कहूँगा भी नहीं क्योंकि वो तो यहाँ से ग़ज़ल की बारीकियां सीखे लोग अपनी ग़ज़लों से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कह ही रहे हैं. ये परिवार यूँ ही नए आयामों को छुएँ और आने वाले वक़्त में इससे नए लोग जुड़ें, सीखें और अपना एक अलग मकाम हासिल करें, और इस परिवार को नई ऊचाइयां दें. आमीन.
पाँच वर्ष पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई। ग़ज़ल और खासकर हिंदी ग़ज़ल के लिए इस ब्लॉग का योगदान अमूल्य है। इस ब्लॉग ने इतिहास रचा है। कितने ही प्रतिभाशाली युवा ग़ज़लकार इस ब्लॉग ने हिंदी को दिए हैं और कितने ही अनुभवी ग़ज़लकारों को माँजा है। नमन इस परिवार को और प्रणाम इस परिवार के मुखिया को।
जवाब देंहटाएंआजकल कुछ तबीयत अच्छी नही बस आज केवल आपक्क़ा ब्लाग और मेल देखने आयी हूँ। ये ब्लाग नही बल्कि अपने ऋषी- मुनियों की विरासत को संजो कर रखता हुया एक गुरूकुल है। गुरुकुल मे परिवार जैसा माहौल होना भी लाजिमी है। सच कहूँ तो आप पर गर्व होता है। निश्काम भाव से साहित्यसेवा मे लगे होने से सिर्फ पांम्च साल ही नही ऐसे हजारों साल आयें कि ये गुरूकुल दुनियां मे साहित्य जगत के लिये मसाल बन जाये। भगवान से दुआ है कि मेरे भाई को लम्बी आयू और हर सुख शाँति, और ये सेवा करने की शक्ति दे। बहुत बहुत आशीर्वाद और पूरे परिवार को बधाई। 3-4 दिन मे अच्छी होते ही दोबारा आती हूँ।
जवाब देंहटाएंBhai jaan
जवाब देंहटाएंaapko haardik badhaaee.
saadar
dwij
बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंउर्जा रचनात्मकता से परिपूर्ण पांच से पचास और पांच सौवां सालगिरह मनाये यह ब्लॉग, यही शुभकामना है..
जवाब देंहटाएंढेरों बधाइयाँ !!!!
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जवाब देंहटाएंआपकी उपलब्धियों के लिए हार्दिक बधाई !
मंगलकामनाएं !
शुभकामनाएं !
mubarakbad
जवाब देंहटाएंपांच वर्ष पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएं