ईद मुबारक
ईद आज है, कल रात भर जम कर खरीददारी का दौर चला है । भोपाल का चौक बाज़ार कल रात भर जागता रहा । चौक बाज़ार जिसकी अपनी ही रौनक है, रोनक जो मालों में, काम्प्लैक्सों में नहीं मिलती । ईद हो गई है । सबको मुबारक हो ये त्यौहार । पूरे एक माह की इबादत के बाद ये त्यौहार चांद की झलक के साथ अता होता है । चांद की झलक देखते ही मानो पूरी कायनात झूम उठती है । सबको बधाई, मुबारक हो । खूब आनंद से मनाएं । खूब उल्लास से मनाएं । त्यौहार का अर्थ ही होता है कि सब कुछ भूल जाओ । खूब आनंद करो । कल से जीवन के उसी संघर्ष में फिर से जुटना है तो आज जो ईश्वर ने ये पल अता किये हैं इनका आनंद लो । जिंदगी से लड़ने की शक्ति प्राप्त करो । अपने आप को रिचार्ज कर लो । कोई बात आज नहीं सोचो । सब कल तक के लिये स्थगित कर दो । आज पर्व है आज त्यौहार है, आज ईद है । मुबारक मुबारक मुबारक ।
अब तो ये बाक़ायदा मुशायरा हो चुका है । कृतज्ञ हूं सबका कि जिन्होंने बहुत कम समय में अपने इस ब्लाग के लिये रचनाएं दीं । ये आपका ही ब्लाग है । ये सार्वजनिक मंच हैं । तो आइये आनंद उत्सव को आगे बढ़ाते हैं और ईद को उत्सवपूर्ण तरीके से मनाते हैं । बस एक सूचना के लिये बताना चाहता हूं कि इस प्रकार की एक पोस्ट को लगाने में ढाई से तीन घंटे का समय लगता है, क्यों बताया ये आप सब जानते हैं ।
आज की पोस्ट छुट़टी के दिन आफिस आकर लिखी है और जल्दी में लिखी है क्योंकि अब मिलने मिलाने भी जाना है दोस्तों के घर । तो आज की पोस्ट में ग़लतियां न देखें । बस आनंद लें ।
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो अमां रहे
अश्विनी रमेश जी
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो अमां रहे
आबाद मेरे मुल्क में सबका जहां रहे
त्यौहार ईद हो के दिवाली ये रात हो
सब ओर चाँद दीप उजाला यहाँ रहे
जब भी मिले कहीं दिल से ही मिलें सभी
इस तरह बाग बाग वतन की फजां रहे
दौरान मुशकिलों के हिम्मते खुदा रहे
खिलते हुये चमन के लिये बागवां रहे
रंजिशे रहे न कहीं कोइ रंजो गम नहीं रहे
खिलता हुआ चमन ये हमारा जवां रहे
इस बार आफताब नयी रोशनी करे
घरबार सब खुशी रखे खुदा मेहरबां रहे
आबाद हुस्न अम्न यहाँ का मंज़र रहे
आज़ाद मस्त मुल्क मिरा दिल जवां रहे !!
डॉ० त्रिमोहन तरल जी
जब तक कि आसमाँ में तेरा आशियाँ रहे
अल्लाह! मेरे मुल्क़ में अम्नो-अमाँ रहे
जब ईद हो अमीर के घर में तो ए! ख़ुदा
छप्पर पे मुफलिसों के भी उठता धुआँ रहे
मंज़िल भले ही देर से आया करे, मगर
चलता हमारी ज़िन्दगी का कारवाँ रहे
फ़िरदौस जैसे मुल्क़ की ग़र हो तलाश फिर
सारे जहाँ में आज भी हिन्दोस्ताँ रहे
उड़ते हुए परिन्द की इतनी है इल्तिजा
दाना रहे, रहे, न रहे आसमाँ रहे
चाहत नहीं ज़मीन पर दीदार हो तेरा
तू है जहाँ वहीँ रहे बस मेहरबाँ रहे
देती रहे ख़ुतूत जो महबूब के 'तरल'
महफूज़ हर हिसाब से वो ख़तरसाँ रहे
इस्मत ज़ैदी जी
हम पर अता ए मालिक ए कौन ओ मकाँ रहे
मौला तेरे करम का सदा साएबां रहे
भूका कोई किसान न रह पाए मुल्क में
और ख़ौफ़ ए ख़ुद्कुशी में न वो ख़ानदाँ रहे
बारिश किसी के वास्ते कैफ़ ओ सुरूर है
लेकिन किसी ग़रीब का ये इम्तेहाँ रहे
दह्शतगरी ओ ज़ुल्म ओ सितम का न हो गुज़र
"अल्लाह मेरे मुल्क में अम्न ओ अमाँ रहे"
बच्चे भी आस्माँ की बलंदी को पा सकें
और हौसलों की राह में इक कहकशाँ रहे
ये ख़ुदपरस्तियाँ तुझे तनहाइयाँ न दें
कोशिश ये कर कि साथ तेरे कारवाँ रहे
बहबूदिये वतन ही रहे ज़ह्न में ’शेफ़ा’
ऊँचा सदा ये परचम ए हिंदोस्ताँ रहे
कौन ओ मकाँ= दुनिया, साएबाँ= छाया देने के लिये बनाया गया टीन या फूस का छप्पर
कैफ़ ओ सुरूर= ख़ुशी का नशा, मौज-मस्ती, कहकशाँ= आकाशगंगा, ख़ुदपरस्ती= घमंड, अहंकार
बहबूदी= भलाई, परचम= झंडा
नवीन सी चतुर्वेदी जी
माथे से जिसके सच का उजाला अयाँ रहे
दुनिया में उस की बातों का हरदम निशाँ रहे
अब के उठें जो हाथ लबों पे हो ये दुआ
'अल्लाह सारे ख़ल्क में अम्नो-अमाँ रहे'
कलियाँ चटख के फूल बनें, फूल ज़िन्दगी
लबरेज़ ख़ुशबुओं से हरिक नौजवां रहे
दौलत की, शुहरतों की तलब भी हो साथ-साथ
हर आदमी ख़ुशी से रहे जब - जहाँ रहे
गर तय है इस चमन में रहेगी ख़जाँ तो फिर
बादे-बहार आख़िरी दम तक यहाँ रहे
निर्मला कपिला जी
खुशियाँ मिलें सलामत मेरा जहाँ रहे
हर ओर हो मुहब्बत मीठी जुबां रहे
नफरत मिटे सभी दिलों मे प्यार ही देना
हर एक घर खिला खिला सा गुलिस्तां रहे
उसको खुदा रहें मुबारक कोठियाँ जमीं
महफूज़ मेरे मालिका मेरा मकां रहे
हालात मेरे रब हैं रज़ा पे तेरी भले
अल्लाह मेरा इश्क हमेशा जवां रहे
इस ज़िन्दगी मे मुश्किल जितनी मिले मुझे
सिर पर तिरी नयामत का आसमाँ रहे
राकेश खंडेलवाल जी
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो अमाँ रहे
उग पायें नहीं अब कहीं नफ़रत के बगीचे
हर कोई सुकूँमन्द रहे आँख को मींचे
इन्सानियत की बेल पे खिलते रहें सुमन
हर गांव गली शह्र हो महका हुआ चमन
सरगम पे नाचता हुआ सरा जहाँ रहे
सत्ता की नींव कोई न मजहब पे रख सके
होली में और ईद में अन्तर न कर सके
चन्दा सितारे स्वस्ति से मिलकर चलें गले
लेकर बहार चार सू वादे सबा चले
संवाद सेवा वज़्म ये हरदम जवाँ रहे
सौरभ पाण्डेय जी
रमजान बाद ईद मनाता जहां रहे |
इज़्ज़त दुआ खुलूस का दिलकश समां रहे ||
कोई सहे न ज़ुल्म, न दहशत फ़ज़ां में हो
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो अमां रहे ||
क्या थे कभी अतीत है, अब हम गढ़ें नया
मन में जिजीविषा जियें, मेहनत बयां रहे ||
जिसके लिये बहार लगे बेक़रार-सी
मेरा हसीन मुल्क़ खिला गुलसितां रहे ||
होली मने दिवालियाँ तो साथ ईद भी |
क्रिसमस-करोल गान हवा में रवां रहे ||
जो शस्य श्यामला सदा उत्साह से भरा
उन्नत विशाल देश मेरा बाग़बां रहे ||
तू कर्मभूमि, पूण्यमही, त्याग की धरा
भारत तेरा उछाह भरा आसमां रहे ||
ईद के लिये
खुशहाल हर बशर हो, सलामत जहां रहे
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो अमां रहे
दिन-रात हो तरक्की सभी की दुकान में
महफूज़ हर बला से हर इक का मकां रहे
१५ अगस्त के लिए
कुरबानियों का कोई तो नामो-निशां रहे
ज़िन्दा हमारे ज़ेहनों में ये दास्तां रहे
शाखें रहें हरी-भरी बस इत्तेहाद की
हम एक रहें, एक ये हिन्दोस्तां रहे
गांधी भगत सुभाष, हमीद-ओ-कलाम का
कोई भी दौर आए, यही कारवां रहे
सूखें न भाईचारे के गंगो-जमन कभी
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो-अमां रहे
आंचल की छांव देती रहे मादरे-वतन
रहमत का साया बनके सदा आसमां रहे
सुलभ जायसवाल
नफरत न दुश्मनी न कोई दूरियां रहे
आज़ाद हिंद एक वतन हमज़बां रहे
सजदे में देख चांद को दिल ने यही कहा
अल्लाह सारे विश्व में अम्नो अमां रहे
तिलक राज कपूर जी
जब लब खुलें तो गुल खिलें, शीरीं ज़बॉं रहे
बस जाय जो दिलों में वो लब पर बयॉं रहे।
बचपन के दोस्तो यार मेरे जो वहॉं रहे
करते हैं ट्वीट दिन वो भला अब कहॉं रहे।
इतनी सी इल्तिज़ा है जो तुझको कुबूल हो
मेरे वतन का तू ही सदा पासबॉं रहे।
इंसानियत से दूर भटकता हुआ दिखा
तेरी दिशा में काश खुदा कारवॉं रहे।
चूल्हाि किसी गरीब का ठंडा पड़े नहीं
हो पैरहन सभी के लिये सायबॉं रहे।
तूने इधर से छोड़ उधर घर बसा लिया
दिल से दुआ है खुश ही रहे तू जहॉं रहे।
ईदी अगर मिले तो मुझे बस ये चाहिये
अल्लागह मेरे मुल्क में अम्नो अमॉं रहे।
वीनस केसरी
कोई न लूट पाए किसी भी गरीब को
हर शख्स में ख़ुलूस कि रानाइयाँ रहे
हिन्दोस्तां का नाम हो ऊँचा जहान में
मेरा वतन मिसाल -ए- मुहब्बत जमाँ रहे
हम खुद को भूल जाएँ अगर मुल्क दे सदा
हर कौम आबरू -ए- वतन पासबाँ रहे
रमजान माह -ए- पाक में वीनस कि है दुआ
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्न -ओ- अमाँ रहे
बहुत बहुत ईद मुबारक हो । आज आनंद लीजिये इन ग़ज़लों का और मुबारक बाद दीजिये अपनों को अपने को और हर किसी को । ईद का ये दिन सबके लिये खुशियां लाये । सबके जीवन में रस हो, सुख हो, शांति हो । और सबको वो सब कुछ मिले जो जीवन के लिये आवश्यक है । अल्लाह की करम, बुज़ुर्गों की दुआएं और अपनो की मुहब्बतें ।
और हां छोटे भाइयों का उन बड़ी बहनों से ईदी मिल सके जो किसी न किसी बहाने से पिछले कई सालों से दबा कर रखी गई है । छोटे भाइयों को उनका हक मिले ।
आनंद आनंद आनंद आइये चलें ईद पर मिलने मिलाने ।
सभी को ईद मुबारक.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गज़लें आई हैं. इस बार व्यस्तता के कारण मैं गज़ल नहीं भेज पाया. क्षमाप्रार्थी हूँ.
क्षमा तो नहीं मिलेगी राजीव
हटाएंऔर सज़ा सोच के बताऊंगी :):)
सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआप सब को ईद बहुत बहुत मुबारक हो
मेरा कलाम शामिल करने के लिये शुक्रिया पंकज
हिन्दोस्तॉं नाम इसे किसने दे दिया, शायद किसी खास ने । यहॉं जैसे जोश और उमंग से सभी त्यौहार मनाये जाते हैं उसे देखकर मुझे तो एक आम आदमी की तरह भारतीय होने पर गर्व है ।
जवाब देंहटाएंहर सच्चे भारतीय को ईद मुबारक । ईद के चॉंद हो गये शाहिद भाई को भी ईद तलाश लाई ।
ईस्मत आपा और शाहिद भाई जैसे कलम के सिपाहियों को विशेष रूप से ईद मुबारक ।
पंकज भाई का नाम इस मुबारकबाद सूची में विशेष रूप से रखे बिना बात अधूरी रहेगी जिन्होंने पूर्ण साज-सज्जा के साथ यह ईद-मिलन स्थल उपलब्ध कराया ।
ईद मुबारक।
जवाब देंहटाएंसभी प्रिय शायरों को एक मंच पर देखकर खुशी हुई।
ईद का उत्साह और ग़ज़लों/मुक्तकों का अजस्र प्रवाह.. . वाह !
जवाब देंहटाएंयह पर्व ईद तो स्वयं ही उल्लासभरा है, इसे और भी त्यौहारमय कर रही हैं इस गोष्ठी की प्रविष्टियाँ. प्रस्तुत ग़ज़लों और मुक्तकों में प्रयुक्त शब्द अदम्य विश्वास, अनुजों के आदर और अग्रजों के स्नेह से तर हैं.
ईद की बधाइयाँ और ढेरों मुबारकबाद.. .
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
सभी साथियों को ईद मुबारक !!
जवाब देंहटाएंआज का दिन तो विशेष है ही लेकिन यहाँ इस मंच पर भी
हटाएंमिलने मिलाने का भरपूर इंतजाम किया है गुरुदेव ने.
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शाहिद मिर्जा जी और तरल जी से बहुत दिनों बाद मिलकर बहुत बहुत ख़ुशी हुई.
सभी ग़ज़लें एक से बढकर एक लगीं सभी ग़ज़लकार मुबारकबाद के मुस्तहक़ हैं। साथ ही इस ब्लाग से संबंधित हर शख़्स कि ईद की बहुत बहुत बधाइयां।
जवाब देंहटाएंये खुद्परास्तियाँतुझे तनहाइयाँ न दें,
जवाब देंहटाएंकोशिश ये कर की साथ तेरे कारवां रहे
क्या बात है इस्मत.... खुद की लेखनी को लगातार, बार-बार साबित करती रहती हो तुम...ऐसे शेर कभी-कभी ही हो पाते हैं...बधाई.
शानदार मुशायरे के लिए पंकज जी, आप बधाई के पात्र हैं.
शाखें रहें हरी-भरी, बस इत्तेहाद कीं,
जवाब देंहटाएंहम एक रहें एक ये हिन्दोस्ताँ रहे.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है शाहिद साब. लम्बे समय के बाद आपको पढ़ रही हूँ, शुक्रिया पंकज जी, शाहिद जी को सक्रिय करने के लिए.
वाह, एक से बढ़कर एक ग़ज़ल है इस मुशायरे में... इतनी उम्दा ग़ज़लें एक ही जगह पढ़कर मज़ा आ गया.... ज़बरदस्त!
जवाब देंहटाएंईद की ढेरों मुबारकबाद क़ुबूल फरमाइए!
पंकज जी शाहिद जी के लिंक से यहाँ आई ....
जवाब देंहटाएंलाजवाब गज़लें ...लाजवाब ईद .....!!
दिल खुश हो गया ....
इसे कहते हैं सच्ची ईद .....
ईद के इस मुबारक मौके को इतनी जल्दी और इतने कमाल से आपने सजाया है जो और किसी के बस की बात नहीं ... सभी लाजवाब गज़लों के साथ अमन और भाई चारे का सन्देश ले के आए हैं इस ईद पर ... सभी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ....
जवाब देंहटाएंAAP SABHI KO EID MUBARAK...AESE LAJAWAB SHAYAR AUR UNKI SHAYRI PAR KIS HINDUSTANI KO FAKR NAHIN HOGA...LAJAWAB...BEMISAAL...BADHAI GURUDEV IS AAYOJAN KE LIYE.
जवाब देंहटाएंNEERAJ
DIN-DUNI....RAT-CHOUGUNI YE KARWAN BADHE......
जवाब देंहटाएंUPASTHIT SABHI 'SAT-CHIT-ANAND' KO HAMARA HARDIK
PRANAM........
इस मुक़्क़दस मौक़े पर इस नशिश्त में शामिल ना हो पाने का मलाल रहेगा हमेशा ! क्षमा प्रार्थी हूँ ! सभी की ग़ज़लें बेहद ख़ुबसूरत हैं !
जवाब देंहटाएंअर्श
क्या शानदार अश’आर कहे हैं सबने। सारे रचनाकार दिली दाद कुबूल करें।
जवाब देंहटाएं