जोन कही सो तोन कही होली आ ही गई है । और होली के इस सुअवसर पर भभ्भड़ कवि भौंचक्के एक हफ्ते पहिले से ही पगलिया जाते हैं । हालांकि पिछला एक सप्ताह भभ्भड़ कवि भौंचक्के का बहुत ही टेंशन में गुजरा हेगा । टेंशन बहूत ही ज्यदा था । विशेषकर सोमवार और मंगलवार को तो भभ्भड़ कवि को लगा कि गई भैंस पानी में, लेकिन ईश्वर की कृपा और आप सब लोगों की शुभकामनाओं से बुधवार की शाम तक भैंस पानी में जाने से बच गई । टेंशन को मिटाने के लिये भभ्भड़ कवि ने कई सारे प्रयोग किये इस बीच में । खैर जिंदगी की यही रीत है । तो अब तो खैर होली का हंगामा शुरू करने का समय हो चुका है ।
भभ्भड़ कवि भौंचक्के पेले ही के चुके हेंगे कि सबको 4 मार्च तक अपनी अपनी समस्त घटिया रचनाएं भेजनी हेंगी । भगवान आपको नेकी दे । वैसे भी आप सब साल भर जो लिखते हैं वो भी घटिया ही होता हेगा । लेकिन अब अपने घटियापने में जोर का तड़का लगाना है । काहे कि इस बार तो होली का सवाल है । मिसरा तो आप सभन को पता ही हेगा ।
कोई जूते लगाता है, कोई चप्पल जमाता है ।
कछु बुद्धिमान टाइप के शायरों ( वैसे शायरों में बुद्धिमान होना, ये अपने आप में एक समग्र चुटकुला है ) ने कई है कि जूते और चप्पल के कारण उनके दिमाग में कुछ सूझाई नई पड़ रओ है । सो हमने बिनके या कई है कि जूते और चप्पल की जगन पे घूंसे और थप्पड़ भी चल सके है । पर लिखो तो सई कछु भी । कछुक भद्र महिलाओं को जो कैनो है कि बिनसे इत्ते टुच्चे मिसरे पर नई लिखो जा रओ हेगो । सो हमारी उन सारी भद्र महिलाओं से विनरम बीनती हेगी कि आप सब अपने दिमाग़ में ध्यान करें कि किस प्रकार आप अपने उनको सुधारती हैं इन्हीं सारे हथियारों से और उसके बाद लिख डालें ।
कछु लोग ये भी के रए हेंगे कि टाइम तो भोत ही कम मिला हेगा । बताओ भला टाइम की बात कर रए हेंगे । टाइम तो भोत है । और सोचो तो भिल्कुल भी नईं है । भैया लोग आप लिखने तो बैठो टाइम तो आपो आप निकल पड़ेगा । तो आइये आज यहीं पर बैठे बैठे कुछ छिछोर शेर कह जायें । छिछोर शेर पिछले वाले मिसरे पर । चूंकि होली का मूड और माहौल बनाना है सो ये ज़ुरूरी है । माता बहनों से पहले ही छिमा मांग ली जा रही है । क्योंकि इस बार काफिया 'ई' है जो स्त्री शक्ति का प्रतीक होता है । सो यदि कहीं कोई 'ई' किसी माता बहन को बुरी लगे तो बुरा न माने होली है । छिमा सहित । ये शेर यहीं पर बन रहे हैं और इनको यहीं पर भुला दिया जाये ।
खूबसूरत उसकी साली है अभी तक गांव में
इसलिये कल्लू कसाई है अभी तक गांव में
चों मियां फुक्कन तुम्हारे घर में कल वो कौन थी ( चों- क्यों )
तुम तो कहते थे के बीबी है अभी तक गांव में
लड़कियों का घर से बाहर हीटना तक बंद है ( हीटना - निकलना )
मनचला, दिलफैंक फौजी है अभी तक गांव में ( फौजी - गौतम )
गांव तो जाएं मगर वो काट लेगी फिर हमें
कटखनी, खूंखार, कुत्ती है अभी तक गांव में
मायके जाना है तुझको, गर जो होली पर, तो जा
वो बहन तेरी फुफेरी है अभी तक गांव में
हम न कहते थे, न जाओ और कुछ दिन उस गली
बाक्सर उसका वो भाई है अभी तक गांव में
आ रिये हो ख़ां किधर से, बहकी बहकी चाल है
क्या वो नखलऊ वाली नचनी है अभी तक गांव में
मजनुओं को शहर में मिलती है बस वार्निंग मगर
लट्ठ जूतों की पिटाई है अभी तक गांव में
हम सुबू से मूं को धोके बैठे दरवज्जे पे हैं ( सुबू- सुबह, मूं - मुंह )
है सुना, वो आती जाती है अभी तक गांव में
आप होली पर शराफत इतनी क्यों दिखला रहे
आपकी क्या धर्मपत्नी है अभी तक गांव में
हुस्न बेपरवाह सा है, इश्क बेतरतीब सा
औ' मुहब्बत बेवकूफी है अभी तक गांव में
हो रकीबों की ज़ुरूरत आपको क्यों कर भला
आपकी जोरू का भाई है अभी तक गांव में
आजकल देते हैं वो 'भभ्भड़' का परिचय इस तरह
ये पुराना एक पापी है अभी तक गांव में
तो ये तो बस यूं ही था कुछ जो यहीं पर बना दिया गया है । बस इसको हमदर्द का टॉनिक शिंकारा समझ के पी लें और होली के लिये तैयार हो जाएं । कुछ भी भेजें लेकिन भेजें ज़ुरूर । मुक्तक भेजें । गीत भेजें । जो लिख पाएं उसे भेजें । क्योंकि ये होली का सवाल है । होली के नाम पर दे दे बाबा ।
लाजवाब! वाह उस्ताद वाह.
जवाब देंहटाएंAre Baap re....!!
जवाब देंहटाएंDe diya hai sir jee.
जवाब देंहटाएंWaise Holi ke naam par to bahut kuchh banta hai dene ko.
भभ्भर कबी ओइसे त पहिलहीं हमरा करेजा में छेद कर दिए थे,बाकी पगलाने के बाद त गरदा उरा दीए हैं.अइसहूँ कहीं लीखा जाता है!बुझाता है जे खोया के मल्पूआ कीसमीस के रस में डूबा के खा रहे हैं. का जानें हजमों होगा की नहीं?
जवाब देंहटाएंइस रंग बिरंगे माहौल में नियमित आना होगा अब तो..
जवाब देंहटाएंहा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा,.........................
जवाब देंहटाएंवाह क्या रंग उड़ेला है और क्या शुरुआत दी है....................जय हो।
ha-ha-ha-ha-ha
जवाब देंहटाएं50 से अधिक आयु वालों को इस पोस्ट से टीपने की अनुमति रहेगी नयी तरही में। हॉं या ना, बताईये और इ्रनाम पाईये। जो सही बतायेगा उसकी एक एक्स्ट्रा के साथ फ़ोटो छपेगी। हॉं या ना। इस हॉं या ना का उत्तर जो सही देगा उसे......
जवाब देंहटाएंसहमत तिलक जी से ... हमें पता होता भभ्भड कवी हास्य से शुरुआत करने वाले हैं तो पहले गज़ल नही भेजते ... कितना कुछ नया मिल जाता टीपने के लिए ...
हटाएंकोनो परमीसन नहीं है टीपने का । हम एतना मेहनत से घटिया घटिया माल जाम किये । कोनो ने भी नकल टिप्पिस करने की कोसिस की तो हम से बुरा कोई नहीं ( वइसे भी हमसे बुरा कोन है )
हटाएंवाह वाह गुरुदेव क्या रौनक है आज तो ... होली आ गयी आज से ... मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएंरुक नहीं रही है हंसी आज ... अच्छा लपेटा है सभी को ...
गुरूवर,
जवाब देंहटाएंवैसे फिसड्डी तो केवल हम ही ठहरे हैं, देखिये इस बार कोई आउर आता है क्या? हमें तो न केवला आखिरी आने पर बल्कि कुछ भी ऐसा-वैसा लिख लाने पर भी संभालना पड़ेगा।
क्या करें दिल से मज़बूर हैं और आँखों से भी अब तबियत का और कुछ नही हो सकता है, भले ही जूते लगाओ या चप्पल जमाओ अपन तो बस जईस हैं वईस रहिबे.....
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
होली का माहौल बन गया...:)
जवाब देंहटाएंमियां सुबह से हंस रे हैं हम ...हँसते ही जा रिये हैं...अब हँसे नहीं तो क्या करें? सुना है कल्लू कसाई अपनी पोल खुलने बाद हाथ में चक्कू लिए सीहोर के लिए निकल रिया है...खुदा खैर करे...मियां फुक्कन अपने पे कहा शेर पढने के बाद फनफनाते हुए गुस्से में दुबई डी. कंपनी से सीहोर के शायर की सुपारी देने की बात किये जा रहे हैं...जब से मायके वाला शेर श्रीमती जी पढ़ा है तब से मायके जाने का पिरोग्राम केंसल कर दिया है...हम भी इस बात पे सीहोर वाले शायर पे हम भी गुस्से में दांत किचकिचा रे हैं...ये बात अभी केनी जरूरी थी होली के बाद नहीं के सकते थे? उधर खान साहब अपनी खानदानी तलवार ढूंढ ढूंढ के परेशां हो रिये हैं मिल ही नहीं री...अरे इस सीहोर वाले को हमरी ही चाल में बांक पण नज़र आया और आया तो सरे आम चौराहे पर जे नाचनी वाली बात पूछने की क्या जरूरत थी? , मोहब्बत को गाँव में बेवकूफी बताने पर गाँव के बड़े ताऊ खार खाए बैठे हैं...उनने जे बेवकूफी को कर दी थी...कुल मिला कर चरों और हाहाकार मचा हुआ है...
जवाब देंहटाएंजे क्या किया रे भभ्भड़...?? तेरी होली तो गयी पानी में...
नीरज
Sadar .......Pankaj ji ,
जवाब देंहटाएंpura holi ke rang me duba hua sher hai .........kyonki aise to holi hi ek parv hai jisme bura na mano kah kar log chapat laga dete hain ......
इत्ते रंग तो होली पे भी होते हैंगे जीतते इस ब्लॉग पे हैं...नहीं? रंग बरसे....
जवाब देंहटाएंयहाँ रंग बरसे तो बरसे... और का का बरसा है !!!
हटाएंऐईसन सब को होली तक बड़का पिजरा में रखना पड़ेगा
(आगे जारी है बरसना)
सबेरे से हमहू कहें कि जीभ में खुजली काहे हो रही है ...
जवाब देंहटाएंअभी अभी देखा कि सुबीर संवाद सेवा में पिछले साल कि तरह सब गदहा आ के अपन अपन जगहा में तैनात होय गये हैं
अब जब गदहा तक अपना काम बखूबी कर रहे हैं तो अगर हम ग़ज़ल न भेज सके तो इ तो हमरे खातिर डूब कराय के बात होई
तो हम तुरंतै अपन खुराफाती दिमाग का छुट्टी दै के टुच्ची ग़ज़ल लिख मारते हैं
ए केसरवा तोका भोत भोत हप्पी बड्डे हो भाई । केक ऊक काट लिया की नहीं । काट लिया हो तो तनी हमका भी एको टूकरा नेटवा के थ्रू भेज देब ।
हटाएंकेक का देगा ई बबुआ सेंक देता है.. :-))))
हटाएंगुरुदेव,
हटाएंकसम बनाने वाले की, अपने जन्मदिन के लिए मैंने इतना बड़ा आयोजन आर्गेनाईज किया है कि पूरा भारत नाचेगा और पी के टल्ली होगा
बस एक हफ्ते सबर कर लिया जाये
और जिसको मेरे साथ सशरीर शरीक होना हो ८ तारीख को इलाहाबाद आ जाए
अपना दो शेर याद आ रहा है
चिप्स सोडा बर्फ और नमकीन के बिन क्या मजा
ये नहीं होंगे तो 'खम्भा' अनमना हो जायेगा
गर इलाहाबाद की होली तेरे शह्र आ गई
तू भी कपड़ा फाड़ होले का जिला हो जायेगा
मनचला, दिलफैंक फौजी है अभी तक गांव में ( फौजी - गौतम )
जवाब देंहटाएंहे राम !!!
ई फौजी के नाम 107 वारंट पहिले से निकलल है. राम बचाए बुरी नज़र से.
हटाएंगौतम...देखा..."अपने हुए पराये..." लगता है वीनस वा होली की तरंग में आ चुका है...तभे ऐसी बात कर रहा है...आप इसे बच्चे की नादानी और होली का असर समझ माफ़ कर दें...:-)
जवाब देंहटाएंहम अब गौर से देखे... होली की तरंग में गुरुदेव हमरी कित्ती फोटो ब्लॉग पे लगे दिए हैं रे...जाने इत्ती फोटू कब खींच के ले गए...
जवाब देंहटाएंहम कोनो फोटो नहीं खींचे ऊंचे हैं । ई तो हमारी आदरणीया भाभी साहब ने भेजिस है । फोटू के साथ एक ठो चिट्ठी भी लिखी रही । जो हम तोकि बेहज्जती की इज्जत बचाने के लिये नहीं दिये हैं । भाभी उमे लिखिस रहिन कि ई जो बड़ा स्टील कंपनी का चेयरमेन बना फिरते हैं उनकी असली शकल ई है । हम भाभी साहब को एक ठो ठैंक्यू भी दे चुके हैं ।
हटाएंई हमरी ही फोटू है...सक होने पे खोपोली कर कन्फर्म कर लें..."हमरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत, हम जहाँ में खुद की तस्वीर लिए फिरते हैं"
जवाब देंहटाएंभिल्कुल आपकी ही है कोनो से कन्फर्म करने का कोई जरूरत नहीं है ।
हटाएंभभड़ भूत! भेहद भेहतरीन !! भधाई भधाई !!
जवाब देंहटाएं--------
"...साल भर ही घटिया लिखते हैं ...:)"....पर अनजाने में :)
जान के घटिया नहीं लिखा जा रहा :) :)
हे भगवान् सुबीर भैया की तरही के लिए हज़ल लिखवा दे! सोच सोच के अपुन का तो भेजा भुर्जी हुई गवा!! --- एक डीसेंट गधा :)
ए जिज्जी काहे मजाक कर रही हो, साल भर तो एतना घटिया घटिया कविता लिख कर पकाय रही और अब जब सच्ची का मुच्ची वाला घटिया लिखने का समय आ रहा है तो ई ड्रामा । सच्ची कहा है कहावत कहने वाले ने कि कहे से कुम्हार गधे पर नहीं बैठता । कोनो बहाना उहाना नहीं चलबे का रही । लिखबे का मतलब लिखबे का । का समझे थोड़ा कहा बहूत समझने की किरपा करें ।
हटाएंwaah waah waah waah kya kahne waah
जवाब देंहटाएंहँसी की इतनी सारी बौछारें और वो भी होलसेल में
जवाब देंहटाएंभई छा गये आप तो
इस पोस्ट से मालूम हो रहा है कि पंकज जी ने इस बार की होली में भी हँसाने का पूरा इंतेजाम कर रखा है
बाप रे, सिहोर में इतने बैसाखनन्दन !!??
जवाब देंहटाएं(जो कुछ रह गये थे वो बाहर से भी आ गये हैं. ऊपर रिंकियाना सुन कर ढेंचुआ रिया हूँ)
यानि होली आ ही गयी. ..!!
:-))))))))))))))))))
दादा जी आप जो इतना जोर जोर से ढेचुआ रहे हैं.
हटाएंबच्चा सब का सोना मुश्किल हो गया है
भभ्भड़ कवि जी ने क्या खूब मक्ता चिपकाया है.
जवाब देंहटाएं"आजकल देते हैं वो 'भभ्भड़' का परिचय इस तरह
ये पुराना एक पापी है अभी तक गांव में "
भभ्भड़ कवि ने कई सारे प्रयोग किये, अरे वाह. इंतज़ार है.
दिलफैंक फौजी उर्फ़ कर्नल :D :D और दास्ताने जंगल ..........हा हाहा
होली का मूड बनता सा दिखे है, ब्लॉग का रंग-रूप तो एकदम झक्कास है बोले तो एकदम रापचिक.
कल तो बस आयाराम गयाराम की स्थिति थी। अब तसल्ली से पढ़ रहा हूँ। आपके सर से खरपतवार गायब होने का राज़ समझ आ गया (निज अनुभव है)।
जवाब देंहटाएंये फ़ोटो जो आपने लगाये हैं किसी के भी हों, अपने नहीं हैं। इन सबके सर पर तो अच्छी खासी खरपतवार है।
कुछ भी भेजें लेकिन भेजें ज़ुरूर । मुक्तक भेजें । गीत भेजें । जो लिख पाएं उसे भेजें । क्योंकि ये होली का सवाल है । होली के नाम पर दे दे बाबा ।
जवाब देंहटाएंनहीं पता था कि ये दिन भी देखना पड़ेगा
हा हा हा
"चों मिया फुक्कन..." हज़ल की दुनिया का अमर शेर बन गवा है...जित्ती बार पढो उत्ती बार पेट पकड़ना पड़े है...कमाल है...कमाल है...कमाल है...
जवाब देंहटाएंभभ्भड़ कवि इस बात पर पेट अकड़ अकड़ के शुक्रिया अदा कर रहे हैं । चोंकि भभ्भड़ कवि को लग रहा था कि ये शेर लोगों के सिर के ऊपर से निकल गया है । पर एक ही होली का समझदार निकला सो उस समझदार का शुक्रिया ।
हटाएंभईया बुरा ना मानना पंकज जी पंकज जी आज रोमानियत के रंग में रंगा गाना सुना रिये है पर हम तो पेले ही आव न ताव देखकर रोमानी गज़ल पंकज जी के फरमान आने के तुरंत बाद भेज दियो है, बिना इसकी परवाह किए की किसी को पसंद आए न आए ! बाकी भईया हमरे पास टेम कहाँ ,रात क्या दिन होली के बड़े मेला ने जो असलियत का मेला है और लाखों आदमी जहाँ आ रिये हैं ,हम तो खूब होली का मज़ा लूट रिये हैं ,और 11 तरीख तक सान्नू तो ए बी पता नई रेना कि हम किधर है,गज़ल की तो बस असली रील बन री हेगी !
जवाब देंहटाएंभाई साहब ये क्या होली का मुशायरा तो शुरू होने से पहले इ कनक्लूड हो लिया.
जवाब देंहटाएंइधर हम हंसते हँसते मरे जा रिये हैं टेट में बल पड़ रिये हैं
इससे बड़ा धमाका तो भाई हास्य की दुनिया में हमने होता नहीं सुना.
अब इसके बाद और कोइ क्या लठ्ठ गाड़ लेगा.
ये नशा जो आपने क्रिएट किया है हर होली में अपने आप बिना भंग के चढ़ जाया करेगा.
अब फेंकने दो बाकियों को हँसगोले , लेकिन सब ठुस्स होने वाले हैं भइये!
क्या कहने इस पुराने पापी की खूब रंग जमाता है\ तभी तो इसके ब्लाग पर आना भाता है\ होली की हार्दिक शुभकामनायें।
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