दादा भाई आदरणीय महावीर शर्मा जी ( 20 अप्रैल 1933 - 17 नवंबर 2010)
संबंध भले ही टूट गये अनुबंध अभी तक बाकी है,
चंदन तो तुमने पोंछ दिया पर गंध अभी तक बाकी है
दादा भाई आदरणीय महावीर शर्मा जी
कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूं । मेरे लिये ये एक व्यक्तिगत क्षति है । वैसे तो ये सभी के लिये ही व्यक्तिगत क्षति है । किन्तु यदि आप दादा भाई के दोनों ब्लागों को देखेंगे तो ज्ञात होगा कि क्यों दादा भाई का जाना मेरे लिये व्यक्तिगत क्षति है । जितना नेह उनसे मिला वो कैसे भूल सकता हूं । एक नितांत अपरिचित पर इतना नेह उंड़ेल देना, ये उनके जैसा ही कोई कर सकता है । उनके ब्लागों के साईड बार में सबसे ज्यादा मुझे स्थान मिला करता था । पिछले वर्ष जब दीपावली पर मैं बीमार पड़ा था तो उनका फोन आया था '' सुबीर, दादा भाई बोल रहा हूं, क्या हो गया है स्वास्थ्य को'' बस वही उनसे पहली और अंतिम वार्ता थी । उनके द्वारा भेजे गये ईमेल संदेशों का तो खासा संकलन है मेरे पास । हर मेल कुछ न कुछ सिखाता हुआ । क्यों दादा भाई ? ये किस जन्म का नाता था जो इतने कम समय में निभाया और फिर हाथ छुड़ा कर चले भी गये । बिना ये जाने कि जिन लोगों को अपने मोह में बांध लिया है अब उनका क्या होगा । बहुत कुछ उनसे सीखने को मिलता था । कई बार लिखने में या ग़ज़लों में कहीं कुछ कमी लगती थी तो नितांत व्यक्तिगत मेल लिख कर विनम्रता से बताते थे । कभी भी सार्वजनिक रूप से कमेंट करके ग़लतियों की ओर इंगित नहीं करते थे । खैर बहुत सी बातें हैं उनके बारे में करने को लेकिन क्या कहूं और क्या न कहूं ................
( जो कुछ उनसे सीखा उसी को शब्दों में ढाल कर श्रद्धांजलि के रूप में उनको दे रहा हूं )
सितारा टूट गया कोई जगमगाता हुआ
चराग़ बुझ गया कोई है झिलमिलाता हुआ*
दरख़्त कल वो हवाओं में गिर गया आखि़र
खड़ा हुआ था घनी छांव जो लुटाता हुआ
हज़ार ग़म थे, मुश्किलें थीं, परेशानी थीं
मगर मिला वो हमेशा ही मुस्कुराता हुआ
पकड़ के हाथ वो चलना उसे सिखाता था
कोई जो राह में मिलता था डगमगाता हुआ
अजीब जि़द थी, बला का था हौसला उसमें
मिला वो मौत से पंजा ही बस लड़ाता हुआ
'मिलेंगे हश्र में फिर हम जो आज बिछड़ेंगे'
चला गया वो यही गीत गुनगुनाता हुआ
'सुबीर' उसको 'महावीर' नाम क्यूं न मिले
जिया जो ज्ञान की गंगा सदा बहाता हुआ
(* ईता)
ये ही ग़ज़ल अर्चना जी के स्वर में श्रद्धांजलि
डाउनलोड लिंक
http://www.archive.org/details/ShradhdhanjaliGhazalOfPankajSubeerSungByArchanaChaoji
http://www.divshare.com/download/13246257-fc0
विदा दादा भाई, जाइये सितारों की उस दुनिया में, जो आपका वास्तविक स्थान है, लेकिन याद रखियेगा हमारे दिलों में आपका जो स्थान है उसे कोई मौत नहीं छीन सकती ।
अलविदा दादा भाई,
अलविदा.......
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें॥
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को हमारी भी भावभीनी श्रदाँजलि
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंदरख़्त कल वो हवाओं में गिर गया आख़िर
जवाब देंहटाएंखड़ा हुआ था घनी छांव जो लुटाता हुआ
पंकज जी ,
इस नुक़सान की भरपाई तो नामुम्किन है
और आप के शब्द ,आप की रचना ,आप के दुख का प्रतिनिधित्व कर रही हैं
अल्लाह उन को जज़ा ए ख़ैर दे और उन के अपनों को सब्र अता करे (आमीन)
आदरणीय महावीर जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं
आदरणीय महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंमहावीर जी को नमन ओर श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंबहुत ही दुखद समाचार है आपने सही कहा ये सब की व्यक्तिगत क्षति है ब्लागजगत ने एक हीरा खो दिया। भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे उनके परिवार और चाहने वालौ को इसे सहन करने की शक्ति दे। आदरणीय श्री माहावीर जी को नमन श्रद्धाँजली।
जवाब देंहटाएंदुखद समाचार! श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंपरसों रात जब दीपक मशाल ने रुंधे गले से फोन पर सूचना दि तो स्तब्ध रह गया...कुछ कहते ही नहीं बना...अभी लगभग दो महीने पहले उनका फोन आया था जिसमें उन्होंने मेरी एक गज़ल की मुक्त कंठ से प्रशंशा की थी और आशीर्वाद दिया था...उन्होंने ने ये भी कहा के स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता अब जीवन का भरोसा भी नहीं है...तब मैंने हँसते हुए कहा क्या बात करते हैं आप आप शतायु होंगे...उन्होंने बड़े जोर से हँसते हुए कहा " मुसीबत और लंबी जिंदगानी...बुजुर्गों की दुआ ने मार डाला"
जवाब देंहटाएंकिसे मालूम था ये हँसता हुआ शख्श हमें दो महीने बाद ही रुलाने वाला है...उनके जीवन से हम जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं...ऐसे व्यक्ति कहीं जाते नहीं सिर्फ शरीर छोड़ कर चाहने वालों के दिल में स्थाई तौर पर बस जाते हैं...हम जब उन्हें याद करेंगे वो हमेशा हमारे सुख दुःख में साथ होंगे.
नीरज
भाई पंकज सुबीर जी, आप के साथ हमारी भी श्री महावीर जी को श्रद्धांजलि| ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिर शांति प्रदान करें|
जवाब देंहटाएंहे भगवान ! क्यों छीन लिया आपने आदरणीय महावीर जी को हमसे ?
जवाब देंहटाएंसबसे पहले यही निकला मुंह से, स्मृतिशेष महावीर जी के देहावसान की सूचना मिलने पर …
मेरे प्रति उनका जो स्नेह, प्यार, अपनत्व और विश्वास था … अब कहां मिलेगा ? मुझे अपने पिता को 20 वर्ष पहले खो देने जैसा ही दुःख हो रहा है
अभी 20 अप्रैल 2010 को उनके जन्मदिवस पर मैंने उन्हें निम्नांकित शुभकामना संदेश भेजा था …
घर के ही बुजुर्ग जैसे , ऐसा अपनत्व !
व्यक्तित्व भी कृतित्व भी आदर्श-अभिराम है !
वीतराग शांत सौम्य ; गतिमान अक्षहंत
मारुति के सदृश ही महावीर नाम है !
ब्लॉग-बगिया के हे विराट वट वृक्ष !
मेरा आपको नमन कोटि , सहस्र प्रणाम है !
स्वस्थ हों , शतायु - दीर्घायु हों , चिरायु हों ,
हे दादाभाई ! जन्म दिन पर रामराम है !
ब्लॉगजगत में आए मुझे इतना कम समय हुआ है , और परम श्रद्धेय महावीरजी जैसे विराट व्यक्तित्व का स्नेहपात्र बन जाना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात रही …
लेकिन … … …
नहीं मा'लूम था कि इतनी जल्दी उनके आशीर्वाद से भी वंचित हो जाऊंगा …
अंतिम प्रणाम कहते हुए आंखें आंसुओं से भीगी हुई हैं …
आसन सूना कर गए पीछे छोड़' भभूत !
हुए प्रवासी स्वर्ग के, देवतुल्य अवधूत !!
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति और उनके परिवारजनों और चाहने वालों को यह दुःख सहने की सामर्थ्य प्रदान करे …
विनम्र अश्रुपूरित श्रद्धांजलि सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीय महावीर जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि .... उनके देहावसान से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है .....
जवाब देंहटाएंआये हैं सो जायेंगे, राजा रंक फकीर .... वगैरह वगैरह सारा ज्ञान धरा रह जाता है जब ऐसी कोई सूचना मिलती है। उनके ब्लॉग पर प्रकाशन के लिये भेजी गई दो लघुकथायें उनके स्वस्थ होने की प्रतीक्षा में अगस्त माह से थीं। पहली बार मालूम हुआ कि कि कोलाईटिस कितनी गंभीर स्थिति पेदा कर सकती है। इस आयु में भी जिस स्नेह से वो उत्तर देते थे उसके कारण दीपावली पर स्वास्थ्य जानने के लिये किये गये मेल का उत्तर भी प्राप्त न होने पर मन आशंकित था और ईश्वर से खैर मना रहा था मगर जीवन चक्र कब थम जाये क्या पता।
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर शर्मा जी से केवल ई-मेल व ब्लॉग के माध्यम से ही संपर्क रहा लेकिन उनसे जो अपनत्व प्राप्त हुआ वह हमेशा मेरी यादों में रहेगा। मेरे पहले ब्लॉग की पहली ग़ज़़ल उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर पोस्ट हुई थी और जब-जब मुझे आवश्यकता हुई मैनें निस्संकोच उनसे संपर्क किया और ग़ज़ल की आधार बारीकियों पर समुचित मार्गदर्शन मिला।
मेरे लिये आदरणीय महावीर शर्मा जी का देहावसान व्यक्तिगत क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को स्वर्ग में स्थान दे।
दिवंगत साहित्य मनीषि के लिये बस यही कह सकता हूँ कि:
भोर से चलता हुआ वो थक गया है
चंद पल विश्राम लूँगा सोचता है।
फिर नई इक भोर में ऑंखें खुलेंगी
कुछ पलों के वास्ते गहरी निशा है।
श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंबस ये बात कुछ संतोष देती है-
हां बुझ गया चिराग मगर ये भी कम नहीं,
रोशन कई चिराग किए इक चिराग ने.
आदरणीय महावीर जी को भावभीनी श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंभावपूरित श्रद्धान्जलि।
जवाब देंहटाएंशब्द नही है...!!
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को विनम्र श्रृद्धांजली!
जवाब देंहटाएंMahaveer Sharma Jee kee baat hee
जवाब देंहटाएंniraali thee . Beemar the lekin
unkee baat mein hamesha hansee
hee hansee rahtee thee . Aese insaan kaa uth jana man mein anginat dard paida kar gayaa hai .
Dukh kee baat hai ki telephone par
unse roz baat hotee thee lekin unke
darshnon se main vanchit rah gayaa . Nehru Centre , London mein
pratham kahani path satr mein
unse Hindi aur Angrezee ke prasiddh
kavi shri Satyendra shrivastav aur
mujhe milna thaa lekin beemaree kee
vazah se vah nahin aa paaye .
Mahaveer Sharma jee achchhe
sahityakaar hee nahin the , mahaan
insaan bhee the . Ishwar unkee atma ko shanti pradaan kare .
Kripya shraddanjli ke shabd
unke suputr shri Raj sharma ko
unke anamibani@hotmail.com par
bhejiyega.
महावीर जी को मेरी श्रद्धाजंलि
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी का निधन हर किसी के लिए व्यक्तिगत क्षति है ... भगवान् उनकी आत्मा को अपने चरणों में निवास दे ......
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर शर्मा जी को मेरी तरफ़ से और दुर्ग भिलाई के समस्त साहित्य बिरादरी की तरफ़ से श्रधा सुमन अर्पित करता हूं।
जवाब देंहटाएंओह विश्वास करने को मन ही नहीं हो रहा....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत ही दुखद है यह...
सचमुच समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूँ...
विनम्र श्रद्धांजलि !!!!
जवाब देंहटाएंदुखद समाचार...भावभीनी श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंपरम सम्माननीय
जवाब देंहटाएंश्री महावीर जी को
भावभीनी श्रद्धांजली .
भावभीनी श्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंबहुत उदास हूँ , भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि |
जवाब देंहटाएंसुधा ओम ढींगरा
कितनी हीं यादें हैं उनके साथ के चैटिंग किये हुए ... कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूँ ... नम आँखों से श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंअर्श
महावीर शर्मा जी के जाने से जो क्षति ब्रिटेन के हिंदी साहित्य की हुई है वह पूरी नहीं हो सकती कभी.उनसे कभी मिलना तो नहीं हो सका पर कुछ समय पूर्व एक साहित्यक सम्मलेन में उनका परिचय पढ़ने का सौभाग्य मुझे मिला था.
जवाब देंहटाएंउस स्नेहमयी आत्मा को मेरी भावभीनी श्रधान्जली..
मै हैरान हुं, ये सब अचानक देख सुन कर. पिछले कुछ दिनो से उनकी कमी तो खल रही थी, पर लग रहा था वे अब अायेंगे अब अायेंगे, ज्यादा से ज्यादा समाचार अस्वस्थता संबंधी होंगे. लेकिन ये क्या वे तो हमे छोड़ चले गये.
जवाब देंहटाएंदुखी हूं, उनका स्नेहाशीष मुझे भी मिला था.
अश्रुपुरित श्रद्धांजली.
जब जब भी बात करेगा कोई नेहा की
जवाब देंहटाएंहम नाम एक ही होठों पर ला पायेंगे
पल पल पर सहज सादगी की करते बातें
हम दोहराते दोहराते अघा न पायेंगे
जो अंकित किये समय के पृष्ठों पर प्रियवर
हम नित्य उन्हीं श्लोकों को दोहरायेंगे
चन्दन की कलम शहद में डुबो डुबो कर हम
बस लिखते हुए आप को ही रह जायेंगें
bahut dukhad samachar....aadarniy mahavir ji ko shrddhyanjali...
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को हमारी भावभीनी श्रदाँजलि
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जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी के ब्लॉग से कवि सम्मलेन का आनंद लिया था -
जवाब देंहटाएंआज वे स्मृति शेष हो गए -- हां विधाता ! ये दारुण दुःख भी सहना था -
" एक दिन बिक जाएगा,
माटी के मोल,
जग में रह जायेंगें ,
प्यारे तेरे बोल ! "
स्व. मुकेशचंद्र माथुर जी का गीत कानों में गूँज रहा है
जब आज भरे ह्रदय से आदरणीय महावीर शर्मा जी ,
हमारे " सबके " दादा भाई " को याद कर रही हूँ
अब कौन इतने स्नेह से , अपनेपन से ,
पिता की तरह स्नेहाशीष दे पायेगा ?
अपूरणीय क्षति से मन व्यथित है ..
जगत से हम सभीको एक दिन जाना है
रह जायेंगीं बातें, यादें और रह जाएगा
एक खाली -खाली सा, परन्तु अति पवित्र स्थान - -
आप हमें सदा याद आयेंगें !
ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि
वे आपकी आत्म ज्योति को
अपने परम प्रकाश में समो लें ........
सदगति मिले और आपके आशीष
सदा हमारे पथ प्रदर्शित करें
आदरणीय महावीर जी के शब्द दे रही हूँ .......... .......................
महावीर said...
पंडित नरेंद्र शर्मा जी कालजयी साहित्यकार .. 'थे' शब्द कहने में मुझे संकोच हो रहा है.
उनका साहित्य अमर है,
उनकी कवितायेँ और अन्य रचनाएं
आज भी लता जी और कितने ही महान संगीतकारों के स्वरों में एक नया स्वर देती रहीं.
कवि-सम्मेलनों में, चल-चित्रों, रेडियो, टी.वी.
के महाभारत जैसे अद्वितीय सीरियलों में
हर घर में, ज़मीन पर और ख़ला में
उनकी वाणी आज भी गूँज रही है.
उनके चित्रों में आज भी
सशरीर साकार दिखाई देते हैं,
केवल भीतर की आँखे खोलकर देखने की बात है.
फिर भी परंपरावादिता के अनुसार
पंडित जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है.
लावण्या, (आज तुम्हारे नाम के साथ 'जी' नहीं लगाऊंगा क्योंकि अपने बच्चों,
छोटी बहनों, भतीजियों आदि के नामों से
'जी' जोड़ने से न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है जैसे 'अपनापन' सा छीन लिया गया हो),
यही कहूँगा कि आज इस पुण्यतिथि पर मेरी श्रद्धांजलि के साथ यही आशीर्वाद है कि
तुम पंडित जी के पदचिन्हों को संभालते हुए साहित्य जगत में देदीप्यमान होकर अपनी और स्व. पंडित जी की साहित्यिक-कृतियों द्वारा इसी प्रकार साहित्य-सेवारत रहो.
FEBRUARY 11, 2010 9:02 AM
... आदरणीय महावीर जी को विनम्र श्रृद्धांजली!!!
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को भावभीनी श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंपरम आदरणीय महावीर शर्मा साहब के स्वर्गवास कि खबर से हतप्रभ था....आदरणीय प्राण साहब का आभारी हूँ जिन्होंने उनके सुपुत्र राज शर्मा साहब का ईमेल प्रदान किया ...मैंने उन्हें अपनी भावनाओ को व्यक्त करते हुए कुछ शब्द निवेदन किये...श्री राज शर्मा साहब ने वापस मेल का जवाब देते हुए जो लिखा उनसे पुन: आँखे नम: हो गयी...
जवाब देंहटाएंThank you so much for your beautiful words. Unfortunately my hindi is very basic but my aunty read it for us. I will be printing your email and placing it into an envelope with your name. I will be putting this into my fathers coffin tomorrow when he arrives so that all these beautiful thoughts are not lost to him. It will burn into the ethers with him and be forever eternal.
Love Raj
धन्य है राज शर्मा साहब जो अपने महान पिता के प्रति किस अभिभूत कर देने वाली श्रद्धा से अपनी सम्वेदनाओं को अभिव्यक्त कर रहे है...ईश्वर उन्हें और उनके परिवार को संबल प्रदान करे!
मेरे गुरु श्री महावीर जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंदादा भाई को हमारी भी भावभीनी श्रद्धांजलि........
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंShri Mahavir sharma ki yaad hamesha dilon mein deep bankar rahein roushan karengi...
जवाब देंहटाएंDo saal se meri unse jab bhi baat hoti thi kahte" Kya bataon ye tabiyat bahut nakhre karti hai"
aur mein kah deti" Nayi Dulhan ki tarah " aur ve hans padte the....
Kuch das din pahle, is anohoni ke pahle, maine phone kiya to kuch thake thake se the aur kah uthe ab tang aa gaya hoon hospital ke chakkar lagakar....""
Umr ka dariya paar karna kitna mushkil hota hai yeh mahsoos karte hue unki atma ki shanti ke liye maun prarthna unko samparpan hai.
Devi Nangrani
Amma Babu pedh the jiske
जवाब देंहटाएंMain tulsi us anGan ki hoon
Yadein jagmaga rahi hain
Ashru jhilmila rahe hain....
विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंपढ रहा हूँ। अच्छा लग रहा है।
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