ईद मुबारक, ईद मुबारक, ईद मुबारक । सबको ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद । ईद को लेकर बचपन की बहुत सी यादें जुड़ी हुईं हैं । तबकी यादें जब लोग हिंदू और मुसलमान नहीं हुआ करते थे । या शायद जहां मैं रहता था वहां के लोग हिंदू और मुसलमान नहीं हुआ करते थे । मुझे याद है कि मेरे सबसे अच्छे दोस्त कमर हसन पर सबसे पहले होली का रंग चढ़ता था । जिस सरकारी क्वार्टर में हम रहते थे उसके दोनों तरफ मुस्लिम परिवार रहते थे । एक तरफ थे बहुत ही गुणी और ज्ञानी ज़हीर हसन ड्रायवर साहब ( जिनका बेटा कमर हसन था ) और दूसरी तरफ बहुत ममतामयी नफीसा सिस्टर ( मेरे पिताजी डॉक्टर हैं ) । कमर की और मेरी ऐसी दांत काटी दोस्ती थी कि बस पूछिये मत । उधर नफीसा सिस्टर के घर से मेरे लिये एक सेंवई का कटोरा हर साल आता था । बाद में जब हमने वो शहर छोड़ दिया और सीहोर आ गये तब भी वे किसी भी प्रकार से कटोरा भेजती रहीं और फिर वे भी सीहोर रहने आ गईं और मेरी सेंवई फिर से रेगुलर हो गई । बीते साल वे नहीं रहीं और उनके बिना ये साल है उनका वो सेंवई का कटोरा बहुत याद आयेगा इस साल ईद पर । उनका बेटा हमारे परिवार के सदस्य के समान ही है और कह सकता हूं कि जब भी कोई परेशानी होती है तो उसे हम हमेशा अपने पास पाते हैं, हमारे अपनों के आने से भी पहले वो आ जाता है । ये रिश्ते शायद राजनैतिक लोग नहीं समझ पायेंगे क्योंकि ईश्वर ने उनको इस लायक समझा ही नहीं है । ज़हीर हसन साहब भी अब नहीं रहे और कमर हसन तो अब जाने कहां है । लेकिन याद सबकी बहुत आती है । कहां गये वो दिन जब ज़हीर हसन साहब की बेटियां गणेश उत्सव में सीता, राधा और दुर्गा बन कर झांकियों में बैठती थीं । जब ज़हीर हसन साहब नये तकनीक की झांकिया बनाते थे जिनमें उबलते हुए तेल में जिंदा विक्रमादित्य को बैठाना, रावण के सर कट कर वापस आना और लक्ष्मण को आकाश से शक्ति लगना जैसी झांकिया होती थीं । वे बहुत गुणी थे तकनीक से सारी झांकियां बनाते थे । कहां गये वे दिन जब ईद पर हम भी झगड़ कर नये कपड़ पहनते थे और निकल पड़ते थे जहीर हसन साहब से ईदी लेने । कहां गये वो दिन .... । ज़रूर ज़रूर सुनियेगा लता मंगेशकर जी की आवाज़ में अल्लाह से की गई ये प्रार्थना जो शायद आपने पहले नहीं सुनी हो । फिर अनुरोध है कि ज़रूर ज़रूर सुनियेगा ।
खैर ये तो सब संवेदना की बातें हैं दुनिया में ये सब तो चलता ही है । इस बार ईद और गणेश स्थापना का दिन एक ही है । कैसा सुखद संयोग है ये या फिर ये ईश्वर का संकेत है कि देखो मैं तो तुम से कह रहा हूं कि कुछ अलग नहीं है सब एक ही सत्ता है । मगर इन्सान यदि ईश्वर के संकेतों को ही मानने लगे तो फिर तो दुनिया रहने के लायक हो ही जाये । हम तो ब्लाग जगत के लोग हैं कम से कम हमें तो दुनिया के सामने ये उदाहरण प्रस्तुत करना ही चाहिये लेकिन हम भी ये नहीं कर पा रहे हैं । देखें कब क्या होता है । लता जी के ही स्वर में भगवान गणपति की ये वंदना भी सुनिये
श्री श्री 103 भभ्भड़ कवि भौचक्के
भकभौं 103 ( शारदुला दीदी का दिया हुआ नाम ) उर्फ श्री श्री 103 भभ्भड़ कवि भौचक्के आज केवल ये बता रहे हैं कि पहली बात तो ये कि जो ग़ज़ल वे लेकर अगले अंक में आ रहे हैं ( इन्शाअल्लाह ) उसे ग़ज़ल नहीं माना जाये बल्कि उसे कुछ तो भी प्रयोग ही माना जाये । जिस प्रकार कहा जाता है ना कि डेविड धवन, प्रियदर्शन की फिल्में देखने जाते समय अपना दिमाग सर से निकाला कर खूंटी पर घर पर ही टांग जाएं ( अत्यंत बेहूदी फिल्म बड़े मियां छोटे मियां को मैं लगभग 50 बार देख चुका हूं ) । उसी प्रकार से भकभौं103 का भी ये कहना है कि उनकी ग़ज़ल को पढ़ते समय दिमाग का उपयोग नहीं किया जाये । इसलिये भी नहीं किया जाये कि ये जो ग़ज़लनुमा जो कुछ है ये केवल एक आज़माइश के तौर पर लिखी गई है जिसे की हम काफियों की आज़माइश कह सकते हैं ।
इस बार की तरही में जो तकनीकी बात थी वो ये थी कि हमारा काफिया स्त्रीलिंग में था । अर्थात ये कि आपको मिसरा सानी पर आकर अपनी बात को पूरी तरह से स्त्रीलिंग आधारित हो जाना था । तिस पर ये कि बहुवचन में बात होना थी क्योंकि एं लगा हुआ था । मतलब ये कि स्त्रीलिंग में बहुवचन के काफिये तलाश करने थे । क्रियाओं के काफियों को यदि कहें तो ग़ज़ल में एकाध उपयोग करना ठीक था लेकिन यदि आपने अधिकांश शेरों में क्रिया के काफिये लगा दिये तो उससे ग़ज़ल का सौंदर्य कम हो रहा था । तो भभ्भड़ कवि ने सोचा कि वे क्रियाओं के काफिये उपयोग ही नहीं करेंगें । अब समस्या ये कि उर्दू में गिनती के काफिये मिल रहे थे । सो हिंदी की शरण में जाना पड़ा और हिंदी ने निराश नहीं किया । जब काफिये खूब हो गये तो उन काफियों के हिसाब से शेर बनाये गये । ये चूंकि ग़लत तरीका था इसलिये शेर प्रभावशाली नहीं बने । लेकिन भकभौं 103 को शेरों के प्रभाव से कुछ नहीं लेना था उनको केवल काफियों का प्रयोग देखना था कि कैसे किया जा सकता है ।
ये पूरी ग़ज़ल डेविड धवन की फिल्म की तरह से इसी कारण सुननी है कि इसमें कहन को खूंटी पर टांग कर ग़ज़ल लिखी गई है । केवल नाप के मिसरों में उचित काफिये को बिठा कर शेर बना दिये गये हैं । भकभौं 103 ने किसी भी काफिये को किसी रूप में दोहराया नहीं है । जैसे यदि दुआएं ले लिये तो अब बद्दुआएं नहीं लिया जायेगा, यदि वफाएं ले लिया तो बेवफाएं नहीं लिया जायेगा । इसको आप ग़ज़ल नहीं कह कर कसरत-ए-काफिया कह सकते हैं । केवल काफियों को साधने के लिये लिखी गई ग़ज़ल । दिमाग से पढेंगे तो भकभौं 103 की ये ग़ज़ल आपको बहुत ही घटिया टाइप की लगेगी । लेकिन भकभौं 103 का ये कहना है ये केवल कठिन काफियों को साधने की तुकबंदियां हैं । तो ये तय हुआ कि भकभौं 103 केवल इस शर्त पर उस ग़ज़लनुमा शै: को लगाएंगे कि आप उसे दिमाग को हाजिर नाजिर मान कर नहीं बल्कि दिमाग को गैरहाजिर मान कर पढ़ेंगे । श्री रमेश हठीला जी ने दिमाग की उपस्थिति में इसे सुनकर इसको पूरी तरह से खारिज कर दिया है, भकभौं 103 वो रिस्क फिर नहीं लेगा चाहते ।
और ये प्रार्थना आज ये दोनों गीत बहुत मेहनत से छांट कर निकाले हैं । लता जी की अल्लाह से प्रार्थनाएं तो बहुत सी हैं लेकिन ये दोनों आपने कम सुनी होंगीं । दोनों को सुनें और बताएं कि कैसी लगीं ।
इस सप्ताह (15 सितम्बर) की इंडिया टुडे ( हिंदी) में श्री अरुण नारायण जी ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की बहुत अच्छी समीक्षा दी है । समय निकाल कर पढ़ें और यदि किसी के पास श्री अरुण का संपर्क नंबर हो तो मुझे बताने का कष्ट करें उनको धन्यवाद देना है ।
अगले अंक में भभौंक 103 की विचित्र किन्तु सत्य वस्तु आयेगी लेकिन तब जब आप इस पोस्ट पर दिमाग को गैरहाजिर करने का वादा करें । फिर से सबको ईद मुबारक ईद मुबारक ईद मुबारक ।
भभौंक १०३ जी की "विचित्र किन्तु सत्य" प्रस्तुति का बेसब्री से इंतज़ार है! :)
जवाब देंहटाएंवाह क्या खुबसूरत समा बंधा है ईद के दिन, ये संयोग ही है की ईद और गणेश जी एक ही दिन पधार रहे हैं, सब कुदरत की माया है. अब तो भभ्भड़ कवि भौंचक्के की "विचित्र किन्तु सत्य " जैसे उस प्रयोग का इंतजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंregards
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जवाब देंहटाएंईद पर गण्पति आगमन --- इस सुन्दर संयोग की सब को बहुत बहुत बधाई।भौंच्क्के से भभौंक? क्या माजरा है? मै तो वैसे ही दिमाग का कम उपयोग करती हूँ बस दिल ले कार ही कम्प्यूटर पर बैठती हूँ लेकिन अब दिल दिमाग दोनो को घर की खूँटी पर टांग कर ही काम शुरू करती हूँ। इन्तजार रहेगा अगली पोस्ट का। आदरणीय गुरूदीव के लिये सादर नमन। और अपने भाई सुबीर के लिये बहुत बहुत आशीर्वाद, शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंखुदाए बरकत तेरी ज़मीं पर...अहहहहहः...साहिर का फिल्म ताजमहल के लिए लिखा ये गीत मेरे बहुत पसंदीदा गीतों में से एक है...काश खुदा साहिर की इस बात का कोई मुकम्मल जवाब दे पाता...ये सवाल आज भी ज्यूँ का त्यूं मुंह बाए खड़ा है...
जवाब देंहटाएंईद हो या गणपति ये उत्सव जब तक हमारे दिलों में एक दूसरे के लिए प्यार नहीं है तब तक कोई मायने नहीं रखते...ये प्रेम और उल्ल्हास के उत्सव हैं जिनमें नफरत के लिए कोई जगह नहीं होती...
भभ्भड़ कवि महाराज की रचनाएँ पढ़ने के लिए हम सबसे मुफीद व्यक्ति हैं क्यूँ के खुदा हमारे भेजे दिमाग डालना ही भूल गया या शायद जान बूझ कर उसने नहीं डाला मैं तो कहूँगा के वो हम पर बहुत मेहरबां था इसलिए दिमाग नहीं डाला क्यूँ की दिमाग ही सारे फसाद की जड़ होता है...बे दिमाग वाले कभी मज़हब रंज या ज़ात पर लड़ते हैं?
आपकी किताब ईस्ट इण्डिया कंपनी के बारे में इंडिया टुडे में आज ही सुबह ही पढ़ा...काश मैं पढ़ कर आये आनंद को शब्द दे पाता...
अगले अंक का अगली सांस की तरह इन्तेज़ार है...
कितना हसीं मंजर है.... ईद मुबारक, गणपति उत्सव के बीच आचार्य जी का ख़ूबसूरत सन्देश और स्नेही साथियों के जज़्बात. अन्दर से ख्वाहिश होती कि ये पल ठहर जाए और हम आनंदित होते रहें.
जवाब देंहटाएंसभी गीत सुने, तीसरे गीत को पहली बार धैर्य से सुना. बहुत अच्छा लगा.
ईद से जुड़ी ढेरो यादें हैं, बचपन में मैं मुस्लिम दोस्तों से घिरा रहता था सो जमकर ईद मानती थी. ख़ास कर अररिया में सहपाठी जहाँगीर और खुर्शीद भैया से सीखे गए थोड़ी बहुत उर्दू हमेशा याद रहेंगे. आज उनको यहाँ से मुबारकबाद भेज रहा हूँ. प्रिय मित्र मंजूर के बिना तो ईद या कोई भी पर्व अधुरा लगता है. सो आज सभी को मुबारकबाद!!
भकभौं 103 जी का बेसब्री से इन्तजार है. कसरते-काफिया जिंदाबाद!!
गुरु जी प्रणाम,
जवाब देंहटाएंसभी को ईद मुबारक, श्री गणपति आगमन की हार्दिक शुभकामनाएं
मैं शपथ लेता हूं कि (अभी के श्री श्री १०३ और हमेशा वाले श्री श्री १०८) श्री भभ्भड जी महाराज जी की गज़ल पढ्ते समय दिमाग को खूंटी पर टांग दूंगा :):):)
इन्डिया टुडे में कल ब्रिटिश इन्डिया कम्पनी का लेख पढा, बहुत अच्छा लगा
गीत सुनने का कोई जुगाड करता हूं :)
अन्ततोगत्वा सुखनवर कल रात डाउनलोड हो गई :) पढ भी ली :)
निवेदन है गज़ल के साथ भभ्भड जी के नए चित्र का विमोचन भी किया जाए
-आपका वीनस केशरी
पंकज जी,
जवाब देंहटाएंआपके संस्मरण और प्रस्तुति भाव विभोर कर दिया...
प्रकृति ने हमें एक समान बनाया और हम???
बहरहाल वो कहते हैं न..
उनका जो काम है वो अहले-सियासत जाने
अपना पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे...
ये ईद आपके और परिवार के लिए बहुत सारी खुशियां लेकर आए (आमीन)
गणपति आगमन की शुभकामनाएं.
गणपति आगमन के दिवस और ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!
जवाब देंहटाएंमेरा लेख:
ईद मुबारक!
आपके संस्मरण ने पलकें भिगो दी...
जवाब देंहटाएंईद मुबारक..
सिस्टर नफीसा के घर से वो सेंवई का कटोरा आपके लिए , जब ये संस्मरण पढ़ा तो इसी सोंच में हूँ क्या ऐसा सभी के साथ होता है ... बुराइयां हर जगह होती है दोष ढुंढने पर लाज़मी है वो मौजूद होता है ... और हम मनुष्य रुपी जानवर सिर्फ दोष ही ढुंढने के पीछे भागते हैं , कौन ने किसी का क्या बिगाड़ा है ऊपर वाले ने तो हमें सिर्फ इंसान बनाया था हमने आपने में कौमें खड़ी करली ! उस लहजे से मुझे बेहद प्यार है और जब कोई इंशाअल्लाह इस्तेमाल करता है बोलते वख्त तो उफ्फ्फ्फ़ ... गाने तो सुन नहीं पा रहा ... मगर इस बार ईद और गणेश चतुर्थी एक साथ बधाई सभी को ... श्री श्री १०३ भक्भौं जी को सलाम करता हूँ .. और उनका बेशब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ .....
जवाब देंहटाएंअर्श
bhut bhut mubaark bad andaaze byaan masha alllah bhut bhut khubsurt he bhaayi hm to apke ho liye apne to mushaayra hi lut liyaa . akhtar khan akela kota rajthan
जवाब देंहटाएंaadarneey gurudev,
जवाब देंहटाएंapne is ब्लॉग को आज चर्चामंच पर संकलित किया है.. एक बार देखिएगा जरूर..
http://charchamanch.blogspot.com/
मेरे गुणी अनुज जी
जवाब देंहटाएंनमस्ते
अंगरेजी में एक होता है ' अंडर स्टेटमेंट ' आप तो वही करते हो -
आपका लेखन उत्कृष्ट कोटि का है
उसे सदा ही, बड़े संकोच के साथ , इस तरह पेश करते हो आप माने ये कुछ ख़ास न हो !
पर हम आपको अब पहचान गये हैं ..........
आप बहोत खूब लिखते हो और उस्ससे भी ज्यादा
एक शालीन इंसान हो और इन सब से आगे
बड़े विवेकी और संभ्रांत , सज्जन भी हो !
तब हुआ न ' अंडर स्टेटमेंट ! " ;-)
ईद मुबारक ! श्री गणेश जी,
हर विघ्न दूर करें और खुशहाली लायें ......
परिवार के हर सदस्य के लिए मंगलकामना सहित,
स्नेहाशिष
- लावण्या
इन्तजार कर रहे हैं प्रभु...
जवाब देंहटाएंगानों का प्रयोग सुन्दर लगा.
गणेश चतुर्थी और ईद की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
देर से आने का क्षमाप्रार्थी.
हम तो बहुत दिनों तक ईद और गणेश चतुर्थी .... दोनो का अनद ले रहे थे सो नेट की दुनिया से भी दूर रहे .... आपके संस्मरण से मन गदगद हो उठा ..
जवाब देंहटाएंअब तो बस प्रतीक्षा है भभ्भड़ कवि महाराज १०३ .....
EDD ki Bahut bahut mubarakbaad..sach me kitana sukhad baat hai ki ganesh ji EDD wale din padhar rahe hai..
जवाब देंहटाएंbhabhad ji ka intzaar hai..fir se sabhi logo ko EDD ki hardik badhai..aur ganesh chaturthi ki bhi bahut shubhkaamnayen..