बहुत लम्बा हो गया इस बार का तरही मुशायरा । इतना लम्बा कि जुलाई के प्रारंभ से शुरू हुआ तो सितम्बर के प्रारंभ तक आ पहुंचा । इस बार इतना लम्बा होने के पीछे कई कारण रहे लेकिन सबसे बड़ा कारण तो वही है कि लिखने वालों का जो उत्साह मुशायरे को लेकर था उसने इसे विस्तार दे दिया । और सबसे बड़ी बात ये है कि इस बार सारी ग़ज़लें एक से बढ़ कर एक मिलीं । काफियों के बहुत ही सुंदर प्रयोग इस बार सामने आये हैं । आज जब हम समापन कर रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि अब बहुत सूना लगेगा कुछ दिनों तक । तब तक जब तक कि हम दीपावली के मुशायरे का मिसरा तय नहीं कर लेते हैं । इस बार तो इतने लोग नये जुड़े हैं कि लगता है कि दीपावली का मुशायरा कुछ दिनों पूर्व ही प्रारंभ करना होगा । खैर आज तो विधिवत समापन करते हैं वर्षा मंगल तरही मुशायरे का । भभ्भड़ कवि भौंचक्के अपने जीवन के एक कठिन समय से गुज़र रहे हैं इसलिये ग़ज़ल लिखी होने के बाद भी अभी वे ग़ज़ल को प्रस्तुत करने की मन:स्थिति में नहीं हैं । यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आगे कभी भभ्भड़ कवि अपनी तरही को लेकर लिखी हुई ग़ज़ल प्रस्तुत कर देंगें । किन्तु आज इन दोनों शायरों के के और विनोद पांडे की ग़ज़लों के साथ मुशायरे को विधिवत समाप्त माना जाये ।
फ़लक पे झूम रहीं सांवली घटाएं हैं
वर्षा मंगल तरही मुशायरा
आत्म कथन :- मैं आपकी महफ़िल और जमात का नहीं हूं, पर सुन्दर माहौल और मिसरे की लय में बह कर एक कोशिश कर रहा हूं! आशा है,मेरी तुकबन्दी भी आप लोगों को कम से कम पढने योग्य तो अवश्य लगेगी।आशा है,प्रयास को इसका due अवश्य देगें!आपकी प्रतिक्रिया एवं सुधारात्मक निर्देशों का इंतेज़ार रहेगा!
फ़लक पे झूम रही सांवली घटायें हैं
ये बदलियां हैं कि ये ज़ुल्फ़ की अदायें हैं
बुला रहा है मुझे पार कोई नदिया के
है ये कशिश के मेरे यार की सदायें हैं
नज़र तू आने लगा मुझको बूटे बूटे में
दीवानगी है मेरी, या तेरी वफ़ायें हैं
मुझे दीवाना बनाये है याद तेरी ये
ये ही इश्क कि ये इश्क की अदायें हैं
हूं अच्छे शेर निकाले हैं । नये लिखने वाले के लिये इस बहर तथा काफिये रदीफ के काम्बिनेशन पर काम करना बहुत मुश्किल होता है । ऐसे में जो शेर निकाले गये हैं वे बहुत अच्छे हैं तथा भविष्य को लेकर संभावनाएं जता रहे हैं ।
आत्म कथन :- आज तरही मुशायरे के लिए मैं भी एक नये शायरके रुप में आप सब से रूबरू होने जा रहा हूँ, मुझे यह पता नही कि मेरी ग़ज़ल कैसी बनी है पर आप सब की परखी नज़रें और हौसला-आफजाई मुझे आगे बढ़ने में मदद करेगी......पिछले मुशायरे में देर हो गई थी सो इस बार यह मौका गँवाना नही चाहता हूँ....आप लोगों का आशीर्वाद मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है.नया रचनाकार हूँ अगर कुछ ग़लतियाँ हो तो माफ़ कीजिएगा..आपका आशीर्वाद रहेगा तो धीरे धीरे सुधर जाऊँगा..
फ़लक पे झूम रही सांवली घटायें हैं
हवाएं कानों में चुपके से गुनगुनाएँ हैं
फुहार गाने लगी गीत हसीं रिमझिम के
ठुमक ठुमक के थिरकती हुईं हवाएं हैं
उड़ेलने लगे बादल गरज के जलधारा
चमक-चमक के हमें बिजलियाँ डराएँ हैं
पड़े फुहार तो हलचल सी मचे तन-मन में
हज़ारों ख्वाइशें पल भर में मचल जाएँ हैं
उठे लहर जो कभी दिल में हसीं लम्हों की
खुदी से बात करें,खुद से ही शरमाएँ हैं
खिली खिली सी ज़मीं हैं हसीन है मौसम
धुली धुली है हवा खुशनुमा फि़जाएं हैं
हूं विनोद का कहना है कि वे नये शायर हैं लेकिन लिखने का अंदाज़ कह रहा है कि वे काफी समय से लिखते आ रहे हैं । वैसे विनोद ने कई सारे शेर भेजे थे लेकिन जिन शेरों में क्रियाओं के काफिये ठीक नहीं बने थे उनको न लेकर ये शेर तरही के लिये चयनित किये हैं । नये शायर के लिये इस प्रकार के शेर कह लेना बड़ी बात होती है ।
तो अब इजाज़त दीजिये । आनंद लीजिये इन दोनों की शायरी का । जब सब कुछ ठीक ठाक हो जायेगा तो भभ्भड़ कवि भौंचक्के अपनी रचना प्रस्तुत करने आ जाएंगें ।
बहुत उम्दा...अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंतरही में बहुत आनंद आया..
जवाब देंहटाएंदोनो ही ग़ज़लें पसंद आईं.विनोद जी गिरह वाला शेर अच्छा लगा.
हमे तो दोनों ही गजले सुन्दर लगी, दोनों शायरों को हार्दिक बधाई. वैसे ये कवि भोंचक्के कौन हैं........और इनकी कविता कब पढने को मिलेगी????
जवाब देंहटाएंRegards
आदरणीय पंकज जी, इस शानदार तरही मुशायरे में शामिल अधिकतर शोरा-ए-कराम ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किया है...जिसका समापन भी दोनों अच्छी ग़ज़लों से हुआ है...इस आयोजन के लिए आपको एक बार फिर से बधाई.
जवाब देंहटाएंदोनों शायरों को मुबारकबाद।
जवाब देंहटाएंखिली खिली सी ज़मीं है हसीन है मौसम,
धुली धुली है हवा ख़ुशनुमा फ़िज़ायें हैं । उम्दा शे'र।
दोनो ही शायरों की गज़लें बेहद खूबसूरत हैं।
जवाब देंहटाएंके के जी का पूरा परिचय देते तो अच्छा रहता बहुत अच्छी गज़ल लिखी है
जवाब देंहटाएंनज़र मे--- वाह कमाल है
और विनोद जी को तो अक्सर पढती हूँ खास कर समाज और व्यवस्था पर लिखी अकी रचनायें बहुत प्रभावित करती हैं--
पडे फुहार----
उठे लहर जो---- बहुत अच्छे शेर घडे हैं। आपने सही कहा इस बार का मुशायरा खास रहा। अब दिवाली का इन्तज़ार रहेगा। इस प्रयास के लिये बधाई और शुभकामनायें
पंकज जी,सबसे पहले मैं आपको इस तरही मुशायरे के सफलता पूर्वक समापन की बधाई देना चाहता हूँ..
जवाब देंहटाएंके. के जी की ग़ज़ल आज पहली बार पढ़ने को मिली..वाकई बहुत सुंदर शेर गढ़े है ...सुंदर काफ़िए से सजी एक बढ़िया ग़ज़ल... हार्दिक बधाई..
जहाँ तक मेरी बात है तो , मैं तो सोचा शायद इस बार भी देर हो गई मुझको पर मैं ग़लत था..तरही में यह मेरा प्रथम प्रयोग था .आप सब का आशीर्वाद मिला अच्छा लगा.....आप सभी को धन्यवाद!!!
दोनो ही शायरों की गज़लें बेहद खूबसूरत हैं बधाई..
जवाब देंहटाएंज़मी ता फलक़ बहुत से रंग बिखरे,तरही मुशायरा बेहद कामियाब रहा, सभी शोरा-ए-कराम को बधाई.
सभी हाज़रीन को भी बधाई.
और सब से ज़यादा बधाई "पंकज सुबीर" भाई साहब को जिनकी मेहनत और लगन से ऐ मुशायरा
अपनी मंज़िल तक कामियाबी से पहुंचा.
AjmalKhan
के दि लिओ जी को अक्सर पढ़ता रहता हूं उनके ब्लौग पर। बड़े अच्छॆ मिस्रे बुनते हैं वो...विनोद जी की तरही भी सराहनीय बन पड़ी है।
जवाब देंहटाएं...मगर हाँ, मुशायरे का समापन श्री श्री भभ्भड़ भौंचके की तरही के बगैर हो ही नहीं सकता। असंभव है ये। अगली पेशकश में उनकी तरही का इंतजार है...
लिओ जी की रचनाए उनके ब्लॉग पर पढ़ता रहता हूँ .... बहुत अच्छा लिखते हैं ... यहाँ भी कुछ लाजवाब शेर लिखे हैं उन्होने .... ख़ास कर ..... नज़र तू आने लगा ..... दिल में सीधे उतर गया ...
जवाब देंहटाएंऔर विनोद रो मेरे अनुज की तरह हैं .... हर बार पढ़ता हूँ उन्हे ...... उनकी व्यंग और सामाजिक रचनाएँ कमाल की होती हैं .... उनका ये ग़ज़ल का अंदाज़ भी लाजवाब है ... और ये शेर तो ख़ास कर ... पड़े फुहार तो .... बहुत ही बेमिसाल है ...
दोनो को मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ हैं .....
गुरुदेव आपको बहुत बहुत बधाई इस सफल आयोजन पर .... पर कवि श्री भभ्भड़ के बगेर ये मुशायरा फीका लग रहा है .... आशा है जल्दी ही उन्हे पढ़ने को मिलेगा ....
मुझे, यहां सुना गया!मेरा लिखना सफ़ल हुआ!आप सब सुधी जनों का दिल से शुक्रिया! आदरनीय ’पंकज सुबीर’ जी को दिल से धन्यवाद अपनी महफ़िल में मुझ जैसे, कमइल्म को शामिल किया।
जवाब देंहटाएंउम्मीद करता हूं, आइन्दा भी आप लोगो का स्नेह मिलेगा,और आप लोग एक नज़र मेरे प्रयासों पर नज़र देने ज़रूर आयेंगे!
"सच में"
www.sachmein.blogspot.com
bahut hi badiya.....
जवाब देंहटाएंA Silent Silence : Shamma jali sirf ek raat..(शम्मा जली सिर्फ एक रात..)
Banned Area News : It's difficult to recreate same emotion in remake: Aamir
बधाई सुबीरजी, बेहतरीन संचालन और सुन्दर समापन के लिए.
जवाब देंहटाएंबधाई सुबीरजी, बेहतरीन संचालन और सुन्दर समापन के लिए.
जवाब देंहटाएंशनिवार की सुबह, तरही में शामिल दो नयें शायरों से जब मुलाकात हुई तो पता चला - अरे यहाँ तो अपने विनोद भाई है, और जिनको टिप्पणियों में पढता आया था वो के.के. साहब है.
जवाब देंहटाएंनज़र तू आने लगा मुझको बूटे बूटे में.... आहा बहुत सुन्दर शेर हैं. चलिए आइन्दा आपको पढने का मौका ढूँढता रहूँगा.
और विनोद ने तो कमाल किया है...
खुदी से बात करें,खुद से ही शरमाएँ हैं (ये तो अपनी बात हो गयी)
मैं अभ भी गुनगुना रहा हूँ....
खिली खिली सी ज़मीं हैं हसीन है मौसम
धुली धुली है हवा खुशनुमा फि़जाएं है.
बेहतरीन समापन, उत्कृष्टता के नए आयामों को छूता हुआ मंच संचालन. तरही में नए नए विलक्षण प्रयोग, और कुछ यादगार, सहेजने लायक पंक्तिया.
जवाब देंहटाएंजैसे प्रतीक होती है बहने.... जनम से कृष्ण के... सुनहरे हर्फों से लिखी.... इत्यादि.
बहुत कुछ मिला है पिछले दो महीनो में. आचार्य जी के मेहनत के आगे मेरा कोई भी शब्द छोटा ही पड़ेगा.
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(भभ्भर कवि का इन्तजार करने वाले कृपया बेचैन ना हों वे देर सवेर आयेंगे ही, अभी तो उनकी आयोजको और संचालक महोदय से किसी बात पार ठनी हुई है)
एक पुराने फ़िल्मी गाने की ये पंक्तियाँ याद आ रही हैं..." जिसका डर था बेदर्दी वो ही बात हो गयी...." तरही को एक दिन ख़त्म होना ही था हुआ...लेकिन अभी हम इसका अंत नहीं मान सकते ....ये समापन नहीं है...यग्य का समापन यूँ ही थोड़े होता है...अंत में आरती गानी पड़ती है...और आरती सिवा भभ्भड़ कवि के और कौन कह सकता है...हम इंतज़ार करेंगे भभ्भड़ कवि का क़यामत तक...खुदा करे के क़यामत हो और वो आयें...जो भी मुश्किलें उन पर आयीं हैं हम सब का ऊपर वाले से निवेदन है के उनका फ़ौरन से पेश्तर निराकरण करे ताकि वो मुस्कुराते हुए हमारे बीच जल्द ही आयें....
जवाब देंहटाएंसमापन के आखरी शायरों की शान में क्या कहूँ...वाह...अलग अंदाज़ और खूबसूरत अलफ़ाज़ के धनि के.के. ने दीवानगी और इश्क के हसीं मंज़र पेश किये हैं...उन्हें और पढने की इच्छा जाग गयी है...इसमें कोई दो राय नहीं के उनका भविष्य बहुत उज्जवल है...
विनोद जी को पढ़ा है लेकिन वो इनता खूबसूरत लिखते हैं ये आज ही जाना ...फुहार गाने लगी शेर में उन्होंने संगीत और नृत्य का बेहद खूबसूरत मंज़र पेश किया है...उनके इस एक नहीं बल्कि उनके सभी शेरों में ये ख़ूबसूरती नज़र आती है...
बेहतरीन शायरी है दोनों युवाओं की...मेरी दिली दाद उनतक पहुंचा दीजियेगा...और भभ्भड़ जी की तुरंत पेश कीजियेगा....
नीरज