बुधवार, 18 मार्च 2009

ज्ञानपीठ का आयोजन, होली का तरही मुशायरा, प्रकाश अर्श के साथ एक दिन और हमारी होली

होली मेरा सबसे पसंदीदा त्‍यौहार है । और मुझे साल भर दीपावली से जियादह इसका ही इंतेजार रहता है । जैसा कि मैंने बताया कि हमारे क्षेत्र में होली पांच दिनों की होती है या छ: दिनों की  होती है ऐसा भी कह सकते हैं । क्‍योंकि होलिका दहन के दिन से प्रारंभ होकर रंग पंचमी पर समाप्‍त होती है । पूरे छ: दिनों तक रंग और रंगों से जियादह उमंग का उल्‍लास छाया रहता है (उसमें आप चाहें तो भंग को भी शामिल कर सकते हैं )। मगर इस बार की होली तो कुछ जियादह ही खास निकली । रंगपंचमी के  एक दिन पहले पहले कहानी संग्रह के विमोचन का क्षण आया और वो भी भारतीय ज्ञान पीठ के आयोजन में । होली के अवसर पर ब्‍लाग पर आयोजित तरही मुशायरा इस कदर लोकप्रिय हुआ कि उसने ये सिद्ध कर दिया कि आज भी हास्‍य सर्वप्रिय रस है किन्‍तु उसके लिये प्रवाह होना आवश्‍यक है । किसी चैनल पर चलने वाले कामेडी सर्कस पर जो हास्‍य होता है वो तो वीभत्‍स हास्‍य रस ( ये मैंने एक नया दसवां रस बनाया है ) की श्रेणी में आता है ।

पहले बात ज्ञानपीठ के आयोजन की, निश्चित रूप से ये जीवन का एक महत्‍वपूर्ण क्षण था ।  उस आयोजन में प्रकाश अर्श श्रोता थे सो मेरे खयाल से उन्‍होने कार्यक्रम को जियादह अच्‍छी तरह से सुना और गुना है उन्‍होंने अपने ब्‍लाग पर साहित्‍य, ज्ञानपीठ और गुरुदेव.... जो पोस्‍ट लगाई मेरे विचार से उसमें उन्‍होंने सब कुछ बलख दिया है और मेरे लिखने के लिये कुछ बाकी नहीं है । फोटो भी उन्‍होंनें सब लगा दिये हैं सो मेरे पास कुछ अधिक नहीं है । फिर भी मैं एक फोटो यहां लगा रहा हूं ।

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कई सारे मित्रों से पहली बार भेंट हुई सजीव सारथी जी, शैलेष भारतवासी जी से और प्रकाश अर्श से । हिंद युग्‍म ने पंकज सुबीर के कहानी-संग्रह 'ईस्‍ट इंडिया कम्‍पनी' का विमोचन कीजिये  पर पुस्‍तक का आनलाइन विमोचन करने की व्‍यवस्‍था की और वहीं पर श्री अनुराग जी के स्‍वर में शीर्षक कहानी ईस्‍ट इंडिया कम्‍पनी को अत्‍यंत प्रभावशाली तरीके से श्रोताओं को सुनवाया वहीं कहानी कलश पर ईस्‍ट इंडिया कम्‍पनी  पढ़वाया भी । सभी का आभार ।   प्रकाश के साथ तो दिन भर व्‍यतीत किया । आप सोच सकते हैं कि दो अत्‍यंत संकोची प्राणी किस प्रकार एक दूसरे के साथ दिन भर रहे होंगें ।  खैर बहुत अच्‍छा लगा प्रकाश के साथ दिन भर । मितभाषी लोगों के साथ रहना भी अच्‍छा होता है, सबसे अच्‍छी सुविधा तो ये होती है कि आप को ही बोलना है ।

इस बार दिल्‍ली की यात्रा के कारण होली नहीं हो पाई थी क्‍योकि वहां की तैयारियों में ही लगे रहे । खैर जब रंगपंचमी को सीहोर पहुंचे तो वहां रंग चल रहा था, सामान पटका और शामिल हो गये धमाल में । देर रात तक धमाल किया । यकीन न आये तो ऊपर ज्ञानपीठ के समारोह में खड़े अपने इस मित्र को नीचे के चित्रों में पहचान के बताइये जरा

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चलिये सभी का आभार कई लोगों के मेल मिले हैं कि ईस्‍ट इंडिया कम्‍पनी कैसे प्राप्‍त की जा सकती है । तो शहर के साहित्यिक पुस्‍तक केन्‍द्रों पर ये संभवत: इस माह के अंत तक आ जायेगी । या फिर भारतीय ज्ञानपीठ, 18, इंस्‍टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्‍ली 110003 फोन 24626467, 24654196, 24656201, 24698417 ये संपर्क कर मंगवाई जा सकती है । सभी का आभार, तरही के लिये मिसरा अगली पोस्‍ट में ।

22 टिप्‍पणियां:

  1. चलिये जी मुलाकात न हो सकी दिल्ली में । पर चित्रों के माध्यम से सारा विवरण पता चला था । बधाई बहुत बहुत

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  2. अर्श जी के ब्लॉग जी हमने आपके चित्र चुरा कर सेव कर लिए हैं ताकि सनद रहे और वक्त पे काम आयें...आप को पहचानना कौन मुश्किल काम है....जो इंसान अन्दर से भी उतना ही हंस रहा हो जितना बाहर से वो तुंरत पहचान में आ जाता है.
    तरही मुशायरा सफल रहा इसका प्रमाण ये है की उसी ग़ज़ल को जिसे आपने अपने अपने ब्लॉग पर लगाया था हमने जब अपने ब्लॉग पर लगाया तो पाठक वहां भी पढ़ कर हंसने चले आये...
    ज्ञान पीठ पुरूस्कार की एक बार फिर से ढेरों बधाईयाँ...
    नीरज

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  3. गुरूजी सादर प्रणाम,
    वो एक दिन मेरे जीवन के सबसे अहम् दिनों में शुमार है जब मैं आपके साथ था . कोई शब्द नहीं है मेरे पास के कुछ कहूँ उसके लिए .... सही कहा आपने के दो संकोची हा हा हा ... मुझे लगता है आप मेरे से ज्यादा है ... क्षमा चाहूँगा ये इल्ज़ाम लगाने के लिए... जबकि आपने ही मेरे से ज्यादा बोला ... आपका एक दिन मिला ये तो नवाजिश है मेरे ऊपर...के मुझे आपका आशीर्वाद मिला ... घर शकुशल पहुँच के खूब धमाल मचाया .आपने बहोत अच्छा लगा... आपको तथा सोनू जी को बधाई इसके लिए...


    अर्श

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  4. गुरु देव
    आपकी सारी फोटो देखी........बार बार देखी और लगा हमने वो कार्यक्रम मिस किया.............
    पर बार बार दिल गदगद हुवा ......लगा हम भी इस में भागीदार हैं
    बधाई एक और बार

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  5. स्नेह आशिष व हार्दिक बधाई सहित,
    आपकी बडी बहन,
    - लावण्या

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  6. सुबीर भाई हमें पता न था

    आप हमें मिलेंगे और भूलेंगे भी हमें ही

    आप साइकिल पर बैठ के पान की लाली चेहरे पर मल के

    सोच रहे हैं कि मलंग हैं मस्‍त हैं पर हम भी नहीं कम हैं

    हम याद दिला के मानेंगे

    आप पहचानिए हमें बिना चित्र के

    बतलाइए कौन हूं मैं

    और क्‍या मेरी आपसे कहीं मुलाकात हुई थी।

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  7. गुरु जी प्रणाम
    हमने कहानी कल ही पढ़ ली थी
    कहानी के अंत में लगा जैसे किसी ने सटा सट कोडे मार दिए हों
    साहित्य की ज्यादा जानकारी तो नहीं है मगर इतना जानता हूँ की अच्छी कहानी वही है जो आम जन को सोचने पर मजबूर कर दे जो लेखक सोचता है और आप इसमें सफल हुए है ऐसा मुझे लगता है

    मेरी बात दूकानदार से हो गई है पुस्तक कुछ दिन में मेरे हाँथ में होगी

    होली की फोटो ने तो आपका एक नया ही रूप प्रस्तुत किया ...मजेदार हा हा हा

    तरही मुशायरा के साथ-साथ क्लास भी तो लीजिये (इल्तिजा है)

    वीनस केसरी

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  8. होली वाली फोटो तो एकदम मस्त है!! क्या लग रहे हैं आप!! ज्ञानपीठ के लिये बहुत-बहुत बधाई।

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  9. भाई सुबीर जी,

    पुरस्कार की प्राप्ति , सम्मान में चार चाँद लगने जैसा ही तो है और फिर एक लेखक, कवी, शायर की यदि पुस्तक का विमोचन भी साथ ही हो जाय तो सोने पर सुहागा.

    होली के पावन पर्व पर यदि बाकी दिन खुशियों की रंगबिरंगी बारिस से सराबोर रहे तो रंगपंचमी पर दोस्तों , संगी-साथियों से कैसे अछूते रह सकते है.

    पहचान व्यक्ति की नहीं व्यक्तित्व की होती है, रंग-विरंग हो कितना भी अपने को छुपाना व्यक्तित्व चाहे तो भी नहीं छिप सकता, व्यक्तित्व उभर कर सामने आ ही जाता है.

    एक बार पुनः आपको बधाई........................................

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  10. गुरू जी ...तस्वीर देख मस्त हो गया हूँ।
    क्या झकास फोटू है...हाययययय
    वो रिक्शा है या कोई खटोला?

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  11. प्रणाम गुरु जी,
    आपको बहुत बहुत बधाइयाँ.........
    होली में डूबे हुए आप बहुत अच्छे लग रहे हैं.

    वीनस की बातों(क्लास) पे ध्यान दीजियेगा गुरु जी.........

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  12. आपको बार बार और अपार बधाई...!

    पुस्तक शीघ्र ही खरीदूँगी...!

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  13. ha ha ha ha hahaha.....wah ji holi me khub huddang huaa hai hahahaha.....maza aagaya

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  14. mere blog par aane ke liye dhanyewaad ..or ye meri dil se tamanna hai ki aap muje meri galtiya ginaye...jisse me apni lekhni me sudaar kar paau....ji namshkaar

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  15. वाह वाह.. खूब मनाई रंग-पंचमी.. कलर्ड बधाई..

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  16. गुरु जी प्रणाम
    आप हमेशा हमसे कहते है की कहाँ गुम हो जाते हो मगर हमें तो आपका ही पता नहीं चल रहा है की आप हैं कहा ?
    बात करनी चाही तो नोट रिचेबल--------- की ध्वनी सुनाई दी
    ब्लॉग पर भी सन्नाटा है
    आपका वीनस केसरी

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  17. hi...nice to go through your blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?

    now a days typing in an Indian language is not a big task...

    recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found .." quillpad ". do u use the same...?

    heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration..!?

    expressing our feelings in our own mother tongue is a great experience...so it is our duty to save, protect,popularize and communicate in our own mother tongue...
    try this, www.quillpad.in

    Jai...Ho....

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  18. सुबीर जी
    ज्ञान पीठ के आयोजन का विवरण पढ़कर बहुत अच्छा लगा। वैसे तो अर्श ने सारा हाल लिख दिया था लेकन आपके ब्लाग पर पढ़ने की उत्सुक्ता थी। आपने सच कहा है कि किसी चैनल वाले कामेडी सर्कस पर जो हास्य होता है वो तो वीभत्स हास्य रस की श्रेणी में आता है।
    हार्दिक बधाई सहित
    महावीर शर्मा

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  19. गुरूजी, तरही मुशायरे के मिसरे का इंतजार है।

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  20. गुरूदेव......गुरूदेव.....गुरूदेव....
    कहाँ हैं ?
    अँखियाँ दर्शन को प्यासी....

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  21. गुरु जी आपके बिना ये ब्लॉग जगत अधूरा है आप कहाँ है ???

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