आज बस एक छोटी सी पोस्ट क्योंकि बाकी का काम तो हिंद युग्म के मित्रों शैलेष भारतवासी जी और सजीव सारथी जी ने यहां http://hindi-khabar.hindyugm.com/2009/03/sheela-dixit-release-13-new-books-hindi.html कर ही दिया है । हिंद युग्म ने एक सुंदर सा ग्राफिक्स भी <a href="http://hindi-khabar.hindyugm.com/2009/03/sheela-dixit-release-13-new-books-hindi.html" target="_BLANK"><img src="http://i173.photobucket.com/albums/w76/bharatwasi001/gyanoday_vimochan.gif" title="Padhariye"/></a> बनाया है जो मेरे लिये सुखद है । मैं तो केवल आप सबको आमंत्रित कर रहा हूं कि 14 मार्च को सुबह 11 बजे आप सभी दिल्ली के हिंदी भवन में अपने इस मित्र का मान बढ़ाने के लिये पहुंचे । मेरे पहले कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी का विमोचन वहां भारतीय ज्ञानपीठ के आयोजन में होना है । दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित जी तथा श्री कुंवर नारायण जी के कर कमलों से ये विमोचन होना है । आप सब के आने से मेरा मान बढ़ेगा । मैं स्वयं भी आज शताब्दी एक्सप्रेस से निकल रहा हूं रात 11 तक दिल्ली पहुंच जाऊंगा ताकि कल सुबह के कार्यक्रम में शामिल हो सकूं । आप सब भी अपने मित्र का मान बढ़ाने पहुंचे ।
आपका ही सुबीर
गुरु जी सादर प्रणाम,
जवाब देंहटाएंआपका बेशब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ देल्ली में खुद दिल्ली और दिल्ली वाले...दिल्ली की धरती पे आपका हार्दिक स्वागत है..
आपका
अर्श
आमंत्रित करने का धन्यवाद, तन से न सही पर मन से अवश्य उपस्थित रहूंगा.
जवाब देंहटाएंईस्वर से प्रार्थना है कि भविष्य में भी आपको इसी तरह पुरष्कृत होने के मौके मिलते रहे.
चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाऐं!!!
जवाब देंहटाएंतन से न सही, मन से आपके साथ होंगे वहीं.
Ji Subir ji, Gyanoday aur Niraj ji ke blog se bhi is suchna ka pta chla... aapko bhot bhot BDHAI...!!Dusron ke prati jo aapke dil me safgoi aur imandari hai wahi aapki kamyabi ka raaz hai...ishvar aapko aur safalta de yahi kamna hai....!!
जवाब देंहटाएंआप की पुस्तक के लोकार्पण का कार्यक्रम सफल रहे, इसी शुभकामना के साथ आप सफलता की सीढियां चढते जाएं।
जवाब देंहटाएंयह सूचना और आपकी पुस्तक की संक्षिप्त चर्चा मुझे कल ही भारतीय ज्ञानपीठ के मासिक बुलेटिन ज्ञानपीठ समाचार से प्राप्त हुई | आपको बधाई और कार्यक्रम की शुभकामना |
जवाब देंहटाएंगुरुदेव हम तो सदा आपके साथ हैं...साया कैसे दूर रह सकता है भला....??? बहुत बहुत शुभकामनाएं...दिल्ली पर आप की पताका फेहरे और खूब फेहरे इसी कामना के साथ:
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत बहुत बधाई सुबीर जी, अनंत शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत स्वागत है पंकज जी ।
जवाब देंहटाएं" bhut bhut bdhaai or shubhkaamnayen"
जवाब देंहटाएंRegards
सुबीर भाई ,
जवाब देंहटाएंआपकी पुस्तक के विमोचन मेँ
हम भी वहीँ उपस्थित हैँ
ऐसा ही मानियेगा
बहुत खुशी है
और आपको ढेरोँ शुभकामनाएँ भेज रहे हैँ -
बधाई हो जी !!
- लावण्या
bahut bahut badhai aur shubhkaamnayen...
जवाब देंहटाएंआपकी पुस्तक "ईस्ट इंडिया कम्पनी" के विमोचन के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं. भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशन के कारण इस खबर पे चार चाँद लग गए हैं :) अगली बार भारत आयी तो यह पुस्तक ज़रूर खरीदूँगी. आपकी कलम नई ऊँचाइयों को छूए और लेखन मानव हृदय की गहराईयों तक पहुँचे.
जवाब देंहटाएंguru ji ko hardik badhaeeyan.....kshama ki aap ke dwara diya gaya pratham nimantran hi sweekar na kar saka.......par main aap ke saath hi hoon..........
जवाब देंहटाएंpustak ke liye punah sadhuwad.........
जवाब देंहटाएंguru जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत badhaai, pustak के vimochan की shubh kamnaayen
प्रणाम गुरु जी,
जवाब देंहटाएंशत शत बधाइयाँ, अर्श जी के ब्लॉग पे कुछ जानकारी मिल गई है बाकि आपसे जल्द ही मिलने की उम्मीद है.
अब तक तो आप वापस आ भी गये होंगे...! उम्मीद है कि जल्द ही दिल्ली के अनुभव हमसे बाँटे जायेंगे....!
जवाब देंहटाएंसर अद्भुत कहानी.....अभी-अभी पढ़ कत उठा हूँ। यहाँ दून का मेरा किताब वाला मेरी प्रति शाय्द कल तक ले आये....किंतु शिर्षक कहानी आज ही पढ़ गया हिंदी-युग्म पर।
जवाब देंहटाएंअब तारीफ़ में कुछ कहना .... आपकी कलम का जादू मानो नशा-सा कर गया है।
अदऽभुत शिल्प सर, अद्भुत !!!
पूरी कहानी में सधे हुये व्यंग्य-कटाक्ष से उस रेल-यात्रा को एकदम जीवंत सा कर दिया है और शिर्षक से जुड़ा हुआ सस्पेंस तो आखिरी शब्द तक बाँधे रहता है...
i satand in SAAWDHAAN and salute you with deepest of my respect