मंगलवार, 10 मार्च 2009

मिलिये राक्षसी खण्‍डेलवाल, नीरजा गोस्‍वामी, गौतमी राजरिशी, जोगन मौदगिल और कई कवियित्रिओं से, देखिये उड़नतश्‍तरी से आईं समीरा लाली का अनोखा चित्र और काव्‍य पाठ इस होली के तरही मुशायरे में ।

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें हम तो परेशान आ ही गये हैं इन सुसरी कवियित्रिओं की टीम के कारण अब बताओ कविता उविता तो कुछ कहती नहीं हैं बस ये है कि सजाई धजाई में लगी हैं । अरे जोन कहें सो तोन कहें सरोता गन तूमका देखे के लाबे नहीं आय रहे सूनबे के लाने आये हैं । और ये क्‍या कहें उड़नतश्‍तरी अभीन तलक पहूंची ही नहीं ई सुसरी भी जाने कहां कहां गुल खिलाती रहती है, जोन कहें सो तोन कहें एक दिन नाक कटाएगी ई हमारी, जाने कौन घड़ी में इसको हमने मंडली में शामिल किया था । काहे से हम घूंघट नहीं उठा सकते, नहीं कौनो से सरम नहीं है पर हम गंजी है ना सो हम सर पे पल्‍लू रखती हैं । ई हमार दोनों असिस्‍टेंट हवलदार रमेश हठीला और ऊ सोना बाई कहां हैं । ए सोना बुला तो हवलदार को, कहो के यहीं खड़े रहे कवियित्रियां आ रहीं हैं सज धज के कौनहु का भरोसा नाहीं है  ।

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हवलदार रमेश हठीला                           सोना बाई

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें चलो री मोडि़यों चालू करो तो तुम्‍हारी कविता फविता । ए री कौन सुरू करेगी कार्यक्रम । चल री अरशिया बाई तू ही कर चालू मालूम है न तरही मुशायरा है तुम्‍हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं पर ।

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परकाशी बाई अरशिया :  मेरे हाथों में नौ नौ ........

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें मुजरा नहीं करना है गजल पढ़नी है गजल ।

परकाशी बाई अरशिया : छिमा करो हम भूल गईं थीं ।

सडान्धों  मे जो दिन हमने निकले याद आते है
तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते है

अम्मा ने परोसा जब आलू और बैगन के
पकोडे संग ममता के निवाले याद आते है .

कभी गोबर कभी नाली मे सनके थे खड़े तनके
कहानी पर सडे अंडे ही वाले याद आते है

आया फाग रे भैया गावो आज भी होरी
पिटे थे जो हमने ढोल-झाले याद आते है

जो की थी मैंने शैतानी पिलाया था सभी को भंग
मगर भौजी की गारी,गोरे-गाले याद आते है

सभी मिलते है खेलते है पीते है पिलाते है
मेरे गाँव के सारे भोले भले याद आते है

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें चलो री सब खी खी क्‍यों कर रही हो ताली ठोंकों । चल री अरशिया पढ़ दी ना तूने अब छोड़ माइक को । अरे केसरिया वीनस बाबा तुम कहां इधर छोकरियों में घुसे आ रहे हो जोन कहें सो तोन कहें । चलो अच्‍छा पढ़ लो तुम भी एक पर जल्‍दी छोड़ना माइक ।

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केसरिया वीनस बाबा : अब बुढ़ापे के कारण ज्‍यादा नहीं पढ़ पाता तीन चार शेर पेल रहा हूं

जिन्हें दिन रात मंदिर औ शिवाले याद आते है
जो होली हो उन्हें भी मय के प्याले याद आते है
डुबो कर जिसमे तुम होली में सबको शुद्ध करते हो
तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं
ये होली भी अजब त्यौहार है जिसमे न जाने क्यों
बुजुर्गों को जवानी के रिसाले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें  बुढ़ऊ को इस समर में भी जवानी के रिसाले याद आ रहे हैं । चलो हटो जी आने दो हमारी छो‍करियों को, तुमको देख के श्रोता भाग जाएंगें । चल री नसवारी छीन तो बुढ़ऊ से माइक और हो जा शुरू ।

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दिगम्‍बरी बाई नसवारी दुबई वाली :  हम तो दुबई से इत्‍ती अच्‍छी कविता लाई हैं कि बस ।

 सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें  पर इत्‍ते छोटे कपड़े पहन के क्‍यों आई है ।

दिगम्‍बरी बाई नसवारी दुबई वाली : 

मुंहासों में जो अटके हाथ काले याद आते हैं
तुम्हारे साथ जो लम्हे निकाले याद आते हैं
जहां से छिप कर तुझे घूरते थे रोज़ ही हम
तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं
आज भी रंग तेरे गाल पर हूँ जब लगाता
कभी गुंडे थे जो मेरे वो साले याद आते हैं
दिया था पुलिस में उस रोज़ तेरे बाप ने जिनको
वो मेरे हम निवाला पिटने वाले याद आते हैं
साथ मिल कर गिराते थे भरे कीचड़ के टब में
वो मोटी तौंद वाले, गंजे लाले याद आते हैं
भांग चोरी से पी थी साथ में खाई थी गुजिया
पड़े थे लट्ठ पिछवाडे वो छाले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें अभी भी गंजे लाले याद आ रहे है मुई को । चल हट अलग नाक कटवा रही हो सब की सब जाने किस किस को याद कर रही हो । ए साधू बाबा कहां घुसे आ रहे हो यहां ।

शार्दूल महाराज नौगजा सिंगापुर वाले : बम बम हम सीधे सिंगापुर से आ रहे हैं कविता पढ़ने और पढ़ के ही जायेंगें कौन रोकेगा हमें ।

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें  नहीं रोकेंगें पढ़ लो तुम भी ए दिगम्‍बरी चल छोड़ दे माइक पढ़ लेन दे इनको भी इस उमर में भगवान के भजन की बजाय ग़ज़ल सूझ रही है ।

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शार्दूल महाराज नौगजा सिंगापुर वाले :

जो खोलूँ दूध के पैकेट, दही डब्बों का मैं खाऊँ
तो गोरी गाय, काली भैंसेंवाले याद आते हैं
जो निकलूँ बार से भरपूर इन मरदूद गलियों से
तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं
तुम जब बोलते हो बिन रुके दिन-रात घंटों तक
हाय! मुझको अलीगढ़ के वो ताले याद आते हैं
और खा-पी के जो खर्राटे भरते हो नगाडों से
फ़टीचर भोंपू , टूटे तबलेवाले याद आते हैं
रातों में ठिठुरती हैं जब भी सहसा मेरी बाहें
ओ माँ! तेरे बुने रंगीं दुशाले याद आते हैं
क्या खोया है विदेशों में कभी जब सोचती हूँ मैं 
तेरी गलियों के दिन इतवार वाले याद आते हैं !
होली की बात भी ना कर, तुझे भाभी की है सौगंध
देवर जी मुझे कश्मीर वाले याद आते हैं
वो जो घूमा किया करते लिए साईकिल मेरे पीछे
सुना है मेरे लिक्खे गीत वो अब तक भी गाते हैं
तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें अब हटो ई अपना तिरशूल लेके यहां से श्रोता डर रहे हैं । चल री गौतमी संभाल तो माइक । अरी गौतमी  कहां नैन मटक्‍का कर रही है श्रोता से चल आ जा माइक पे । और इत्‍ते दांत क्‍यों निकाल रही है मुई ग़ज़ल पढ़ ग़ज़ल । 

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गौतमी बाई राजरिशी दून वाली :  पढ़ तो रही हूं डांटती क्‍यों हो ।

वो सब वादे जो तू ने कर के टाले याद आते हैं
लबों के तेरे सब झूठे हवाले याद आते हैं
दमकती उस जवानी के उजाले याद आते हैं
किये आँखों से जितने भी निवाले याद आते हैं
निशाने ताक कर छेदे जिगर जिन से मेरे तू ने
तुम्हारी आँखों के मोटे वो भाले याद आते हैं
न अपने भाई से भिजवाओ कुछ,मुँह खोलता है जब
तुम्हारे शह्रभ के गंदे वो नाले याद आते हैं
उड़े थे चीथड़े जो भी तेरे आँगन की होली में
वो पैजामे वो कुर्ते छाप वाले याद आते हैं
बरस बीते पिटे मुझको तेरे उन मोटे मामों से
अभी भी तेरे बापू के वो साले याद आते हैं
नई जूती में अपना रौब यूँ उन पर जमा तो खूब
मगर तलवे के अब सारे वो छाले याद आते हैं
ये जाना जब कि वो तिरछी नजर है अस्ल  में ’तिरछी’
उन आँखों पर चढ़े ’रे-बैन’  काले याद आते हैं
लगाऊँगा तेरे गालों पे होली,सोचता हूँ जब
तेरी मम्मी ने है कुत्ते जो पाले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें किसके कुर्ते छाप वाले याद कर रही है कलमुंही । सब बी सब आज ठान के ही आई हो क्‍या कि मेरी नाक जड़ से ही कटवा के जाओगी । मना कर रही हूं फिर भी दांत निकाल रही है । अरे दूल्‍हे राजा तुम कहां घुस रहे हो । ये शादी का मंडप नहीं है मुशायरा चल रहा है ।

डंकी सफर पूना वाला :  तुम्‍हारी सौं भौजी एक पढ़ लेन दो । कल नौकरी मिली है तब से ही दूल्‍हे की ड्रेस पहन के घूम रहा हूं । कोई तो मिलेगी । इधर भोत सारी इकट्ठी हैं शायद ग़ज़ल सुनकर कोई पसंद कर ले ।

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें शहर बसा नहीं लुटेरे पहले ही आ गये । चल पढ़ ले तू भी ।

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डंकी सफर पूना वाला : 

तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं.
उसी से भर के गुब्बारे उछाले याद आते हैं.
पकोडे मुफ्त के खाए थे जो दावत में तुम्हारी,
बड़ी दिक्कत हुई अब तक मसाले याद आते हैं.
भला मैं भूल सकता हूँ, तेरे उस खंडहर घर को,
वहां की छिपकली मकड़ी के जाले याद आते हैं.
बड़ी मुश्किल से पहचाना तुझे जालिम मैं भूतों  में,
वो वो चेहरे लाल पीले नीले काले  याद आते हैं.
कोई भी रंग न छोड़ा तुझे रंगा सभी से ही
तेरी उफ, हर अदा  के वो उजाले याद आते हैं.

 

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें शादी करने निकला है और मकड़ी के जाले छिपकली याद कर रहा है । अरे क्‍या छिपकली से करेगा शादी । चल छोड़ माइक को । जोगशी बर्मी बैंक वाली  कहां है बुलाओ उसे ।

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सुबीरा बाई सीहोर वाली :  जोन कहें सो तोन कहें तुम सब आज क्‍या मल्लिका शेरावत से मुकाबला करने को निकली हो । इससे छोटे कपड़े नहीं मिले क्‍या ।

जोगशी बर्मी बैंक वाली  : जो मिले पहन लिये पता है दिल्‍ली में कितनी गर्मी पड़ रही है । तुमको ग़ज़ल सुननी है कि कपड़ देखने हैं ।

तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं

घुटा जाता है दम मिलता नहीं है चैन खुशबू में
मिले तकदीर से झरने , जो काले याद आते हैं

हमीं से ब्लेकमेलिंग कर हमीं से छीन कर पैसे
चरस गांजा जो पीते थे वो साले याद आते हैं

किनारे बैठ कर नालों की खुशबु सूंघते अक्सर ,    
भरे थे जो लबालब माय के प्याले याद आते है 

और कभी मदहोश हो नालों में गिरकर
अजब से स्वाद, नालों के, मसाले याद आते हैं

कभी मुंडेर पर नालों की, बैठे बे-तकलूफ़ से 
जो हम ने पेट से "दस्त-ख़त "निकाले  याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली :  जोन कहें सो तोन कहें अरी बैंक वाली किसके दस्‍तखत निकाल के जालसाजी कर रही है । ऐ मुन्‍ना गुड्डू तुम कहां आ गये हियां । अरे जाओ अपनी अम्‍मा के पास जाओ हियां मुशायरा चल रहा है । क्‍या तुम भी ग़ज़ल पढ़ोगे, अरे बचुआ ये बच्‍चों का काम नहीं है । ए रोओ मत चलो पढ़ लो । ए बैंक वाली चल दे दे माइक बचुआ को ।

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कुकवि कांत पाण्‍डेय कानपुर वाले :   हम कोई बच्‍चे वच्‍चे नहीं है समझे ये तो हमारी अभी शादी हुई है सो हम ये कपड़े पहने हैं आपनी पत्‍नी को खुश करने के लिये । है क्‍या कि उसे बच्‍चे बहुत पसंद हैं ।

बुढ़ापे में कराये बाल काले याद आते हैं
मुझे करतब तुम्हारे सब निराले याद आते हैं
छुपे थे जिस जगह इक दिन तुम्हारे बाप के डर से
सड़ा, सीलन भरा कमरा वो जाले याद आते हैं
समोसे गर्म थे यारों लगी थी भूख जोरों की
इसी धुन में पड़े मुंह में जो छाले याद आते हैं
बड़े सब होटलों का खा लिया खाना मगर फ़िर भी
वो माँ के सील पर पीसे मसाले याद आते हैं
अभी जो हाल गंगा का बतायें क्या तुम्हे दिलवर
तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली :  जोन कहें सो तोन कहें चलो अब जाके घर समोसे खाओ और अबके ठंडे करके खाना । चले आते हैं जाने कहां कहां से ।  चल री  जोगन मौदगिल्‍ली पानीपत वाली  ले ले बच्‍चे से माइक और हो जा शुरू पानी पी के पानीपत के युद्ध में । संचालन की तो सोचना भी मत यहां तो मैं ही करूंगी । मालूम है कि तुझे भी संचालन का बहुत शौक है ।

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जोगन मौदगिल्‍ली पानीपत वाली  : हमें करना भी नहीं है संचालन एक तो पानीपत से आते आते वैसे ही थक गये हैं और उस पे तुम्‍हारे ताने । ज्‍यादा करोगी तो बिना पढ़े चले जायेंगें ।

तेरे अब्बू ने जो लटकाये ताले याद आते हैं
वो पहरेदारी जो करते थे साले याद आते हैं
वो टूटा नल वो गीला तौलिया वो फर्श की फिस्लन
लगे थे गुस्लखाने में वो जाले याद आते हैं
वो रमज़ानी के कोठे पै जो मुरगा बांग देता था
उसी के साथ में उगते उजाले याद आते हैं
कोइ उल्लू का पट्ठा एक दिन भी बांध ना पाया
तेरे सब पालतू कुत्ते वो काले याद आते हैं
बहुत रुसवा किया तूने हमेशा तोड़ कर वादे
मुझे अब भी वो वादों के हवाले याद आते हैं
वो टीटू-नीटू अब भी अल्लसुब्ह ही बैठते होंगें
तुम्हारे शहर के गंदे वो नाले याद आते हैं
जो थी हमने कही ग़ज़लें कि वो तो भूल बैठे हम
तेरे मामू ने जो लिक्खे मक़ाले याद आते हैं
तेरी अम्मां भी झुकती थी तेरा अब्बू भी झुकता था
तेरी दीवार के सैय्यद के आले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली :  जोन कहें सो तोन कहें क्‍या टीटू नीटू का लौटा लेके भागने का इरादा है । क्‍या पानीपत से यहां तक रेल की खिड़की से टीटू नीटू को ही रेल की पटरी के किनारे .... देखती आई है । अरी लड़कियों से मुम्‍बई की नीरजा  आई की नहीं आई । अरी समीरा तू कहां धींग धडांग कर रही है चुप कर बैठ तेरा भा लम्‍बर आयेगा । अरी नीरजा  चल आजा माइक पे ।

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नीरजा गऊ सुआमी मुम्‍बई वाली : हम तो भोत दूर से आई हैं हम तो खूब सारी सुना के ही बैठेंगीं । हो नहीं तो । हमारी पोशाक देख रहीं हैं ये रंग बिरंगी इस पे ही बीस हजार खर्च हो गये हैं । लो सुना हमारी गजक..... अरे ग़ज़ल ।

पिलायी भाँग होली में,वो प्याले याद आते हैं
गटर, पी कर गिरे जिनमें, निराले याद आते हैं
दुलत्ती मारते देखूं, गधों को जब ख़ुशी से मैं
निकम्मे सब मेरे कमबख्त, साले याद आते हैं
गले लगती हो जब खाकर, कभी आचार लहसुन का
तुम्हारे शहर के गंदे, वो नाले याद आते हैं
भगा लाया तिरे घर से, बनाने को तुझे बीवी
पढ़े थे अक्ल पर मेरी, वो ताले याद आते हैं
नमूने देखता हूँ जब अजायब घर में तो यारों
न जाने क्यूँ मुझे ससुराल वाले याद आते हैं
कभी तो पैंट फाड़ी और कभी सड़कों पे दौड़ाया
तिरी अम्‍मी ने जो कुत्‍ते, थे पाले याद आते हैं
सफेदी देख जब गोरी कहे अंकल मुझे 'नीरज'
जवानी के दिनों के बाल काले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली :  जोन कहें सो तोन कहें अरी बुढ़ापे में सफेदी नहीं आयेगी तो क्‍या आयेगा मुम्‍बई वाली । चल छोड़ माइक को आने दे देहरादून वाली संजना चतुर्वेदन को ।

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देहरादून वाली संजना चतुर्वेदन :  इत्‍ते बाद में हमारा नंबर आ रहा है हम नाराज हैं फिर भी सुन लो सुनाए देते हैं ।

तुम्हें  देखा  तो  फिर  अंडे उबाले याद आते हैं
सडे वो  कोयलों से  दाँत   काले  याद आते हैं
तुम्हारी जुल्फ़ जब भी  देखता हूँ बाकसम जानम
हवेली में लगे  मकडी  क़े  जाले  याद  आते हैं
खुदा ने नाक मेरी सालियों के मुँह पे यूँ फिट की
अलीगढ  में बने  जेलों के  ताले  याद आते हैं
तुम्हें परफ्यूम की खुश्बू में जब भी तरबतर देखा
तुम्हारे  शहर  के  गन्दे  वो  नाले याद आते हैं
कभी रिक्शों  के  टायर  झूलते  देखे दुकानों पर
तुम्हारे  कान  पर  लटके  वो बाले याद आते हैं
सजी बारात में देखी  जो  छप्पन भोग की थाली
वो ताऊ  हाथ  में  लोटा  सँभाले  याद आते हैं
वो गुझिया चिप्स पापड से  भरी थाली अगर देखूँ
अपच  पेंचिश  डकारें  और  छाले  याद आते हैं
वो काले दिल पे जब रँगों ने अपनी छाप छोडी तो
अन्धेरों   से   लडे  ऐसे   उजाले  याद  आते  हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली :  जोन कहें सो तोन कहें  कौन से ताऊ को याद कर रही है लोटे वाले । चल अब छोड़ भी दे माइक को अब आ रही हैं वाशिंगटन वाली राक्षसी खण्‍डेलवाल जरा नखरे तो देखो एसा लग रहा है कि अमरीका से नहीं सीधे आसमान से ही आ रहीं हैं । ठीक है भई अच्‍छे गीत लिखती है मगर क्‍या बाकी के घास चरते हैं । आजा बाई आजा ऐसे हाथ बांध के गुस्‍से में खड़े होने से काम नहीं चलेगा । चल आजा तेरे पीछे कनाडा वाली भी बची है ।

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 राक्षसी खण्‍डेलवाल वाशिंगटन वाली : तमीज से बुलाओ मेरे तीन चार रिसाले आ चुके हैं गरीब लोगों तुम्‍हारे पास तो एक भी रिसाला नहीं है । मेरे मुंह मत लगो । सुनना है तो सुन लो कविता पूरी है लम्‍बी लट्ट कविता ।

बहाईं थीं जहां फ़ाकिर ने कागज़ की कभी कश्ती
कि जिसके साहिलों पर मजनुऒं की बस्तियां बसतीं
जहां हसरत तमन्ना के गले को घोंट देती थी
लगा कर लोट जिसमें भेंस दिन भर थी पड़ी हँसती
हरे वो रंग पानी के औ: काले याद आते हैं
तुम्हारे शहर के वो गन्दे नाले याद आते हैं

नहीं मालूम था हमको मुहब्बत जब करी हमने
कि माशूका की गलियों में लुटेंगे इस कदर सपने
जो उसके भाईयों ने एक दिन रख कर हमें कांधे
किया मज़बूर उसमें था सुअर के साथ मिल रहने
हमें माशूक के वो छह जियाले याद आते हैं
तुम्हारे शहर के वो गंदे नाले याद आते हैं

कहां है गंध वैसी, सड़ चुकी जो मछलियों वाली
जहां पर देख हीरों को बजी फ़रहाद की ताली
जहां तन्हाईयों में इश्क का बेला महकता था
जहां पर रक्स करती थी समूचे गांव की साली
अभी तक झुटपुटों के वे उजाले याद आते हैं

तुम्हारे गांव के वे ग्म्दे नाले याद  आते हैं
किनारे टीन टप्पड़ का सिनेमाहाल इकलौता
जहां हीरो किया करता था हीरोइन से समझौता
जहां पर सब सिनेमा देखते थे बिन टिकट के ही
जहां उड़ता रहा था मालिकों के हाथ का तोता
हमें उनके निकलते वे दिवाले याद आते हैं
तुम्हारे शहर के वे गंदे नाले याद आते हैं

जहां पर एक दिन फ़रहाद ने शीरीं को छेड़ा था
निगाहे नाज की खातिर किया लम्बा बखेड़ा था
कहां पर चार कद्दावर जवानों ने उठा डंडा
मियां फ़रहाद की बखिया की तुरपन को उधेड़ा था
हमें फ़रहाद के अरमाँ निकाले याद आते हैं
तुम्हारे शहर के वे गंदे नाले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली :  जोन कहें सो तोन कहें  अरी अब छोड़ भी दे माइक को । अमरीका से आई है तो क्‍या रात भर तू ही पढ़ेगी । चल हट अब जनता शोर मचा रही है कनाडा वाली समीरा लल्‍ली  के लिये । अरी समीरा अब नखरे मत कर आजा माइक पे जनता तेरा नाम ले ले के चिल्‍ला रही है । लो भई ये आखिरी आइटम है इसे झेलो और सुनो ।

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समीरा लल्‍ली कनाडा वाली उड़ने वाली तश्‍तरी : गरीब लोगों जानते भी मेरी टीआरपी क्‍या है । अरे मैं तो छींक भी देती हूं तो टिप्‍पणियों की लाइन लग जाती है । गरीब जनता के गरीब लोगों तुम क्‍या जानो टिपपणियों की बौछार क्‍या होती है । एक एक टिप्‍पणियां मांगने वाले भिखारियों मेरे एक एक ठुमके पर हजार हजार टिप्‍पणियां आती हैं । चलो अब सुनो मेरी ये ग़ज़ल ।

तुम्हारे शहर के गंदे, वो नाले याद आते हैं
नहाते नंगे बच्चों के रिसाले याद आते हैं
था ऐसा ही तो इक नाला, तुम्हारे घर के आगे भी
हमें उसके ही किस्से अब, वो वाले याद आते हैं
तुम्हें छेड़ा था हमने बस ज़रा सा ही तो, नाले पर
पिटे फिर जिनके हाथों से वो साले याद आते हैं
तुम्हारा घर था बाज़ू से, नज़र दीवार से आता
हमें उस पर लगे, मकड़ी के जाले याद आते हैं.
हाँ छिप कर पेड़ के पीछे, नज़र रखते थे हम तुम पर
तुम्हारे गाल गुलगुल्ले, गुलाले याद आते हैं.
नशा नज़रों का तुम्हारा, उतारा बाप ने सारा
हमें रम का मज़ा देते, दो प्याले याद आते हैं
मिटा दी हर रुकावट हमने, अपने बीच की सारी
लगाये बाप ने तुम पर जो ताले, याद आते हैं
अँगूठी तुमको पीतल की, टिका कर उसने भरमाया
जो तुमने हमको लौटाए, वो बाले याद आते हैं
चली क्या चाल तुमने भी, जो कर ली गै़र संग शादी
हमें गुज़रे ज़माने के, घोटाले याद आते हैं.
जिगर को लाल करने को, गुलाल दिल पे था डाला
चलाए नज़रों से तुमने, वो भाले याद आते हैं 
अँधेरी रात थी वो घुप्प और बिजली नदारत थी
समीर’ भागे थे जिन रस्तों से, काले याद आते हैं

सुबीरा बाई सीहोर वाली : जोन कहें सो तोन कहें चलो अब खत्‍म करो काम । होली की शुभकामनाएं । हमारे पास तो कुछ नहीं है सुनाने को हम तो कोठे की मुन्‍नी बाई हैं जो खुद कुछ नहीं करती बस बैठे बैठे सुपारी काटती है और पान खाती है । सभी को होली की शुभकामाएं खुश रहो आनंद करों । कल होली है रंगों से आपका जीवन सदा ही रंगो से भरा रहे ।

59 टिप्‍पणियां:

  1. वाह पंकज जी वाह...
    सिद्ध कर दिया आपने की आप सबके गुरु हैं....


    हमें रम का मज़ा देते दो प्याले याद आते हैं...
    हिच्च हिच्च...मज़ा आ गया

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  2. सुबीरा बाई के कोठे पर सुबह से लगी भीड़ देखकर ही समझ गया था कि आज कुछ मस्त प्रोग्राम है। हंसते-हंसते पेट में बल पड़ गये।

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  3. बहुत खूब साहब...
    आनंद आया इस होली की तरंग वाले मुशायरे में ....
    होली मुबारक हो...

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  4. वाह वाह, इससे अच्छा मुशायरा तो हो ही नहीं सकता था, सच कह रहे हैं मुन्नी बाई पैसा वसूल हो गया, समीरा लल्ली तो इत्ती क्युट लग रही हैं एकदम नयी नवेली दुल्हिन सी।
    ही ही ही, बड़िया कोन्सेप्ट्…॥आप सभी कुमारियों को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  5. हा हा हा हा ... उफ्फ्फ्फ्फ़ ,क्या कमाल का है .... मजा आगया .. सारे के सारे ... को किधर से पकड़ के लाये हो सिहोरिया वाली बाई.. आप भी बड़ी खुबसूरत लग रही हो.. आये हाय कहीं नजर ना लग जाए ऐसी नाजनीन को अरे कोई काजल तो लगा तो मुई को ... आपको भी होली चंगे बधाईयाँ जी... खूब काटो सुपारी और मुह में पान चबावो... आगली बार मुझे जरुर बुलाना. अपने साथ दो चार और को लेके आउंगी कम पड़ी इस बार तो ... वो भी ससुरी कमाल के करती है ... बढ़ाई हो होली के मेरे तरफ से...


    अरशिया...

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  6. दुल्हे राजा तो इत्ते सुंदर लग रहे हैं कि इनकी शादी तो हुई समझो…।:)

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  7. बुरा न मानो होली है अच्छा फायदा उठा रहें हैं । फोटो देखकर हंसी थमती ही नहीं । सच में मजा आ गया । होली है बधाई

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  8. वाह वाह सुबीर जी आपके इस कवियत्री सम्मलेन में तो मज़ा आ गया .अब होली तो हो ही नहीं पा रही तो अपनी तो होली आपका और nee raj जी का ब्लॉग देख कर ही हो गई .आप सबको होली की ढेर सी शुभ कामनाएं .

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  9. " ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha buraa na mano holi hai....fantastic.."

    चन्दन की खुशबु
    रेशम का हार
    सावन की सुगंध
    बारिश की फुहार
    राधा की उम्मीद
    "कन्हैया' का प्यार
    मुबारक हो आपको
    होली का त्यौहार
    regards

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  10. हम सच में पूरे होलिया गए हैं....क्या मुशायरे की पेशकश है...सुभानाल्लाह....ऐसा मुशायरा न कभी देखा न पढ़ा न सुना...कैसे कैसे बौड़म शायरों को आपने एक मंच पर इकठ्ठा किया है वाह....गधे घोडे सब एक साथ...ठुमके लगाते नाचते गाते हसीन शायर/शायरा पहली बार देखे...कमाल कर दिया है...जब सारे के सारे शायर एक से बढ कर एक, अपनी मूर्खता सिद्ध करने की कोशिश में लगे हों वहां कौन अधिक है कौन कम (मूर्ख) का निर्धारण श्रोता कैसे करेंगे ये ही सोच रहे हैं...
    धमाके दार प्रस्तुति...जय हो...सफलतम आयोजन.

    नीरज

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  11. सभीका आभार इस पोस्‍ट को बनाने में सुबह सात बजे से लेकर इसे पोस्‍ट करने तक अर्थात ढाई बजे तक की एक सिटिंग लगी है । लगभग सात घंटे की मेहनत से बनी है ये । आप सबको पसंद आ रही है मेरी मेहनत सफल हो गई । सभीको होली की शुभकामनाएं ।

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  12. subeer ji

    kya kahun main

    aap to wakai men sabke guur ho . mera pranaam sweekar karen ..

    sir ji kya dhaamakedaar post hai , wah ji wah ,, holi to yahan jami hui hai . wah ji wah

    aapko dero badhai ho .

    aapka
    vijay

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  13. आई होली ख़ुशी का ले के पयाम

    डा अहमद अली बर्क़ी आज़मी





    आई होली ख़ुशी का ले के पयाम

    आप सब दोस्तोँ को मेरा सलाम



    सब हैँ सरशार कैफो मस्ती मेँ

    आज की है बहुत हसीँ यह शाम



    सब रहेँ ख़ुश युँही दोआ है मेरी

    हर कोई दूसरोँ के आए काम



    भाईचारे की हो फ़जा़ ऐसी

    बादा-ए इश्क़ का पिएँ सब जाम



    हो न तफरीक़ कोई मज़हब की

    जश्न की यह फ़ज़ा हो हर सू आम



    अम्न और शान्ती का हो माहोल

    जंग का कोई भी न ले अब नाम



    रंग मे अब पडे न कोई भंग

    सब करेँ एक दूसरे को सलाम



    रहें मिल जुल के लोग आपस मेँ

    मेरा अहमद अली यही है पयाम

    http://aabarqi.webs.com

    http://draabarqi.tripod.com

    http://aabarqi.blogspot.com

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  14. सुपर्ब ! एकदम लाजवाब !

    सबकी दीठ उतार दी मैंने...कहीं इन नाजुक सुन्दर चेहरों को नज़र न लग जाए....

    चारों और से रंगों की ऐसी बौछार हुई कि सतरंगी रंगों की झील ही बन गयी....हम तो बस डूब उतरा रहे हैं....

    रंग रंगीला मनमोहक मुशायरा...

    सभीको रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामना..

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  15. vah vah ab laga ki aaj sach me holi hai aapne to kamaal kar dya parshansa ke liye shabd hi nahin mil rahe bahut lajvaab ahi badhai holi mubarak

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  16. इससे ज़ोरदार पेशकश तो पहले कभी न देखी, चेमेली कहाँ थी री!
    होली के पावन त्योहार पर हार्दिक बधाई!

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  17. वाह सुबीर भईया मजा आई गवा।

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  18. हे प्रभु आप तो साची में महान है...क्या लिखें हँसते-हँसते बुरा हाल हो गया, बुरा न मानो भाई होली है :)

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  19. शानदार! धांसू च फ़ांसू! पैसा वसूल!

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  20. हा हा हा!! सभी एक से एखा टल्लियाँ है लल्ली के साथ. होली का तो मजा ही आ गया.

    मास्साब, गज़ब मेहनत की है-मजा लगवाए दिये.

    जय हो!! होली मुबारक!!

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  21. मजा आ गया, भई।
    सबसे खब सूरत तो समीरा लल्ली पाई गई।

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  22. कमाल कर दिया सुबीर जी। मुशायरा, नौटंकी, मुजरा - आल इन वन! ग़ज़ब की पोस्ट है।
    जो न पढ़े वह भी पछताए, और जो पढ़े वह भी पछताए! जो पढ़ेगा तो साफ़ है कि ऐसा अजूबा बीवी को दिखाए बिना नहीं रहेगा। बस, यही बार बार पढ़ कर लोटपोट होते रहेंगे, खाने की छुट्टी।
    होली मुबारक हो!

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  23. वाह, सुबीर जी,
    बहुत ही शानदार प्रस्तुति
    प्रणाम...!!!
    होली की राम-राम..
    फाग की श्याम-श्याम..

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  24. वाह साब हम तो पढ़कर गिल्ल हो गए ....... बहुत बढ़िया . होली पर्व की हार्दिक शुभकामना

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  25. bahut khooob! me to ek baar dar hi gaya tha ki kahin isme me to nahi hoon...

    but thank god filhaal me bacha hua hoon.

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  26. yah to bahut khuub rang birangi vastav mein holimay..holiya post hai..jawab nahin holiyayeee gazalon ka bhi.
    holi ki rang birangi shubhkamnayen sabhi ke liye-

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  27. गुरु देव
    प्रणाम और होली की शुभ कामनाएं
    इतनी मजदर पोस्ट न आजतक पढ़ी और न आज तक देखी, आपकी इतनी मेहनत और कुशल प्रशासन की वजह से ही यह संभव हुवा है. संजो कर रखने वाली पोस्ट है यह. एक से बढ़ कर एक हास्य, रंगों के साथ साथ हंसी के फुव्वारे भी चल रहे हैं, ये काम यो बस गुरुओं के बस का ही है.

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  28. maza aa gaya sahab ye sab dekh aur pad kar


    होली की मुबारकबाद,पिछले कई दिनों से हम एक श्रंखला चला रहे हैं "रंग बरसे आप झूमे " आज उसके समापन अवसर पर हम आपको होली मनाने अपने ब्लॉग पर आमंत्रित करते हैं .अपनी अपनी डगर । उम्मीद है आप आकर रंगों का एहसास करेंगे और अपने विचारों से हमें अवगत कराएंगे .sarparast.blogspot.com

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  29. होली की शुभकामनयें गुरु जी और हठीला जी को,

    मस्त लग रहे हो गुरु जी आप तो, pallu sir पे samhale rakhna............

    gautam जी तो pehchaan में ही नहीं aa रहे............maza aa गया, sachmuch.............

    मुझे तो आप dulha bana के ही chorenge ..

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  30. पुरी होली है जमी है यहां...एक से बढ़कर एक..

    होली की शुभकामनाऐं

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  31. सभी को -- होली की सपरिवार शुभकामनाएँ ....
    बहुत बढिया जी

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  32. बहुत हँसी आई पढ़ कर, देख कर। सचमुच होली के रंग से सराबोर।

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  33. बहुत बढिया लिंग परिवर्तन सम्मेलन:) इस श्रम को नमन॥

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  34. हा हा हा
    गुरु जी प्रणाम
    आज तो गजल पढने के पहले सब फोटो देखि मजा आ गया फोटोशॉप का बहुत अच्चा प्रयोग देखने को मिला

    हा हा हा मजा आ गया

    गजल भी सब ऐसी ऐसी पेली की बस पूछिए मत
    लगा जैसे सब के सब भंग पेल के आये थें और जून पाए वही ठेल के निकल लिये

    जोन कहे सो तोन कहे
    हा हा हा इ का बवाल है

    अब हम अपने आप को खुह्नसीब समझें या बदनसीब की सबसे साफ़ सुथरी फोटो हमारी ही थी

    हे हे हे

    अब हमको तो नहीं लगता की होली की इस हुडदंगी मुशायरे में भी आप हासिल शेर खोजियेगा मगर हम बताये देते है हासिल फोटो तो समीरा बाई का ही होगा हे हे हे

    आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं
    आपका वीनस केसरी

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  35. bhai shri pankaj subeer ji
    namastey,

    As suggestedd bu shri neeraj goswami ji, i managed to go through your holy festival oriented items and enjoyed the same.

    this is very good holy celegrations by yoy and really need appreciation.
    with regards,
    -om sapra, delhi-9
    9818180932

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  36. ये रह गया था सो ये भी ठेलते चले

    आपके तरही मुशायरे के लिए तो बस यही कह सकते है की

    रंगने का उनको मौका हम सरकारी खोजते रहे
    उसने मल दी कालिख हम पिचकारी खोजते रहे

    आपका वीनस केसरी

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  37. जो तो भैया गजबई कर दओ. मोहे नै मालूम हतो कि ऐसी ऐसी कवियित्रियों पे कुंडली मारे जामे हौ आप-? अब समझ में आई के कवियित्रियों को टोटा काय पारो आय. कछू हमें सुई गुरु-मंतर मिल जाय प्रभु-!!!!!!!
    holee mubaarak........

    आनंदकृष्ण, जबलपुर

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  38. हाय हाय हाय । का पोस्ट जड़ी सुबीर गुरू ! अपनी नजर तो फर्स्ट प्रथम उतरवा लैयो । काहे से के आपै खों लगबे की संभाबना है। समीरा बाई लल्ली के संगे फ़ाग तो अब्बै थोड़ी देर पैले सुनके आए हैं। हा हा

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  39. चलेगा ज़िक्र होली का कभी चिट्ठों की दुनिया में
    कहेंगे सब कि अब सीहोर वाले याद आते हैं

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  40. हा....हा....हा....मज़ेदार ...
    खूब मेहनत की है आपने....

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  41. हा हा हा हा हा हा हा हा

    बहुत खूब. इसे कहते हैं सच्ची ब्लोग्गारी होली.

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  42. अब जौन कहे सो तौन कहे--- होली के सब रंग दिए दिखाई--- सिहोर वाली सुबीरा बाई--- अब हमसे भी ले लो रंगीन होली की रंगीन बधाई!!!

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  43. आपने चला दी होली में-सब पर रंगों की गोली, खुशियों से भर दी सबकी झोली

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  44. वाह सुबीरा बाई जी, कित्ती ब्यूटीफूल !!
    और लगें थारी बातें हमको इत्ती कूल :)
    कहें तो जोग छोड़ दें
    राह सिरोहे की लें :)
    --- तिरसूल वाले बाबा . . .जिनको आपने फूल बनाया :)
    --- कित्ता कित्ता मना किया . . . फिर भी गीत गवाया :)

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  45. हा हा हा ये तो मज़ा आगया। बहुत बढ़िया अंदाज़ है । होली की शुभकामनाएँ।

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  46. सुबिरा बाई को सलाम और उनके कलाम को भी . बड़ी कमाल की कवित्रिया इक्कठी की आपने . समीरा लाली का क्या कहना उनका ओरिजनल फोटू आज उनके ब्लॉग पर कमाल लग रहा है

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  47. सचमुच लग रहा है कि सुबीर जी के सौजन्य से हिन्दी ब्लॉगजगत को पूरा होलियाना रंग चढ़ गया है.
    आर्टवर्क की प्रस्तुति, कंसेप्ट भी कमाल का है.

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  48. subir ji der se aaya hun parantu maza poora liya hun ,vastav adbhut programme na dekha na suna, aapko itni mehnat ke liye bahut-2 dhanyawaad aur badhai ke saath holi ki vishesh shubhkaamnaayen.

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  49. हे भगवान............मैं तो आज ठीक से देख पाया हूं....मुझे तो पता ही नहीं था कि मैं इतनी हसीन हूँ...
    गुरू जी अद्‍भुत...दावे के साथ कह सकता हूँ कि संपूर्ण ब्लौग-जगत में ऐसी कलाकारी इतनी मेहनत से आज तक कोई पोस्ट नहीं लिखी गयी होगी..
    मैं और आपकी बहूरानी दोनों बस देखते जा रहे हैं और हंस-हंस के बेदम हो चुके हैं....
    तुस्सी ग्रेट हो मास्स्साब

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  50. आपकी इस पोस्‍ट ने तो समूचे चिट्ठा जगत को रंगीन कर दिया। वे सब सम्‍मानित हुए जिन्‍हें आपने स्‍थान दिया और पाठकों के आनन्‍द की तो कोई सीमा ही नहीं रही।

    चिट्ठाकारों का 'टिपिया सम्‍मेलन' (टेपा सम्‍मेलन नहीं) करवाने का आजीवन जिम्‍मा अब आपका रहा।

    आपने सचमुच में अत्‍यधिक परिश्रम किया और अपनी अद्भुत कल्‍पनाशीलता का कल्‍पनातीत उपयोग। आपके इन दोनों 'कारकों' को नमन, अभिनन्‍दन।

    आप सचमुच में 'मास्‍टर' हैं।

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  51. लगाते हैं पोस्‍ट तो टिप्‍पणी करने वाले याद आते हैं
    ब्‍लॉग्‍वाणी पर पसंद चटकाने की फरियाद ले आते हैं।

    एक से एक कौए हैं सभी, बने बैठे हैं बगुले श्‍वेत
    हंस याद आते हैं, मुए रो रोकर उधम मचाते हैं।

    रोते हैं चिल्‍लाते हैं सभी, अब टिप्‍पणियों में गाते हैं
    पोस्‍ट लगा पसंद चटकायें, चैटबॉक्‍स में लिंक चिपकाते हैं।

    हमें तुम तुम्‍हें हम सब गलत हैं भैया जी, माउस हैं
    पोस्‍टें, टिप्‍पणी और पसंद पर बैठे सब चूहे याद आते हैं।।

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  52. सुबीर जी,
    ब्लॉग वाणी के ब्लोगरों को इससे बड़ा तोहफा होली पर और क्या मिल सकता है कि कोठे पर कई जनानियों के नाला पाठ हो गए. पर जिस तरह के मेकप , गेटअप थे लगा कि जिक्र नाले के बजाय ब्लॉग सुन्दरी का होना चाहिए था. खैर ये तो होली है , भंग के नशे में किसे होश है कि क्या बकना है, क्या दिखाना है?

    फिर भी इस ............में जो भी गलती से गुजरा, लाजवाब लगा.

    अतिउत्तम प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

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  53. ये होली के नाले तो गजब के थे, हम तो हंस हंस के लोटपोट हो गए...क्या चकाचक लग रही हैं आपकी लल्लियाँ...इसको कहते हैं होली मुशायरा...दिल खुश हो गया. आप खूब सुपारी कतरो और खाओ. हैप्पी होली हो गयी और क्या चाहिए.

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  54. गज़ब..मज़ा आ गया...
    पहली बार ऐसे मुशायरे में शामिल हुआ...
    क्या मेहनत की है आपने और किस अलग अंदाज़ में प्रस्तुत किया है..
    जय हो जय हो..
    होली की शुभकामनाएं

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  55. गले गर्दूं से मिल के शक्कर नमकीन हो गई
    बहुत होलियाये सुबीरा बज्म रंगीन हो गई
    बधाई ,शुभ कामनाए

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  56. बाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽप रे इतनी साऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽरी कवयित्रियाँऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ....अच्छा हुआ कि हम जैसे कवि छुट्टी पर थे, वरना तो.......!

    बुत मेहनत के बाद आई बहुत ही सार्थक पोस्ट.....! वाक़ई......! होली हो गई...!

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