सोमवार, 28 जुलाई 2008

शेर अच्‍छा बुरा नहीं होता, या तो होता है या नहीं होता

चलिये अब जब वापस आ ही गए हैं तो अपनी कक्षा की जुगत को भी फिर से बिठाया जाए और कुछ नई बातें की जाएं वो बातें जो कि अभी तक छूटी हुई हैं और जिनके बारे में आपको बताना अभी तक बाकी रह गया है । आज जो मुखड़ा लगाया है ये शेर भी उस दिन के मुशायरे में सुना था और अच्‍छा लगा सो आपको सुना रहा हूं । श्‍ोर क्‍या है ग़ज़ल की पूरी कहानी है बात वही है जो मैं कब से कह रहा हूं कि शेर तो वही होता है जो तीर के जैसे उतर जाता है । और जो नहीं उतर पाए तो उस शेर को फाड़ कर फैंक दो कयोंकि जो आपको खुद को पसंद नहीं आ रहा हैं वो दूसरे को क्‍या पसंद आएगा । और हां एक बात और जान लें वो ये कि जब भी ग़ज़ल लिखें तो वैसे तो कई सारे शेर बनाएं लेकिन जब आप ग़ज़ल पर अंतिम रूप से काम कर रहे हों तो जान लें कि उनमें से आपको केवल पांच या छ: ही रखने हैं बाकी के हटा दें क्‍योंकि कई बार हम ग़ज़ल में लालच के कारण दस बारह शेर बना लेते हैं और उनको रख भी लेते हैं ये हमारे लिये ही परेशानी का कारण बन जाता है क्‍योंकि लोग हमारी ग़ज़ल से ऊब जाते हैं । और फिर एक ही ग़ज़ल में दस शेर निकालना और वो भी सारे ही सुनने लायक निकालना ये भी हर किसी के बस की नहीं है । हम लालच में कमजोर शेरों को भी शामिल रखते हैं और ये श्‍ोर ही हमारी पूरी ग़ज़ल को कमजोर कर देते हैं ।

ग़ज़ल इन दिनों एक अजीब से ही दौर से गुज़र रही है किताबों में जो जो ग़ज़लें छप रहीं हैं वे ग़ज़लें किसी भी सूरत से ना तो भाव और ना ही व्‍याकरण की दृष्टि से मुकम्‍मल होती है पर बात वही हैं कि छप जाए तो फिर क्‍या कहना ।  मैं जो कुछ भी कर रहा हूं वो भी इसलिये ही कर रहा हूं कि कम से कम लोगों को पता तो चले कि बात क्‍या है । अव्‍वल तो उस्‍ताद लोग ये तो बताते हैं कि भ्‍ाई ग़ज़ल बेबहर है पर ये नहीं बताते कि किस कारण से ऐसा कहा जा रहा है । बहर को लेकर कई सारी भ्रांतियां भी हैं । वैसे एक बात आज बताना चाहता हूं वो ये कि गजल तो वास्‍तव में एक बात है जो कि दो पंक्तियों में पूरी होती है । आपने पहले एक लाइन कही और फिर अपनी लाइन को पूरा करने के लिये दूसरी लाइन कही । अब ध्‍यान ये रहे कि पहली पंक्ति अपने आप में पूरी हो और दूसरी उसे और पूरा कर रही हो । इसके लिये जब भी आप ग़ज़ल का कोई शेर निकाल रहे हों तो ध्‍यान दें कि पहले दोनों पंक्तियों को गद्य में लिख लें और देखें कि क्‍या आपकी बात पूरी हो रही है । अगर हो जाए तो फिर उसे शेर में बदल दें और उसके बाद ही उस पर काम करें । यदि आप अपनी बात गद्य में ही नहीं कह पा रहे तो पद्य में तो और मुश्किल हो जाएगी ।

डॉ राकेश खंडेलवाल  जी का आभारी हूं और आभारी होने के पीछे कारण ये है कि कुछ दिनों से मुझे  गर्दन और पीठ में परेशानी हो रही थी । खंडेलवाल जी ने सलाह दी के मानीटर को ऊंचाई पर रख कर काम करिये । उससे मेरी समस्‍या काफी हल हो गई है । डाक्‍टर साहब की फीस उधार है मिलने पर दी जाएगी ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. पंकज भाई
    बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के लिए साधुवाद. आप सच कहते हैं ज्यादा शेर कहने के चक्कर में ग़ज़ल का हम जैसे नौसिखिये लोग कचरा कर देते हैं. आप आ गए सिखाने फ़िर से तो समझिये नूर आ गया है...गलतफेमियों के अंधेरे छटने शुरू हो गए हैं...
    राकेश जी के ज्ञान से मुझे भी तुंरत फायदा हुआ है मैंने भी अपने मोनिटर को ऊपर कर दिया है, गर्दन दर्द की हलकी सी समस्या मुझे भी आ रही थी.....मुझे नहीं मालूम था की राकेश भाई जिनती सुंदर कविता कहते हैं उतने कारगर डाक्टर भी हैं...
    नीरज

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  2. बहुत बहुत हमेशा की तरह ज्ञानवर्धन का आभार. आप नियमित आ रहे हैं, बड़ा सुखद अनुभव है.

    आपकी तबीयत बेहतर लग रही है, राकेश भाई का कमाल है. उनकी सलाह पर हम भी कई दिन साईटिका के दर्द में जमीन पर लम्बलेट रहे, बहुत आराम मिला.

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  3. गुरू जी को ह्रदय से धन्यवाद,
    मैं नियमित रहूंगा.कुछ सवाल से थे मन में.मैं आपको मेल कर पूछ सकता हूँ क्या?आप बहुत व्यस्त रहते होंगे.अपनी एक-दो रचनायें जो हैं तो बेबहर लेकिन आपको सुनाने की इच्छा थी,जो आप इजाजत दें

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  4. guru ji pranaam,
    aaj bhi ek ummed ke saath aaya tha jo poori nahi hui

    ab to bas ye hi kah sakta hoo

    roz wo mere imyehaan lete hai
    aur roz mai fail ho jata hoo..................venus kesari

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  5. pankaj ji
    shri varun kapur ji per apko padha is bahaane apse mulakaat hui nahi to hum apas men rubaru bhi nahin hote the.

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  6. बात ही बात में गज़लें वो सिखा देते हैं
    इस बहाने से कवायद भी करा देते हैं
    दर्द सीने में अगर हो तो दवा पास नहीं
    बाकी दर्दों की खुले हाथ दवा देते हैं
    आप ऐसे ही क्लासों को चलाये रखिये
    हम तहे दिल से यही आज दुआ देते हैं

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