दोस्तों होली और दीवाली पर तरही मनाने की परंपरा आपके इस ब्लॉग पर बरसों पुरानी है। हम कहीं भी हों होली दीवाली पर उसी प्रकार लौट कर ब्लॉग पर आ जाते हैँ, जिस प्रकार घर से दूर गए हुए बच्चे होली दीवाली पर लौटते हैं। यह समय थोड़ा कठिन और ख़राब हो गया है। ऐसे में हम सबको एक साथ बने रहना और भी ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है। एकजुटता ही हमें सारी परेशानियों से बचा कर बाहर निकालेगी। आप और हम ही सब कुछ ठीक करेंगे। होली का त्यौहार तो वैसे भी सारे कलुष को धो देने का त्यौहार होता है। त्यौहार के बहाने हम एक दूसरे के और पास आ जाते हैं। इसलिए होली को मनाने का जो रिवाज है उसे क़ायम रखने की कोशिश करते रहने चाहिए।
इस बार सोचा है कि होली के टैग वाक्य “बुरा न मानो होली है” को ही रदीफ़ बनाया जाए।बुरा न मानो होली है इस वाक्य की जो ध्वन्यात्मकता है वह ज़रा कठिन सी है। उसे मात्राएँ गिरा कर 1212-1212 पर लिया जा सकता है। जिसमें ‘मानो’ शब्द का ‘नो’ गिर कर लघु मात्रा बनेगा और ‘होली’ का ‘ली’ गिर कर लघु बनेगा। मतलब ‘लला-लला, लला-लला’ ‘बुरा नमा नोहो लीहै’। यह शिव के डमरू से निकलने वाला स्वर है जिसका उपयोग रावण ने तांडव स्त्रोत में किया है। पूरा तांडव स्त्रोत इसी मात्रिक विन्यास पर है। विशेषकर जब तांडव स्त्रोत में डमरू का स्वर आता है तो वह तो इस मात्रिक विन्यास का बहुत ही अनूठा और सुंदर उदाहरण है- ‘डमड् डमड् डमड् डमड्’। यह बहुत ही लहरदार बहर है। यह बहरे हज़ज की एक उप बहर है “बहरे हज़ज मुसमन मकबूज़”।
बहरे हज़ज का रुक्न होता है ‘मुफाईलुन-मुफाईलुन-मुफाईलुन-मुफाईलुन’ मतलब 1222-1222-1222-1222 इस प्रकार। अब “बहरे हज़ज मुसमन मकबूज़” में किया बस ये जाएगा कि 1222 में जो तीसरे नंबर का 2 है उसमें से एक घटा कर उसे 1 कर दिया जाएगा। 1222 एक सात मात्रिक रुक्न है मु फ आ इ इ लु न। रुक्न की पाँचवी स्थिर (साकिन) मात्रा मतलब मुफाईलुन में ‘ई’ को गिरा कर ‘इ’ या ‘ए’ किया जा रहा है, इस प्रकार के परिवर्तन (ज़िहाफ़त) को ‘कब्ज़’ कहते हैं और इस प्रकार बनने वाले रुक्न को ‘मकबू़ज़’ कहते हैं इसलिए बहर का नाम हुआ हज़ज, मुसमन (चार रुक्नी – जिसमें एक मिसरे में चार रुक्न हों), मकबूज़ (कब्ज़ परिवर्तन – जिसमें रुक्न में कब्ज़ परिवर्तन किया गया हो) । मतलब विन्याय अब 1212-1212-1212-1212 हो जाएगा ‘मुफाएलुन-मुफाएलुन-मुफाएलुन-मुफाएलुन’। यदि गुनगुनाएँगे तो ध्वनि ऐसी आएगी – लला लला, लला लला, लला लला, लला लला,।
बहर का सबसे अच्छा उदाहरण तो शिव तांडव स्त्रोत ही है – जटा 12, टवी 12, गलज् 12, जले 12, प्रवा 12, हपा 12, वितस् 12, थले 12,। और फिल्मी गीतों की बात करें तो ‘ये क्या जगह है दोस्तों, ये कौन सा दयार है (उमराव जान) ’ और ‘फ़ज़ा भी है जवाँ-जवाँ, हवा भी है रवाँ रवाँ (निकाह)’ और ‘अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं (हम दोनों)’। तीनों गीत बहुत लोकप्रिय हैं और गाने में भी बहुत मधुर धुन है। आप भी शिव तांडव स्त्रोत को इन गानों की धुन पर या इन गानों को शिव तांडव स्त्रोत की धुन पर गाकर देखिए, बहुत आनंद आएगा।
होली का तरही मिसरा
कोई मले गुलाल तो, बुरा न मानो होली है
कोई - 12, मले –12, गुला –12, लतो-12, बुरा –12, नमा –12, नोहो- 12, लीहै –12
इसमें तीन दीर्घ गिर कर लघु हो रहे हैं एक तो ‘कोई’ शब्द का ‘को’; ‘मानो’ शब्द का ‘नो’ और ‘होली’ शब्द का ‘ली’ गिर कर लघु बन रहा है। मतलब यह है कि यह चार मात्राएँ लघु की गिनती में आ रही हैं।
अब बात करते हैं रदीफ़ और काफ़िया की। रदीफ़ तो ऊपर बताया ही जा चुका है -“बुरा न मानो होली है” तथा क़ाफ़िया होगा ‘ओ’ की ध्वनि। मिसरे में जो ‘तो’ शब्द आ रहा है उसमें जो ओ की मात्रा है वही हमारे क़ाफिया की ध्वनि होगी। मतलब चलो, हटो, गिरो, उठो, जो, वो, मिलो, बो, दो, धो, बहो, बसो, साँवरो, इस प्रकार के बहुत क़ाफ़िया बन सकते हैं।
दोस्तों जानता हूँ कि समय थोड़ा कठिन चल रहा है। हम सब निरंतर हो रही घटनाओं से परेशान हैं। लेकिन ऐसे कठिन समय में ही हमें फूलों की खेती करनी होगी। हम ही इस समय को ठीक कर सकते हैं। यह समय बताने का है कि हम हम हैं। बस डमरू के स्वर का उच्चारण कीजिए ‘डमड् डमड् डमड् डमड् डमड् डमड् डमड् डमड्’ और कह दीजिए ग़ज़ल। समय कम है होली सिर पर है इसलिए जल्दी कीजिए।
ऊपर वाले ने आपको अद्भुत ज्ञान दिया है। आपने खूब समझाया लेकिन पल्ले भी तो कुछ पड़े। फिर भी भेजने की कोशिश करूँगा।
जवाब देंहटाएं😀😀😀
हटाएंसबसे पहले आप ही पहुंचेंगे।
वाह ... बहुत ही आसानी से और कितना सहज कर दिया आपने इस मिसरे को ... आनंद आ गया पूरी पोस्ट पढ़ कर ... और एक मुशायरा इसी बहाने सबको पढ़ने का आनंद भी अलग है ...
जवाब देंहटाएंMAR GAYE HUM NIKLA DUM MAR GAYE HUM....:) BURA N MANO HOLI HAI :)
जवाब देंहटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंअग्रिम
शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहर आम-ओ-खास को कहो - ’बुरा न मानो होली है..’
कोई मले गुलाल तो बुरा न मानो.. होली है !!
जय हो..