शुक्रवार, 4 मार्च 2016

तो यह है होली का मिसरा जिस पर आपको ग़ज़लें कहनी हैं ''हौले-हौले बजती हो, बांसुरी कोई जैसे''

होली में अब बस कुछ ही दिन रह गए हैं। और जैसी की परंपरा रही है कि हम कम से कम होली पर तो मुशायरा करते ही हैं। असल में नवंबर 2015 से माइक्रोसाफ्ट ने ब्‍लॉग राइटर की समाप्‍ती की घोषणा कर दी। औ अपना तो सारा काम ही ब्‍लॉग राइटर पर होता था। अब जब ब्‍लॉग राइटर सामप्‍त हुआ तो सबसे बड़ा संकट यह आ गया कि पिछले आठ नौ सालों से जिसकी आदत पड़ी हुई है उसके बिना क्‍या होगा। समस्‍या यह भी कि वह जो सारी डिज़ायनिंग तथा कारीगरी की जाती थी वह तो ब्‍लॉग राइटर के सहयोग से होती थी तो अब क्‍या होगा। फिर इधर पता चला कि एक ओपन राइटर करके कोई साफ्टवयेर आया है। लेकिन उसको भी तब उपयोग किया तो वह भी उतना फ्रेंडली नहीं लगा। इस चक्‍कर में यह हुआ कि दीपावली के मुशायरे के बाद से कोई भी मुशायरा नहीं हो पाया। जो आदत सी पड़ी थी ब्‍लॉग राइटर पर काम करने की उसके चलते कुछ भी नहीं हो पा रहा था। कंपनियों में और प्रकृति में यही अंतर है, प्रकृति जानती है कि आपको किन चीजों की आदत है इसलिये वह कुछ भी नहीं बदलती है। कंपनियां बिना यह जाने कि उन चीज़ों की आदत पड़ चुकी है चीजों को या तो बदल देती हैं या बंद कर देती हैं। जैसे एक बार लाइफबाय की सुगंध बदलने पर मेरे साथ बचपन में हुआ था, उसके बाद फिर जीवन में कोई भी साबुन अच्‍छा नहीं लगा।
खैर अब जो भी हो बात तो यही है कि ब्‍लॉग राइटर तो समाप्‍त हो चुका है और उसके साथ ही ब्‍लॉग राइटिंग के वो सुहाने दिन भी अब शायद जो चुके हैं। याद है आपको ब्‍लॉग वाणी की, जो ब्‍लॉगों की धड़कन हुआ करती थी। 2010 में उसके बंद होने के साथ ही ब्‍लॉग जगत पर पहला आघात लगा था। उसके साथ ही आगमन हुआ था फेसबुक का। खैर उसके बाद भी ब्‍लॉगिंग चलती रही। मुझे लगता है कि हमें कुछ सालों बाद एक बार फिर से ब्‍लॉगिंग की संतुलित दुनिया में ही लौटना होगा। क्‍योंकि यह दुनिया आपकी है जबकि फेसबुक की दुनिया एक अराजक दुनिया है जहां पर आप कुछ भी मन की बात कह नहीं सकते । यदि कह दी तो फिर परिणाम भी आपको ही भुगतने पड़ते हैं।
खैर चलिये छोडि़ये सब बातों को और अब होली के तरही मुशायरे की बात करते हैं। होली पर इस बार ऐसी इच्‍छा है कि कुछ अच्‍छी ग़ज़लें भी सामने आएं, ऐसा न हो कि होली की हुड़दंग के चक्‍कर में ग़ज़ल पीछे रह जाए। तो इस बार का मिसरा कुछ ऐसा सोचा है जो कि कुछ साफ्ट हो। जिससे कुछ सुंदर शेर निकल कर सामने आएं।
''हौले-हौले बजती हो, बांसुरी कोई जैसे''
वज़न है 212-1222-212-1222
फाएलुन-मुफाईलुन-फाएलुन-मुफाईलुन
बहर है ''बहरे हजज मुसम्‍मन अश्‍तर''
इसमें 'कोई' को काफिया रखना है मतलब ये कि जो 'ई' की मात्रा है उसे काफिया रखना है और 'जैसे' को रदीफ बनाना है।
तो यह है होली का मिसरा जिस पर आपको ग़ज़लें कहनी हैं।ब्‍लॉगों का सुहाना समय बीत चुका है मगर हम सब चाहें तो उसको मिलकर वापस ला सकते हैं। और यह आयोजन इसी दिशा में एक कदम होता है। तो आइये हम सब मिलकर एक और आयोजन करते हैं।

11 टिप्‍पणियां:

  1. कौन कहता है ब्लॉग का जमाना बीत गया ? हम जैसे सनकी अब भी वहीँ चिपके हुए हैं और लोगों को खींचते भी रहते हैं , हाँ टिप्पणियां आनी जरूर काम हो गयी हैं लेकिन आवागमन अब भी है , भीड़ नहीं है पर रास्ता सुनसान भी नहीं है ! आपने अपने ब्लॉग पर ग़ज़ल के मिसरे देने की परम्परा क्या बंद की हमारा तो ग़ज़ल कहने का जोश ही ठंडा पड़ गया जो अब धीरे धीरे डीप फ्रीजर में चला गया है। उस ज़माने के साथी भी कहीं खो गए हैं , जैसे संयुक्त परिवार बिखर कर एकल परिवार में विभक्त हो गया हो। उन सुनहरे दिनों को याद करने के बाद ठंडी आह भरने के अलावा और कुछ किये जाने की सम्भावना फिलहाल नज़र तो नहीं आती आगे का पता नहीं।

    नीरज

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  2. आदरणीय पंकज जी , नीरज जी
    नमस्कार
    चलिए मान भी लें की ऐसा हुआ है तो भी वार त्यौहार पर तो परिवार एकजुट हो ही जाता है।
    तो चलिए मिलते हैं सभी परिवारजन होली पर।
    सादर
    पूजा
    :)

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  3. आदरणीय पंकज जी , नीरज जी
    नमस्कार
    चलिए मान भी लें की ऐसा हुआ है तो भी वार त्यौहार पर तो परिवार एकजुट हो ही जाता है।
    तो चलिए मिलते हैं सभी परिवारजन होली पर।
    सादर
    पूजा
    :)

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  4. ब्लोगेर्स फिर भी रहेंगे ... चाहे फेसबुक जितना फ़ैल जाये ...
    ये सच है की आपने धीरे धीरे संवाद कम कर दिया ... महफ़िल जुटनी बंद सी हो गयी, सब अपने अपने में मशगूल हो गए ... पर फिर परंपरा चलती रहे तो रफ़्तार पकड़ ही लेगी फिर से ... लाजवाब मिसरा है तो गजलें भी लाजवाब ही आने वाली हैं ... आपने माहोल सेट कर दिया अब तो होली का रंग जम ही जायेगा ...

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  5. जी दिगंबर जी, बिलकुल अब तो होली का रंग जम ही जायेगा।
    सही मौसम मे बौछार वाली बारिश हो। फिर सब मिलकर जमाइए रंग।

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  6. होली की अग्रिम शुभकामनाएं आप सबको।।

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  7. होली की अग्रिम शुभकामनाएं आप सबको।।

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  8. नमस्कार ! आपकी ये तरही मुशायरा वाली सूचना कब धीरे से मेलबॉक्स में आगयी ! देख अभी रहा हूँ और वाहवा वाहवा कर रहा हूँ । ब्लॉग से कभी हम जुड़े ही नहीं सो उसका अधिक कुछ अता-पता नहीं है। ये ज़रूर है कि इनके प्लेटफ़ॉर्म के रह-रह कर बन्द होने के मुद्दे पर कम्पनियों द्वारा अपने बिकाऊ प्रोडक्ट के अचानक बन्द कर दिये जाने की अच्छी चर्चा हुई है । ऐसे एकपक्षीय निर्णयों के हम सब भी भुक्तभोगी रहे हैं । नोकिया ३३१० को कौन भूल सकता है ! बलात ३३१५ लॉन्च किया गया था । आज स्मार्टफोन के ज़माने भी उस ३३१० की याद नौस्टैल्जिक कर देती है ! या मारुति का ८०० सीरीज ! खैर, सूची लम्बी है और विन्दु भटकाऊ ।

    तमाम विसंगतियों के बावज़ूद मुशायरे का होना बनता था । वसंतोत्सव में फ़ाग की धमक न हो तो फिर साल भर खिलखिलाहट की नारंगियाँ वाकई ना-रंगी लगेंगीं ।

    शुभ-शुभ

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  9. लीजिये भाइ मै भी आ गयी मुझे बहुत मुश्किल लगती है ब्लागिन्ग कोइ एग्रिगेटर मेरी पोस्ट नही उठाता 1 और मुझे अभी तक नेट की पूरी जानकारी नही1 मोबाइल से भी ब्लाग मुश्किल चलता है1 रोज मेल देखने का समय नही मिलता 90 000 जमा है बस पहले की तरह सब अस्तव्यस्त है1 फिर भी इस होली पर परिवार के साथ रहूँगी1 शुक्रिया खूबसूरत मिसरे के लिये1

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