विज्ञान तुमने सब कुछ किया लेकिन अभी भी तुम कुछ नहीं कर पाये हो । अभी भी दूरियां, दूरियां ही हैं । अभी भी ऐसा होता है कि हम हताश हो जाते हैं निराश हो जाते हैं । और विज्ञान की सारी प्रगति धरी की धरी रह जाती है ।
प्रकाश अर्श, ये नाम पिछले चार सालों से मेरे साथ है । 2007 में ग़ज़ल को लेकर ब्लाग पर काम शुरू किया था । 2008 की जनवरी से प्रकाश आकर जुड़ गया । ग़ज़ल की कक्षा के सबसे कमजोर छात्र के रूप में । मुझे लगता था कि पता नहीं ये सीख पायेगा या नहीं । किन्तु वही बात है कि या तो जन्म जात प्रतिभा हो या इच्छा शक्ति हो । दोनों में से कोई भी एक हो तो काम बन जाता है । प्रकाश के मामले में काम किया उसकी इच्छा शक्ति ने । फिर 2009 में दिल्ली में ही मुलाकात और उसके बाद सिलसिला चलता चला गया ।
प्रकाश को मैं हमेशा मोस्ट एलिजेबल बैचलर कहा करता हूं ( था) । और उसको छेड़ने का यही एक सबसे अच्छा तरीका मेरे पास था । आज जब वो माला के साथ विवाह बंधन में बंधने जा रहा है तो मेरे पास उसको छेड़ने का ये एक मात्र हथियार अब नहीं रहेगा । लेकिन एक बात की राहत है कि अब जब मैं दिल्ली जाऊंगा तो कम से कम मुझे एक भूतों के डेरे टाइप का मकान नहीं मिलेगा । भूतों का डेरा ? ये क्या बात हुई भला । दरअसल प्रकाश का दिल्ली का घर कुछ ऐसा ही है । दो कुंवारों का घर और कैसा होगा । दो कुंवारे प्रकाश और उसका छोटा भाई विक्की । दोनों सुबह के निकलते हैं तो शाम को वापस आते हैं । तो घर को तो भूतों का डेरा होना ही है । मैं मजाक में कहता हूं दोनों भाइयों से कि तुम दोनों ठंड के दिनों में रजाई से सुबह बाहर आकर उस रजाई को जिस अवस्था में गुफा बना हुआ छोड़ कर जाते हो रात को वापस आकर उसी गुफा में घुस जाते हो । खैर अब तो गुफा भी टूट जायेगी और भूतों का डेरा भी । आप जरा सोचिये तो कि वहां पर मकड़ी भी कितनी निश्चिंत होती है जब वो बाथरूम में हर उस चीज पर जाला बना देती है जो रेगुलर उपयोग की चीजें हैं जैसे टूथब्रश आदि । बचपन का एक गीत आज सोचता हूं कि प्रकाश की ओर से नहीं बल्कि उस भूतों के डेरे की ओर से माला के लिये ।
उसी प्रकाश की शादी में जाने के लिये कितना मन था । दो महीने पहले से पूरे परिवार के साथ पटना जाने का रिजर्वेशन करवा लिया गया था । परी पंखुरी उत्साहित थीं अर्श भैया की शादी में जाने को लेकर । बहुत उत्साह था गुरुकुल में आ रही बहू को लेकर । लेकिन कहते हैं न कि जिंदगी उस शै: का नाम है जो हर पूर्व निर्धारित योजना को तोड़ने के लिये ही बनी है । जब आप सोचते हैं कि रास्ता सीधा ही चलने वाला है तो आगे मोड़ आ जाता है । 15 मार्च को पिताजी का एक्सीडेंट हो गया । पैर में मल्टीपल फ्रेक्चर । ऑपरेशन, हॉस्पिटल, और जाने क्या क्या में पिछला एक माह बस कैसे बीता क्या कहूं । पिता की उम्र 70 से ऊपर है सो हर बात में विशेष ध्यान रखना आवश्यक है । फिर मधुमेह के चलते ऑपरेशन को लेकर जो रिस्क थी वो तो बनी ही हुई थी ।
जैसे जैसे प्रकाश की विवाह की तारीख पास आ रही थी वैसे वैसे मन कमजोर हो रहा था । कमजोर इसलिये कि पिता अभी भी बिस्तर पर हैं । डॉक्टर के पास ले जाना, एक्सरे करवाना, दवाओं की व्यवस्था आदि ये सब रोज के काम हैं । उस पर ये कि उनको अपनों की उपस्थिति के सपोर्ट की आवश्यकता अधिक है । ऐसे में 17 से 22 तक की अनुपस्थिति को लेकर मन तैयार नहीं हो रहा था । मगर बात वही थी कि उधर भी एक ऐसा आयोजन जिसमें पहुंचना अत्यंत आवश्यक और इधर भी ऐसी स्थिति कि रहना आवश्यक । बहुत विचार किया तो निष्कर्ष ये मिला कि फिलहाल सीहोर छोड़ कर कही जाना ठीक नहीं होगा । बहुत भरे मन से दो माह पूर्व बुक करवाये गये टिकट कैंसल करवाये । और आज प्रकाश की शादी है । मन आज वहीं है पटना में ।
नया सफर जब शुरू होता है तो अपनों की शुभकामनाएं मंगल कामनाएं ये सब जुरूरी होता है । विवाह एक ऐसा सफर है जिसमें शुभकामनाओं की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है । दो अजनबी एक दूसरे का हाथ थाम कर निकल पड़ते हैं अज्ञात सफर पर । विवाह, के बाद का जीवन सामंजस्य और तालमेल का जीवन होता है । जब आप मैं से हम हो चुके होते हैं । आपके साथ कोई और जुड़ा होता है । हर कदम पर उसका साथ आपके कदमों से जुड़ा होता है । ऐसे में बहुत आवश्यश्कता होती है तालमेल की । भारतीय दाम्पत्य जीवन वास्तव में तालमेल का ही दूसरा नाम है । भारत में पति पत्नी सुमन और सुगंध की तरह एक दूसरे से जुड़े रहते हैं ।
प्रकाश, मैं नही आ पाया, उसका दुख जितना तुमको है उससे कई गुना मुझे है । दुख इस बात का भी है कि मेरे कारण अंकित का भी कार्यक्रम कैंसल हो गया । मुझे आज वहां होना ही था । लेकिन नियति नटी के आगे किसकी चलती है । 'अपना सोचा कब होता है, वो जब सोचे तब होता है' । तो बस यही कि मेरी सारी दुआएं, मेरी सारी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ और माला के साथ हैं । माला के साथ अधिक हैं क्योंकि उसे अब एक शायर की पत्नी और श्रोता होना है । पहला दायित्व तो ठीक है लेकिन दूसरा जरा मुश्किल है । तुम्हारे लिये भी अब ये ठीक हो जायेगा कि अब तुम्हारी ग़ज़लों को ठीक ठाक कहन मिल जायेगी, और तुम्हारी जिंदगी बहर में आ जायेगी । बेबहर सी जिंदगी को स्त्री आकर बहर में ला देती है, जीवन की रदीफ काफिये दुरुस्त कर देती है । और सब कुछ सुर में ला देती है । ईंट और पत्थरों का बना ढांचा जिसे हम मकान कहते हैं, वो स्त्री का स्पर्श पाकर मकान से घर हो जाता है । ये जादू सिर्फ स्त्री के पास ही है । तो आज उत्सव का दिन है आनंद का दिन है ।
आज तुम्हारी शादी के दिन सारे गीत प्रेम गीत के सुनवा रहा हूं तो उसके पीछे एक कारण है । पहला तो ये कि व्यक्तिगत रूप से ये सारे गीत मुझे बहुत पसंद है । और दूसरा ये कि विवाह के बाद जीवन प्रेमगीत हो जाता है । दो लोगों द्वारा मिल कर गाया गया, डुएट प्रेम गीत । एक ऐसा प्रेम गीत जिसमें दोनों स्वर मिल कर एकाकार हो जाते हैं । कहीं से पहचान नहीं आता कि पुरुष स्वर कहां है और महिला स्वर कहां है । जो दो स्वरों के मेल से नया स्वर बनता है उसे घर कहते हैं उसे गृहस्थी कहते हैं, उसे दाम्पत्य कहते हैं । और उस तीसरे स्वर के आनंद में ही गुन गुन कर के गूंजता है प्रेम गीत । दुनिया हर पुरुष, विवाह के अवसर पर स्त्री से यही कहता है ।
मैं तुम्हारे साथ हूं प्रकाश । गौतम, और अंकित भी तुम्हारे साथ हैं । आज अपने जीवन की इस नई सुबह का आनंद के साथ स्वागत करो । उत्सव के साथ स्वागत करो । आज का दिन माला के लिये है । आज का दिन उस सुहानी भोर के लिये है जो तुम्हारे जीवन में खिल रही है । मैं, गौतम, अंकित हम सब आना चाहते थे लेकिन नहीं आ पाये । ये ही जीवन है । जो हम चाहें यदि वैसा ही होता रहे तो फिर जीवन का आनंद ही क्या होगा । माला के साथ ये जो सफर शुरू हो रहा है वो रंगों की राह पर चंदन वन से होकर गुजरता रहे, गुजरता रहे यही हम सबकी कामना है ।
हम सबकी ओर से आज प्रकाश और माला को बहुत बहुत शुभकामनाएं, मंगल कामनाएं, विवाह की ये मंगल बेला जीवन में आनंद, उत्सव और खुशियां लेकर आये ।
मेरी ओर से नव वधु और चिरंजीवी वर को हार्दिक बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंकल ही वीनसजी से बात हो रही थी. वे आज पटना में हैं, मेरी ढेरम्ढेर शुभकामनाएँ प्रकाशजी को सौंप देंगे.. .
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
पत्र तो अलग से भेज ही दिया था...इस माध्यम से भी बहुत आशीष, बधाई, मंगलकामनायें..
जवाब देंहटाएंprakaash aur mala ko haardik badhaaee aur hamaaree
जवाब देंहटाएंhaardik shubhakaamanaayeN.
*** Sab Mangalmay ho - Shubh Vivaah ***
जवाब देंहटाएंसच कहा...जीवन में जैसा सोचो हमेशा वैसा नहीं हो पाता...अब दोनों से दिल्ली में मिलना...हम भी आयेंगे...और हाँ इस शुभ अवसर हम सब की और से ढेर सारी शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंनीरज
प्रकाश और माला के मिलन से जो प्रकाशमाला बने वह सदैव प्रकाशित रहे। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।
जवाब देंहटाएंतुम आ गए हो नूर आ गया है ....
जवाब देंहटाएंशादी के बाद नया जन्म होता है मेरा ऐसा मानना है और दो इंसान एक हो के जीवन के लम्हों कों जीते हैं ...
आज मुझे फिर से वेलेंटाइन से एक दिन पहले वाली मुलाक़ात याद आ रही है ... प्रकाश जी और माला कों बहुत बहुत शुभ्कामनाएं नव जीवन की ... ईश्वर उनके जीवन कों खुशियों से भर दे ...
प्रकाशजी को ढेरों बधाईयाँ, उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बीते।
जवाब देंहटाएंआज पहली बार आपकी पोस्ट पर आना हुआ बहुत अच्छा लिखा है आपने अपना हाले दिल प्रकाश जी को शादी की हार्दिक बधाइयाँ....आपको भी कभी समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंमेरी ओर से प्रकाश अर्श और माला को बहुत बहुत बधाई व दांपत्य जीवन में प्रवेश के लिये ढेर सारी शुभ कामना।
जवाब देंहटाएंअर्श भाई और माला भाभी को परिणय सूत्र में बंधने की ढेरों शुभकामनाएं. शादी में न जा पाने का ग़म तो ताउम्र रहेगा ही.
हटाएंप्रकाश जी और माला जी को सुखी विवाहित जीवन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंएक सुझाव कि इस बार तरही इस नव विवाहित जोड़े को समर्पित की जाय। इतनी दूर से तो हम लोग कम से कम शब्दों का तोहफ़ा तो भेज ही सकते हैं।
नवदम्पत्ति को नवजीवन की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें…………पंकज जी निराश मत होइये कभी कभी कर्तव्य भावनाओं से बडा होता है आपकी शुभकामनायें जरूर उन तक पहुँच जायेंगी।
जवाब देंहटाएंप्रकाश अर्श और माला को हार्दिक बधाई, सुबीर जी को धन्यवाद यह खुश खबर सुनाने के लिए.
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरुदेव, आप के पटना आगमन को लेकर एक व्यक्ति और भी उत्साहित था, आपके आशीर्वाद प्राप्ति का सौभाग्य और एक साथ कई जनों से मिलन संभव हो पाता, लेकिन जब कल मुझे वीनस से मालुम हुआ कि आप नहीं आ रहे है तो........
जवाब देंहटाएंगणेश जी "बागी"
पटना
PRAKASH NE VAKAEE ARSH CHHOO LIYAA HAI . USKE GALE MEIN JO MAALAA PADEE HAI VAH
जवाब देंहटाएंSUCHCHE MOTIYON KEE SAABIT HO . MEREE DHER SAAREE SHUBH KAAMNAAYEN PRAKASH AUR
MAALAA KO UNKE VIVAAH KE BANDHAN KE SHUBH AVSAR PAR .
धन्यवाद सर जी। बड़ी खुशी की खबर सुनाई आपने। प्रकाश और माला को हमारी भी शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंPRAKASH ARSH KE VIVAAH KE SHUBH AVSAR PAR
जवाब देंहटाएंUNKE GURUDEV SHRI PANKAJ SUBEER KO NAANAA
BADHAAEEYAN AUR SHUBH KAMNAAYEN .
प्रकाश और माला को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएँ |
जवाब देंहटाएंशादी के बाद घूमने के लिए खोपोली से अगर कोई दूसरी बेहतर जगह बताये तो उसकी बात मत मानना...बस चले आना ...जुलाई अंत से सितम्बर के बीच कभी भी...
जवाब देंहटाएंनीरज
नीरज जी ! उसका जुलाई से पहले ही घूमने जाने का मन हो तो ??? अप्रैल के बाद जुलाई ??? काफी लंबा गैप दे दिया आपने :) :)
हटाएंप्रकाश और माला जी आप को इस खास सपतरंगी दिवस के लिए मेरी शुभकमनयें हैं। सुबीर को धन्यवाद याद करने के लिए। हाँ नीरज जी ने कहा है तो खपोली ज़रूर जायेगा। बाद में बताना की इस से बहतार क्या हो सकता है। सुबीर जी को ज़रूर लाइएगा...
जवाब देंहटाएंसिम्पली लव यू गुरुवर.... और आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया स्नेह और आशिर्वाद के लिये !
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