आठ मई के अखिल भारतीय मुशायरे के बाद अर्थात नौ मई को श्री रमेश हठीला जी के निवास पर एक नशिश्त का आयोजन किया गया । जिसमें दाल बाटी चूरमा की दावत के साथ शेरो शायरी का आनंद लिया गया । नशिश्त का संचालन किया अंकित सफर ने । श्री रमेश हठीला जी के निवास पर हुई इस नशिश्त में शायर के रूप में शामिल थे श्री रमेश हठीला, मोनिका हठीला, प्रकाश अर्श, रविकांत पांडे, अंकित सफर, वीनस केसरी, सोनू ठाकुर, सुधीर मालवीय, अखिलेश हठीला और पंकज सुबीर । श्री रमेश हठीला जी के समधी जी श्री भोजक जी कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे । और श्रोता के रूप में विक्की कौशल, नवेद खान, सनी गौस्वामी, रवि के दो अनुज, भारत अग्रवाल, राजेंद्र शर्मा बब्बल गुरू, उपस्थित थे । पूरे कार्यक्रम की रिकार्डिंग वीनस केसरी के मोबाइल पर हुई थी तथा वीनस के ही सौजन्य से ये रिकार्डिंग उपलब्ध हुई है । आठ मई के वीडियो आदि में कुछ देर है सो तब तक आनंद लें इस नशिश्त का । जल्द ही आपको आठ मई के वीडियो भी उपलबध हो जाएंगें । नशिश्त में श्री नीरज गोस्वामी जी , कंचन चौहान और गौतम राजरिशी इन तीनों की अनुपस्थिति खलती रही । चलिये तो चित्र देखिये और सुनिये आडियो । आडियो यदि नहीं चले तो उसको वहीं दी हुई डाउनलोड लिंक से डाउनलोड कर लें ।
श्री भोजक जी द्वारा मां सरस्वती पूजन
मोनिका हठीला द्वारा मां सरस्वती वंदना का पाठ
http://www.archive.org/details/SehoreNashishtPart1
श्री रमेश हठीला तथा सोनू ठाकुर द्वारा श्री भोजक जी को स्मृति चिन्ह
विक्की कौशल द्वारा अखिलेश हठीला को स्मृति चिन्ह
http://www.divshare.com/download/11490421-449
नवेद खान द्वारा प्रकाश अर्श को स्मृति चिन्ह
सनी गोस्वामी द्वारा वीनस केसरी को स्मृति चिन्ह
http://www.archive.org/details/SehoreNashishtPart2
सुधीर मालवीय द्वारा रविकांत पांडे को स्मृति चिन्ह
भारत अग्रवाल द्वारा अंकित सफर को स्मृति चिन्ह
http://www.divshare.com/download/11490513-8b7
मोनिका हठीला द्वारा रविकांत के अनुज को स्मृति चिन्ह
मोनिका हठीला द्वारा रविकांत के अनुज को स्मृति चिन्ह
http://www.archive.org/details/SehoreNashishtPart3
सुधीर मालवीय और अंकित सफर
प्रकाश अर्श, अंकित सफर, वीनस केसरी, रविकांत पांडे
http://www.divshare.com/download/11490608-cce
प्रकाश अर्श, अंकित सफर, पंकज सुबीर, वीनस केसरी, रविकांत पांडे
अंकित सफर, वीनस केसरी, रविकांत पांडे
http://www.archive.org/details/SehoreNashishtPart4
समूह फोटो
समूह फोटो
http://www.divshare.com/download/11490653-144
और हां नशिश्त के बाद अंकित का जन्मदिन मनाया गया क्योंकि रात के बारह बज चुके थे और दस तारीख लग गई थी । गुलाब पाक नाम की मिठाई को लेकर सब अंकित से रश्क कर रहे थे कि इसीको मिल रही है परी । हर कोई दूसरा टुकड़ा स्वयं के लिये उठाना चाह रहा था ( मैं भी ) किन्तु क्या करें जन्मदिन उसीका था । गुलाब पाक कच्छ भुज की फेमस मिठाई है जब भी मोनिका सीहोर आती है तो मेरे लिये जरूर लाती है । आपने नहीं खाई हो तो जरूर खाएं ।
अंकित सफर के जन्मदिन की झलकियां ।
आदरणीय गुरूजी,
जवाब देंहटाएंप्रणाम.
बहुत बहुत धन्यवाद. इस पोस्ट का इंतज़ार था.
बहुत अच्छा लग रहा है तस्वीरें देख कर. ऑडियो भी है. आनंद आ गया.
-राजीव
तस्वीरे देख ली,
जवाब देंहटाएंये सभी स्मृतियाँ सभी नए शायरों के नाम चिह्नित हो गए.
अंकित का जन्मदिन भी मनाया.. ताली भी बजाई.. अब सिर्फ "गुलाब पाक" चखना बाकी रह गया.
बहुत सुन्दर घरेलु मिठास से भरा आयोजन और उतना ही सुन्दर पोस्ट.
अब रिकार्डिंग सुनते हैं...
समंदर ताल नदिया आप रख लो
जवाब देंहटाएंहमारे पास बारिश है महोदय !!
.... वाह वाह !!
nice
जवाब देंहटाएंसीहोर मे बिताया एक एक पल आज फिर से याद आया
जवाब देंहटाएंऔर बहुत याद आया ...
बढ़िया प्रस्तुति..सभी को सचित्र देख कर बहुत अच्छा लगा..आभार पंकज जी
जवाब देंहटाएंयादे फिर ताज़ा हुई.....मगर इस गोष्टी में शामिल न होने का मलाल भी है हा हा हा हा . बार बार देखा और सुना भी इन झलकियों को .....सुन्दर चित्रण.
जवाब देंहटाएंregards
वाह गुरुदेव ... इतना सुंदर आयोजन ... हम तो बस कल्पना ही कर सकते हैं ऐसे आयोजनों की ... सभी चित्र देख कर जलन हो रही है ... आनद की सरिता बह रही थी और हम प्यासे रह गये ... वैसे विदेश में बैठे हम प्यासे रहने के अलावा कुछ कर भी नही सकते ... शामिल हो कर तो नही पर चलो सुन कर तो मज़ा ले रहे हैं हम भी ... आपका धन्यवाद इस पोस्ट के लिए ...
जवाब देंहटाएंGURUDEV,
जवाब देंहटाएंRASHK HO RAHA HAI KI HAM VAHAN NAHI THE.....ABHI INTERNET SE SAMPARK TOOTA HUA HAI FILHAAL UPSTITHI DARJ KAR LEN!
कल देर रात गये सुनता रहा सीहोर नशिश्त का पार्ट 1...और एक अजीब-सी तल्खी के साथ अपनी अनुपस्थिति को महसूस करता रहा।
जवाब देंहटाएंअंकित का मंच संचालन काबिले-तारीफ़ है। मोनिका दी की सरस्वती-वंदना ने मन मोह लिया। उनका पढ़ने का अंदाज़...तो उफ़्फ़्फ़! "तू कल्पना तू साधना...निमग्न वीणा अराधिका" बहुत ही सुंदर वंदना।
वीनस की ग़ज़लें तो हमेशा से भाती है...पहली बार उसको सुनना दिलचस्प रहा। बहुत अच्छा लगा अपने अनुज के अदायगी--...गुरूजी को समर्पित उसका मतला "मेरी जो इज्जत है ये/आपकी रहमत है ये"..अहा।
फिर अर्श का जादू तो उफ़्फ़...हाय वाला रहता ही है। उसकी अदायगी के कुछ सैम्पल तो पहले ही देख चुका हूँ। "हलक में अपनी ज़बान रखता हूँ, मैं चुप होँ कि तेरा मान रकहा हूं...मेरी बुलंदियों से रश्क कर तू भी/मैं ठोकर में आसमान रखता हूँ"
इन शेरों पे जितनी दाद दूं, कम है।
बहुत खूब अर्श मियां...
शेष, फिर से आता हूँ।
अभी जब फिर से सुन रहा था पार्ट 1...अर्श के इस खूबसूरत शेर पे दुबारा ध्यान गया-’अभी हम हौसलों से उड़ रहे हैं/हमारा पर अभी कतरा हुआ है"...शेर तो जबरदस्त है, लेकिन मेरे ख्याल से अर्श भाई को इसे फिर से देखना पड़ेगा। राहत इंदौरी साब के एक शेर से बहुत मेल खा रहा है। आप क्या कहते हैं गुरूजी इस बारे में?
जवाब देंहटाएंलेकिन "वो हमसे देर तक रूठ कर नहीं रहता ये परखा हुआ है"- अर्श मियां के इस शेर पर अपना अब तक का लिखा सब कुर्बान। बहुत खूब प्रकाश!
रवि भा ई ने "सच की कीमत पता मुझे पर प्राणदंड से डरता कब हूं" कहकर दिल जीत लिया। अर्श ने सच कहा कि टूटी-फूटी तुकबंदी रवि भाई कई जब इतनी अच्छी है तो शेष कैसी होंगी, हम सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं। "रोजी-रोटी के चक्कर ने बाबूजी की उम्र घटा दी" वाला शेर हो या फिर "बांट दिया है इंसानों को मंदिर मस्जिद गिरजाघर ने"...रवि भाई को करोड़ो दाद।
अपना प्यारा अनुज अंकित तो कहर ढ़ा रहा है,जितना बढ़िया लिखता है उतनी ही बेहतरीन अदायगी।"मुहब्बत एक भरोसा है जो शरतों में नहीं बंधता/जो मेरा है वो तेरा है जो तेरा है वो मेरा" उसका ये शेर सदी के बेहतरीन शेरों में एक गिना जाने लायक है। और "दूर नदी पर्वत की बांहों में सिमटे तो यूं लगता/दुनिया की नजरों से छिप कर दो दीवानें मिलते हैं"...अहा, बहुत खूब अंकित, बहुत खूब!
अखिलेश हठीला जी से पहला परिचय था। "अपनी मजबूरियां हैं वर्ना कौन सहता है/बन के अपना भला कोई पराया रहता है"...अच्छी आवाज पायी है उन्होंने और गाने का अंदाज भी। सुधीर के शब्दों की मासूमियत अपने शुरूआती दिनों की याद दिला गयी।
...और अब जाता हूं दूसरे हिस्से पर।
ये नशिश्त तो यादगार है........
जवाब देंहटाएंपहली बार रवि भाई, अर्श और वीनस को सुनने का मौका मिला जो अपने आप में एक खूबसूरत लम्हा था, गुरु जी की नयी (मेरे लिए) रचनाएँ सुनी उनकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज़ में, मोनिका दीदी और आदरणीय हठीला जी को सुनने का सौभाग्य मिला, साथ में अभिषेक हठीला जी, सुधीर को भी पहली बार सुना अब सोनू मियां का क्या ज़िक्र करें.........चलो कर देते हैं, इनको भी सुना, ये पढ़ कम रहे थे शर्मा ज्यादा रहे थे.
सोने पे सुहागा वाली बात कि मेरा जन्मदिन भी मन गया और जैसे तैसे टूटे फूटे अंदाज़ में सञ्चालन भी कर लिया.
Aadarneey Pankaj ji,
जवाब देंहटाएंis karykrm mein na pahunch paane ka dukh sabhi ke man mein hai .... mere bhi .... vidisha itna paas hai kaash bharat aa paati to zarur shamil hoti ....
photo aur link ko sunna dukh aur badha gaya .... kaash ki pahunch paate aur ye sab aankhon se dekh paate
sunhara mouka khone ka dukh .. to rahega hi
but Ankit ke sanchalan aur gazlon ne man ko bahut sakun diya
...और सोनु मियां ने अपनी हज़ज वाली ग़ज़लों को सुमधुर आवाज में गा कर मन मोह लिया..."शहर में रोज दीवाना नया बन जायेगा कोई/दुपट्टे से दबा कर मुँह शर्मा कर चलो ना यूं"...अरे वाह-वाह! बहुत खूब सोनु!
जवाब देंहटाएंमोनिका दी का बुलंद गला और गाने का अंदाज़ फिर से फिर-फिर से जादू कर गया।"बंद पलकें न खुले लब न हिले, बात न हो....ऐसे मिलने से तो अच्छा है कि मुलाकात न हो" वाह क्या बात है.."यूं ही आवारा भटकते ये घटाओं के हुजूम/फिजूल है जो अगर झूम के बरसात न हो" उनके इस शेर पर खूब-खूब दाद दी को।
रमेश हठीला जी को पहली बार सुनने का सौभाग्य मिला। उनकी चुटीली अदायगी और खास अंदाज़ तो..उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़!
आदरणीय गुरुदेव, परसों पूरा सुना रात में और अभी तक हज़ार वाट का हीटर सुलग रहा है छाती में कि मैं काहे ना पहुंचा हुआं.... :) पढ़ने नहीं प्रत्यक्ष सुनने के लिए..
जवाब देंहटाएंआप सभी को इसी सुलगते दिल से बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई..
बड़ी छोटी गुजारिश है महोदय
जवाब देंहटाएंफ़कत रोटी की ख्वाहिश है महोदय
...लाजवाब गुरूदेव ! और मत्ले के बाद मोनिका दी का "मिलेगी मिलेगी" का आश्वासन ने ठहाके लगाने पर विवश कर दिया।
आज रविवार की इस सुबह को चैन से सुना इस नशिश्त का आखिरी हिस्सा। क्या कहूँ...अपना वो सर्वकालीन पसंदीदा शेर गुनगुना रहा हूं:-
"तुम्हारे तीन रंगों को बिछाये या कि ओढ़े हम
कि वो कमबख्त दर्जी इसकी नेकर भी नहीं सिलता"
...और अब इस हिस्से को सुन लेने के बाद वहाँ उपस्थित न होने की टीस और बढ़ गयी है।
मैं इस पोस्ट पर कुछ नही कहूँगी मुझे जलन हो रही है मेरे पीछे से इतना बडिया प्रोग्राम रख लिया। ये जरूर अर्श ने कहा होगा कि कहीं मै मुसीबत बन कर उससे ये न कह दूँ कि मुझे भी साथ ले चलो\ कोई बात नही मेरा भाई भी इन बच्चों के साथ मिल गया। फिर भी इस विस्त्रित जानकारी के लिये धन्यवाद और भगवान आपको सद्बुद्धि दे ताकि आगे से इन बच्चों के पीछे मत जायें और मुझेऐसे प्रोग्राम मे शामिल होने के लिये इन बच्चों की ड्यूटी लगायें कि मुझे सिहोर पहुंचाना इन की जिम्मेदारी है। बहुत बहुत आशीर्वाद। वैसे सुबीर ये कर्मनिष्ठा का वरदान कहाँ से पाया। इसी तरह आगे बढो।
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