इस बार के तरही को लेकर कुछ विशेष करने की इच्छा है । इच्छा ये है कि इस बार तरही का आयोजन दोनों प्रकार से हो । हालंकि तारीख को लेकर कुछ असमंजस है फिर भी वसंत पंचमी को शिवना प्रकाशन का एक आयोजन होता है सरस्वती पूजन का, जो कि पिछले कई सालों से होता आ रहा है । इस बार वसंत पंचमी 20 जनवरी को है सो हो सकता है कि उसी दिन आयोजन किया जाये । बाकी जैसा समय के हाथ में हो जाये । खैर अभी तो उसमें काफी दिन हैं । सरस्वती पूजन का कार्यक्रम पिछले पांच छ: सालों से शिवना प्रकाशन द्वारा आयोजित किया जाता रहा है । और उसमें एक शिवना सारस्वत सम्मान भी प्रदान किया जाता है । डॉ विजय बहादुर जी जब तक भोपाल में थे तब तक वे इस कार्यक्रम में ज़रूर आते थे । तो संभावित तारीख बीस जनवरी हो सकती है मुशायरे की ।
शिवना प्रकाशन को मिला पीआइएन आदरणीय सुधा दीदी शिवना प्रकाशन के पीआइएन नंबर को लेकर हमेशा ही मुझे बोलती थीं । उन्होंने ही इसको लेकर काफी जानकारी मुझे प्रदान की । शिवना को अपना पीआइएन नंबर मिला है तो उसके पीछे सुधा दीदी का प्रोत्साहन ही है । पीआइएन नंबर होता है पब्लिशरस आइडेंटिफिकेशन नंबर, जो कि विश्व स्तर पर ग्रंथालयों द्वारा उपयोग किया जाता है । इसी आधार पर बनता है आइएसबीएन नंबर । अभी तक शिवना की पुस्तकों पर ISBN नहीं जाता था। अब चूंकि शिवना प्रकाशन को अपना पीआइएन मिल चुका है सो अब आने वाली सारी पुस्तकों पर ISBN जायेगा । शिवना के लिये एक और महत्वपूर्ण पल है इसलिये आप सब को इसमें सहभागी बना रहा हूं । क्योंकि शिवना प्रकाशन आप सब का है ।
श्री नारायण कासट का आना मैं बता चुका हूं कि श्री नारायण कासट जी से मैंने कविता का क ख ग सीखा है । पिछले ढाइ सालों से वे बिस्तर पर हैं । रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में समस्या आ जाने के कारण वे उठ नहीं पा रहे थे । किन्तु अपनी जीजिविषा के चलते वे खड़े होने में कामयाब रहे तथा कल लगभग ढाइ साल बाद वे चलते हुए मेरे कार्यालय आये तो मेरे हर्ष का ठिकाना ही नहीं रहा । वे बहुत अच्छे कवि हैं किन्तु उससे भी अच्छे मार्गदर्शक हैं । दादा बालकवि बैरागी और नीरज जी के मित्र हैं । कैफ भोपाली साहब से उनका खासा याराना रहा । शिवना संस्था उनकी ही खड़ी की हुई है । पिछले ढाई सालों में जो कार्यक्रम हुए उनमें उनकी कमी बहुत खलती थी । लेकिन अब आशा है कि उनकी उपस्थिति से कार्यक्रमों की गरिमा बढ़ेगी ।
ग़ज़ल का ढांचा मुझे भी ये लग रहा है कि कुछ नया बताना ही चाहिये ताकि कुछ आगे सिलसिला बढ़े । कई लोग इस बात से नाराज़ हैं कि अब आगे के पाठ नहीं हो रहे हैं तरही के चक्कर में । खैर जो भी हो हम कुछ बातें करते हैं आगे की । ग़ज़ल की विस्तृत जानकारी के लिये एक ब्लाग अलग बनाया जा रहा है जिसे केवल आमंत्रण के द्वारा ही पढ़ा जा सकेगा । वह ब्लाग सार्वजनिक नहीं होगा । आज हम बात करते हैं ग़ज़ल के सबसे छोटे हिस्से की । असल में पूर्व की कक्षाओं में मैंने ये बताया है कि रुक्नों से मिसरा, मिसरो से शेर और शेरों से ग़ज़ल बनती है । तो उस हिसाब से रुक्न सबसे छोटा हिस्सा होता है । किन्तु आज हम उस रुक्न के भी खंड करते हैं । खंड को उर्दू में जुज़ कहते हैं सो यहां पर भी रुक्नों के जो छोटे हिस्से होते हैं उनको जुज़ ही कहा जाता है । जिस प्रकार शेर का बहुवचन अशआर होता है, रुक्न का बहुवचन अरकान होता है वैसे ही जुज़ का बहुवचन अजज़ा होता है । इसलिये याद रखें कि जब कोई कह रहा है अरकान तो उसका मतलब है कि वह रुक्नों कह रहा है रुक्न का बहुवचन । कोई कह रहा है अशआर तो उसका मतलब वह एक से ज्यादा शेरों की बात कर रहा है । और अजज़ा का मतलब कई खंड । तो बात करते हैं इन अजज़ा की । ये तो मैं बहुत पहले ही बता चुका हूं रुक्न मात्राओं के गुच्छे होते हैं । तथा एक से लेकर आठ मात्रा तक के ये गुच्छे ग़ज़ल में या कविता में उपयोग किये जाते हैं । अब जब हम जुज़ की बात कर रहे हैं तो उसका मतलब ये कि एक ही रुक्न में मात्राओं के एक से ज्यादा गुच्छे होते हैं जिनको मिलाकर रुक्न बनते हैं । ग़ज़ल के पिंगल में जो मात्राओं के गुच्छे रुक्न बनाने के लिये उपयोग किये जाते हैं वे कुल छ: हैं जो इस प्रकार से हैं । 11, 2, 12, 21, 112, 1112, इन सबके कुछ विशिष्ट नाम भी हैं ।पहले दो जुज़ दो मात्रिक हैं, फिर दो जुज़ तीन मात्रिक हैं फिर एक चार मात्राओं का जुज़ और फिर एक पंचमात्रिक जुज़ है । उदाहरण
11 | 2 | 12 | 21 | 112 | 1112 |
तफ | लुन,ई, मुस्, ला | मुफा, एलुन,फऊ | फाए,लातु | मुतफा, एलतुन | फएलतुन |
अब तीन जुज़ लेकर एक रुक्न बनाते हैं 12+2+2=1222 ( मुफा + ई + लुन = मुफाईलुन ) बहरे हजज का रुक्न
इन सबके नाम और साथ में इता के दोष की विस्तृत जानकारी अगले अंक में ।
तरही मुशायरा इस बार का तरही मुशायरा बहरे मुतकारिब की मुस्मन सालिम पर है और उसके कई सारे उदाहरण पूर्व में ही दिये जा चुके हैं । कई सारे लोगों की ग़ज़लें मिल भी चुकी हैं । कुछ लोग अभी सो रहे हैं तथा समय आने पर ही जागेंगे । हम हिन्दुस्तानी तो वैसे भी बिजली, टेलीफोन के बिल तक अंतिम तारीख में ही जमा करते हैं । मिसरा एक बार फिर याद कर लें न जाने नया साल क्या गुल खिलाए ( 122-122-122-122) ये तो पूर्व में ही बता चुका हूं कि यदि आपने मतले में खिलाए और मिलाए की तुक मिलाई है तो फिर पूरी ग़ज़ल में हिलाए, दिलाए, जलाए, गलाए ही लेकर चलना है । अर्थात यदि आपको स्वतंत्र होकर ग़ज़ल लिखनी है तो फिर आप मतले में ही स्वतंत्र हो जाएं । दिलाए के साथ गिराए को ले लिया तो पूरी ग़ज़ल में आप आए उच्चारण वाला कोई भी काफिया रख सकते हैं ।
तो चलिये मिलते हैं अगले अंक में बहरे मुतकारिब की जानकारी के साथ और साथ में इता की जानकारी के साथ । ( नोट : जिन लोगों ने व्यस्सता का बहाना बना कर मुशायरे से अनुपस्थित रहने की एप्लीकेशन दी है उनकी एप्लीकेशन नामंजूर कर दी गई है । )
कुछ वेब साइटों पर कार्य चल रहा है पत्रिका परिकथा की वेबसाइट http://www.parikathahindi.com/ कल ही बनाकर अपलोड की है हालंकि अभी काम चल रहा है फिर भी एक बार देख कर बताएं कि कहां कहां क्या कमी हैं ।
गुरुदेव सबसे पहले तो शिवना प्रकाशन को आ एस बी एन नंबर मिलने पर ढेरों बधाई...शिवना का नाम दुनिया के पुस्तक प्रकाशकों में सर्वोपरि हो ये ही कामना करता हूँ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय नारायण कासट जी के स्वस्थ होने की खबर ने आल्हादित कर दिया उम्मीद करता हूँ की उनके सक्रिय होने से हम पाठकों का बहुत भला होने वाला है...ग़ज़ल की पाठशाला फिर से खोलने का विचार स्वागत योग्य है...बहुत सी बातें हैं, समस्याएं हैं ग़ज़ल लेखन में जो अभी भी समझ में नहीं आतीं, पाठशाला उनका निवारण करेगी ये पक्का है...
इस बार गलती से मैं समय पर जग गया और तरही में अपने हिस्से की ग़ज़ल आपको भेज दी है...ये इसलिए कह रहा हूँ ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आये...
परिकथा की वेब साईट आकर्षक है...लेकिन अगर शीर्षक के फॉण्ट और रंग को अगर थोडा साफ्ट करें तो शायद और अच्छा लगे...लाल रंग और अलग किसम के फॉण्ट से लग रहा है जैसे परिकथा कोई जासूसी पत्रिका है जिसमें हर पन्ने पर हत्याओं की सनसनीखेज जानकारी दी गयी है....:)).
नीरज
शिवना प्रकाशन को आ एस बी एन नंबर मिलने पर ढेरों बधाई...शिवना का नाम साहित्य प्रकाशन की दुनिया में चमके और बुलान्दियों पर हो इस की कामना करती हूँ। चूंकि आपके स्कूल मे देर बाद आयी हूँमेरे लिये आदरणीय नारायण कासट जी का नाम नया है मगर ये तो जान गयी हूँ कि सुबीर जी को कविता सिखाने वाले व्यक्ति आम व्यक्तित्व के मालिक नहीं हो सकते । उनके बारे मे और जानने की ईच्छा वलवती हि गयी है। मुझे तो आपकी परिकथा साईट बहुत अच्छी लगी। बाकी इसमे क्या और कैसे छपेगा ये देखना रोचक होगा। और मुझे आशा है कि इसमे शामिल होने की मेरी अर्ज़ी जरूर मंजूर होगी। बाकी आपके गज़ल पर पहले वाले सबक तो नहीं पढ पाई आगे से नोट करने शुरू कर दिये हैं । शायद कुछ सीख पाऊँ। मुशायरे का इन्तज़ार है । अपनी गज़ल भेज चुकी हूँ। छने लायक है य नहीं ये आप देख लें। अपने छोटे भाई का स्नेह पा कर अभिभूत हूँ। धन्यवाद नहीं कहूँगी बस आशीर्वाद दूँगी सदा सुखी रहो और इसी तरह मंज़िलें तय करते रहो।
जवाब देंहटाएंगुरुदेव, सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय मानक नंबर प्राप्ति के लिए बधाई. शिवना प्रकाशन हम सभी के लिए गर्व का संस्थान बने यही कामना है.
जवाब देंहटाएंआज आपने अपने गुरु की चर्चा की, वाकई यह हर्ष का विषय है. जैसा की आप जानते हैं, मैं आपकी कक्षा में नया नया हूँ. ग़ज़ल तो पहले ही प्रेषित कर चूका हूँ. अब तो पाठ का इंतिजार रहता है. कुछ नया प्रयोग शुद्धता के साथ कर सकूँ, यही आशीर्वाद चाहिए.
सभी सदस्यों के लिए भरपूर आदर के साथ
सुलभ
परिकथा साईट का अवतरण देख खुश हूँ... अभी और द्वार खुलने बाकी हैं.
जवाब देंहटाएंशिवना प्रकाशन को अंतर्राष्ट्रीय मानक नंबर प्राप्त होने पर बहुत-बहुत बधाई यह हमेशा इसी तरह ऊंचाइयों पर रहे, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ ।
जवाब देंहटाएंगुर समझाने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंइस बार दो बधाईयॉं देने के प्रत्यक्ष कारण मौजूद हैं सो दो बधाईयॉं। एक और बधाई अप्रत्यक्ष कारण के लिये कि गाड़ी आखिर 'जुज़' स्टेशन तक पहुँच ही गयी। सो एक और बधाई।
जवाब देंहटाएंचलिये अब जुज़बंदी शुरू की जाये जिससे 20 जनवरी को संभावित मुशायरे के लिये कुछ नया हो जाये।
तिलक राज कपूर
ये पोस्ट जानकारियों से भरी हुई थी। व्यक्तिगत तथा व्यवसायिक दोनो प्रकार की...!
जवाब देंहटाएंतरही के लिये शेर लिखने की कोशिश तो करती हूँ मगर कुछ घटनाएं हावी हो रही हैं... क्षमा तो माँग ही चुकी हूँ..!
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जवाब देंहटाएंसुबीर जी आपने बहुत अच्छा किया कि ग़ज़ल कि कक्षाएं आरम्भ कर दी हैं...मुझे आरम्भ से सीखनी है...मैंने अपने ब्लॉग पर कुछ ग़ज़लें लिखी हैं. परन्तु उनमें बहुत त्रुटियाँ हैं...मैं उनमें सुधार करना चाहती हूँ . कृपया मार्गदर्शन करें..क्या मैं आपके इस मुशायरे में भाग ले सकती हूँ ? परन्तु ग़ज़ल कि त्रुटी से डरती हूँ ..जैसा भी हो बताएँ..धन्यवाद
जवाब देंहटाएंISBN nambar ke liye badhai....
जवाब देंहटाएंAap jaise guru ka margdarshan mile to koun chela cheenee na bane....
गुरु देव बधाई .......
जवाब देंहटाएंशिवना प्रकाशन को IPN प्राप्त होने पर बहुत-बहुत बधाई .... कभी हमारी भी रचनाएँ शिवना प्रकाशन से ज़रूर छापेंगी ........ आमीन ... (Just joking)
आपकी ग़ज़ल सिखाने की विधा बहुत लाजवाब है गुरुदेव . धीरे धीरे बहुत कुछ सीख रहा हूँ ........... परिकथा का प्रारूप बहुत ही सुंदर है .........
अनुपस्थिति की एप्लिकेशन नामंजूर...बड़ी बुरी खबर है.
जवाब देंहटाएं:)
आपीएन नम्बर मिलने की बहुत बहुत बधाई.
हमें भी निमंत्रण भेजियेगा उस ब्लॉग का. :)
ISBN number milne par badhaaye.
जवाब देंहटाएं-Gazal kakshayen dobara shuru kar rahe hain,uske liye dhnywaad.
गुरुदेव की जय हो !
जवाब देंहटाएंग़ज़ल-पाठ वापस शुरु हो गई, इससे बेहतर और बात क्या हो सकती है। वो जो नया ब्लौग बन रहा है और जिसे सिर्फ आमंत्रित लोग पढ़ सकेंगे, जानकर मजा आ गया। इस बारे में तो निश्चिंत हूँ कि मुझे तो आमंत्रण मिलेगा ही।
परीकथा की साइट तो खूब आकर्षक लग रही है। जब ये पूरा बन जायेगा तो उसमें जो आपने पुराने अंक वाला लिंक लगा रखा है, उसपर सारे पुराने अंक उपलब्ध होंगे क्या?
दो बातें आपके ब्लौग के बारे में कहना चाहता था। एक तो राइट-क्लीक लाक है जो पाठकों को तनिक परेशानी पैदा करता है। मुझे ज्ञात है कि किस तरह एक जनाब ने आपके तमाम पोस्टों को चुरा कर अपने ब्लौग पर लगा लिया था। लेकिन कोई और उपाय नहीं है क्या? दूसरी बात थी कमेंट-बाक्स के बारे में। जब टिप्पणी के लिये क्लीक करते हैं हम तो एक तो पाप-अप विंडो खुलता ही है साथ में पूरा ब्लौग-पृष्ठ भी बड़ा-सा टिप्पणी विंडो के रुप में खुल जाता है। पता नहीं ये अन्य पाठकों के साथ भी हो रहा है कि सिर्फ मेरे साथ। मेरे ख्याल से तो सर, पाप-अप विंडो वाला टिप्पणी विकल्प ही ठीक होता है, जिससे पाठक यदि पोस्ट से संबधित कोई संदर्भ देना चाहे तो उसे आसानी रहती है।
तरही में इस बार कुछ अच्छे शेर निकल ही नहीं पा रहे हैं। वही पुरानी बातें उभर कर सामने आ रही हैं। फिर भी कल तक भेजता हूं ,जैसी भी बन पड़ी है।
http://meenukhare.blogspot.com/2009/12/blog-post_23.html
जवाब देंहटाएंपंखुरी बिटिया को जन्म-दिन की ढ़ेर सारी मुबारकबाद इस दुआ के साथ कि वो पापा का नाम और-और-और रौशन करे।
जवाब देंहटाएंऊपर मिनु खरे जी की गुहार सुनी आपने?
गुरु देव को सादर प्रणाम,
जवाब देंहटाएंशिवना प्रकाशन दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करे,
पी आई एन न. मिलने के लिए दिल से बहुत बहुत बधाई गुरु देव , आदरणीय सुधा दीदी को इसके लिए आभार क्या ब्यक्त करूँ वो तो घर की हैं,.. उनका आशीर्वाद ही है या
बहुत सारी जानकारी मिली इस बार की पोस्ट से ... आत्म सात कर चुका हूँ,
ग़ज़ल की शिक्षा के लिए एक और ब्लॉग मुबारका सभी को ... तो क्या मैं निश्चिन्त हो जून गुरु जी ... मुझे तो मिलनी ही चाहिए :) :)
अब जब अप्लिकाशन रद्द होने के बाद कोई और चारा नहीं बच जाता
इसलिए लिखने की कोशिश कर रहा हूँ :) :)
और हाँ आज के दिन पंखुरी बिटिया के जन्म दिन पर उसे बहुत बहुत आशीर्वाद और प्यार ... दुआ कर रहा हूँ के वो आपसे भी आगे जाये खूब तरक्की करे,,...
आपका
अर्श
सबसे पहले सबकी तरह मेरी भी बधाई. इतनी अच्छी क्लास है ये, मुझे तो मालूम ही नहीं था. आज आई तो दंग रह गई. गज़ल की कितनी बारीकियां ...वाह.
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरूदेव,
जवाब देंहटाएंआई.पी.एन. के साथ शिवना प्रकाशन अपने प्रचार प्रसार के सात संमदर पार तक ले जाये।
आपका आशीर्वाद बना रहे बस इसी कामना के साथ...
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
शिवना प्रकाशन यूं ही ऊंचाइयां छूता रहे ऐसी मंगलकामना करता हूं। श्री नारायण कासट जी के बारे में जानकर अच्छा लगा। जबसे ज्ञात हुआ है कि गुरूदेव गज़ल का गूढ़-ज्ञान अलग ब्लाग पर देने वाले हैं मन में ये प्रश्न है कि क्या कोई प्रवेश-परीक्षा जैसी भी शर्त्त होगी अथवा वाइल्ड कार्ड के जरिये प्रवेश होगा। खैर मैं श्रीचरणों में " जेहि विधि होई परम हित मोरा" की अर्जी लगा देता हूं। पंखुरी बिटिया को जन्मदिन की विलंबित बधाई एवं दाक्षायणी का सतत स्नेह भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता रहे ऐसी कामना करता हूं।
जवाब देंहटाएंगुरुदेव आशा है ग़ज़ल सीखने वालों की कतार में आप मुझे भूलेंगे नही ....... बैक बेंचर ही सही ..... नलायक ही सही ...... धीरे धीरे सीख जाओंगा .........
जवाब देंहटाएंगुरुदेव प्रणाम,
जवाब देंहटाएंपंखुरी बिटिया के जन्म दिन पर देर से बधाई स्वीकार करे उसे आशीर्वाद,और गुरुदेव १० दिसंबर पर आपको विवाह की वर्षगाँठ पर इसलिए बधाई नहीं दे सका क्योंकि
१.मेरा कम्पूटर खराब था..
२.मेरी शादी की साल गिरह भी १० दिसंबर को थी,
इसलिए देरी से बधाई नजर कर रहा हूँ स्वीकार करें..
और
नए ब्लॉग पर मुझे भी आमंत्रित किया जावे...क्योंकि आपकी कक्षा में डंडे खाने के लिए कुछ मेरे जैसे विद्यार्थियों की जरूरत पड़ेगी.
अबके तरही में गजल लिखना बहुत मुश्किल लगा था...परिकथा अंक में नीरज जी के सुझाव विचारणीय है.लिख तो ली थी पर भेजने में संकोच हो रहा था...पर अब आपका आदेश है कि छुट्टी नहीं ले सकते तो भेज दी है....