बुधवार, 29 अगस्त 2007
चलिये आज से शुरू करते हैं ग़ज़ल के बारे में
मैंने कहा था कि कोई भी ग़ज़ल का व्यकरण नहीं सीखना चाहता उस पर काफी टिप्पणियां आईं हैं और उत्साहित होकर मैं आज से शुरू कर रहा हूं । मैं ये तो नहीं कहता कि मैं ग़ज़ल का कोई विशेषज्ञ हूं फिर भी जितना भी जानता हूं उसको आप सब के साथ बांटना चाहूंगा । मेरा ये प्रयास उन लोगों के लिये है जो सीखने की प्रक्रिया में हैं उन लोगों के लिये नहीं जो ग़ज़ल के अच्छे जानकार हैं । वे लोग तो मुझे बता सकते हैं कि मैं कहां ग़लती कर रहा हूं । क्योंकि मैं वास्तव में एक प्रयास कर रहा हूं कि वे लोग जो हिंदी भाषी हैं वे भी ग़ज़ल की ओर आएं । इसलिये क्योंकि मशहूर शायर बशीर बद्र साहब ने ख़ुद कहा है कि ग़ज़ल का अगला मीर या गा़लिब अब हिंदी से ही आएगा । और आजकल मुशायरों में भी हिंदी के शब्दों वाली ग़ज़ल को ही ज़्यादा पसंद किया जाता है । फारसी के मोटे मोटे शब्द अब लोगों को समझ में ही नहीं आते हैं तो दाद कहां से दें । जैसे बशीर बद्र जी का एक शेर है ' रूप देश की कलियों पनघटों की सांवरियों कुछ ख़बर भी है तुमको, हम तुम्हारे गांव में प्यासे प्यासे आये थ्ो प्यासे प्यासे जाते हैं ' ये पूरा का पूरा शेर ही हिंदी मैं है मगर पूरे वज़न में है ये बहरे मुक़्तजब का शेर है । तो अब ये ही होगा आने वाला समय हिंदुस्तानी भाषा का है अब न कुंतल श्यामल चलना है और न ही शबो रोज़ो माहो साल चलना है अब तो वही कविता पसंद की जाएगी जो आम आदमी का भाषा में बात करेगी । मुनव्वर राना और बशीर बद्र जैसे शायरों को उर्दू अदब में बहुत अच्छा मुकाम नहीं दिया जाता है मगर जनता के दिलों में तो उनका आला मुकाम है । इसलिये क्योंकि उन्होने ग़ज़ल को उस भाषा में कहा जिस भाषा में जनता समझ पाए । ये काम तो दुष्यंत ने भी कहा मगर उनकी ग़ज़लों में मात्रा दोष बहुत हैं और मेरे विचार से कविता में भाव और शब्द के साथ व्याकरण भी हो तभी वो संपूर्ण होती है और फिर रह जाता है केवल उसका प्रस्तुतिकरण जो कवि या शाइर पर निर्भर करता है । निदा फाज़ली जैसे लोग हिंदी में ही कह कर आज इतने मक़बूल हो गये हैं । वो लोग जो ग़ज़ल कहना चाहते हैं वो समझ लें कि कोई ज़रूरी नहीं है उर्दू और फारसी के शब्द रखना आप तो उस भाषा में कहें जिस में आम हिन्दुस्तानी बात करता है । मशहूर शायर कै़फ़ भोपाली की बेटी परवीन क़ैफ़ मुशायरों में इन पंक्तियों पर काफी दाद पाती हैं ' मिलने को तो मिल आएं हम उनसे अभी जाकर, जाने में मगर कितने पैसे भी तो लगते हैं ' कहीं कोई कठिन शब्द नहीं हैं जो है वो केवल एक आम भाषा है । एक दो दिन तक तो मैं ग़ज़ल लिखने के लिये आपको तैयार करनी की भूमिका बांधूंगा फिर जब आप तैयार हो जाएंगे तो फिर मैं आपकी क्लास प्रारंभ कर दूंगा । टिप्पणी देने का अनुरोध अब नहीं करूंगा क्योंकि मुझे पता है कि आपको एक बार आदत हो गई तो फिर आप टिप्पणी क्या मेरा मोबाइल नंबर ही मांग लेंगें । एक बात ज़रूर कहना चाहूंगा कि एक सज्जन की टिप्पणी आई है कि आप कितना जानते हैं बहर के बारे में तो मैं ये कहना चाहूंगा कि मैं केवल एक छात्र हूं मैं आलिम फ़ाजि़ल होने का दावा नहीं करता और गर्व भी नहीं करता क्योंकि मैं तो उन पंक्तियों पर विश्वास करता हूं 'देनहार कोइ और है भेजत है दिन रैन, लोग भरम हम पर करें ताते नीचे नैन' में विनम्र हूं और कोई दावा भी नहीं करता हां जितना जानता हूं वो ज़रूर आप तक पहुचा दूंगा ।
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कमाल हे भाइजी, पत्रकार भी हो, कंपूटर हार्डवैर भी जानो हो और इब गजल। बड़े हरफनमोला निकले!!! अब अगला क्या? ब्लोग द्वारा फुटबाल?
जवाब देंहटाएंjaari rahein 1
जवाब देंहटाएंहिन्दी गजलों की कक्षा में हमारी उपस्थिती भी दर्ज करें।
जवाब देंहटाएंऔर हाँ आपका मोबाईल नंबर दीजियेगा।
:)
जिन्होंने आपकी काबिलियत पर प्रश्न उठाया है, ऐसे लोगों को इग्नोर करिये. उन लोगों को खुद तो कुछ करना नहीम होता और कोई दूसरा कोई अच्छा कार्य करे, यह उनसे बर्दाश्त नहीं.
जवाब देंहटाएंआप जारी रहें, हम हैं न हाजिरी लगाने के लिये. आभार आपका.
हम भी उपस्थित हैं,
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका क्लास लेने के लिये,
ऐसी देनी देन ज्यों कित सीखे हो सैन,
ज्यों ज्यों कर ऊँचो करो त्यों त्यों नीचे नैन ।
(ये पंक्तियाँ तुलसीदासजी की हैं)
उत्तर रहीमदास जी ने दिया था जो आपने अपनी प्रविष्टी में लिखा है ।
देर आये दुरुस्त आये ,
जवाब देंहटाएंआगे से समय पर आने की कोशिश करेंगे ।
दुष्यन्त कुमार जी पर आप की टिप्पणी पढ कर चोट से लगे । कभी समय मिलनें पर उस पर और रोशनी डालियेगा ।
धन्यवाद।
मेरा एडमिशन ही देर से हुआ है ... लेकिन मेरी खोज पूरी होती दिखती है... प्रारम्भ से पढ़ रहा हूँ ... एक दिन एक क्लास... अगर इजाजत हो तो आप से ईमेल पर बीच बीच में आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त कर लूंगा ... कितना सफल होता हूँ ये तो ईश्वर जाने ...
जवाब देंहटाएंhttp://padmsingh.wordpress.com
Dekhiye guru ji aap ka prayas safal ho rha hai. Yahan log 10 saal baad bhi aapki class se fayda uthha rhe hain
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