होली के इस रंग भरे पर्व की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ। आपके जीवन में सदा रंग रहे, उमंग रहे, आनंद और उल्लास रहे। होली का यह त्योहार आप सभी के जीवन में ख़ुशियों की बरसात लाए यही शुभकामना है। आपके जीवन में रचनाधर्मिता का गुलाल तथा शब्दों का अबीर यूँ ही बरसता रहे। आप ख़ूब लिखें और आपकी रचनाओं का रंग सभी के मन पर चढ़ता रहे। होली है भई होली है रंगों वाली होली है।
आइए होली का यह त्योहार मनाते हैं अपने छह रचनाकारों के साथ, संजय दानी, सर्वजीत सर्व, सुलभ जायसवाल, मंसूर अली हाशमी, डॉ. सुधीर त्यागी और राकेश खण्डेलवाल जी के साथ
डॉ संजय दानी दुर्ग
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो,
रंगों का वास्ता, जा तुझे इश्क़ हो।
भांग खाना बुरा भी नहीं, भांग पर
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो,
रंगों का वास्ता, जा तुझे इश्क़ हो।
भांग खाना बुरा भी नहीं, भांग पर
रख तू भी आस्था, जा तुझे इश्क़ हो।
होली में फाग गाया करो बेझिझक,
माज़ी की है प्रथा, जा तुझे इश्क़ हो।
घर के कामों से डरना नहीं, दूर हो,
बाइयों की अदा, जा तुझे इश्क हो।
सीख ले बाबा का योग भी, लेना है ,
इश्क़ में गर मज़ा, जा तुझे इश्क हो।
होली में फाग गाया करो बेझिझक,
माज़ी की है प्रथा, जा तुझे इश्क़ हो।
घर के कामों से डरना नहीं, दूर हो,
बाइयों की अदा, जा तुझे इश्क हो।
सीख ले बाबा का योग भी, लेना है ,
इश्क़ में गर मज़ा, जा तुझे इश्क हो।
मतले में रंगों का वास्ता देकर दुआ दी जा रही है कि जा तुझे इश्क़ हो। होली का एक अवयव भांग भी होता है ऐसे में भांग खाना बुरा नहीं है होली में यह अच्छे से समझाया गया है। होली पर फाग गायन की हमारी परंपरा सचमुच बहुत पुरानी है ऐसे में होली के समय फाग गाने की सलाह शेर में प्रदान की जा रही है। और अगले शेर में बाइयों से बचते हुए घर के काम करने के लिए प्रेरणा प्रदान की जा रही है। और अंत में इश्क़ में मज़ा लेने के लिए योग की आवश्यकता पर बल दिया गया है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह
सर्वजीत 'सर्व'
हर सू गूंजी सदा, जा तूझे इश्क़ हो,
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो,
मुस्कुराते हुये, गुनगुनाते हुये
बोली बादे-सबा, जा तुझे इश्क़ हो,
तू न समझेगा जब तक न होगा तुझे,
है ये इक मोजज़ा, जा तुझे इश्क़ हो,
काम इससे कोई भी नहीं है अहम,
और करना है क्या, जा तुझे इश्क़ हो,
इश्क़ ही बन्दगी, इश्क़ ही ज़िन्दगी,
इश्क़ ही है ख़ुदा, जा तुझे इश्क़ हो,
हर सू गूंजी सदा, जा तूझे इश्क़ हो,
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो,
मुस्कुराते हुये, गुनगुनाते हुये
बोली बादे-सबा, जा तुझे इश्क़ हो,
तू न समझेगा जब तक न होगा तुझे,
है ये इक मोजज़ा, जा तुझे इश्क़ हो,
काम इससे कोई भी नहीं है अहम,
और करना है क्या, जा तुझे इश्क़ हो,
इश्क़ ही बन्दगी, इश्क़ ही ज़िन्दगी,
इश्क़ ही है ख़ुदा, जा तुझे इश्क़ हो,
सर्वजीत जी बहुत दिनों बाद हमारे मुशायरे में तशरीफ़ लाई हैं। बहुत अच्छी शायर हैं वे। हर तरफ़ एक ही सदा के गूँजने कि जा तुझे इश्क़ हो की बात बहुत अच्छे से कही है सर्वजीत जी ने। मुस्कुराते हुए और गुनगुनाते हुए बादे सबा का बोलना कि जा तुझे इश्क़ हो, बहुत अच्छी मंज़रकशी है, ऐसा लगता है जैसे पूरा का पूरा दृश्य ही सामने उपस्थित हो गया है। और अगले शेर में तू न समझेगा जब तक न होगा तुझे.. वाह क्या कमाल का मिसरा कहा है। और उतना ही सुंदर मिसरा सानी। अगला शेर जिसमें कहा गया है कि काम इश्क़ से ज़रूरी दूसरा कोई नहीं है ज़िंदगी में, वाह क्या बात कही है। अंतिम शेर में इश्क़ को ख़ुदा के पास बिठा दिया गया है। सच में इश्क़ ही तो ख़ुदा होता है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।
सुलभ जायसवाल
ओ रे ओ बावरा जा तुझे इश्क हो
दिल में रख ले खुदा जा तुझे इश्क हो
मान सम्मान सौगात सब कुछ मिले
ज्ञान की लौ जला जा तुझे इश्क हो
रच नये शब्द तू लिख नयी आस्था
गीत गा गीत गा जा तुझे इश्क हो
यह समर काल है जीतना है तुझे
त्याग दे हीनता जा तुझे इश्क हो
रात दिन हर पहर तू कला साध ले
है यही साधना जा तुझे इश्क हो
मांग सिन्दूर हो साथ भरपूर हो
ले गुलाबी दुआ जा तुझे इश्क हो
तीरगी दे मिटा ले शपथ आज तू
नौकरी छोड़ जा जा तुझे इश्क हो
फेसबुक बंद कर वाटसप से निकल
जा 'सुलभ' रंग जा, जा तुझे इश्क हो
ओ रे ओ बावरा जा तुझे इश्क हो
दिल में रख ले खुदा जा तुझे इश्क हो
मान सम्मान सौगात सब कुछ मिले
ज्ञान की लौ जला जा तुझे इश्क हो
रच नये शब्द तू लिख नयी आस्था
गीत गा गीत गा जा तुझे इश्क हो
यह समर काल है जीतना है तुझे
त्याग दे हीनता जा तुझे इश्क हो
रात दिन हर पहर तू कला साध ले
है यही साधना जा तुझे इश्क हो
मांग सिन्दूर हो साथ भरपूर हो
ले गुलाबी दुआ जा तुझे इश्क हो
तीरगी दे मिटा ले शपथ आज तू
नौकरी छोड़ जा जा तुझे इश्क हो
फेसबुक बंद कर वाटसप से निकल
जा 'सुलभ' रंग जा, जा तुझे इश्क हो
मतले में ही बहुत अच्छे से इश्क़ हो जाने की दुआ दी गई है। सच में जब दिल में ख़ुदा होता है तभी वहाँ इश्क़ का प्रवेश होता है। ज्ञान की लौ जलाने के बाद ही जीवन में मान सम्मान मिलता है इसकी बात बहुत अच्छे से कही गई है। नए शब्दों और नई आस्था के गीत गाने की बात भी बहुत सुंदर बन गई है। अगले ही शेर में समर काल को जीतने के लिए हीनता बोध को समाप्त करने की बात बहुत सुंदरता के साथ सामने आई है। कला की साधना ही सबसे बड़ी साधना है और उससे बड़ा इश्क़ कोई नहीं है। और नौकरी को छोड़ने वाला शेर जीवन से जोड़ने वाला शेर है। सोशल मीडिया से निकले बिना आप इश्क़ के रंग में नहीं रँगा सकते यह बात अंतिम शेर में बहुत अच्छे से कही गई है। बहुत सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।
मन्सूर अली हाश्मी
लिखने बैठा ग़ज़ल, 'जा तुझे इश्क़ हो'
बड़बड़ाता रहा, जा तुझे इश्क़ हो
भाई 'पंकज' ने यह कैसा मिसरा दिया!
मैं तो बूढ़ा हुआ, "जा तुझे इश्क़ हो"
तू है 'निर्मल' ए 'बाबा' 'कृपा' दे मुझे
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
मैंने मांगी दुआ, कर भला या ख़ुदा
उसने फर्मा दिया, जा तुझे इश्क़ हो
कूचे गलियों में ढूंढा मगर न मिला
फेसबुक पर दिखा? जा तुझे इश्क़ हो
हाथ मांगा दिखा दी अंगूठी मुझे
मुस्कुरा कर कहा, जा तुझे इश्क़ हो
इश्क़ ने कर दिया है दिवाना मुझे
है तेरी ही अता, जा तुझे इश्क़ हो
डाल कर रंग मुझ पे ये क्या कर दिया
अपने रंग में रंगा, जा तुझे इश्क़ हो
आ भी जा-आ भी जा, दे रहा हूँ सदा
जा बे जा-जा बे जा, जा तुझे इश्क़ हो
वैलेंटाइन पे फरियाद करता रहा
कर दिया अनसुना, जा तुझे इश्क़ हो
तू भला सब बुरे, खोटे सब तू खरा
ख़ुद को ही आज़मा, जा तुझे इश्क़ हो
तू इलेक्शन में हारा अगर क्या हुआ
पिछला दर है खुला जा तुझे इश्क़ हो
तोता-मेना मिले, बात जब कर चुके
उड़ते - उड़ते कहा, जा तुझे इश्क़ हो
अब हिजाबों की हम को ज़रूरत कहाँ
लिखने बैठा ग़ज़ल, 'जा तुझे इश्क़ हो'
बड़बड़ाता रहा, जा तुझे इश्क़ हो
भाई 'पंकज' ने यह कैसा मिसरा दिया!
मैं तो बूढ़ा हुआ, "जा तुझे इश्क़ हो"
तू है 'निर्मल' ए 'बाबा' 'कृपा' दे मुझे
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
मैंने मांगी दुआ, कर भला या ख़ुदा
उसने फर्मा दिया, जा तुझे इश्क़ हो
कूचे गलियों में ढूंढा मगर न मिला
फेसबुक पर दिखा? जा तुझे इश्क़ हो
हाथ मांगा दिखा दी अंगूठी मुझे
मुस्कुरा कर कहा, जा तुझे इश्क़ हो
इश्क़ ने कर दिया है दिवाना मुझे
है तेरी ही अता, जा तुझे इश्क़ हो
डाल कर रंग मुझ पे ये क्या कर दिया
अपने रंग में रंगा, जा तुझे इश्क़ हो
आ भी जा-आ भी जा, दे रहा हूँ सदा
जा बे जा-जा बे जा, जा तुझे इश्क़ हो
वैलेंटाइन पे फरियाद करता रहा
कर दिया अनसुना, जा तुझे इश्क़ हो
तू भला सब बुरे, खोटे सब तू खरा
ख़ुद को ही आज़मा, जा तुझे इश्क़ हो
तू इलेक्शन में हारा अगर क्या हुआ
पिछला दर है खुला जा तुझे इश्क़ हो
तोता-मेना मिले, बात जब कर चुके
उड़ते - उड़ते कहा, जा तुझे इश्क़ हो
अब हिजाबों की हम को ज़रूरत कहाँ
'कोरोना' जा चुका, जा तुझे इश्क़ हो
हमने दरप्रदा इज़हार उनसे किया
बोले वों बरमला, जा तुझे इश्क़ हो
'हाश्मी' ने कहा, और सच ही कहा
इश्क़ तो है ख़ुदा, जा तुझे इश्क़ हो।
हमने दरप्रदा इज़हार उनसे किया
बोले वों बरमला, जा तुझे इश्क़ हो
'हाश्मी' ने कहा, और सच ही कहा
इश्क़ तो है ख़ुदा, जा तुझे इश्क़ हो।
हाशमी जी की ग़ज़लें हास्य के रंग में रँगी हुई होती हैं। यह ग़ज़ल भी वैसी ही है। होली पर हास्य हो तो मज़ा दोगुना हो जाता है। मतला और उसके बाद का शेर इस बार के मिसरे को समर्पित हैं। और उसके बाद निर्मल बाबा से कृपा माँगने का शेर कमाल है। और अगले शेर में ख़ुदा से दुआ माँगने पर उसका कहना कि जा तुझे इश्क़ हो, बहुत सुंदर है। किसी का हाथ माँगने पर पहले उसका अँगूठी दिखाना और उसके बाद कहना जा तुझे इश्क़ हो, बहुत सुंदर।किसी ने रंग डाल कर अपने रंग में रँग लिया है और कह रहा है जा तुझे इश्क़ हो। वैलेंटाइन डे पर की गई फरियाद होली तक चली आ रही है और शायर दुआ दे रहा है कि जा तुझे इश्क़ हो। चुनाव हार जाने वाले नेता के लिए पिछला दर खुला होने का व्यंग्य भी बहुत सुुंदर है। हिजाबों की ज़रूरत और कोरोना की बात बहुत बढ़िया है। और अंत में इश्क़ के ख़ुदा होने का विचार बहुत सुंदरता से आया है। बहुत सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।
डॉ सुधीर त्यागी
तुझसे भी हो ख़ता, जा तुझे इश्क़ हो।
कर तू भी रतजगा, जा तुझे इश्क़ हो।
कीमती जिंदगी मुश्किलों से मिली।
क्यूं मिटाने तुला, जा तुझे इश्क़ हो।
चुप रहे या कहे, तय नहीं क्या करे।
कश्मकश भी मजा, जा तुझे इश्क़ हो।
जिस्म से क्यों नहीं आ रही खुशबुएं।
अब तलक क्या किया, जा तुझे इश्क़ हो।
देखना चाहता है ज़मीं पर इरम।
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो।
तुझसे भी हो ख़ता, जा तुझे इश्क़ हो।
कर तू भी रतजगा, जा तुझे इश्क़ हो।
कीमती जिंदगी मुश्किलों से मिली।
क्यूं मिटाने तुला, जा तुझे इश्क़ हो।
चुप रहे या कहे, तय नहीं क्या करे।
कश्मकश भी मजा, जा तुझे इश्क़ हो।
जिस्म से क्यों नहीं आ रही खुशबुएं।
अब तलक क्या किया, जा तुझे इश्क़ हो।
देखना चाहता है ज़मीं पर इरम।
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो।
मतले में ही इश्क़ नाम की ख़ता करने और उसके बाद रतजगा करने की बात बहुत ख़ूबसूरती के साथ कही है डॉक्टर साहब ने। ज़िंदगी एक नेमत की तरह होती है, उसे मिटाने की बजाय इश्क़ करने की सलाह कितनी सुंदरता के साथ अगले शेर में प्रदान की गई है। और अगला शेर कश्मकश के बीच फँसे मन की दशा को बहुत सुंदरता के साथ सामने ला रहा है। जिस्म से ख़ुश्बुएँ अगर नहीं आ रही हैं तो इसका मतलब अब तक का जीवन व्यर्थ है, इश्क़ की ज़रूरत पर इससे अच्छी बात और क्या कही जा सकती है। और धरती पर इरम देखने के लिए इश्क़ तो करना ही होगा, क्या कमाल की बात। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।
राकेश खण्डेलवाल
बंद घर में ही बैठा हुआ नेट पर
बेफ़िज़ूली की करता हुआ चेट पर
काम धंधा तेरे वास्ते कुछ नहीं
और कोशिश पे तुझ को यकीं ही नहीं
रौब भाई बहन पर जताता सदा
ज़िंदगी कुछ किए बिन लगे इक सजा
या खुदा तुझ सा कोई ना बदवक्त हो
ले गुलाबी दुआ जा तुझे इश्क़ हो
रात को जाग कर तू सितारे गिने
रोज़ ही तेरी बढ़ती रहें उलझने
भूख से दुश्मनी तेरी होती रहे
उसके ख्यालों से ही प्यास बुझती रहे
फिर किसी काम में तेरा मन न लगे
रात दिन नाम की एक, माला जपे
केस को, तुझसे फ़रहाद को रश्क हो
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
रोज़ दफ़्तर में झिड़कन सुने बास की
दिख न पाएँ तुझे फायलें पास की
बंद घर में ही बैठा हुआ नेट पर
बेफ़िज़ूली की करता हुआ चेट पर
काम धंधा तेरे वास्ते कुछ नहीं
और कोशिश पे तुझ को यकीं ही नहीं
रौब भाई बहन पर जताता सदा
ज़िंदगी कुछ किए बिन लगे इक सजा
या खुदा तुझ सा कोई ना बदवक्त हो
ले गुलाबी दुआ जा तुझे इश्क़ हो
रात को जाग कर तू सितारे गिने
रोज़ ही तेरी बढ़ती रहें उलझने
भूख से दुश्मनी तेरी होती रहे
उसके ख्यालों से ही प्यास बुझती रहे
फिर किसी काम में तेरा मन न लगे
रात दिन नाम की एक, माला जपे
केस को, तुझसे फ़रहाद को रश्क हो
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
रोज़ दफ़्तर में झिड़कन सुने बास की
दिख न पाएँ तुझे फायलें पास की
दृष्टि खिड़की के बाहर अटकती रहे
घंटियाँ फ़ोन की खूब बजती रहें
कोई भी रंग तुझको न अच्छा लगे
नाम होली का सुन, दूर ही तू भगे
फिर तेरी टाँय टाँय सभी फिस्स हो
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
घंटियाँ फ़ोन की खूब बजती रहें
कोई भी रंग तुझको न अच्छा लगे
नाम होली का सुन, दूर ही तू भगे
फिर तेरी टाँय टाँय सभी फिस्स हो
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
पूरा गीत एक जवान होते लड़के के लिए लिखा गया एक पूरा का पूरा भविष्य है। सबसे पहले ही छंद में घर में नेट पर भटकता हुआ निठल्ला लड़का दिखता है, न काम धंधा न कोशिश। भाई बहनों पर रौब जमाता हुआ, ज़िंदगी से दूर भागता हुआ। और फिर अगले छंद में रातों को जाग कर सितारे गिनने, उलझनों में रहने की दुआ। भूख से दुश्मनी की दुआ कितनी सुंदरता के साथ कही जा रही है। रात दिन एक ही नाम की माला जपने और केस फरहाद को उससे रश्क़ होने की बात बहुत अच्छे से कही जा रही है। और अंतिम छंद तो इश्क़ की इंतिहा है, बास की झिड़की, खिड़की के पार अटकी नज़र, फ़ोन की बजती हुई घंटियाँ, ऐसा लग रहा है जैसे इश्क़ अपने चरम पर पहुँच चुका है। और उसमें टाँय टाँय फिस्स का प्रयोग तो बहुत ही कमाल है। बहुत ही सुंदर गीत है, वाह वाह वाह।
आप सभी को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ। आज के रचनाकारों की शानदार रचनाओं का आनंद लीजिए और दाद देते रहिए। मिलते हैं बासी होली के अंक में।
सभी बेहद उम्दा रचनाएं। समयाभाव के कारण इसमे सम्मिलित न हो सका, इसके लिए क्षमा प्राथी🙏
जवाब देंहटाएंआप सब सम्मानित गणों को होली की हार्दिक वधाई और शुमकामनाएं।
पडे न जश्न मे खलल, ना कोई रंग मे भंग मिक्स हो,
न गुलाल त्वचाभंजक, न कोविड संक्रमण रिस्क हो,
पावन होली के इस पर्व पर, सतरंगी हो जीवनचरित्,
ऐ गुलबदन, ले मेरी गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क हो।
आजके सभी रचनाकारों की होरियरी अभिव्यक्तियों से हमसभी हुए रँगीले.. कुछ कोने सूखे, कुछ कोने गीले.. लाल हरे नीले.. भंग-ठंडई पीले.. और जी ले..
जवाब देंहटाएंशुभातिशुभ
सौरभ
सबसे पहले पंकज भाई को शुक्रिया गज़ल लिखने की रवानगी को दुरुस्त रखने के लिए, मिसरा प्रदान करके उकसाने के लिए। अपनी गज़ल तो जैसी भी है। सभी गजलकारों को उम्दा आशआर के लिये मुबारकबाद व होली की ढेर सारी बधाईयां।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ उम्दा। डॉ. संजय दानी, सर्वजीत सर्व, सुलभ जायसवाल,मंसूर अली हाशमी, डॉ. सुधीर त्यागी और राकेश खंडेलवालने होली के रंग जमा दिए। बड़ी मस्ती की ग़ज़लें सुनाई हैं।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों कज रचनाएँ उम्दा हैं । डॉ. संजय दानी जी, सर्वजीत सर्व जी, सुलभ जायसवाल जी,मंसूर अली हाशमी जी, डॉ. सुधीर त्यागी जी और राकेश खंडेलवाल जी आप सभी ने एकसे बढ़कर एक रचनाएँ देकर होली के रंग को कई गुना बढ़ा दिए ।
जवाब देंहटाएंकशमकश में मजा-- त्यागी जी का कमाल
जवाब देंहटाएंजीतना है तुझे -सुलभ बहुत बधाई सामयिकता के लिए
काम इससे यहां - सरवाजीत जी को नमन
दानईजी- अब तो बाईयों की याद से निकाल आईए जनाव।
हाशमी जी- आप के सामने तो सभी बेजूबान हो जाते हैं.
सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक। अमेरिका में बादलों ने आ घेरा , जमकर हुई कल वर्षा। प्रकृति अपना काम खूब कर रही हमें दरवाजों में बंदकर खुद जमकर होली खेल रही है। वसंत अब बरस रहा है प्रकृति के परिदृश्य में और हम भीतर बैठ तिलमिला रहे हैं ,देश की होली को याद कर रहें हैं। कम से कम इन सभी रचनाओं को पढ़कर मन में ही होली तो मना रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजय दानी जी ने पूरी तरह मस्ती में सनी ग़ज़ल कहकर रंगपर्व की शानदार शुरुआत की है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय संजय दानी जी को।
जवाब देंहटाएंआदरणीया सर्वजीत जी ने पारंपरिक ग़ज़ल कहकर मुशायरे की ख़ूबसूरती बढ़ा दी है। इश्क़ ही बन्दगी.. वाला शे’र बहुत अच्छा हुआ है। बहुत बहुत बधाई आदरणीया सर्वजीत जी को।
आदरणीय सुलभ जी ने बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है। यह समर काल है जीतना है तुझे के साथ जा तुझे इश्क़ हो रदीफ़ बहुत सुन्दर बाँधा गया है। समर काल में लड़ने और जीतने के लिये वाकई किसी से इश्क़ होना निहायत जरूरी है। तीरगी मिटाने के लिये नौकरी छोड़ना भी बहुत सुन्दर बात कही गयी है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुलभ जी को।
जनाब हाश्मी जी ने हमेशा की तरह हास्य के रंग रंगी ग़ज़ल कहकर होली के त्योहार में चार चाँद लगा दिये। कोरोना जाने पर हिजाबों का गैरजरूरी हो जाना बहुत अच्छा शे’र हुआ है। बहुत बहुत मुबारकबाद जनाब हाश्मी जी को।
आदरणीय सुधीर त्यागी जी ने बड़ी ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है। कश्मकश भी मज़ा और अब तलक क्या किया जैसे ख़ूबसूरत अश’आर से सजी इस ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुधीर त्यागी जी को।
आदरणीय राकेश जी ने एक नौजवान को इश्क़ हो जाने की दुआ जिस तरीके से दी है वह लाजवाब है। होली के अवसर पर बहुत सुन्दर गीत हुआ है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय राकेश जी को।