सोमवार, 18 जनवरी 2021

वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका के वर्ष : 5, अंक : 20, त्रैमासिक : जनवरी-मार्च 2021 अंक

मित्रो, संरक्षक तथा प्रमुख संपादक सुधा ओम ढींगरा एवं संपादक पंकज सुबीर के संपादन में वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका के वर्ष : 5, अंक : 20, त्रैमासिक : जनवरी-मार्च 2021 अंक का वेब संस्करण अब उपलब्ध है। इस अंक में शामिल हैं-  संपादकीय, कथा कहानी - जहाँ हवाओं की पीठ पर छाले हैं!! - अनघ शर्मा, सपने का वादा - पुष्पा सक्सेना, देहरी छुड़ाई - रमेश खत्री, अनकहा कुछ - अरुणा सब्बरवाल, मन का कोना - नीलिमा शर्मा, मुझे विपुला नहीं बनना - अभिज्ञात, महकती मुहब्बतों के मौसम - डॉ. गरिमा संजय दुबे, घायल पंखों की उड़ान - अर्चना मिश्र, चन्नर के बहाने से - विनय कुमार, यही ठीक होगा - डॉ. अनिता चौहान, फूलों के आलते में रेत की दीवार - डॉ. उपमा शर्मा। लघुकथाएँ - मधुर मिलन - डॉ. पुष्पलता, महिलाओं का जुगाड़
मीरा गोयल, इतिहास - डॉ. वीरेंद्र कुमार भारद्वाज। भाषांतर - कैडिटे मकल  (जंगल की बेटी) - मलयालम कहानी - डॉ. अम्बिकासुतन मंडाग, अनुवाद-डॉ. षीणा ईप्पन। आलेख - रचना और आलोचना का आपसी रिश्ता- नंद भारद्वाज, हम शब्दों के ऋणी हैं- डॉ.शोभा जैन। व्यंग्य- एक भेंट मंत्री जी से - डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल, कैसे हो - बढ़िया हूँ- अखतर अली। शहरों की रूह - कलकत्ता उर्फ़ कोलकाता - पल्लवी त्रिवेदी, शार्लोट एक घरेलू मेट्रो सिटी - रेखा भाटिया। निबंध- आधी रात का चिंतन- डॉ. वंदना मुकेश। लिप्यांतरण - भूबल (उर्दू लघुकथा), नीलम अहमद बशीर, लिप्यांतरण- डॉ. अफ़रोज़ ताज। कविताएँ - वसंत सकरगाए, श्रीविलास सिंह, नरेंद्र नागदेव, अनामिका अनु, नमिता गुप्ता "मनसी"। ग़ज़ल- दीपक शर्मा 'दीप'। आख़िरी पन्ना। आवरण चित्र- वेदांश मिश्रा, रेखाचित्र - रोहित प्रसाद , डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी,  शहरयार अमजद ख़ान,  सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी, आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्क़रण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
ऑनलाइन पढ़ें पत्रिका-
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