मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

इक पुराना पेड़ बाक़ी है अभी तक गांव में या कुछ पु‍राने पेड़ बाक़ी हैं अभी तक गांव में - स्‍व. रमेश हठीला स्‍मृति तरही मुशायरा ।

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स्‍व. रमेश हठीला स्‍मृति तरही मुशायरा

इस बार के तरही मिसरे को लेकर काफी सकारात्‍मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं । सभी को इस बार के दोनों ही मिसरे बहुत पसंद आए हैं । अब देखना ये है कि पसंद आने के बाद कितने अच्‍छे शेर कहे जाते हैं । वैसे अभी पहले ही सप्‍ताह में दो ग़ज़लें प्राप्‍त हो भी चुकी हैं । इससे पता चलता है कि इस बार का मिसरा ए तरह लोगों को बहुत ही पसंद आया है । इस बार के मिसरे में एक प्रकार की रवानगी है जो कुछ तो एक बहुत ही उम्‍दा बहर होने के कारण और फिर उतने ही सरल क़ाफि़यों के कारण और प्रवाहमान हो गई है । तिस पर उसका रदीफ मिसरे के सौंदर्य को दोबाला कर रहा है । लेकिन इस बार की ग़ज़ल कहने के लिये सबसे अधिक जो चीज़ ज़ुरूरी है वो है संवेदनशीलता, वो नास्‍टेल्जिया जो आपको बार बार अपनी जड़ों की ओर खींचता है । मुझे लगता है कि इस बार के मिसरे पर प्रवासी ग़ज़लकार बहुत सुंदर शेर निकाल सकते हैं, इसलिये क्‍योंकि उनका नास्‍टेल्जिया बहुत गहरा होता है । हम तो अपने गांव जाकर देख आते हैं किन्‍तु वे तो अब उससे भी दूर हैं ।

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इक पुराना पेड़ बाक़ी है अभी तक गांव में

कुछ पुराने पेड़ बाक़ी हैं अभी तक गांव में

तरही मुशायरा दोनों ही मिसरों पर होगा 'इक पुराना पेड़ बाक़ी है अभी तक गांव में' और 'कुछ पुराने पेड़ बाक़ी हैं अभी तक गांव में' किसी भी एक मिसरे को लेकर ग़ज़ल कहनी है । ‘ई’ की मात्रा (बाक़ी, होती, रहती, उड़ती, आती, चलती) को क़ाफि़या बनाना है और 'है अभी तक गांव में' या 'हैं अभी तक गांव में' को रदीफ । ज़ाहिर सी बात है कि पहले मिसरे में बात एकवचन में होगी और दूसरे में बहुवचन में ।

एकवचन :

झूम के बरसात आती है अभी तक गांव में

कोकिला मल्‍हार गाती है अभी तक गांव में

बहुवचन :

बारिशें लहरा के आती हैं अभी तक गांव में

कोयलें मल्‍हार गाती हैं अभी तक गांव में

बहर तो सीधी है 2122-2122-2122-212 ( बहरे रमल मुसमन महजूफ) यथा रामसीता-रामसीता-रामसीता-रामरे या सर झुकाओगे तो पत्‍थर देवता हो जायेगा । 13 जनवरी को श्री रमेश हठीला जी की प्रथम पुण्‍यतिथि पर ये मुशायरा होना है । तो रचनाएं 7 जनवरी के पूर्व भेजनी होंगीं । यदि हो सके तो एक शेर श्री रमेश हठीला जी को श्रद्धांजलि स्‍वरूप अवश्‍य कहें । जहां तक क़ाफियों का प्रश्‍न है तो उसके लिये तो ख़ज़ाना भरा पड़ा है मिलती, आती, जाती, बाकी, बैठी, लड़की, बूढ़ी, बच्‍ची, मिट्टी, चक्‍की, सौंधी, खिलती, चलती, उड़ती, कच्‍ची, नानी, दादी, आदि आदि आदि । हर वो शब्‍द जिसका वज्‍़न 22 है तथा जो ई पर समाप्‍त हो रहा है वो हमारा काफिया है । या फिर हर वो शब्‍द जिसका वज्‍़न 122 है जैसे निभाती, उड़ाती, मिलाती, सुहाती, पकड़ती, सुलगती, तो वो भी हमारा काफिया हो सकता है । या फिर जिसका वज्‍़न 2122 है जैसे सांझबाती तो वो भी काफिया हो सकता है । तो बात वही कि काफियों का तो अंबार है इस बार । और रदीफ के साथ निर्वाहन भी बहुत मुश्किल नहीं है । तो चलिये उठाइये क़लम और कह डालिये एक शानदार ग़ज़ल ।

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यादें 10 दिसंबर की

आज कुछ फोटो जो अचानक ही इस बार 10 दिसंबर को निकल आये । दस दिसंबर को चंद्र ग्रहण था और साथ ही थी शादी की सालगिरह भी । पुराने फोटो देखना भी अपने आप में एक पूरी यात्रा होती है । यात्रा जो स्‍मृति के गलियारों से होती हुई जाने कहां कहां चली जाती है । तो आइये आप भी देखिये वो चित्रमय झांकी ।

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एक पारंपरिक शादी जो बिल्‍कुल किसी फिल्‍म की तरह थी ।

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अत्‍याधिक ठंड हो जाने के कारण रजाई ओढ़ कर फेरे लिये थे ।

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भतीजा अभिमन्‍यू जो मेरा बहुत लाड़ला है ।

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नये सफर की शुरूआत

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दोनों फोटो के बीच में बरसों का अंतर है ।

इच्‍छा तो और भी बहुत फोटो दिखाने की हो रही है लेकिन फिर अपना ही लिखा एक व्‍यंग्‍य लेख याद आ रहा है 'बोर करता जीवन' जो कि बरसों पहले दैनिक भास्‍कर में छपा था । उसमें लिखा था कि इन लोगों के घर कभी मत जाओ पहला जिसके घर अभी अभी कोई शादी हुई हो ( अगला एल्‍बम और सीडी दिखा दिखा कर पकाएगा ) । दूसरा जिसके घर अभी कोई बच्‍चा स्‍कूल जाना शुरू किया हो उसके घर मत जाओ ( अगला जानी जानी तथा टिवंकल टि्विंकल सुना सुना कर पकाएगा ) । सो मैं भी क्‍यों पकाऊं आपको अपनी शादी की तस्‍वीरें दिखा दिखा कर । आपका ग़ज़ल कहने का बनता हुआ मूड और बिगड़ जायेगा ।

तो देर किस बात की चलिये गुलाबी सर्दियों में अपने गांव को याद करके कह डलिये ख़ूबसूरत सी एक ग़ज़ल ।

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल की फोटो हैं गुरुदेव ... आपको और (भाभी जी को विशेष) १० दिसंबर का दिन बहुत बहुत मुबारक हो ... प्रभु इन खुशियों को यूँ ही बनाए रक्खे ...
    जहां तक गज़ल की बात है ... सच है की मिसरा इतने कमाल हैं की बहुत संवेदनशील शेर सुनने को मिलने वाले हैं ...
    वैसे शुरुआत तो मैंने भी कर दी है लिखने की जल्दी ही भेजता हूँ अपनों गज़ल ...

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  2. नये आयोजन की ढेरों शुभकामनायें, स्मृतियों की राह भी भा गयी।

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. क्या ज़माना था .. !!
    तब मुख चाँद था, अब सिर चाँद है !!

    .. हार्दिक बधाइयाँ और ढेरम्ढेर शुभकामनाएँ ..

    --सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)

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  5. बेहतरीन तस्वीरें..शादी की वर्षगांठ मुबारक.

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  6. हठीला जी की याद में ये तरही मुशायरा बेहद सफल होगा इस में कोई संदेह नहीं है. मिसरा बेहतरीन है , अभी इस पर शेर सोचे नहीं गए हैं...शादी के फोटो लाजवाब हैं, सौरभ जी की टिप्पणी कमाल की है...शादी के वाले दिन दूल्हा बना हर गधा, घोड़े जैसे लगने लगता है...ये बात मैं अपनी शादी के अल्बम देखने के बाद कर रहा हूँ...आप तो माशा अल्लाह हैं ही घोड़े...बेहद हसीन लग रहे हैं...ये जोड़ी सलामत रहे...अभी जयपुर में हूँ...इष्टी और मिष्टी के जादू से बंधा दुनिया की सब बातों से बहुत दूर...अगले सोमवार को खोपोली लौटूंगा तब शेरो शायरी की बात करेंगे.

    नीरज

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  7. गुरुदेव प्रणाम,

    वाह् वा क्या बेहतरीन फ़ोटोज़ शेयर किया है आपने

    देख कर मज़ा आ गया

    तहरी मिसरा बढ़िया है यह तो पता था मगर इतना बढ़िया है यह नहीं पता था
    (मैं गज़ल लिख चुका हूँ :)))


    @ सौरभ जी
    क्या ज़माना था .. !!
    तब मुख चाँद था, अब सिर चाँद है !!

    हा हा हा
    मगर आपको बता दूं कि अब "सिर चाँद है" वाली स्थिति में कुछ बदलाव होने वाला है

    है न गुरुदेव ? :)))

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  8. बेहद सुंदर तस्वीरें -
    आप दोनों को शादी की सालगिरह की मंगल कामनाएं एवं आशिष
    आ. हठीला जी को तरही द्वारा याद करना आपकी संवेदनशीलता दर्शाता है
    - लावण्या

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  9. शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई. कमाल की तस्वीरें हैं. और भी तस्वीरें होती तो भी हम बोर नहीं होते!
    एल्बम और सी.डी. दिखा कर बोर करने वाली बात एकदम सही है. मेरे एक जानने वाले हैं जिनकी शादी को तो काफी समय हो गया है लेकिन जब भी उनके घर जाएँ तो एल्बम जरूर दिखाते हैं और साथ में बैठ भी जाते हैं कि कहीं हम चालाकी से तीन तीन पन्ने एक साथ तो नहीं पलट रहे. इस बार मैं भी अपनी शादी की डी.वी.डी. ले आया हूँ. अब जब वे हमारे यहाँ आंएगे तो मैं भी उन्हें पूरी की पूरी दिखाऊंगा.. और रिमोट छुपा दूंगा.

    तरही मिसरा आसान लग रहा है और काफिये भी काफी होंगे लेकिन यही बात कहीं मुश्किल न बन जाए. हाँ लेकिन यह तो तय है कि बहुत अलग अलग काफियों के साथ अच्छे अच्छे शेर पढ़ने को मिलेंगे.

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  10. थोड़ा देर से आया हूँ उसके लिए क्षमायाचना के साथ ढेर सारी बधाई सालगिरह की। जोड़ी हजारों साल सलामत रहे। तस्वीरें तो लाजवाब हैं। चाँद वाली बात जो सौरभ जी ने की है उस पर तो भाई कई ग़ज़लें कुर्बान।:))))))))

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  11. देर से ही सही शादी की हार्दिक शुभकामनायें\ भगवान आपकी जोडी को दुनिया की हर खुशी दे। परिवार मे सुख शान्ति दे। बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद। तस्वीरें देख कर दिल खुश हो गया। हठीला जी की याद मे मुशायरा बहुत अच्छा प्रयास है। एक बार फिर से बधाई और भईया भाभी को आशीर्वाद।

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  12. बाल-विवाह पे प्रतिबंध नहीं था क्या उन दिनों????

    :-)

    सोचता हूँ, मैं भी तरही पे प्रयास करना शुरू करूँ...वैसे लगता नहीं है कि कुछ लिख पाऊँगा!

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  13. उफ्फ्फ................गौतम भैय्या, मारक टिप्पणी की है. वैसे कभी आप अपनी शादी की एल्बम भी दिखाओ.

    गुरुदेव, तस्वीरें तो लाजवाब है, ये कड़ी आगे भी जारी रखिये.

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