आज नाग पंचमी है और नाग पंचमी का मतलब होता है कि नागों को दूध पिलाने का दिन अब विज्ञान भले ही कहता रहे कि सांप दूध पी ही नहीं सकता है मगर उससे क्या हम तो पिलायेंगें । वैसे तो विज्ञान ये भी कहता है कि आदमी सीमेंट गिट्टी नहीं खा सकता मगर आजादी के बाद से आज तक हमारे नेता और अफसर बाकायदा ये चीजें खा भी रहे हैं और पचा भी रहे हैं । हमारी ये भूमि पुण्य भूमि है यहां पर वो सब हो जाता है जो किसी और जगह पर नहीं हो सकता है । हमारे यहां पर पुल खा लिये जाते हैं कुए चोरी हो जाते हैं और सड़कें कागज पर ही बनाकर चमत्कार किये जाते हैं ।
तो आज नागपंचमी है और आज सांपों को दूध पिलाने का दिन है कहता रहा विज्ञान कि सांप दूध नहीं पीता कहती रहें मेनका जी कि सापों को इस तरह से नहीं रखें, उससे क्या हम तो सांपों को दूध पिलायेंगें धार्मिक आस्था का प्रश्न है । तो आजकल हो ये गया है कि एन नांगपंचमी के दिन ही सांप वाले नहीं आते उनका ये कहना है कि उस दिन व्यस्तता रहती है सो नहीं आ पाते हैं । आप के साथ भी ये ही समस्या आ रही हो तो कोई बात नहीं है आप तो अपने आस पास के सांपों को ही दूध पिला कर ये काम पूरा कर लें । आपके पास ही हर तरह के सापं मिल जाऐंगें मसलन पनियारे सांप ( छुटभैये नेता) जो दिखने में सांप ही होते हैं पर कुछ नहीं करते । या फिर धामन सांप ( विधायक ) या फिर कोबरा ( सांसद) और या फिर सब कुछ लील जाने वाले अजगर सांप ( अफसर) । मित्रों आपको केवल ये करना है कि पूरी श्रद्धा के साथ इन सांपों को स्मरण करें और फिर एक कटोरा दूध इनके दरवाजे के सामने रख कर आ जायें और ये प्रार्थना कर आयें कि हे नागराज हमारे देश को डसना बंद करो हे अजगर देव हमारे देश को साबुत निगलना बंद करों ।
कुछ सालों पहले हम कुछ मित्रो ने हमारे इलाके के बड़े नेता जी के घर के बाहर अल सुबह जाकर दूध के पैकेट रख दिये थे हमारी देखा देखी वहां कुछ और लोग भी रख गये और देखते ही देखते दूध के अच्छे खासे पैकेट हो गये । हमें लग रहा था कि नेता जी नाराज होंगें और भला बुरा कहेंगें मगर कुछ नहीं हुआ सुबह होते ही दरवाजा खुला और दूध के पैकेट उठा लिये गये । तो आप भी इस घटना से सबक लें और अपने अपने नेताओं को दूध पिलायें ताकि साल भर सुख शांति बनी रहे ।
सुबीर जी हमने तो यहा भंडारा चला रखा है .चाहे तो आप भी इसमे कुछ दान देकर पाप के भागी बन सकते है. ( अब नेताओ को दूध पिलाने से बडा पाप कुछ हो सकता है कया ?) :)
जवाब देंहटाएं. नेताओ को (सांपो को) ढूध पिलाये या न पिलाये वे जनता का ढूध (खून) चूस ही रहे है . ये सांप हमारे देश में साल भर मिलते है आज ही के दिन नही . बहुत बढ़िया व्यंग्य बधाई
जवाब देंहटाएंसुबीर भाई सटीक दिन चुना है आपने सटीक प्रहार करने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व्यंग किया हे आप ने इन पर, धन्यवाद,
जवाब देंहटाएंपंकज जी, बहुत बढ़िया सुझाव है लेकिन हमारे आसपास इतने नाग हैं कि मुझे लगता है नागपंचमी साल में कई बार होना चाहिये।
जवाब देंहटाएंnagpanchami ko rastriya parva ghoshit kiya jaye
जवाब देंहटाएंसीधा तीर निशाने पर-हा हा!!
जवाब देंहटाएंइस पर्व पर आपको बधाई एवं शुभकामनाऐं.
कितना चाहे दूध पिलाओ, ये तुमको निश्चित डँस लेंगें
जवाब देंहटाएंजिनके मन में ज़हर भरा हो, वो कैसे अमॄत उगलेंगे
भावुकता की ओढ़ दुशाला तुम जिनको अपना समझे हो
उसने ही लूटे सुख सपने तुम जिसको सपना समझे हो
क्या सचमुच दूध के पैकेट उठा लिए गये थे, क्या कोई इतना बेशर्म भी हो सकता है या बेअक्ल थे?
जवाब देंहटाएंक्या सचमुच दूध के पैकेट उठा लिए गये थे, क्या कोई इतना बेशर्म भी हो सकता है या बेअक्ल थे?
जवाब देंहटाएंगुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंलेख पढ़ा अच्छा लगा
हम तो बेसब्री से आपके लेखों का इंतज़ार करते है .................
हमारे यहाँ नाग पंचमी में दिन एक मेला लगता है मगर आज शाम अचानक इतनी ज़ोर की बरसात हुई की सब कुछ धरा का धरा रह गया .......... आपका सेहोर हमने कल गूगल अर्थ के द्वारा देखा चाणक्य पुरी भी देखी अच्छा लगा
शेष फ़िर
................आपका वीनस केसरी
बहुत बढ़िया! हम दूध लेकर ढूँढ रहे हैं।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
Arreeeeee
जवाब देंहटाएंये प्रार्थना कर आयें कि हे नागराज हमारे देश को डसना बंद करो हे अजगर देव हमारे देश को साबुत निगलना बंद करों ।
शायद उन्होने सुन लिया है. बहुत उत्तम!!!
देवी