सोमवार, 27 अगस्त 2007

मुझे नहीं लगता कि किसी को ग़ज़ल का व्‍याकरण सीखने में दिलचस्‍पी है

मैंने कहा था कि मैं ग़ज़ल का व्‍याकरण अब से अपने ब्‍लाग पर लिखा करूंगा और पूरा व्‍याकरण लिखूंगा जिसमें उदाहरण सहित बहरें देने के साथ साथ तफ़सील से उनको तोड़ कर भी बताउंगा कि किस प्रकार इनको बनाया गया है । उसके साथ ही मैं ये भी देने का प्रयास करूंगा कि हिंदी और उर्दू के पिंगल में क्‍या फर्क है । किंतु लगता है कि किसी को सीखने में दिलचस्‍पी नहीं है मुझे केवल तीन ही टिप्‍पणियां मिली हैं । मैं इस दुर्लभ विधा को सिखाने की कोई फीस नहीं ले रहा हूं किंतु कम अ स कम टिप्‍पणियां तो मेरा अधिकार है । फिलहाल मैंने व्‍याकरण देकर ग़ज़ल सिखाने का इरादा छोड़ दिया है और वो इसलिये कि जब कोई सीखना ही नहीं चाहता तो किसको सिखाया जाए ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. सूबीर जी, आप यह कैसे कह सकते है कि कोई सीखना नही चाहता। यकीन किजीए हम सीखना चाहते है। आप लिखना तो शुरू करें। जहाँ तक टिप्पणीयों की बात है तो उस के लिए परेशान ना हो।आप आज जो हमारे सीखाने के लिए यहाँ लिखेगें वह बरसों तक लोगो को लाभ पहुँचाता रहेगा। आप से निवेअदन है कि आप अवश्य लिखें।

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  2. मेरे विचार से टिप्पणियों की चिन्ता छोड़िये। आप वह लिखिये जो आपको पसन्द है। क्योंकि आप वही सबसे अच्छा लिख सकते हैं। आज नहीं तो कल, उसे पढ़ने वाले मिलेंगे।
    यदि मैं टिप्पणियों की चिन्ता करता तो शायद मुझे साल भर पहले ही चिट्ठाकारी करना छोड़ देनी चाहिये थी।

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  3. भाई सुबीर जी टिप्पणियों की आशा रखना तो समझ आता है पर अधिकार वाली बात से मैं इत्तिफाक नहीं रखता। चिट्ठाजगत की दुनिया बहुत छोटी है। यहाँ बड़े बड़े सूरमा हैं जो एक दूसरे को लिंक कर, आपसी तारीफ के पुल बाँधकर अपनी एक जमात बनाते हैं । आप भी वैसा ही रास्ता अपना सकते हैं लोकप्रियता और टिप्पणी हासिल करने का !

    या फिर जैसा बाली जी ने कहा आप ये सोचिए कि अगर आप अपना ज्ञान बाँटेगे तो सालों बाद भी जो आपके चिट्ठे से लाभान्वित होगा वो आपको दिल से दुआ देगा। ये तो आप भी मानेंगे कि शब्दों में लिपटी खोखली तारीफ से कहीं ज्यादा मन की दुआएँ काम आती हैं। हिंदी के अधिकांश पाठक जो चिट्ठाकार नहीं हैं, टिप्पणी के लफड़े से दूर रहते हैं।

    आप एक अच्छा काम करने जा रहे थै, इसलिए इतना कहना पड़ा...आशा है इसे आप अन्यथा ना लेंगे.

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  4. for new generation understanding GAZAl is difficult writing is even more dificult may be ie why people did not give comments

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  5. सबीर जी:
    आप ज़रूर लिखें । विश्वास कीजिये काफ़ी लोग को इस में रुची होगी और सीखना चाहेंगे । मै कविता को समर्पित एक याहू समूह ( ईकविता )का संचालन करता हूँ , यदि आप उस में लिखना चाहें तो करीब ४०० से अधिक पढनें वाले वहां मौज़ूद है।
    http://launch.groups.yahoo.com/group/ekavita/

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  6. ऐसा मत सोचें. तीन दिन के अवकाश (विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में) एवं कम्प्यूटर पर वायरस के अटैक के कारण टिप्पणी नहीं कर पाने का क्षमापार्थी हूँ. मगर आपको पढ़ रहा हूँ. अच्छा लग रहा है.

    प्लीज, लिखें मेरे लिये और हमारे लिये.

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  7. महोदय
    ग़ज़ल के शिल्प में हमारी दिलचस्पी है.
    आप अपनी कोई ग़ज़ल कहें.उस की तकती मैं करना
    चाहूँगा. कथ्य शिल्प दोनो की बात होगी.
    आप शिल्प के ज्ञाता है ऐसा आप फर्मा रहे हैं.
    हमारी ग़ज़लें नेट पर मौज़ूद हैं.बे बहर एक भी नहीं जरा बहरों के नाम तो बताइये.जनाब
    क्या आप उर्दू जानते हैं ?

    आप के शागिर्द हो जायेंगे.
    जेहाफ, सालिम.खंडित बहरों पर भी रौशनी डालें.
    मज़ा आयेगा दोस्त.इल्में क़ाफिया पर भी बात करें.गुजराती भाषा में ग़ज़ल का सौ साल का इतिहास है.एक से बढ़कर एक ख़लीफ़ा हैं.आप हिन्दी उर्दू की बात करें मैं गुजराती ग़ज़ल की बात करूँगा.


    लोग बोलें तब फिकर मत करना.
    ख़ामोशी से बड़ी दाद और भला क्या हो सकती है.
    लोग दाद देना भूल जायें.
    आपके कलाम का इन्तज़ार रहेगा.
    ख़ुदा हाफ़िज़.

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  8. लीजिए, अब जब डॉ सुभाष भदौरिया भी आपको अनुरोध कर रहे हैं तो मानना ही पड़ेगा। उनकी ग़ज़ल पर पकड़ और अध्ययन का मैं भी कायल हूं।
    मगर एक बात ज़रूर कहूंगा कि टिप्पणियों की परवाह ज़रूर करें। मुफ्त में न श्रम करें। आप सचमुच क्लास लगा रहे हैं और सीखने वालों की हाँ- हूँ तो आनी ही चाहिए। धमकाइये और हाँ -हूँ वसूल कीजिए । कोई मज़ाक समझ रखा है क्या।

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  9. guruji aapne jo 2007 ek nadi shuru ki thi.......aap mein uske saath juda hun. jaise ki bali ji ne kaha hain upar" aaj jo likhege.......barsho tak lago ko laabh pahuchata rahega.......
    dekhiye aaj 2010 chal raha hain..
    aaj ek aur gazal vidharthi aap ki class mein aaya hain..........
    dil se aapko dhanyvaad bhejta hun.........

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  10. Guru ji Aap ki wajah se hum jaise nadan log kuch sikh paa rahe he thanks a lot... Tapan Dubey

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  11. मैं समझता हूँ कि यदि आप यह कार्य नहीं करते है तो न केवल एक पुन्य कृत्य से वंचित हो रहे हैं बल्कि सीखने वालों का नुक्सान भी करेंगे..............टिप्पणियों की चिंता करना आत्म प्रशंसा की तरह लगता है........जब आपके ज्ञान से लोग लाभान्वित होंगे तो वो न केवल धन्यवाद और दुआ देंगे बल्कि आपको वांछित टिप्पणियों से लाद देंगे.......................

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  12. मेरा आपको ज्वाइन करना या औरों का................ये हज़ारों टिप्पणियों पर भारी है...........

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  13. agar gazal ka chhand vidhaan samjha de to waakai badi meharbaani hogi kai log mujh jaise jo sifrf likh rahe hain achchha aur pramanik likhne lagenge ....... kripa hogi,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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