शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

चलिए नए साल के आने पर कुछ नया काम काज शुरू करते हैं कुछ नया लिखते पढ़ते हैं। जानकारी 19 जनवरी शिवना सम्‍मान की, पुस्‍तक मेले की और तरही मुशायरे की।

मित्रों दीपावली को तरही मुशायरा बहुत अच्‍छे से संपन्‍न हुआ । सभी ने बहुत कम समय में बहुत अच्‍छी ग़ज़लें लिख कर भेजीं । सबसे अच्‍छी बात ये लगी कि सबमें उत्‍साह बहुत था। जीवन में उत्‍साह ही सबसे ज़रूरी चीज़ है । यदि उत्‍साह है तो फिर सब कुछ संभव है। जीवन में सबसे बड़ी समस्‍या तब पैदा होती है जब हममें उत्‍साह की कमी होने लगती है। यदि हम लेखक हैं तो हमें कुछ समय बाद ये लगने लगता है कि हओ.... अब किसके लिये लिखें। इत्‍ता तो लिख दिया । जो एक चार्म था लेखक बनने का वो तो पूरा हो ही गया है अब किसके लिये और क्‍यों लिखा जाए। इसका मतलब ये था कि हम लिखने के लिये नहीं बल्कि कुछ बनने के लिये लिख रहे थे। एक मुकाम हासिल करने के लिये। यही सबसे ख़तरनाक होता है। पाश की कविता है-

सबसे ख़तरनाक होता है, मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना, सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर, और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना

यह कविता काफी कुछ कहती है। और इसकी अंतिम पंक्तियों मुझे बार बार कुरेदती रहती हैं। सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना। सचमुच एक कलाकार के लिए सबसे ख़तरनाक होता है उसके सपनों का मर जाना । क्‍योंकि सपने ही तो हमें उत्‍साह देते हैं । और जैसा मैंने पहले कहा कि उत्‍साह से ही सब कुछ होता है। सुबीर संवाद सेवा के पिछले मुशायरे में मुझे यह अनुभव हुआ कि उत्‍साह तो अभी तक बाकी है। निरंतरता में कुछ कमी है जिसे पूरा करने का प्रयास करना है । तो उसी क्रम में आइये शुरू करते हैं नये साल का मुशायरा। मुशायरे के लिये आसान बहर पर आसान सा मिसरा बनाया गया है। बहर तो पुरानी ही है । बहरे रमल मुसमन महजूफ अर्थात 2122-2122-2122-212 फाएलातुन-फाएलातुन-फाएलातुन-फाएलुन । और इस बहर पर जो मिसरा बनाया गया है वो इस प्रकार है

''मोगरे के फूल पर थी चाँदनी सोई हुई''

इसमें चांदनी की जो 'ई' की मात्रा है वो है क़ाफिये की ध्‍वनि और उसके बाद जो 'सोई हुई' है वो रदीफ है। कुछ कठिन हो सकता है ये कॉम्बिनेशन लेकिन अब हमें कुछ कठिन करने की आदत तो डालनी ही होगी। बहर तो आसान है इसलिये मुझे नहीं लगता कि आप जैसे माहिरों को कोई परेशानी आनी चाहिये। मेरे विचार में यदि आप सब लोग दिसम्‍बर अंत तक अपनी रचनाएं भेज देते हैं तो फिर हम जनवरी में आयोजन कर सकते हैं।

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एक समाचार ये है कि 19 जनवरी 2015 को शिवना प्रकाशन के वार्षिक आयोजन में इस्‍मत ज़ैदी जी को शिवना सम्‍मान प्रदान किया जाएगा। अन्‍य दो नामों की जिनमें एक पत्रकार तथा एक कवि हैं उनके नामों की घोषणा शीघ्र की जाएगी। सम्‍मान समारोह तथा काव्‍य पाठ इस प्रकार दो चरणों में कार्यक्रम का आयोजन होगा। आप सब इस कार्यक्रम में सादर साग्रह आमंत्रित हैं। आपके आने से कार्यक्रम की शोभा बढ़ेगी। क्‍योंकि आप सब शिवना के सदस्‍य है। तो रिजर्वेशन आदि करवा लीजिए। और आने की तैयारी कर लीजिए।

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एक और समाचार ये है कि शिवना प्रकाशन इस बार संभवत: विश्‍व पुस्‍तक मेले दिल्‍ली में 14 फरवरी से 22 फरवरी तक अपना स्‍टॉल लगायेगा। आप सब वहां पर भी सादर साग्रह आमंत्रित हैं। वहां पर भी शिवना द्वारा कुछ कार्यक्रम किये जाएंगे लेकिन क्‍या होंगे इसका प्रारूप अभी तय नहीं किया गया है। अभी स्‍टॉल अलाटमेंट नहीं हुआ है जैसे ही होता है वैसे ही आपको सूचित किया जाएगा।

तो ये सारी सूचनाएं आपके लिये हैं। इनको दर्ज कीजिए और इनके अनुसार कुछ समय निकालने की कोशिश कीजिए।

13 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ समस्याा है टिप्पतणी पोस्ट होने में। चार पॉंच प्रयास कर लिये; विफ़ल होकर यहीं दे रहा हूॅं।

    'सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना' एक पल को स्त ब्धि रह गया मैं। ये चार पंक्तियॉं क्रॉंति के संदर्भ में एक उदाहरण है कहन की।
    बह्र तो प्रिय है ही और चुनौती आकएर्षक आपने जो विश्वा स जताया है उस पर खरा उतरने का समग्र प्रयास रहेगा।

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  2. कुछ समस्याा है टिप्पतणी पोस्ट होने में। चार पॉंच प्रयास कर लिये; विफ़ल होकर यहीं दे रहा हूॅं।

    'सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना' एक पल को स्त ब्धि रह गया मैं। ये चार पंक्तियॉं क्रॉंति के संदर्भ में एक उदाहरण है कहन की।
    बह्र तो प्रिय है ही और चुनौती आकएर्षक आपने जो विश्वा स जताया है उस पर खरा उतरने का समग्र प्रयास रहेगा।

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  3. ismat zaidi
    मेरी टिप्पणी स्पैम से निकाल लेना

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  4. 'सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना' एक पल को स्‍तब्‍ध रह गया मैं। ये चार पंक्तियॉं क्रॉंति के संदर्भ में एक उदाहरण है कहन की।
    बह्र तो प्रिय है ही और चुनौती आ‍कर्षक आपने जो विश्‍वास जताया है उस पर खरा उतरने का समग्र प्रयास रहेगा।

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  5. गुरूवर,

    आपका आयोजन और लोग लालायित न हों?

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  6. ख़ूबसूरत मिसरा है ,वाह !
    शुक्रिया शिवना प्रकाशन !

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. नव वर्ष आया नहीं कि उपहार मिल गया.. .

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  9. एक अच्छी परंपरा को जारी रखने के लिए बहुत बहुत आभार ... शिवना सामान की इस्मत जी को पुनः बधाई ... मिसरा लाजवाब है ... कार्यक्रम अच्छा ही रहने वाला है इसलिए सुबीर संवाद परिवार को अग्रिम बधाई ...

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  10. बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया - हो हा

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  11. वाह पंकजजी

    नीरजजी की किताब की याद दिला दी इस मिसरे ने
    आयोजन की सफ़लता तो निश्चित है ही इसलिये अग्रिम बधाई और शिवना प्रकाशन को शुभकामनायें

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  12. मिसरा बहुत खूबसूरत है, शायद इस बार ये कुछ लिखा ले जाये।
    १९ जनवरी के कार्यक्रम के लिए टिकट बुक कर दी हैं।

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  13. अंतरजाल पर विचरण करते करते इस अंतर्जाल पर आ पहुँचा हूँ, बड़ा ही आनंद आ रहा है ब्लॉग पढ़कर....।

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