इस बार हम बहुत बहुत जल्दी में दीपावली के त्योहार का आयोजन कर पाये । हालांकि इससे एक बात भी पता चली कि वो कहावत हमेशा सही नहीं होती कि जल्दी का काम शैतान का काम होता है । और इस बार जिस प्रकार से लोगों ने तुरंत तुरंत रचनाएं दीं तथा आयोजन में भागीदारी की उससे मन बहुत गार्डन गार्डन (बाग बाग) हो गया है । तो जल्द ही कुछ और आयोजन होने की भूमिका भी उससे जुड़ गई है । और हां शिवना का वार्षिक आयोजन जो इस बार लंदन की यात्रा की व्यस्तता के कारण नहीं हो पाया अब वो जनवरी में होगा । तारीख जल्द ही घोषित कर दी जाएगी ।
कई लोगों ने लंदन के सम्मान समारोह की वीडियो देखने की मांग की है । तो आप सब की मांग पर प्रस्तुत है ये वीडियो । इसे पूरा देखने के लिये आपको लगभग दो घंटे का समय चाहिये होगा । चूंकि एक ही लेंथ में पूरा वीडियो अपलोड किया गया है । तो आप इसे देखिये और बताइये कि आपको कैसा लगा ।
तो आज की ये पोस्ट केवल आपके साथ लंदन सम्मान समारोह की वीडियो शेयर करने के लिये ही है । समय निकाल कर देखियेगा । मैं जो कुछ आज हूं उस होने में आप सबका बहुत योगदान है । तो ये आप सब को समर्पित ।
ये भी खूब रही। आपने सोचा कि जब वीडियो देखेंगे तो पढ़ेंगे क्याा; और पोस्ट में आलेख कम रह गया। अब आपका वीडियो तो रात घर की फ़ुर्सत में देखता हूँ और लौट कर आता हूँ।
जवाब देंहटाएंसुबीर जी , प्रणाम
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर । अच्छा लगता है यह देखकर कि यदि समर्पण के साथ साहित्य साधना की जाये तो जीवन रोचक बन जाता है । आपके लन्दन यात्रा का विवरण हमें फेसबुक के माध्यम से भी मिलता रहा । साहित्यिक सम्मान के लिए तहे दिल से बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ ।
आप इसी प्रकार देश और दुनिया में नाम कमाते रहे यही हम सब की भगवान से प्रार्थना है ।
भाईजी, आज रात का स्केड्युल तो अब टाइट हो गया. दो घण्टे की सार्थक व्यस्तता के बाद कल ही बता पाऊँगा कि जो देखा उसमें क्या-क्या देखा.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए हार्दिक धन्यवाद.
आपको मुबारक और शुभकामनायें!......
जवाब देंहटाएंॐ
जवाब देंहटाएंनमस्ते
कल ये वीडियो पूरा सुना और ' विश्वा ' के सम्पादक रमेश जोशी,
डॉ. मृदुल कीर्ति को भी आगे भेज दिया था।
आपकी स्पीच सबसे अधिक पसंद आयी और पद्मजा जी की भी अच्छी लगी।
आपको मैं सदैव ' गुणी अनुज ' संबोधित करती हूँ और यह कितना सही है , है न ? :)
आपकी कहानियों को सराहा गया और आपको सम्मानित किया गया मुझे बड़ी खुशी हुई !
ये आपके उच्च स्तरीय लेखन का प्रमाण है जिसे आज विश्व भर में सराहा जा रहा है।
मैं भी आपकी लेखन शैली की प्रसंशक हूँ।
आपके व्यक्तित्व में भारतीयता और भावनात्मकता का अनोखा सम्मिश्रण है।
ये भी आपकी बातें सुनते हुए स्पष्ट हुआ।
ख़ास कर के आपकी विनम्रता दिल को छू गयी।
बहुत बहुत बधाई हो ! मुबारक हो पंकज भाई !
आगे , आप के लेखन से भविष्य में और अधिक आशाएं बंधीं रहेंगीं।
आप नये विषयों को मार्मिक , हृदयग्राही कथा कहानियों में पिरोकर ,
आपके विश्व में फैले पाठक समुदाय को नित नई नई कहानियों से आनंदित करते रहियेगा।
आपकी प्रथम लन्दन यात्रा के बारे में , आपके विचार भी अवश्य , शीघ्र साझा करीयेगा।
मैं उत्सुक हूँ सुनने के लिए कि आपका भारत भूमि से बाहर यह प्रवास कैसा रहा -
परदेस में नये परिवेश को देख आपको कैसा लगा ? लिखिएगा।
मेरी अनंत शुभकामनाएं एवं स्नेहभरे आशीर्वाद आपके साथ हैं।
- लावण्यादी
E Mail : Lavnis@gmail.com
यु एस ए से
अद्भुत !!
जवाब देंहटाएंछोटा स हिस्सा तो देखा था ... पूरा आज ही ... मज़ा आया ... अच्छा लगा ... अपना सीना भी फुलाया ... सभी वक्ताओं के साथ आपकी विशिष्ट शैली बहुत अच्छी लगी ... सादगी भरी लगी ... इस सम्मान की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ... many more to come ....
जवाब देंहटाएंआज जाकर देख पाया पूरा। आपको दिल्ली में भी सुना था। आज फिर सुना। लिखते ही नहीं कहते भी खूब हैं आप।
जवाब देंहटाएंअब तरही शुरू की जाय।
बहुत बढ़िया...आप को और सभी ब्लॉगर-मित्रों को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है