दोस्तो, ये सच है कि पिछला साल बहुत कठिन गुज़रा और अभी यह साल भी उन्हीं परेशानियों से भरा हुआ है। कोरोना का ख़तरा एक बार फिर से मंडरा रहा है। गर्मी आते ही यह और बढ़ेगा। ऐसे में बहुत सावधानी रखिये और सेनेटाइज़र तथा मास्क का उपयोग करते रहिए। लापरवाही मत बरतिये।
होली के अवसर पर तरही मुशायरे का मिसरा देने में इस बार कुछ देर हो गई है। हालाँकि अभी भी दस दिन बचे हैं और इतने दिन में तो आप सब कमाल कर ही सकते हैं।
तो आइये जानते हैं इस बार के तरही मिसरे के बारे में।
फागुनी मस्ती में डूबी आ गयी होली
2122-2122-2122-2
फाएलातुन-फाएलातुन-फाएलातुन-फा
बहुत आसान सी बहर है।
इस बार इस मिसरे में आपके पास दो च्वाइस हैं क़ाफ़िया को लेकर। आप दो प्रकार से इस मिसरे को बाँध सकते हैं।
1 या तो आप रदीफ़ ले सकते हैं ‘आ गयी होली’ इस स्थिति में क़ाफ़िया होगा ‘डूबी’ में आई हुई ‘ई’ की मात्रा।
2 या आप रदीफ़ ले सकते हैं केवल ‘होली’ मतलब क़ाफ़िया रहेगा तो वही ‘ई’ की मात्रा, मगर वह ‘डूबी’ के स्थान पर ‘गयी’ का होगा।
यह केवल आपकी सुविधा के लिए है। कई बार ऐसा होता है कि हम थोड़ा उलझ जाते हैं। हम चाहते हैं कि क़ाफ़िया 22 के स्थान 12 होता तो कैसा अच्छा होता। बस इसीलिए आपके पास दोनों सुविधा हैं चाहे तो आप 22 ‘डूबी’ का उपयोग करें या फिर 12 ‘गयी’ का उपयोग करेँ।
पहला उदाहरण ‘फागुनी मस्ती में डूबी आ गयी होली’ पर एक मतले के रूप में, रदीफ़- ‘आ गयी होली’, क़ाफ़िया- ‘डूबी’ में आई हुई ‘ई’
रंग के बादल (उड़ाती) (आ गयी होली)
ले के हुरियारों की (टोली) (आ गयी होली)
क़ाफ़िया – टोली, बोली, बैठी, सच्ची, उड़ाती, बहाती, जगमगाती, खिलखिलाती, शादमानी, आसमानी
मतलब यह कि आपके पास 22, 122, 2122, आदि वज़न के शब्द लेने का ऑप्शन है।
दूसरा उदाहरण ‘फागुनी मस्ती में डूबी आ गयी होली’ पर एक मतले के रूप में, रदीफ़- ‘होली’, क़ाफ़िया- ‘गयी’ में आई हुई ‘ई’
रंग और ख़ुशबू की है जैसे (नदी) (होली)
सबके चेहरे खिल उठे लाई (हँसी) (होली)
क़ाफ़िया – नदी, हँसी, ख़ुशी, चाँदनी, रौशनी, मिली, खिली,
मतलब यह कि आपके पास 12, 212, 2212 जैसे क़ाफ़िये लेने का ऑप्शन है।
तो इंतज़ार किस बात का ? शुरू कर दीजिए ग़ज़ल पर काम और भेज दीजिए लिख कर।
इसी की प्रतीक्षा थी। स्वागत है।
जवाब देंहटाएंप्रयास रहेगा।
सुन्दरम
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लेकिन आसां नहीं राह पनघट की
जवाब देंहटाएंहोली की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं
पंकज जी, राम राम साब.
जवाब देंहटाएंतुमने का सोची के हमारे पास करिवे कूँ कछु और नाय बचौ के दस दिना में तरही कूँ नाप कई ध. और ी रदीफ़ और काफिये तो पल्ले भी नाय पड़ें तो भांग खाय के का लिखिंगे ?र दें. गिर्राज महाराज की सौं हमार बस की तो बात दिखे नांय। हम तो बस भांग खाय के तरंग में होली मनामेंगे
बस यही अपराध में हर बार करता हूं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंहोली की शुरुआत कर ही दी है आपने आदरणीय।
होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ।
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