होली के तरही मिसरे को लेकर बहुत भागदौड़ के बीच काम हुआ है और अंत में जो बना है वो यह है।
मैं रंग मुहब्बत का, थोड़ा सा लगा दूं तो..?
बहर तो आसान है आप लोग समझ ही गए होंगे। बस ये कि मिसरे में दो स्पष्ट टुकड़े होना चाहिए। काफिया है 'लगा' में आने वाली 'आ' की मात्रा। और रदीफ है 'दूं तो…?' । बस बहर को लेकर सावधानी रखनी है। होली है इस बार मार्च के पहले सप्ताह में, तो फरवरी के अंतिम सप्ताह तक अपनी ग़ज़ल भेज दीजिए। क्योंकि होली का मुशायरा केवल तीन या चार दिन ही चलना है इसलिए समय से आई हुई ग़ज़लों को स्थान मिल जाएगा।
मित्रों विश्व पुस्तक मेले में आप सब से मिलने का असवर सामने है। आप सब आइये और वहां अपनी सहभागिता दर्ज करवाइये क्योंकि वो आप सब का ही स्टॉल है। वह सुबीर संवाद सेवा का भी अधिकारिक स्टॉल है ।
शिवना प्रकाशन एवं सभी लेखकों को बधाई और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहोली का मिसरा नोट कर लिया है, अब देखना है कि ग़ज़ल हो पाती है या नहीं।
आना तो नहीं हो सकेगा, परन्तु आप सब को हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंआप सब को हार्दिक शुभकामनाएं कि लोग आपकी किताब को खूब पढ़ें, सराहें और याद रखें!
बहुत बहुत शुभकामनायें। प्रकाशित लेखकों को बधाई। 21 या 22 का प्रयास रहेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनायें। प्रकाशित लेखकों को बधाई। 21 या 22 का प्रयास रहेगा।
जवाब देंहटाएंगुरूजी बह्र पहचान नहीं पाया..२२११२२२२२११२२२
जवाब देंहटाएंमुझे भी यही अरकान समझ आये:
जवाब देंहटाएंमफ़ऊलु मफ़ाईलुन् मफ़ऊलु मफ़ाईलुन्
221 1222 221 1222
शिवना को पुस्तक मेले के लियें सभी लेखकों सहित अनन्य शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंतरही के मिसरे ने पुरानी धुनें याद दिला दीं:
https://www.youtube.com/watch?v=vBTcsTd2kF0
बहुत बहुत शुभकामनाएँ व बधाई।
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