tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post8227750574211418104..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: गुलो बहार बगीचे हुये दिवाने से अजीब कैफ मे डूबी हुई हवाऐं हैं . तरही को लेकर इस बार अच्छा खासा उत्साह है । आज सुनिये राजीव भरोल और डॉ अज़मल खान को ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86551252243137513202010-07-24T23:55:52.846+05:302010-07-24T23:55:52.846+05:30सभी हाज़रीने मुशायरा को आदाब और शुक़्रिया मेरी गज़ल क...सभी हाज़रीने मुशायरा को आदाब और शुक़्रिया मेरी गज़ल को पसंद फरमाने के लिये.<br />मेरे साथी राजीब जी की गज़ल शानदार है <br />"कठिन है राह, बहुत तेज़ भी हवाएं हैं,<br />सफर में साथ मगर माँ की भी दुआएं हैं."<br />वाह वाह <br />बहुत बहुत बधाई।<br />सुबीर जी को भी बधाई और शुक़्रिया .<br />"वोह लोग खुशक़िस्मत होते है जिनके सर पर अपने बडो का हाँथ होता है जनाब "प्राण शर्मा" जी का हुक़्म सर आंखो पे आगे से मैं हुक़्म का पाबंद रहूंगा, और मैं तहेदिल से शर्मा जी का शुक़्रगुज़ार हूँ.<br />और आखिर मे मैं सभी साथियो का शुक़्रिया अदा करता हूँ, मुझे और मेरी गज़ल को मुहब्बत देने के लिये. <br />फक़त आप का<br />Dr.Ajmal Husain Khan "माह्क"Dr.Ajmal Khanhttps://www.blogger.com/profile/13002425821452146623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-21000207003561522372010-07-22T23:32:58.674+05:302010-07-22T23:32:58.674+05:30प्राण जी, तिलक जी एवं इस्मत जी,
गज़ल की त्रुटियों क...प्राण जी, तिलक जी एवं इस्मत जी,<br />गज़ल की त्रुटियों को बताने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आपके सुझाव एकदम सटीक हैं. मैं अभी सीख रहा हूँ तो गलतियाँ स्वाभाविक हैं. आपके सुझाव मेरे लिए बहुत अनमोल हैं.<br /><br />-राजीवRajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-72804777752544208062010-07-22T09:33:55.948+05:302010-07-22T09:33:55.948+05:30राजीव जी की पूरी ग़ज़ल ख़ूबसूरत है ख़ास तौर से
कठि...राजीव जी की पूरी ग़ज़ल ख़ूबसूरत है ख़ास तौर से<br />कठिन है राह बहुत..............<br /><br />और अजमल साहब का शेर<br />तुम्हीं ने इश्क़ सिखाया.........<br /><br />मानी के ऐत्बार से उम्दा है लेकिन दोनों ग़ज़लों के सिलसिले से मैं प्राण साहब की बात से सहमत हूं और जहां तक मुझे मालूम है नियम के अनुसार अगर मतले के दोनो मिसरों में "भी" का इस्तेमाल हुआ है क़ाफ़िये के साथ तो हर शेर के दूसरे मिसरे में "भी" का इस्तेमाल लाज़मी हो जाता है और<br />एक मिसरा आप और दूसरा तुम के संबोधन से सही नहीं है<br /><br />वैसे ये मेरा विचार है जो ग़लत भी हो सकता हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-87077964837104729422010-07-21T01:13:35.130+05:302010-07-21T01:13:35.130+05:30माहक जी की गजल कई मायनों में बहुत पसंद आई
गुरु जी ...माहक जी की गजल कई मायनों में बहुत पसंद आई<br />गुरु जी आपके कितनी बढ़िया बात कही है कि रचनाकार का परिचय उनकी रचना से ज्यादा बेहतर और कौन दे सकता है<br />पारंपरिक शायरी का हुनर पाना कितना मुश्किल है तब पता चलता है जब लाख चाह कर भी हुस्न के लिए एक मिसरा भी नहीं कह पाता हूँ<br /><br />माहक साहब, आख़िरी के तीन शेर तो माशाल्लाह दिल में खलबली मचाए हुए हैं <br />आपकी गजल पहली बार पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और दिली इच्छा है कि आपकी और भी गजल पढ़ने को मिले<br /><br /><br /><br /><br /><br />-------------------------------------------------------------------------------------<br />{गुरु जी, पहले तरही मुशायरे में आपने कहा था कि दिए गए मिसरे कि गिरह हम मतले में नहीं लगा सकते और अगर गिरह मतले में लगाई जा रही है तो उस मतले हुस्ने मतला बनाना पडेगा, मगर तब से कई बार; कई शायरों ने जाने अनजाने में मतले में ही गिरह लगाई है, मैं खुद कई बार मतले में गिरह लगाना चाहता था (इस बार भी) मगर नियम की वजह से ऐसा नहीं कर पाता, अगली तरही में इस बिंदु पर प्रकाश डालें कि नियमानुसार क्या उचित है |}वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-45473594253566184682010-07-21T01:11:44.223+05:302010-07-21T01:11:44.223+05:30राजीव जी का तरही में आगाज़; शानदार है, सदाबहार है
...राजीव जी का तरही में आगाज़; शानदार है, सदाबहार है<br />परसों राजीव जी का फोन आया था तो कह रहे थे; बस लिख कर भेज दी है तो भई राजीव जी; अगर यह गजल बस लिख कर भेजी हुई है तो जब दिल से, मन से लिखेंगे तो क्या कहर ढायेंगे<br />मुझे याद आता है कि जुम्मा जुम्मा दो महीने पहले; आपने बहर में अपनी पहली गजल लिखी थी, दो महीने में इतनी कठिन बहर को साध पाना ही काबिले रश्क है <br />आपको शायद याद हो मैंने आपसे कहा था कि आप जिस रफ़्तार से गजल की बारीकियों को आत्मसात कर रहे हैं बहुत जल्द हम सबकी छुट्टी कर देंगे<br />देख लीजिए तरही का क्या जोरदार आगाज़ है आपका<br />"दवाएं" काफिया का प्रयोग करके तो आपने चौका ही दिया, दिल खुश हो गया<br />बस लिखते रहिये और छा जाईयेवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-57685142636277074452010-07-21T01:09:15.112+05:302010-07-21T01:09:15.112+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-5628684558905686212010-07-21T01:09:13.398+05:302010-07-21T01:09:13.398+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8038861179483878972010-07-21T01:09:12.432+05:302010-07-21T01:09:12.432+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-81360311098669033522010-07-21T01:09:10.139+05:302010-07-21T01:09:10.139+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-33681964883427098862010-07-21T01:08:15.050+05:302010-07-21T01:08:15.050+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-53178672809706547082010-07-21T01:07:45.484+05:302010-07-21T01:07:45.484+05:30गुरु जी प्रणाम,
कमेन्ट लिखने की शुरुआत करने में उस...गुरु जी प्रणाम,<br />कमेन्ट लिखने की शुरुआत करने में उसी पेशोपश का सामना करना पड़ रहा जिससे शायद आप पोस्ट लिखते समय गुजरे होगे.<br />जिंदगी की धूप-छाँव का एक बड़ा तजुर्बा हो रहा है, हर ओर से खुशियों की बारिश होनी थी और अचानक हर ओर से गम की घटाएं घिरी आ रही है, दिन भी रात सी लग रही है, बस अपना ही एक शेर गुनगुना लेता हूँ<br /><br />दोपहर में जो झुलसती सांस के जैसी मिले <br />वो ही ढलती शाम को मान की दुआ है जिंदगी<br /><br />दुआ करता हूँ कि झुलसती दोपहर के बाद हम सब की जिंदगी में वो ढलती शाम जल्दी आए जब गम की घटाओं से ही खुशियों की बारिश हो.<br /><br />आमीनवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48787275651931757072010-07-20T22:47:47.493+05:302010-07-20T22:47:47.493+05:30प्रणाम गुरु देव,सच में अपनों की दुआएं ही काम आती ह...प्रणाम गुरु देव,सच में अपनों की दुआएं ही काम आती हैं !इन दिनों अजीब सी मसरूफियत रही बड़े अजीबो-गरीब तरह के तज़रबे हुए कुछ कह नहीं सकता उसकी बातें फिर कभी बस यही है के जो होता है वो अछे के लिए होता है ....<br />जब कुमार विश्वास और गुरु जी के साथ रेस्ट हाउस में बैठा था तो राजीव भरोल के बारे में बात हुई थी कुमार साब ने कहा था के सुबीर भाई आपके शिष्य तो विदेशो में भी हैं.... क्या ख़ुशी मिली थी... राजीव अछि शईरी करते हैं ज़मीनी बातें ज्यादा करते है जो एक अछे शीर की पहचान होती है .... शे'र हमारे गाँव में वाला इसी का एक उदहारण है ... डा . अजमल जी ने भी क्या खूब शे'र कहे हैं पहली दफा पढ़ रहा हूँ इनको मगर दिल से वाह वाह ... कमाल के शे'र इन्हें खास तौर से बधाई दूंगा के इनके शे'र को गुरु जी ने पोस्ट का टाइटल बनाया है .... बधाई दोनों ही नए शाईर को और इनका भरपूर स्वागत है ....<br />साक्षात् दंडवत करके क्षमा मांग रहा हूँ विलम्ब के लिए ...<br /><br />आपका<br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-31706052567850195692010-07-20T15:54:51.059+05:302010-07-20T15:54:51.059+05:30जब भी ब्लॉग पे आता हूँ, तो ब्लॉग का रंग रूप देख के...जब भी ब्लॉग पे आता हूँ, तो ब्लॉग का रंग रूप देख के मन खुश हो जाता है, आप अनगिनत कलाओं के स्वामी हैं.<br /><br />एक लाजवाब शुरुआत के बाद, दूसरे अंक की उत्सुकता और बढ़ गयी थी.<br />राजीव भरोल जी के बारे में वीनस से सुना था, और तब से उत्सुकता थी इन्हें पढने की,<br />"दुआ ही अब............" वाह वाह क्या खूब कहा है. शेरों में एक सच्चाई छिपी है जो पूरी ग़ज़ल को खूबसूरत बना रही है. बहुत बहुत बधाई राजीव जी को.<br /><br />डॉ. अजमल साहेब, लखनऊ से ताल्लुक रखते हैं ये ही उनकी ग़ज़ल के बारे कह रहा है,<br />गिरह बहुत खूब लगाई है, "धनक बिखेर रहे अब्र........" वाह वाह<br />"गुलो बहार बगीचे.......", प्रकृति की खूबसूरती को बहुत उम्दा लफ़्ज़ों में पिरोया है<br /><br />हर शेर एक अलग एहसास लिए है, एक बहुत ही उम्दा ग़ज़ल के लिए अजमल साहब को बधाई.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-38995107430669979832010-07-20T13:11:50.268+05:302010-07-20T13:11:50.268+05:30कश्मीर बंद को भुगत रहा हूँ..इंटरनेट, मोबाइल और एसए...कश्मीर बंद को भुगत रहा हूँ..इंटरनेट, मोबाइल और एसएमएस बंद के रूप में भी। आज बड़ी मुश्कील से जुड़ पाया हूं अंतरजाल से।<br /><br />आपकी शुरूआती बातों ने तनिक चिंतित कर दिया है। किंतु इस बात से आश्वस्त हूं कि ईश्वर अच्छे लोगों के साथ ज्यादा दिन तक बुरा नहीं होने देता।<br /><br />नुसरत दी की तरही से आगाज़ हुआ ये मुशायरा और अब राजीव और अजमल साब के इन दो तरही से बरसात की पूरी रंगत को एक नया भीगापन दे रहा है....गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-56318766846898656792010-07-20T09:57:10.130+05:302010-07-20T09:57:10.130+05:30गुरुकुल में दो नवीन लोगों से मिलना भला लगा। मुझें ...गुरुकुल में दो नवीन लोगों से मिलना भला लगा। मुझें भरोल जी का अंतिम शेर बहुत अच्छा लगा, शायद इसलिये भी क्योंकि कुछ कुछ वही शेर जी रही हूँ आजकल और माहक जी का मतला कमाल का है।<br /><br />और आपने जो जो बातें आरंभ में लिखीं ऐसा लगा कि मेरे मन की बात आपकी कलम से निकल रही है।<br /><br />मेरी सुबह आयेगी भी तो थोड़ा समय लेगी, परंतु उम्मीद करती हूँ कि सुबह मुझे निराश नही करेगी।कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-75776255386139327842010-07-19T23:42:16.437+05:302010-07-19T23:42:16.437+05:30बढ़िया मुशायरे की शुरुआत इससे पहले नुसरत जी को सुन...बढ़िया मुशायरे की शुरुआत इससे पहले नुसरत जी को सुना बेहतरीन ग़ज़ल रही आज राजीव जी और अजमल जी की भी बढ़िया शायरी...राजीव जी की तीसरी शेर तो बहुत ही सुंदर बन पड़ी है..ऐसे ही अजमल जी की पाँचवी लाइन...<br /><br />दोनो शायरों की ग़ज़लें लाजवाब रही..अगली कड़ी का इंतजार है....विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-43432254612186173652010-07-19T22:59:43.871+05:302010-07-19T22:59:43.871+05:30सुबीर साहब !
तरही मुशायरा खूब रंग जमा रहा है. बधाई...सुबीर साहब !<br />तरही मुशायरा खूब रंग जमा रहा है. बधाई !<br />इस बार के दोनों शायरों का जोड़ा आपने खूब बनाया है, दूसरा आज का उस्ताद तो पहला कल का उस्ताद ! दोनों ही ने गिरह बहुत खूब लगाई है. राजीव भाई और डाक्टर अजमल साहब को ढेर सारी बधाइयां !<br />वाह ! वाह !! वाह !!!jogeshwar garghttps://www.blogger.com/profile/18415761246834530956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-87899103099662475172010-07-19T19:13:04.991+05:302010-07-19T19:13:04.991+05:30राजीव एक होनहार लडका है कैसे भूल सकती हूँ अमेरिका ...राजीव एक होनहार लडका है कैसे भूल सकती हूँ अमेरिका के कवि सम्मेलन मे मेरे लिये सीट रख कर मेरा इन्तजार करता रहा था और हमारी तस्वीरें खींची थी अपने ब्लोग पर भी लगायी। जितना अच्छा उसका स्वभाव है उतना ही अच्छा वो लिखता है। गज़ल की दुनिया मे उभरता हुया नाम है। अभी अपनी मां से मिलने भारत आया है और मतला भी उसी पर बना है<br />हमारे गाँव मे खुश्बू----- <br />नहीं मिलेगी मुझे चाह कर -----<br />बहुत अच्छे शेर हैं । राजीव को बहुत बहुत बधाई। <br />डा अजमल जी की पूरी गज़ल लाजवाब है<br />तुम्हीं ने इश्क सिखाया----<br />हमे खबर न हुयी----- वाह वाह हर एक शेर दिल को छू गया। डा. अजमल जी को बधाई।<br />बहुत बढिया चल रहा है मुशायरा। धन्यवाद, शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-24333267495310091572010-07-19T17:03:42.506+05:302010-07-19T17:03:42.506+05:30आदरणीय पंकज जी,
नमस्कार.
आज की पोस्ट की दोनों ग़ज...आदरणीय पंकज जी,<br />नमस्कार. <br />आज की पोस्ट की दोनों ग़ज़लें प्रशंसनीय हैं..रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ.......<br />मुशायरे में आ रही दुश्वारियों से आपको निजात मिले....कामना और प्रार्थना है..<br />ग़ज़ल विधा की तकनीक के बारे में कई बारीकियां सीखने को मिल रही हैं यहाँ...आभार..चैन सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/18079689283863767097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-51729337984603970272010-07-19T15:58:23.248+05:302010-07-19T15:58:23.248+05:30कठिन है राह बहुत ..... राजीव जी के इस शेर से वतन क...कठिन है राह बहुत ..... राजीव जी के इस शेर से वतन की कसक दिखाई दे रही है ..... <br />बहुत महकते हुवे शेर निकले हैं उनकी कलाम से .... बहुत ही लाजवाब ... साथ ही प्राण साहब की व्याख्या भी ग़ज़ल की बारीकियों से अवगत करा रही है ...<br />डा. अजमल के शेरों से में उर्दू ज़ुबान की महक, मिट्टी की खुश्बू आ रही है .... हर शेर बरसात की बूँदों की तरह झरता हुवा लग रहा है ..... बहुत खूब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-88848335241396939002010-07-19T15:12:02.108+05:302010-07-19T15:12:02.108+05:30धरा की प्यास.... बहुत खूबसूरत शेर रहा।
कठिन है र...धरा की प्यास.... बहुत खूबसूरत शेर रहा। <br />कठिन है राह, बहुत तेज ये हवाऍं हैं,<br />सफ़र में साथ मगर, मॉं तेरी दुआऍं है। <br />हर शेर खूबसूरत खयाल लिये। <br /><br />और डॉ. साहब ये कौन जिसके आने से गुलो बहार बगीचे हुए दिवाने से और अजीब कैफ़ में डूबी में डूबी हुई हवाऍं हैं।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-74228307172122714202010-07-19T14:57:30.046+05:302010-07-19T14:57:30.046+05:30Janaab Rajeev Bhrol aur Janaab
Ajmal khaan maahak ...Janaab Rajeev Bhrol aur Janaab<br />Ajmal khaan maahak kee gazalen <br />achchhe lagee hain.Unhen bharpoor<br />badhaaee.janaab Raajeev kaa matla<br />hai--<br />KATHIN HAI RAAH,BAHUT TEZ BHEE<br />HAWAAYEN HAIN<br />SAFAR MEIN SAATH MAGAR MAA KEE<br /> DUAAYEN HAIN<br /> Donon misron mein " bhee"<br />shabd akharta hai.Agar maa kee <br />duaayon ko sabhee mushkilon se<br />oonchaa yaani un par bhaaree <br />dikhaaya jaata to baat baantee.<br /> janaab Ajmal kaa ek sher hai --<br />CHALE BHEE AAEEYE ,HUM SE RAHAA<br />NAHIN JAATAA<br />HASEEN YAAR,TUMHAAREE SABHEE<br />ADAAYEN HAIN <br /> " Tum yaa " Tumhare" ke saath " aaeeye" kaa prayog sahee<br />nahin hai. Pahla misra yun honaa<br />chaahiye tha ---<br /> CHALE BHEE AAO KI HUM SE RAHAA<br /> NAHIN JAATAApran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-81418194599255485452010-07-19T12:57:37.069+05:302010-07-19T12:57:37.069+05:30अभी अपने गृह क्षेत्र में हूँ, और झमाझम बारिश का मज...अभी अपने गृह क्षेत्र में हूँ, और झमाझम बारिश का मजा ले रहा हूँ. लेकिन आज यहाँ राजीव जी शेरों ने क्या खूब आनंदित किया. सफ़र में हम राजीव जी के साथ है<br /><br />कठिन है राह, बहुत तेज़ भी हवाएं हैं,<br />सफर में साथ मगर माँ की भी दुआएं हैं.<br /><br />और डॉ.अजमल खान जी की शायरी ने गहरे डुबो दिया<br /><br />हमे खबर न हुई और हो गये बेदिल<br />बताइऐ न हमे क्या हुईं खताऐं हैं .<br />अजमल जी को एकाध बार पहले पढ़ा है, आगे और सुनने की उत्सुकता है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82260821612702778232010-07-19T12:43:46.692+05:302010-07-19T12:43:46.692+05:30"गम की अँधेरी रात में दिल को न बेकरार कर सुबह..."गम की अँधेरी रात में दिल को न बेकरार कर सुबह जरूर आएगी सुबह का इंतज़ार कर..".ये गीत कब से गा रहे थे और आज जा कर सुबह आई है...सबसे पहले तो दुश्वारियां आपको पोस्ट करने में या जीवन में आ रही हैं उनसे आपको जल्द से जल्द निजात मिलने की दुआ करता हूँ...<br />अब तरही मुशायरे पर लौटते हैं...यकीनन आज के दोनों नाम ऐसे हैं जिनके बारे में अधिक पढ़ा सुना नहीं.. लेकिन आज के बाद ये नाम अनजान नहीं रहेंगे...भला इतनी खूबसूरत ग़ज़ल कहने वाले अनजान कैसे रह सकते हैं...अब कहीं भी इनका नाम या जिक्र कहीं हुआ तो ये ग़ज़लें ज़ेहन में फ़ौरन चली आएँगी...<br /><br />धरा की प्यास.... और, हमारे गाँव में खुशबू...बेहतरीन शेर हैं और इनके लिए राजीव जी की जितनी तारीफ़ की जाये कम होगी...वतन से दूर हो कर भी शायरी से जुड़े रहना उनकी ग़ज़ल के प्रति दीवानगी को दर्शाता है...उनमें ये ज़ज्बा और हौंसला हमेशा कायम रहे...आमीन.<br /><br />गुलो बहार ....और, हमें खबर न हुई...दोनों लखनवी अंदाज़ के शेर हैं...इस ग़ज़ल ने अजमल साहब की शायरी को और पढने की छह को बढ़ावा दिया है...मुझे नहीं मालूम इनका लिखा कहाँ और कैसे पढ़ा जा सकता है...:) <br /><br />उम्मीद है अगली किश्त जल्दी से पेश्तर आ जाएगी और साथ ही ये खबर भी लाएगी के आपकी तमाम दुश्वारियां हमेशा के लिए रुखसत हो गयीं हैं...नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com