tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post7889498255596712760..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: आ ही गया प्रकाश पर्व, सबको मंगल कामनाएं, शुभ कामनाएं, उजास आप सबके जीवन में हमेशा भरी रहे यही कामना है । आइये दीपावली मनाएं श्री राकेश खंडेलवाल जी, श्री नीरज गोस्वामी जी, डॉ. सुधा ओम ढींगरा जी, श्री समीर लाल जी और श्री तिलक राज जी कपूर के साथ ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-79026358376560623132020-11-04T19:32:25.303+05:302020-11-04T19:32:25.303+05:30Abhishek
Abhishek <br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00330179667011892265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-47108355949672828412011-11-04T11:43:14.246+05:302011-11-04T11:43:14.246+05:30इस शानदार पोस्ट को सिहोर में पढ़ा था, मगर कोई टिप्प...इस शानदार पोस्ट को सिहोर में पढ़ा था, मगर कोई टिप्पणी नहीं कर पाया था.<br /><br />राकेश जी, के गीतों में शब्दों का संयोजन बहुत प्रभावी और आनंदमई रहता है. ये गीत भी बहुत अच्छा है. बधाई स्वीकारें.<br />नीरज जी के इस शेर ने बहुत मजबूती से मुझे आगे बढ़ने और पढने से रोक दिया है. "आप थे फूल टहनियों पे सजे...........", वाह वा.<br />सुधा जी के गीत ने मिसरी सी यादों में लौटने पर मजबूर कर दिया है. बहुत बहुत बधाई.<br />समीर जी की तुरत-फुरत बनी ग़ज़ल अच्छी बनी है. बधाई स्वीकार करें.<br />तिलक जी की ग़ज़लें हमेशा कुछ न कुछ सुन्दर लफ़्ज़ों को अपने में पिरो के लाजवाब कर देती है. बहुत बहुत बधाई.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32035647609724674422011-10-31T10:09:05.037+05:302011-10-31T10:09:05.037+05:30ये नायाब हीरे तो देखने से रह ही गयी थी। खूबसूरत ला...ये नायाब हीरे तो देखने से रह ही गयी थी। खूबसूरत लाजवाब। बाकी तो सब ने कह ही दिया। आजकल समय बहुत कम दे रही हूँ इस लिये छोटा सा कमेन्ट ही स्वीकार करें। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-79947066137893519282011-10-30T06:12:47.529+05:302011-10-30T06:12:47.529+05:30ये कहाँ दिग्गजों के बीच खड़ा कर दिया मास्साब!! कहा...ये कहाँ दिग्गजों के बीच खड़ा कर दिया मास्साब!! कहाँ जाऊँ??Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-10228369121474827152011-10-29T12:46:46.744+05:302011-10-29T12:46:46.744+05:30आदरणीय भाई राकेश जी,
यह अनजाने तो हो नहीं सकता कि ...आदरणीय भाई राकेश जी,<br />यह अनजाने तो हो नहीं सकता कि आपकी प्रतिक्रिया पूरी तरह 'फ़ायलुनृ, फ़ायलुनृ, फ़ायलुनृ, फ़ायलुन्' है। <br />आपने तो कहा सबका उपकार है<br />आपके स्नेह का बस ये आभार है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-28918060349832732892011-10-28T17:32:59.917+05:302011-10-28T17:32:59.917+05:30आपके शब्द ये स्नेह परिपूर्ण हैं
प्रेरणायें बनी साथ...आपके शब्द ये स्नेह परिपूर्ण हैं<br />प्रेरणायें बनी साथ मेरे रहे<br />शब्द जितने भी हैं, सब रहे आपके<br />कंठ के स्वर में मेरे महज कुछ बहे<br />मैं नहीं गीत का व्याकरण जानता<br />और संगीत से भी अपरिचित रहा<br />कोई भी गीत मैने रचा है कभी<br />आईना देख कर भ्रम समूचा ढहा<br /> <br />शब्द मैं तो नहीं एक भी चुन सका<br />शारदी वीन के तार पर से फ़िसल<br />आ गये कुछ स्वयं उंगलियाँ थामने<br />बन गया गीत कोई बना है गज़ल<br />मेरी क्षमता नहीं कुछ सिरज मैं सकूँ<br />सर्जना तो करे वीन झंकार ही<br />श्रेय भूले से जो भी मुझे दे रहा<br />ये महज एक उसक अहै उपकार ही><br /> <br />सादर <br /> <br />राकेशराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-89786348201340858642011-10-28T17:32:35.994+05:302011-10-28T17:32:35.994+05:30इस मंच पर इतनी सहजता से पढ़ने को मिलती उत्कृष्ट गज़ल...इस मंच पर इतनी सहजता से पढ़ने को मिलती उत्कृष्ट गज़लों और रचनाओं के साथ अपने नाम को देख कर संकोच हो रहा है. तिलकजी और नीरज जी की कलम का तो मैं प्रारम्भ से ही प्रशंसक रहा हूँ.रवि,,अंकित, वीनस, राजीव, क<br /> <br />सादर <br /> <br />राकेशराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-40909517635145707302011-10-27T11:08:28.519+05:302011-10-27T11:08:28.519+05:30गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं!
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गुरुजी का गीत मे...गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं! <br />----<br />गुरुजी का गीत मेरे लिए आपकी तरही के शीश का मुकुट है...गीत के छन्दों के बीच जैसे दो-दो मिसरों के जैसे मोती जड़े हों ... गीत में ग़ज़ल अनुस्यूत! और मज़े की बात ये कि उन्होंने आनायास ही लिख दिया होगा १०-१५ मिनट में ये सब! <br />देके आवाज़ तुझे कह रहीं है ख़ुद रातें, अपनी क्षमताओं को फ़िर से संभाल कर लख तू.. वाह !<br />ये घनी रात अब तो ढलने को तत्पर देखो...दीप खुशियों... बहुत सुन्दर!<br />गीत के साथ गले मिल के .... वाह! <br />वो स्याही,... <br />आपने विश्वास की झोली... कितना सुन्दर!<br />पीर के पल... खूबसूरत!<br />तेरे अंतस में बड़ी ..<br />आज पहचान ले ...अहा! <br />अब बस! वरना पूरा गीत कोट करना पड़ेगा! <br />परमानंद! प्रणाम! प्रणाम!<br />========<br />आदरनीय नीरज जी का कमाल आपकी हर तरही में देखती हूँ:<br />छत की कीमत वही बताएँगे ...वाह! बेहद खूबसूरत!<br />आप थे फूल... कितना सुन्दर!<br />दिन ढले क़त्ल हो गया सूरज ... बहुत ही सशक्त चित्रण है!<br />प्रणाम !<br />=======<br />सुधा दी की कविता एक कहानी सी है ... आज में बीते कल को ढूंढती हैं आँखें ... बाहुल्य में प्रेम ढूंढती हैं...आपने जड़ों की ओर दौडती, मन को छूने वाली बात!<br />प्रणाम स्वीकारें दी!<br />=====<br />समीर जी का कोई खुश्बू बहे, बहे हर सू... कितना सुन्दर है बहे, बहे का संयोजन!<br />"लोग अपनों से ... " भी बहुत सुन्दर!<br />====<br />तिलक जी का " देखकर रंग दीप लहरी के; मन मयूरी बना फिरे हर सू" ..बहुत ही सुन्दर, ग्राफिक और मूवमेंट लिए शेर है..अतिसुन्दर!<br />आगमन... शब्द का प्रयोग! क्या बात है! <br />सुन्दर!<br />===<br />अब श्री भ.भ.भ की प्रस्तुति का इंतज़ार है...<br />सादर शुभकामनाएं..Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-58984203056609667972011-10-27T10:31:57.665+05:302011-10-27T10:31:57.665+05:30KHUBSOORAT CHITRAN DEEPAWALI KA. DHERO RANG SAMETE...KHUBSOORAT CHITRAN DEEPAWALI KA. DHERO RANG SAMETE.<br /><br />SABHI VARISHTH JANO KO PRANAAM! <br /><br />AAP SABHI KO DEEPPARV KEE SHUBHKAMNAYEN!<br /><br />- Sulabh (Aaj Allahabad se)Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-69028779637204442392011-10-27T07:58:17.618+05:302011-10-27T07:58:17.618+05:30गीत अभिव्यक्ति के लिए विशेष मायने रखते हैं जिसे सम...गीत अभिव्यक्ति के लिए विशेष मायने रखते हैं जिसे समझने के लिए स्वर्गीय पं नरेन्द्र शर्मा के शब्द उचित होंगे, "गद्य जब असमर्थ हो जाता है तो कविता जन्म लेती है। कविता जब असमर्थ हो जाती है तो गीत जन्म लेता है।"लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-14947629538287252462011-10-27T07:50:14.333+05:302011-10-27T07:50:14.333+05:30ॐ
आज दीपावली है भारत की यादों में मन लीन है और हा...ॐ <br />आज दीपावली है भारत की यादों में मन लीन है और हाथ माँ लक्ष्मी के पूजन में - <br />और अब नयन रससिध्ध कवि श्री राकेश जी , तिलक भाई साहब , समीर भाई , नीरज भाई <br />व् सुधा जी की इत्ती सुंदर सामयिक और भारतीय संस्कारों से ओत प्रोत रचनाओं को पढकर <br />दीपावली के दिन उपहार पाकर मग्न है ..आप सब को ईश्वर इसी तरह सृजनशील बनाए रखें <br />यह ईश्वर से मांगती हूँ ...और अब , <br />आपकी रचना की प्रतीक्षा रहेगी अनुज जी :) <br />आज इतना ही , आप सब के संग अब मिठाई :)<br /> ..दीपावली सुभ हो जी <br />सादर स स्नेह <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-72034995412086552852011-10-26T21:09:03.626+05:302011-10-26T21:09:03.626+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको और आपके पूरे परिवार को...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />आपको और आपके पूरे परिवार को <br />दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-5373472960980810392011-10-26T15:14:30.093+05:302011-10-26T15:14:30.093+05:30समस्त कुटुम्बियों को प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दि...समस्त कुटुम्बियों को प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें<br /><br />अग्रजों की रचनाओं को पढ़वा कर दिवाली पर्व का आनद कई गुना बढ़ा दिया आपने सुबीर जी| साथियों ने दिल खोल कर जो टिप्पणी दान का शुभारम्भ किया है, बहुत अच्छा लग रहा है| रचनाधर्मियों को भी अपनी रचनाओं से अब और अधिक स्नेह होना लगेगा, वो अब और अधिक अच्छा लिखने के लिए अवश्य ही प्रेरित होंगे|<br /><br />आ. राकेश खंडेलवाल जी की रचनाओं में शब्द ऐसे गति पकड़ते हैं जैसे कि हायवे पाते ही गाड़ियाँ दौड़ने लगती हैं| कोइ भी शब्द ठूँसा हुआ मालुम नहीं पड़ता| बात को घुमा फिरा कर कहने की बजाय राकेश जी सुनील गावस्कर के स्ट्रेट ड्राइव की तरह प्लेस करते हैं| आ. राकेश जी को इस सुन्दर और सुरुचिपूर्ण गीत के लिए बहुत बहुत बधाई|<br /><br />नीरज भाई जैसे खिलंदड स्वभाव के अग्रज से ऐसी ही ग़ज़ल की उम्मीद थी| इनकी ग़ज़लें तो ग़ज़लें, टिप्पणियाँ भी पढ़ने में बहुत मज़ा आता है| यक़ीन न आये तो इनकी टिप्पणियों को एकत्र कर के देख लो| जीवन को जीने का मस्त मौला स्वभाव इनसे सीखना पडेगा - आ रहा हूँ जल्द ही भूषण स्टील में| पंकज भाई तो बिजी हैं, हम तुम ही मिलेंगे जल्द ही| हर सू को मतले से जो पकड़ा है, सो हर शेर में उस की गिरह एकदम चुस्त बिठाई है आपने| सिलसिले लफ्ज़ को बेहतर मिसरे प्रदान किये हैं आपने| यह ग़ज़ल जहाँ आसमान वाले शेर के ज़रिये आम आदमी का प्रतिनिधित्व कर रही है वहीं खुश्बू वाले शेर के ज़रिये आपने अनुजों के सामने फिर से एक मिसाल रख दी है, कि बच्चो ऐसे कहा करो ग़ज़लें| प्रणाम नीरज भाई प्रणाम| अभी आपसे बुत कुछ सीखना है| बहुत बहुत बधाई इस बेहद ही असरदार ग़ज़ल के लिए| और हाँ वो वात्सल्य रस वाले शेरों के लिए तो आप की ही स्टाइल में उफ़ युम्मा|<br /><br />आलों - रसोंतों जैसे शब्दों का टच दे कर रचना में चार चाँद लगा दिए हैं आ. शार्दूला जी ने| भूतकाल और वर्तमान के बीच जो तारतम्य बिठाया गया है इस रचना में और वो भी सकारात्मक मनोभावों के साथ, अद्वितीय है| इस उत्कृष्ट रचना के लिए बहुत बहुत बधाई शार्दूला जी|<br /><br />ब्लॉग के जाने पहिचाने व्यक्तित्व समीर भाई की बात ही निराली है| अब वो चाहे गद्य हो या पद्य, आप हर बार अपनी छाप छोड़ने में क़ामयाब रहते हैं| व्यस्त जीवन में रहते हुए भी ऐसा साहित्यिक जुड़ाव विरले लोगों में ही देखने को मिलता है| ब्लॉग जगत में ख़ास कर नए लोगों की हौसला अफ़जाई करने वालों में आप का नाम अग्रपंक्ति में आता है| सिर्फ पांच शेरों के माध्यम से ही अपनी बात को सशक्त तरीक़े से सबके सामने रख दी है समीर भाई ने| बहुत बहुत बधाई|<br /><br />आ. तिलक भाई साब - हाँ वही तिलक भाई - फिर से बूढ़ी बातियों में तेल डाला - आप मिसरे ऐसे चुन चुन कर बुनते हैं - जैसे इस से अच्छा हो ही नहीं सकता था| और हाँ, अब तो मुझे भी इन का बड़ी साइज़ वाला फोटो मिल गया [यहीं से भाई]| विवेचित ग़ज़ल का मतला, ओह क्या कमाल का मतला है| जबरदस्त, सटीक और सार्थक मतला| इस मिसरे पर आ रही ग़ज़लों के मतलों का यदि चुनाव किया जाए तो यह श्रेष्ठ मतलों में शुमार होता है| हार अँधियार मान बैठा है - वाह वाह वाह, क्या कहने इस शेर के| इस मस्त मस्त ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ|<br /><br />भभ्भड़ जी गर्मियों की दुपहरी के बाद फिर से आ रहे हैं, जान कर आनंद हुआ| प्रतीक्षा रहेगी|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42939487830847278892011-10-26T14:39:57.004+05:302011-10-26T14:39:57.004+05:30आ.सुबीर जी,
आपने इस मुशायरे में यादगार रचनाओं के व...आ.सुबीर जी,<br />आपने इस मुशायरे में यादगार रचनाओं के वो दिए जलाये हैं जिससे हमारी दिवाली कुछ और जगमग हो गई है.<br />विद्वानों की राय अलग हो सकती है लेकिन मुझे हमेशा लगता रहा है कि गीत लिखना सबसे मुश्किल काम है.शायद इसीलिए गीत लिखने वाले भी अपेक्षाकृत कम हैं.बहरहाल राकेश जी के गीत के लिए तो मैं एक शब्द ही कहूँगा-मेस्मेराईजिंग.इस गीत की तो मुशायरे से इतर भी ऐसी प्रासंगिकता है कि इसे स्कूल कालेजों के सिलेबस का हिस्सा होना चाहिए.<br /><br />और नीरज जी की ग़ज़ल.....कहते हैं कि शायरी का दूसरा नाम नफासत है.नीरज जी की <br />ग़ज़ल उसी नफासत का नायाब नमूना है.जरा मतले की रवानी तो देखिये.ऐसा सहज <br />संगीत जैसे नदी की दो लहरें हों.बहुप्रशंसित शेर "आप थे फूल...."को जितने कोणों से देखें<br />उतने अर्थ नज़र आयेंगे. नीरज जी के हीं शब्दों का प्रयोग करते हुए कहूँगा कि यह 'कालजयी' शेर है.मैं बेहिचक कहना चाहूँगा कि मेरी सूची में यह मुशायरे की सर्वश्रेष्ठ ग़ज़ल है. <br />सुधा ढींगरा जी की कविता भी दीपावली के उज्जवल अहसासों से रौशन है.<br />समीर लाल जी और तिलक कपूर जी की ग़ज़ल पढ़ कर भी बहुत आनंद आया. <br />बासी दिवाली का इंतजार रहेगा.<br />अंत में सभी को ज्योतिपर्व की असीम बधाईयों के साथ कुछ मंगल कामनाएं:<br />सक्षमता का शुभ दीपक हो <br />ममता का आलोक हो <br />हो ऐसा ही दीप पर्व यह <br />समता का दिव्यलोक हो.सौरभ शेखर https://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-87526669540194298172011-10-26T14:31:50.145+05:302011-10-26T14:31:50.145+05:30जगमग जगमग पोस्ट है
हलचल करते घोस्ट
टिमटिम करते कमे...जगमग जगमग पोस्ट है<br />हलचल करते घोस्ट<br />टिमटिम करते कमेंट हैं<br />ज्यों चाय संग टोस्ट।<br />...सभी को बहुत बधाई।<br /><br />और यह कि....<br /> <br />माटी के तन में<br />सासों की बाती<br />नेह का साथ ही<br />अपनी हो थाती<br /><br />दरिद्दर विचारों का पहले भगायें<br />आओ चलो हम दिवाली मनायें।<br />...दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-21033228481437845922011-10-26T12:44:53.910+05:302011-10-26T12:44:53.910+05:30दीपावली की मंगल कामनाएं ...
आज तो वरिष्ट कवियों और...दीपावली की मंगल कामनाएं ...<br />आज तो वरिष्ट कवियों और गज़लकारों का जमावड़ा है ... कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखने वाली बात होगी ... आदरणीय राकेश जी ने तो उजाला कर दिया है अपने शब्दों से ... <br />नीरज जी के शेरों ने तो बाँध के रख लिया है ...एक रावण था सिर्फ त्रेता में ... वार सोते में कर गया कोई ... दिन ढाले क़त्ल हो गया सूरज ... अब किसी किस को कोट करू ... हर शेर में छा गए हैं नीरज जी ...<br />आदरणीय डाक्टर सुधा जी की रचना तो बीते समय में ले गई ... समय के अंतर को खूबसूरती से संजोया है रचने मैं ...<br />समीर लाल जी की गज़ल की तो बात ही कुक और है ... मतला तो जैसे भाभी को देख के ही लिखा है ... और नाम तेरा लिया है जब भी तो ... गज़ब की खुशबू बहा रहा है ..<br />आदरणीय तिलक राज जी ने सच में जबरदस्त शेर कहे हैं ... देख कर रंक दीप लहरी के ... रौशनी है अलग चरागों की ... आगमन आपका हुवा सुनकर ... सच में दिवाली के आगमन की सूचना दे रहे हैं ...<br /><br />कमाल का मुशायरा है आज ... हर रंग में डूबा हुवा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-90470145418873599422011-10-26T12:19:08.740+05:302011-10-26T12:19:08.740+05:30भभ्भड़ कवि मालवा क्षेत्र की परंपरा निभाने के लिये...भभ्भड़ कवि मालवा क्षेत्र की परंपरा निभाने के लिये बासी दीवाली मनाने आएंगे । और उनके साथ द्विज जी का गीत<br />, तिलक जी की तीन अन्य ग़ज़लें तथा कुछ और रचनाकार होंगे जिनकी रचनाएं बिलंब से मिलीं । आप सब को दीपावली की मंगल कामनाएं । आप सब के जीवन में सुख शांति और समृद्धि का वास हो । उजास का उल्लास और पूर्णता का प्रकाश हो । शुभकानाएं, शुभकामनाएं, शुभकामनाएं । मिलते हैं बासी दीपावली में ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-31584218631709389242011-10-26T12:12:11.319+05:302011-10-26T12:12:11.319+05:30हट्टे कट्टे डब्ल्यू.डबल्यू.एफ टाइप के कद्दावर पहलव...हट्टे कट्टे डब्ल्यू.डबल्यू.एफ टाइप के कद्दावर पहलवानों के बीच एक मरियल से बौने को अखाड़े में उतार दिया जाय तो उस पर क्या बीतेगी...??? वो ही मुझ पर बीत रही है...सच बात तो ये है के मुझे इस अखाड़े में कनपटी पर पिस्तौल रख कर उतारा गया है...गुरुदेव रा-वन या समझें डान का रूप धर मुझे ऐसे धमकाए के अपनी तो घिघ्घी बंध गयी...बंधी हुई घिघ्घी से जो ग़ज़ल मुशायरा शुरू होने के एक दिन पहले मुकम्मल हुई उसे भेज चैन की सांस ली. अब उस ग़ज़ल की आप लोग तारीफ़ कर रहे हैं...बहुत नाइंसाफी है भाई.<br /><br />आदरणीय राकेश जी का मैं बहुत बड़ा फैन हूँ...उन जैसा शब्द और भाव का अद्भुत संगम मुझे कहीं दूर दूर तक किसी की रचना में भी दिखाई नहीं देता...प्रशंशा के सभी शब्द उनकी रचनाओं के समक्ष बौने नज़र आते हैं. माँ सरस्वती के लाडले इस पुत्र की रचनाएँ पढना एक ऐसे से अनुभव से गुजरने जैसा है जिस से बार बार गुजरने को दिल करता है. कौनसा शब्द कौनसी पंक्ति छाँट कर अलग से बताऊँ...??? हतप्रभ हूँ...उनके साथ अपनी रचना प्रकाशन होते देखना मेरे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है...गुरुदेव पंकज जी का इस कृपा के लिए बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत.... आभारी हूँ. <br /><br />सुधा जी की रचना ने मुझे बरसों पीछे पहुंचा दिया...मन आलों रसोतों और मुंडेरों को फिर से ढूँढने निकल पड़ा...अद्भुत रचना...यूँ भी सुधा जी विदेश में रह कर देश की मिटटी की खुशबू वहां फैलाती रहती हैं...उनके कारण बहुत से प्रवासी परिवार अपने वतन से खुद को बहुत करीब पाते हैं...उनकी कवितायेँ हमेश प्रेरक सोम्य और प्यार में डूबी होती हैं...आज उन्हें पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.<br /><br />समीर भाई की बात करना पुराने मुहावरे को दोहराऊं तो 'सूरज को दिया दिखाना है' . हम उनकी रचनाओं को जब से ब्लॉग जगत में आये हैं तब से पढ़ते आये हैं...उनका गध्य और पध्य लेखन में कोई सानी नहीं. उनकी ये छोटी सी लेकिन बेहद खूबसूरत ग़ज़ल की जितनी प्रशंशा की जाय कम होगी.<br /><br />तिलक जी अल्लादीन के जिन्न की मानिंद हैं जो हर काम सहज और चुटकी बजाते कर डालते हैं. सृजन का अकूत भण्डार उनकी उर्वर खोपड़ी में समाया हुआ है , आप उन्हें कोई विषय दें वो पलक झपटते ही उस पर सैंकड़ों शेर कह कर भेज देंगे...शब्दों के जादूगर हैं वो...देखिये ना किस ख़ूबसूरती से आगमन शब्द को उन्होंने अपने शेर में पिरोया है...सच उन जैसा भाई पा कर मैं तो अपने आपको धन्य मानता हूँ.<br /><br />अंत में बिना आपको धन्यवाद दिए बात पूरी नहीं होगी. जिस ख़ूबसूरती से आपने इस पूरे मुशायरे को अंजाम तक पहुँचाया है उसकी मिसाल आने वाली नस्लें सदियों तक देंगी. एक कमी रह गयी...बस...अगर उस्ताद शायर /कवी भभ्भड़ जी भी अपनी रचना के साथ इस मुशायरे अवतरित हो जाते तो भाई इस आयोजन को पांच चाँद लग जाते...चार तो राकेश जी के आने से लग ही चुके हैं. मेरी फ़रियाद उन तक जरूर पहुंचा दें.<br /><br />मेरी और आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं . <br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-36558008007721558972011-10-26T11:40:47.444+05:302011-10-26T11:40:47.444+05:30राकेश जी के गीतों का तो मैं प्रशंसक हूँ। इनके एक ग...राकेश जी के गीतों का तो मैं प्रशंसक हूँ। इनके एक गीत में इतनी नई उपमाएँ और नए बिंब मिल जाते हैं जितने किसी दूसरे के पूरे कविता संग्रह में न हों। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस गीत के लिए।<br /><br />नीरज जी की ग़ज़ल के बारे में क्या कहूँ। आप थे फूल...वाले शेर ने दिल लूट लिया। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस शानदार ग़ज़ल के लिए।<br /><br />सुधा ओम ढींगरा जी की कविता तो लाजवाब है। बहुत बहुत बधाई उन्हें।<br /><br />समीर लाल जी की ग़ज़ल के बारे में क्या लिखूँ, बस नमन ही कर सकता हूँ।<br /><br />तिलक राज जी की ग़ज़ल की तारीफ करना तो सूरज को दिया दिखाना है। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस ग़ज़ल के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-52465176552514017722011-10-26T11:34:25.297+05:302011-10-26T11:34:25.297+05:30दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
===================...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ <br />==============================<br /><br />इस मंच के वरिष्ठों ने अपनी रचनाओं और ग़ज़लों से मन को शांति, हृदय को संतोष तथा सुखन को अंदाज़ दिया है. <br />सादर बधाइयाँ.<br /><br />आद. राकेशजी को पढ़ते हुए शब्दों का प्रवाह देखते ही बनता है. गीत के मुखड़े से जो लगा तो मुग्ध हुआ बहता गया. <br />.. पर सवेरे में कहीं देर नहीं बाकी अब.. <br />अद्भुत !!<br />प्रत्येक अंतरा भाव और कहन की सान्द्र बूँद सदृश है. क्या ही जिजीविषा है -<br />काली रातों के अंधेरों को मिटाने के लिये<br />हार क्या मान सका, रोज चमकता जुगनू.. <br />आपकी लेखिनी के उत्साह को सादर नमन राकेशजी.<br /><br /><br />आद. नीरज गोस्वामी की ग़ज़ल का एक-एक शे’र देर तक कानों में घुलता रहा. और हम देर तक गुमते रहे. किस शे’र को सराहूँ.. किस शे’र पर वाह करूँ !! <br />मतले की कहन आध्यात्मिक ऊँचाई की बानग़ी है. या फिर, आज हर सू दीखते रावण पर उजबुजाती झल्लाहट दिखाता शे’र. <br />छत की कीमत वही बताएँगे जो<br />रह रहे आसमां तले हर सू<br />बहुत सही.. बहुत सही.. क्या महीन कहा आपने आदरणीय ! बहुत खूब !!<br />आप थे फूल टहनियों पे सजे<br />हम थे खुशबू बिखर गए हर सू<br />इस शे’र को विशेष दाद कहा है मैंने नीरजजी. स्वीकार करियेगा.<br />वार सोते में कर गया कोई.. वाह !<br />लेकिन, इस ग़ज़ल के जिस शे’र ने मुझे आपकी सोच के विस्तार से परिचित कराया है, वो ’दिन ढले कत्ल हो गया सूरज..’ है. कितनी गहरी परख है आज के घटनावार की. <br />आपकी कहन और वैचारिक समृद्धि को मेरा सादर अभिनन्दन. <br /><br />आदरणीया सुधाजी की रचना स्मृतियों का गागर लिये आयी है. शब्द और भाव जब आपस में गुँथ जाएं तो कैसी मनोहारी रचना उमगती है इसकी बानग़ी है आपकी प्रस्तुत रचना. <br />सादर बधाई.. . <br /><br />आदरणीय समीरजी को पहली दफ़े सुन रहा हूँ और आपकी सकारात्मक वैचारिकता से प्रभावित हुआ हूँ. हर्दिक अभिनन्दन.<br /><br />आदरणीय तिलकराजजी से सम्पर्क रहा है और आपको सुनता रहा हूँ. प्रस्तुत ग़ज़ल के मतले से बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ. <br />आगमन आपका हुआ सुनकर.. में आपने मुलामियत से छुआ है. <br />कुछ नए ख्वाब के जी उठने की बात कर आपने अपनी सकारात्मकता से परिचित कराया है.<br /><br />--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-88745887674143032122011-10-26T10:40:02.033+05:302011-10-26T10:40:02.033+05:30आज के मुशायरे के कवि /गीतकार /शायर/ सब वरिष्ठ ज्य...आज के मुशायरे के कवि /गीतकार /शायर/ सब वरिष्ठ ज्योति -पुंजों को मेरा प्रणाम.<br />श्री राकेश खंडेलवाल के गीत का मुखड़ा. वाह-वाह वाह -वाह , हमेशा स्मृति में बना रहने वाला है. <br />यह सारा गीत ही उजालों का संगीत है.साथ ही साथ गीत की अंतिम पंक्तियाँ.......वाक़ई उजालों के इत्र में घुला हुआ गीत.<br /><br /><br />और ये जो मेरे ही नहीं मेरे जैसे लाखों मुरीदों के ज़ेह्नो-दिल में ख़ुश्बू की तरह हरदम महकने वाले श्री नीरज गोस्वामी जी हैं इन्होंने तो <br />बन के ख़ुश्बू बिखर गए हर सू , वाले शेर की ख़ुश्बू से ही मदहोश कर रखा है.अब इनकी ग़ज़ल के बाक़ी ख़ूबसूरत शेरों की बात क्या करूँ?<br /><br />दिन ढले क़त्ल हो गया सूरज<br />का भी तो कोई जवाब नहीं है!<br /><br /> और <br /><br />"दीप से दीप यूँ जलाने के <br />चल पड़ें काश सिलसिले हर सू " <br /><br /> वाले शे’र में <br /><br />" यूँ "<br /><br /> भी तो लाजवाब है<br />और ग़ज़ल का मतला !!वाह !वाह!<br /><br /> और इस "यूँ " के<br /> सबसे मह्त्वपूर्ण सूत्रधार है : भाई पंकज सुबीर जी.... बधाई बधाई !बधाई!<br /><br /><br />आदरणीय सुधा जी ! समस्त स्मृतियाँ उचकाने वाली , देशज शब्दों के धागों से सौंदर्य का जादू बुनती और बिखेरती , आपकी यह सुन्दर कविता<br />अश्रुकलश छलका जाने की भाव प्रवणता से भी तो सम्पन्न है. धन्यवाद.<br /><br />आदरणीय समीर लाल जी की ग़ज़ल का रंग भी अनूठा है . आदरणीय तिलक राज कपूर जी की और ग़ज़लों की भी प्रतीक्षा रहेगी . अभी तो बस: उनका यह शे’र: वाह वाह क्या बात है!<br /><br />देखकर रंग दीप लहरी के<br />मन मयूरी बना फिरे हर सूद्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25901309119080123932011-10-26T10:37:34.252+05:302011-10-26T10:37:34.252+05:30राकेश जी का गीत;;;
सतह पर श्वॉंस लेता हूँ फिर इक...राकेश जी का गीत;;; <br />सतह पर श्वॉंस लेता हूँ फिर इक डुबकी लगाता हूँ नया मोती लिये हर बार मैं उपर को आता हूँ। <br />अभी डुबकियॉं लगा रहा हूँ। हॉं, श्वॉंस लेने भर को उपर आना ही पड़ता है, इतना गहरा उतरने का पहला प्रयास है। <br /><br />पंकज भाई का आभारी हूँ जो नीरज भाई को डरा-धमका कर लिखवा ली ये ग़ज़ल, मेरा तो अनुरोध नहीं सुनते हैं जनाब। इस मुकम्मल ग़ज़ल पर क्या कहूँ-एक-एक शेर तराशा हुआ, उपमा-अलंकार; कुछ भी तो नहीं छोड़ा। हुजूर आपके मत्ले के शेर की भावना आज एक ग़ज़ल के रूप में। इस मत्ले के मुकाबिल तो कमज़ोर है लेकिन आईयेगा जरूर। <br /><br />सुधा जी ने जीवंत कर दिया पारंपरिक संदर्भों को और एक नये शब्द 'रसोंत' से भी परिचित कराया वहीं अप्रवासी भारतीय की दीवाली के अहसास जीवंत किये। <br /><br />समीर भाई तो मेरे हुरियारे भाई हैं पंकज भाई की मेहरबानी से। 24 घंटे गिटपिट-गिटपिट अंग्रेजी में घिरे इंसान को हिन्दी के लिये समय मिल जाता है यह क्या कम है। जल्दी में ही सही लेकिन बात पूर्णता से कही है और एक सच्ची दुआ के रूप में। <br /><br />राकेश जी, नीरज भाई, सुधा जी और समीर भाई के साथ-साथ पंकज भाई को बहुत-बहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिये। <br />सभी को दीपावली की हार्दिक बधाई।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-67165225027755477802011-10-26T10:18:37.578+05:302011-10-26T10:18:37.578+05:30सब एक से बड एक नगीने है ....
सब को दीपावली की मुबा...सब एक से बड एक नगीने है ....<br />सब को दीपावली की मुबारक और शुभकामनाएँ!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-70463691634750767532011-10-26T10:02:53.311+05:302011-10-26T10:02:53.311+05:30दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
राकेश जी के गीत हम...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.<br /><br />राकेश जी के गीत हमेशा ही अद्भुत होते हैं. यह खूबसूरत गीत हम सब के लिए दीपावली का उपहार है. बहुत ही प्यारा गीत. बहुत बहुत धन्यवाद.<br /><br />नीरज जी हैट वाली फोटो का मैं फैन हूँ. एक दम काऊ बॉय इस्टाइल! और गज़ल और भी खूबसूरत.बहुत प्यारा मतला.. <br />"दीप से दीप यूं जलने के/चल पड़ें काश सिलसिले हर सू.." वाह वाह! बहुत बढ़िया ख्याल.<br />"छत की कीमत वही बताएँगे जो, रह रहे आसमाँ तले हर सू." लाजवाब!<br />"दिन ढले क़त्ल हो गया सूरज.." कमाल!<br />"आप थे फूल..हम थे खुशूबू.." और "वार सोते में कर गया कोई.." इन दो शेरों पर तो वारे जाऊं.<br />और गिरह बहुत बहुत पसंद आई.<br />बहुत बहुत बधाई नीरज जी.<br /><br />सुधा जी की कविता ने वाकई समृतियों की गागर छलका दी है. दीपावली का वर्णन करती हुई, बहुत खूबसूरत कविता है. सुधा जी को बहुत बहुत बधाई.<br /><br />समीर जी फेसबुक पर कई दिनों से गायब हैं. मुशायरे में उन्हें देख कर बहुत अच्छा लगा.<br />बहुत बढ़िया मतला और गज़ल.."बूँद से ही बना समंदर है..","नाम तेरा लिया है जब भी तो.." वाह कमाल किया है समीर जी. बहुत बहुत बधाई.<br /><br />तिलक जी की गज़ल हमेशा हीरे जैसी तराशी हुई होती है. यह भी है. मतले मिने कुम्कुमः का प्रयोग चौंका गया. बहुत बढ़िया मतला है.गिरह भी खूब बाँधी है. आगमन शब्द सचमुच इस शेर का सौंदर्य और बढ़ा रहा है. सभी अशआर खूबसूरत हैं. "रौशनी है अलग चिरागों की..", "हर अंधियार मान बैठा है.." खास तौर पर पसंद आये. हार्दिक बधाई.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.com