tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post9031556582104071960..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: सरकारी हिसाब से आज हिंदी का दिन है, अपनी मातृभाषा का एक दिन । भभ्भड़ कवि भौंचक्के जनता की फरमाइश पर अपनी ये विचित्र किन्तु सत्य वस्तु लेकर आ रहे हैं ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-89271445794464636002010-09-27T11:43:14.291+05:302010-09-27T11:43:14.291+05:30आचार्य जी, आशा है आप प्रसन्न होंगे.
शिखा को छू के...आचार्य जी, आशा है आप प्रसन्न होंगे.<br /><br />शिखा को छू के, झुलस के शलभ ने ये जाना... शिखा को छू के, झुलस के सुलभ ने ये जाना... जब मैंने ये शेर पढ़ा था तो आश्चर्य, ख़ुशी, डर और चेतावनी जैसा कुछ अहसास हुआ था. मैं थोड़ी देर तक ठिठक कर रह गया था. हज़ार मील दूर से कोई मुझे सावधान कर रहा है.<br />क्या गज़ब इत्तेफाक था ये.... शायद इसे ही <b>टेलीपैथी</b> (<a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Telepathy" rel="nofollow">Telepathy</a>) कहते हैं.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-19756137705144107692010-09-22T20:29:42.104+05:302010-09-22T20:29:42.104+05:30आता हूँ पढता हूँ चला जाता हूँ !भभ्भड़ जी के नाम की...आता हूँ पढता हूँ चला जाता हूँ !भभ्भड़ जी के नाम की खोज तो कर चुका था ! बहुत सारी बातें हुई थी गुरु जी से इस एतिहासिक ग़ज़ल के बारे में इसे एतिहासिक ही कहूँगा इस पुरे ब्लॉग जगत के लिए ! मगर कुछ कह नहीं पता था आज भी कुछ भी कह पाने की हालत में नहीं हूँ ! गुरु देव बहुत परेशान हैं मन बहुत बेचैन इस वजह से ! क्या कहूँ सब अच्छा हो जाये बस यही चाहता हूँ और ऊपर वाले से प्रार्थना !<br />ग़ज़ल के बारे में फिर से कहने आऊंगा !<br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-26123544737768387232010-09-22T13:20:54.586+05:302010-09-22T13:20:54.586+05:30खूबसूरत ग़ज़ल, रश्क आता है आपकी शायरी पर.
#फलक पे...खूबसूरत ग़ज़ल, रश्क आता है आपकी शायरी पर.<br /><br />#फलक पे झूम रही सांवली घटाओं को,<br /> पिह्नाके सब्ज़ परी का लिबास 'भभ्भड़जी', <br /> सजा-सजा के हसीं काफियों के ज़ेवर से, <br /> किसी सलोनी की ख़ातिर ही खींच लाए है.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85415162224899650102010-09-20T14:44:51.452+05:302010-09-20T14:44:51.452+05:30गुरु जी प्रणाम,
इलाहाबाद में भी हिन्दी पखवाडा उसी...गुरु जी प्रणाम,<br /><br />इलाहाबाद में भी हिन्दी पखवाडा उसी शानो शौकत (?) से मनाया जा रहा है जैसे देश के सभी हिस्सों में मनाया जा रहा होगा (???)<br /><br />भाभ्भड जी की गजल में १०३ शेर होंगें यह तो बहत पहले से पता था, मुशायरा शुरू होने पर जब भ्भ्भड जी की ओर से सूचना दी गई थी की उनके पार ५५ से अधिक काफिये हो चुके हैं तो ही मैंने शंका व्यक्त की थी कहीं ऐसा न हो हर काफिये पर एक शेर लिख दिया जाय :)<br /><br />मगर ५५ को १०३ करना और ऐसे ऐसे हिंदी काफिये खोजना जिनका प्रयोग करने के ख्याल से अच्छे अच्छों को पसीना आ जाए, बाप रे बाप <br /><br />पहली बार ऐसा हुआ की किसी गज़ल को पढ़ने के लिए प्रिंट आउट लेना पड़ा<br /><br />कई कई बार पढ़ कर भी जब फिर से पढ़ा तो उतना ही आश्चर्य हुआ जितना पहली बार हुआ था <br /><br />अभी कमेन्ट लिखते समय भी प्रिंट आउट हाथ में लेना पढ़ रहा है <br /><br />काफिया प्रयोग की अद्भुत मिसाल है यह गज़ल <br />कोकिलाएं, नीहारिकाएँ, जनाकसुताएं, वर्तिकाएँ, प्रदीपिकाएं आदि काफिये ने चौका ही दिया की अरे ये भी हो सकता है,,, वाह <br /><br />कुछ शेर को छोड़ कर बाकी सब बहुत पसंद आये, क्योकि जो शेर बहुत पसंद की श्रेणी में नहीं रख सका हूँ वो पसंद या नपसंद से बहुत ऊपर के शेर हैं<br /><br />एक छोटी सी इल्तिजा है की भ्भ्भड जी की जिस फोटो का विमोचन किया गया है वो तो बहुत पहले देख चुके है कोई नई फोटो विमोचित करें|वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-2445991071551604012010-09-19T15:27:57.024+05:302010-09-19T15:27:57.024+05:30बाप रेssss...इतने सारे काफ़िये थे इस ग़ज़ल के लिये???...बाप रेssss...इतने सारे काफ़िये थे इस ग़ज़ल के लिये??? उफ़्फ़्फ़्फ़...<br /><br />श्री श्री १०३ भभ्भड़ जी की जय हो। पढ़ते रहेंगे इस ग़ज़ल को आ-आकर।<br /><br />वो बुलेट वाली तस्वीर मेरी फ़ेवरिट रही है।<br /><br />और हाँ इस साँवली लड़की का जिक्र कई बार आ चुका है पहले भी भौंचके जी की रचनाओं में...चाहे सलोने से बादल के रूप में...कुछेक कहानियों में...और अब यहाँ भी।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-59888019314043568232010-09-16T11:28:32.896+05:302010-09-16T11:28:32.896+05:30ये नहीं कहूंगी कि अवाक हूँ क्योंकि भाकभौं १०३ शेरो...ये नहीं कहूंगी कि अवाक हूँ क्योंकि भाकभौं १०३ शेरों के साथ उतरेंगे सभा में ये तो पता था, पर ये ज़रूर कि हृदय अति प्रसन्न हुआ जा रहा है इनको पढ़ के. बहुत ही मुश्किल काम दे दिया आपने हमें सुबीर भैया... इतने रत्नों की चकाचौंध...फ़िर ये कि कोहीनूर ढूंढिए.<br /><br />ये ख़्वाब ख़्वाब ...<br />लिखा है साफ़...<br />सहर है दूर अभी और ....<br />ग्लोबल सी मूर्खताएं... <br />बिगड़ रहे हैं जो बच्चे... <br />मैं जिस्म हूँ...<br />उठा के सर को ...<br />तुम्हारी याद ये.... :)<br />ना जाने धूप ...<br />अभी भी सोने की सीता ...<br />बुढापा आया तो...<br />ना जाने कितने ही सिद्धार्थ ...<br /> <br />"शोक वाटिकाएं" का प्रयोग बहुत बहुत अच्छा लगा. <br />ये मिसरा "सफ़र हुआ भी शुरू..." बहुत सुन्दर!<br /> <br />और ये जिसे अधूरा लिखा ही नहीं जा रहा:<br />वो जिनका कृष्ण कभी लौट कर नहीं आया<br />तमाम उम्र भटकतीं वो राधिकाएं हैं -----अति सुन्दर!<br /> <br />हरी से होने लगी स्याह ये धरती कैसे<br />हवा में, जल में घुली कैसी कालिमाएं हैं --- सार्थक, सशक्त !<br /> <br />ख़तम हुई है कहाँ अब भी जंगे आज़ादी<br />अभी भी कैद में लोगों की चेतनाएं हैं --- बहुत खूबसूरत , बहुत सही!<br /> <br />बसी है यादों में अब तक जो सांवली लड़की<br />उसी के नाम मेरी सारी सर्जनाएं हैं --- उफ्फफ्फ्फ़! <br />गिरह के शेर को कहने का अंदाज़ बहुत ही बढ़िया...इसे कहते है महारत!<br />सुबीर भैया इतने सारे सुन्दरतम शेर एक साथ प्रेषित करके आपने रचनाकार पे और पाठकों पे, दोनों पे बड़ा अन्याय किया है ...सीरीयसली :) मुझे तो छुट्टी लेनी पड़ी दफ़्तर से आपकी ये ग़ज़ल पढ़ने के लिए :) ...सादर सस्नेह...शार्दुला दीShardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-41102867486832535542010-09-16T06:41:35.234+05:302010-09-16T06:41:35.234+05:30भाई,
आप के शे'रों पर तो लिखने की हिम्मत नहीं थ...भाई,<br />आप के शे'रों पर तो लिखने की हिम्मत नहीं थी, सोचा की आप से फ़ोन पर बात कर लूं ,<br />फ़ोन किया तो आप कवि सम्मलेन में थे.<br />मेरे भाव, शब्द और संवेदनाएं तो सब साथ छोड़ गईं, कहने लगीं इतने बढ़िया पर क्या लिखेंगी सही कहा उन्होंने -- अति उत्तम ..<br />कोहेनूर हीरा एक ही है..<br />आप जैसा प्रतिभावान रचनाकार युगों में एक होता है.<br />सुधा ओम ढींगराDhingrahttps://www.blogger.com/profile/15643636164319343623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25550524242025130022010-09-15T23:47:59.200+05:302010-09-15T23:47:59.200+05:30guru ji pranaam,
meri bhi haajiri darz karen
fir...guru ji pranaam,<br /><br />meri bhi haajiri darz karen<br /><br />fir se aata hoonवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37799578406075293102010-09-15T20:11:05.964+05:302010-09-15T20:11:05.964+05:30Idhar ham safar me hain aur ye lambi jordaar shaan...Idhar ham safar me hain aur ye lambi jordaar shaandar mushayra bhi apne poore ufaan par hain.<br /><br />JAI HO !!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8833423019657014452010-09-15T20:09:06.788+05:302010-09-15T20:09:06.788+05:30Abhi mauka mila to chaar ashaar aur padh liye...
...Abhi mauka mila to chaar ashaar aur padh liye...<br /><br />ye kucch aisa hi hai jab ham bachpan me Gazar ke halwe se bhari katori ko pure ghar me ghum ghum kar der tak khaate rahte the.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-69729278213665313522010-09-15T19:52:17.179+05:302010-09-15T19:52:17.179+05:30गुरु जी इस अदभुत और नायब ग़ज़ल में हर रंग भरा है| ...गुरु जी इस अदभुत और नायब ग़ज़ल में हर रंग भरा है| बहुत कुछ सिखा गई है यह ग़ज़ल|<br />शत शत नमन आपको|राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh)https://www.blogger.com/profile/17152336988382481047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-64541992671668338692010-09-15T13:23:38.029+05:302010-09-15T13:23:38.029+05:30जय हो.........श्री श्री 103 भ.क.भौं जी की,
शतक जड़...जय हो.........श्री श्री 103 भ.क.भौं जी की,<br />शतक जड़ा है, धुआंधार बल्लेबाजी..............वाह क्या कहने<br />पढ़ते जाओ और शेर ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहे.....<br />जितना पढो उतना मज़ा, हर शेर बब्बर शेर है, एक बब्बर शेर उठा रहा हूँ......आँखें बंद करके, ताकि और नाराज़ ना हों कि हम क्यों नहीं,<br /><br />"चमन में कौन है आया कि जिसके स्वागत में<br />कुहुक रहीं ये मगन हो के कोकिलाएँ हैं"<br />श्री श्री १०३ जी का ये शेर उन्ही को समर्पित.........<br />तरही का समापन इससे खूबसूरत क्या हो सकता था.........Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-46736939894396009072010-09-15T10:35:18.577+05:302010-09-15T10:35:18.577+05:30नीरज गोस्वामी जी की टिप्पणी से मैं २००% सहमत हूँ.....नीरज गोस्वामी जी की टिप्पणी से मैं २००% सहमत हूँ.. १०० शेर कहना और वो भी एक से बढ़ कर एक. मेरे जैसा तो इस गज़ल पर टिप्पणी लिखने के लायक भी नहीं है. गुरूजी को शत शत प्रणाम.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-64320327792329877582010-09-15T10:26:16.116+05:302010-09-15T10:26:16.116+05:30"प्रतिभा का ज्वाला मुखी" जी हाँ ये ही शब..."प्रतिभा का ज्वाला मुखी" जी हाँ ये ही शब्द पंकज जी के लिए मेरे ज़ेहन में बार बार आ रहा है...ज्वालामुखी देखें हैं न आप...कैसे लावा फव्वारे की शक्ल में थोड़े थोड़े अंतराल के बाद फूट पड़ता है...ठीक वैसे ही उनकी प्रतिभा का ज्वाला मुखी जैसे फूट पड़ा है इस ग़ज़ल के दीवान में...एक के बाद एक शेर लगातार...और कोई शेर किसी से कम नहीं...जिंदगी के सारे रंग समेटे हुए...घूसर और चटख...कमाल है...<br />इतने सारे काफिये और सब के सब सार्थक रूप में प्रयोग किये गए हैं...ये एक विलक्षण घटना है...कोई कैसे इतना कुछ सोच सकता है...अद्भुत...<br /><br />कमाल की बात है के किसी एक शेर को इस महान ग़ज़ल से चुन कर अलग से कोट नहीं किया जा सकता...एक शेर उठाता हूँ तो बाकि के सारे शेर भी उस के साथ उठ जाते हैं जैसे हार में पिरोये मोती हों, आप हार में से किसी एक मोती को अलग से नहीं उठा सकते.<br /><br />मैं तो सच में हैरान हूँ...कोई कैसे इतना प्रतिभावान हो सकता है...पंकज जी की प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक हूँ...बस. कृतग्य हूँ इश्वर के प्रति जिसने हमें उनके सानिध्य में आने का मौका दिया. <br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17845431461367361652010-09-15T08:20:26.469+05:302010-09-15T08:20:26.469+05:30धन्य भये...
सन्न भये...
गिर गये
फिर गये...
आप आप...धन्य भये...<br />सन्न भये...<br /><br />गिर गये<br />फिर गये...<br /><br />आप आप हैं...<br />मंत्रों का जाप है...<br /><br /><br />सुना था वो बाप हैं..<br />आप बापों के बाप हैं..<br /><br />:)<br /><br /><br /><br /><br />जबरदस्त!!!<br /><br />सन्नाट<br /><br />सटीक!!<br /><br /><br /><br /><br /><br /><b>हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!</b>Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18183560125081643812010-09-15T01:23:31.932+05:302010-09-15T01:23:31.932+05:30नीरज गोस्वामी जी की टिप्पणी मेरी भी मान ली जाये .प...नीरज गोस्वामी जी की टिप्पणी मेरी भी मान ली जाये .पहले ठीक से पढ़ फिर आते हैं .वैसे झाँकने से मामला दुरुस्त लग रहा है .<br /><br />या अल्लाह !<br /><br />१०३ !RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-53984780677440393842010-09-14T20:32:02.715+05:302010-09-14T20:32:02.715+05:30आंहाँ ........" ये सांवली लडकी " की एक अ...आंहाँ ........" ये सांवली लडकी " की एक अलग से पोस्ट होनी चाहीये ...<br />" वो कौन थी ? " हम्म ? [ नंबर - ९९ ] <br />फिर पढ़ा ,<br />" वीणा पाणी के चरणों की अर्चनाएं हैं " <br />तब कहीं संतोष हुआ ! :)<br />बेहतरीन ...मनभावन ..<br />बिना प्रयास जो बहे-><br /> वही काव्य, ग़ज़ल,<br /> सरिता ,रस माधुरी धार <br />अमृत वाहिनी पहुंचे कँवल चरण तले<br /> जंह ,ठाड़े कृष्ण मुरार !<br />स - स्नेह ,<br />- लावण्यादीलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-63977004021156123572010-09-14T16:06:29.284+05:302010-09-14T16:06:29.284+05:30KAVI BHABHBHAD JEE NE 1O3 SHER
KAH KAR KMAAL KAR D...KAVI BHABHBHAD JEE NE 1O3 SHER<br />KAH KAR KMAAL KAR DIYAA HAI.SHATAK<br />JAMAANE PAR UNKO BADHAAEE .<br />EK SAU SE ZIADAA ASHAAR KAHNE WALE<br />DO - TEEN HEE KAVI HAIN . UNKE<br />NAAM HAIN -- PREM RANJAN " ANIMESH"<br />AUR DR. GAUTAM SACHDEV. INKE NAAM<br />110 SE ZIADA ASHAAR DARZ HAIN.pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-70017741920279011092010-09-14T14:09:46.141+05:302010-09-14T14:09:46.141+05:30ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब .... कमाल नही धमाल .... आज तो गु...ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब .... कमाल नही धमाल .... आज तो गुरुदेव सच में धमाल है .... शायद इसलिए कहते हैं गुरु बिन गत नही ... इस पूरे के पूरे दस्तावेज़ में हम जैसे नोसिखियों के लिए तो ख़ज़ाना गढ़ा है .... कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाना होगा पर पढ़ पढ़ कर जो आनंद आ रहा है उसको बयान करना आसान नही ..... अभी तो कई कई बार आना पड़ेगा .....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-29445979343923569122010-09-14T13:20:23.357+05:302010-09-14T13:20:23.357+05:30गज़ब है, कमाल है! और मक्ता तो बस क्या कहना! आप धन्...गज़ब है, कमाल है! और मक्ता तो बस क्या कहना! आप धन्य है ’भ्भड जी’!<br />"सुबीर" जी को शत शत नमन सुन्दर प्रस्तुति, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के लिये।ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-24755016253895671892010-09-14T12:32:50.167+05:302010-09-14T12:32:50.167+05:30श्री श्री 103 भ.क.भौं जी इस प्रकार गरज के बरसेंग...श्री श्री 103 भ.क.भौं जी इस प्रकार गरज के बरसेंगे की कुछ कहना मुश्किल है...<br /><br />अरे अभी तो 39 शेर तक ही पहुंचे हैं. अच्छा है कल की लम्बी रेल यात्रा में मैं, भौचक्के जी और ये बेमिसाल मुशायरा साथ साथ चंलेंगे.<br /><br />आचार्य जी, एक बार फिर से कहता हूँ - तरही जिंदाबाद!!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-29289414158931796182010-09-14T11:01:56.091+05:302010-09-14T11:01:56.091+05:30बाप रे ! हद है ये तो ……………आराम से पढने पडेंगे अभी ...बाप रे ! हद है ये तो ……………आराम से पढने पडेंगे अभी तो जितने पढे हैं वो ही गज़ब के हैं………………<br /><br />कुछ दिल से निकले कुछ दिमाग से <br />ये शेर हैं या टूटे दिल की सदायें हैं<br /><br />हम तो मर मिटे उन ख्यालों पर<br />जो जा जा के लौट आये हैंvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-11717922932295720342010-09-14T10:47:17.573+05:302010-09-14T10:47:17.573+05:30प्रणाम है, भभ्भड़ कवि जी को वास्तव में गज़ब की ग़ज...प्रणाम है, भभ्भड़ कवि जी को वास्तव में गज़ब की ग़ज़ल प्रस्तुत किये हैं.. आपके पास शब्दों के भण्डार हैं,जितनी भी तारीफ की जाए कम हैं.. प्रणाम हो कवि जी ...<br /><br />सुबीर जी आपको भी बहुत बहुत बधाई..<br /><br />साथ ही साथ हिंदी दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें...विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-26017308411419981942010-09-14T10:36:19.265+05:302010-09-14T10:36:19.265+05:30शेरों की century. और सब शेर इतने अच्छे भी. लाजवाब!...शेरों की century. और सब शेर इतने अच्छे भी. लाजवाब! श्री श्री १०३ भकभौं जी को दंडवत प्रणाम.<br />:)Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-79583387411612501852010-09-14T10:08:27.048+05:302010-09-14T10:08:27.048+05:30108 में से गये 103 हासिल बचे 5, वो पॉंच कहॉं हैं श...108 में से गये 103 हासिल बचे 5, वो पॉंच कहॉं हैं श्री श्री 108। अब आप एक शेर इस पर भी कहें कि 108 का राज़ क्या है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.com