tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post8368325013826470857..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: मेरी मेहनत का नतीज़ा है मगर उसका है, छांव उसकी है, समर उसके, शज़र उसका है, इसकी बुनियाद में मेरा भी लहू है लेकिन, जब वो चाहेगा ये कह देगा कि घर उसका हैपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-44936705348879719992007-12-06T19:42:00.000+05:302007-12-06T19:42:00.000+05:30पंकज जीआप के ब्लॉग पर आज ही आना हुआ और आप के ज्ञान...पंकज जी<BR/>आप के ब्लॉग पर आज ही आना हुआ और आप के ज्ञान के समक्ष नत मस्तक हो गया. मैंने जो ग़ज़लें या आप जो भी कहें लिखी वो अपनी एक बेसिक इन्स्तिक्त पर लिखीं. याने जो मुझे गाने में सुर लय में शब्द बैठे उनको जोडा और लिख डाला. लिखना अचानक ही शुरू किया और बिना गुरु ज्ञान के जो जैसा लिखा उसे आप मेरे ब्लॉग http://ngoswami.blogspot.com पर पढ़ सकते हैं. मुझे सीखने की इच्छा है लेकिन क्या करूँ कोई सीखाने वाला मिलता नहीं. कोशिश करूँगा की आप के ब्लॉग से कुछ ग्रहण करूँ.<BR/>इस से पहले के लेख कहाँ से पढूं ये बताईये.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-34298382905487298912007-12-06T13:07:00.000+05:302007-12-06T13:07:00.000+05:30मैन आप से एक बात पूछी थी..बहरों की संख्या कितनी है...मैन आप से एक बात पूछी थी..<BR/>बहरों की संख्या कितनी है..क्या बहर की लिस्ट है आपके पास? <BR/>और नई बहर अगर बनानी हो तो?Kavi Kulwanthttps://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-27778672805060437122007-12-06T11:58:00.000+05:302007-12-06T11:58:00.000+05:30यस सर,षटकल के विषय में जान कर हर्ष हुआ।उपरोक्त पंक...यस सर,<BR/><BR/>षटकल के विषय में जान कर हर्ष हुआ।<BR/><BR/>उपरोक्त पंक्तियों की बहर निकालने का प्रयास किया है, बड़ी गोलमाल पंक्तियाँ हैं, समझ ही नहीं पड़ रहा कि दीर्घ कहाँ लघु के पाले में बैठ चाय पी रहा है और लघु कहाँ मात्राओं से मिल कर लुका छिपी का खेल कर रहा है। मुझे मुर्गा बनने की समस्त संभावनाएँ भी नज़र आ रही हैं, पर फिर भी बहर जो और जैसी भी निकली है प्रस्तुत कर रहा हूँ।<BR/><BR/>मेरी मेहनत का नतीज़ा है मगर उसका है, <BR/>छांव उसकी है, समर उसके, शज़र उसका है, <BR/>इसकी बुनियाद में मेरा भी लहू है लेकिन, <BR/>जब वो चाहेगा ये कह देगा कि घर उसका है,<BR/>संभावित बहरः <BR/>२१२२ - २१२२ - २१२२ - २२<BR/>लाललाला - लाललाला - लाललाला - लाला<BR/>फाएलातुन - फाएलातुन - फाएलातुन - फालुन<BR/>----------------------------------------------------<BR/>1. मेरी मेहनत - का नतीज़ा - है मगर उस - का है, <BR/>2. छांव उसकी - है, समर उस - के, शज़र उस - का है, <BR/>3. इसकी बुनिया - द में मेरा - भी लहू है - लेकिन, (इस पंक्ति के दूसरे रुक्न का पहला भाग 'द' दीर्घ नहीं है, फिर भी बहर निकालने में इसे दीर्घ मान लिया है। मुझे दो विकल्प समझ में आ रहे थे। पहला ये कि यहाँ पर 'द' को लघु मान लूँ तथा इसी के अनुसार बाकी पंक्तियों में 'का', 'है' तथा 'गा' को लघु समझूँ। दूसरा ये कि द को ही दीर्घ के रूप में रखूँ, बुनियाद में 'द' शब्द पर विशेष ज़ोर भी दिया जाता है, अतः इसको दीर्घ मान कर बहर निकाल दी है।)<BR/>4. जब वो चाहे - गा ये कह दे - गा कि घर उस - का है,<BR/>----------------------------------------------------<BR/>आदरणीय गुरुदेव, निम्न पंक्तियों में निहित भाव को मन से तिरोहित कीजिए,<BR/>"शुरू करने से पहले एक बात बता दूं कि मुझे जाने क्यों लग रहा है कि अब छात्र छात्राओं में पहले सा उत्साह नहीं है, अगर आप बोर हो गए हों तो बता दें हम कभी भी अपने कोर्स को समाप्त कर सकते हैं।"<BR/>आपके विद्यार्थियों में उत्साह की कमी नहीं है, अभी तो लोगों नें सीखना शुरू किया है यदि आप कोर्स समाप्त कर देंगे तो हम सभी अधूरे ज्ञान से भरी अपनी अधजल गगरी जगह जगह छलकाते हुए घूमेंगे। <BR/><BR/>जब तक नहीं बनें नई ग़ज़लों के सिकंदर,<BR/>तब तक रहेंगे आपकी क्लासों में बराबर,<BR/>फिर आपके स्कूल में टीचर की नौकरी,<BR/>करते हुए सिखाएँगे दुनिया को यही स्वर।अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-16540009415042353652007-12-06T11:33:00.000+05:302007-12-06T11:33:00.000+05:30उपस्थित आचार्य जी!उपस्थित आचार्य जी!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-34902639291485152492007-12-06T10:52:00.000+05:302007-12-06T10:52:00.000+05:30हाजिरी लगा लीजिये सर जी-अजयहाजिरी लगा लीजिये सर जी<BR/><BR/>-अजयAjay Kanodiahttps://www.blogger.com/profile/05724516220148761583noreply@blogger.com