tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post801073005063479267..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: या कुन्देन्दु- तुषारहार- धवला या शुभ्र- वस्त्रावृता, आज मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस है सो आज मां की सबसे छोटी आराधिका अनन्या 'हिमांशी' कर रही है मां का शब्द पूजन ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-9237238451827941632012-01-31T20:56:01.102+05:302012-01-31T20:56:01.102+05:30waah waah! ananya ne to kamaal ki ghazal kahi hai!...waah waah! ananya ne to kamaal ki ghazal kahi hai!<br />ek ek sher dil ko choone wala hai.'साहिल'https://www.blogger.com/profile/13420654565201644261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-38477134321160314752012-01-31T00:25:58.776+05:302012-01-31T00:25:58.776+05:30वाह बसंत आया और हमारा घर पीतवर्णी हो गया...... आयो...<b>वाह बसंत आया और हमारा घर पीतवर्णी हो गया...... आयो झूम के बसंत झूमो संग संग में.....</b><br /><br />सबसे सही बात तो <b>अंकित</b> ने कही कि अनन्या ने तो बुआ की मुश्किलें बढ़ा दीं। मैं खुद यही सोच रही थी कि तुम पाँच कम थे क्या, जो ये भी आस्तीन का साँप निकल आया। जहाँ पाँचों भाई एक से एक दिग्गज ग़ज़लें लिख रहे हैं, वहीं उनकी इकलौती बहन लाख कोंचने पर भी अजगर जैसी पड़ी रहती है। तरही की बेला आती है, तो गुरु जी के डर से कुछ भी अगड़म बगड़म जोड़ जाड़ के लिख दिया जाता है और ये महारानी ऐसी कि मैं एक दिन मिसरा बताती हूँ और दूसरे दिन ग़ज़ल तैयार .......और इस बार तो बाक़ायदा गुरू जी की प्रारंभिक कक्षाओं के लिंक पढ़ के खुद ही कैलकुलेशन कर के ग़ज़ल आई।<br /><br />अरे मैने कहा काहें मेरा बेड़ा गर्क करने पर तुली हो बिटिया और वही हुआ हर तरफ से उलाहनाएं ......<br /><br />ग़ज़ल पढ़ कर वाक़ई मैं भी हैरान ही थी. जैसा कि अर्श ने कहा कि<b> ईंट से इक घर बनाना इसके बचपन को दर्शा रहा है</b> तो बता दूँ कि <b>सन ९७ में जन्में हाईटेक बच्चों को शहरों के छोटे छोटे घरों में जो खुद में ही गुड़िया के घर लगते हैं, इतनी जगह नही मिलती कि गुड़िया का घर बनायें। </b>हमने तो फिर भी बनाये थे। इस लड़की ने तो कभी नही बनाया। दूसरी बात कि मैं ये भी नही जानती, कि इन्होने <b>बटलियों का भात कब खाया ?</b> और <b> हलकू, होरी की कहानी</b> वाले शेर पर तो मैं खुद दंग रह गई। असल में मैने खुद एक शेर हलकू पर लिखा था, लेकिन इसका शेर पढ़ने के बाद उसे खारिज़ कर दिया।<br /><br />वैसे बच्ची ने एक शेर बाद में हठीला जी के लिये भी भेजा था, जो अजगर बुआ रोज मेल करने को सोचती रही और इनकी ग़ज़ल लग गई वो शेर टिप्पणी में तो लिख ही दू जो कुछ यूँ था<br /><br /><b>देह उसकी मौत की आग़ोश कब का सो चुकी,<br />आतमा पर गुनगुनाती है, अभी तक गाँव में।</b><br /><br />और <b>शार्दूला दी</b> अच्छा किया यहीं आशीर्वाद दे दिया भतीजी की बुआ को, वर्ना बुआ तो ऐसा मौका देने से रहीं थी.....<br /><br /><b>खैर ये तो सबसे बड़ा योगदान गुरू जी का है, जहाँ एक छोटी सी बच्ची भी, अपने बिखरे भावों को समेट सँवार ले रही है और माँ शारदे के पूजन के लिये इस कन्या को चुनना मेरे लिये तो सच में बहुत ही हर्ष की बात है......<br /><br />माँ शारदे हमारे परिवार में रचना के बहाव के साथ साथ सद्बुद्धि और सुमति बनाये रखें यही मेरी उनसे प्रार्थना है......<br /></b>कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18421224915327882152012-01-30T13:38:45.960+05:302012-01-30T13:38:45.960+05:30अनन्या सचमुच चौंका रही है, अपनी कहन से, अपने शब्द...अनन्या सचमुच चौंका रही है, अपनी कहन से, अपने शब्दों के चयन से. नई पीढ़ी की इस साधिका से बहुत उम्मीदें हैं.<br />मतला बहुत खूब बना है,<br />"ईंट से इक घर बनाती.........", बहुत खूब<br />"टोटियों में बूँद पानी की इधर.................", लाजवाब<br />"बटलियों के भात की खुशबू वही है आज भी.................", अद्भुत शेर बुना है, सुन्दर कहन ने चार चाँद लगा दिए हैं.<br />"मंद सी आवाज़ में नानी कहानी बाँचती,.................." वाह वा<br />"हैं कृषक फाँसी लगाते कर्ज के बोझे तले,......................", सामाजिक विषयों की अच्छी पकड़ दिखा रहा है ये शेर.<br /><br />अनन्या को बहुत बहुत बधाई. इतनी धांसूं ग़ज़ल कहके इन्होने अपनी बुआ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. :)Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-50344412683523072882012-01-30T11:29:31.451+05:302012-01-30T11:29:31.451+05:30सोचना पड़ता है..... ये ब्लॉग है या इल्म का खजाना.....सोचना पड़ता है..... ये ब्लॉग है या इल्म का खजाना.......दृश्य और कथ्य की ऐसी जादूगरी.......आला फनकारों का मेला.....टिप्पणियाँ तक ऐसी जिन्हें सहेज कर रखने का मन करे.........धन्य हैं इस बज़्म में आने वाला हर शख्श.....रही बात अनन्या के ग़ज़ल की तो उसने हम जैसे शागिर्दों को गिरह बांधना सिखा दिया......लासानी.......पूरी ग़ज़ल में जैसे गाँव धड़क रहा है....बहुत बहुत बधाई अनन्या .....इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए......सौरभ शेखर https://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23430510671604135242012-01-30T10:35:40.093+05:302012-01-30T10:35:40.093+05:30सुबीर भैया पहले तो आपको आशीष और हार्दिक धन्यवाद कि...सुबीर भैया पहले तो आपको आशीष और हार्दिक धन्यवाद कि हर पर्व को अपनी सम्पूर्ण छटा के साथ आप हम तक ले के आते हैं. <br />---<br />अनन्या, तुम्हारी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत है. ढेर आशीष लो !<br />ईंट से इक घर...बहुत खूबसूरत शेर.<br />भाग आए सब .... में गाँव का उलाहना और स्वाभिमान दोनों को बड़ी खूबसूरती से पिरोया है. <br />टोंटियों में बूँद... नहर का यूँ बहना.... बहुत अच्छे! <br />बतलियों में भात.... बहुत बहुत खूबसूरत शेर है! शाबाश!<br />मंद सी आवाज़.... यहाँ मंद लिख के तुमने जाने कितनो की यादों को छुया है बच्चे! बहुत अच्छे! हमारे यहाँ गीत गाते समय दादी-नानी मुँह पे साड़ी रख लेती थीं.<br />और इन सब खूबसूरत बिम्बों के बावजूद तुम्हारे पाँव यथार्थ की ज़मीन पे हैं...ये कर्जे वाले मकते से स्पष्ट है. यूँ ही नई बुलंदियों को छूटी रहो!<br />आशीष तुम्हें और तुम्हारी बुआ को भी!...स्नेह... शार्दुलाShardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-64714999510599643712012-01-29T18:30:55.182+05:302012-01-29T18:30:55.182+05:30वाह अनन्या !वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही अच्छी है पर आखिर...वाह अनन्या !वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही अच्छी है पर आखिर के तीन अशआर खास पसंद आए..Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-84194515985754099152012-01-29T17:43:41.643+05:302012-01-29T17:43:41.643+05:30इस छोटी सी बच्ची ने तो कमाल कर डाला!! इतनी खूबसूरत...इस छोटी सी बच्ची ने तो कमाल कर डाला!! इतनी खूबसूरती से गांव की तस्वीर उकेर दी!! बहुत खूब. बधाई.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18652976362104662362012-01-29T14:32:55.331+05:302012-01-29T14:32:55.331+05:30Maa sharda ko mera pranam.... maa saraswati hamari...Maa sharda ko mera pranam.... maa saraswati hamari lekhani par apni kripa banaye rakhen .....<br />Ghar me kuch pariwarik samasyaon ke karan mujhe yah padhne me der ho gayi.<br />Guru ji ko mera vishesh prnam.Guru ji ke aashirvad ke hi karan mai apne gajal likhne ke prayas me safal ho payi hun.BUA SE SEEKHKAR MAINE LIKHNAE KI SHURUAT KI AUR GURU JI SE SEEKHKAR MAINE APNI RACHANAON KO AUR ACCHHA KARNE KA PRAYAS KIYA. Aaj mai jo kuch bhi likhti hun wo sab bua ke margdarshan aur guru ji ke aashirvad ke bina sambhav nahi tha.<br />Mere sabhi agrajon ko bhi mera naman. Aap sabhi ke utsahvardhan se mujhe jitni prasannta hoti hai utna hi manobal bhi badhta hai aur mujhme aur acchha likhne ki lalak jag uthti hai. Aasha hai ki aap sabhi ka aashirvad aur sneh hamesha isi tarah bna rahe.ananya singhhttps://www.blogger.com/profile/16144819181747213658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86744249621271521992012-01-29T11:31:36.573+05:302012-01-29T11:31:36.573+05:30अनन्या को बहुत- बहुत बधाई
नानी हल्कू व होरी को बहु...अनन्या को बहुत- बहुत बधाई<br />नानी हल्कू व होरी को बहुत ही<br />अर्थपूर्ण तरीके से शे’रों में ढाला है।<br />बधाई!द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-79867034587806836812012-01-29T09:53:28.693+05:302012-01-29T09:53:28.693+05:30मा सरस्वती के चरणो मे शत शत नमन । अनन्या ने तो सच ...मा सरस्वती के चरणो मे शत शत नमन । अनन्या ने तो सच मे हैरान कर दिया। सच मे उसकी कलम मे माँ शारदे का आशीर्वाद है। हर इक शेर किसी उस्ताद शायर की कलम से निकला लगता है। ये भी समझ नही आ रहा कि किस किस शेर की तारीफ करूँ? अनन्या पूरी गज़ल के लिये बधाई और शुभकामनायें। और बसन्त पंचमी पर इस नई पुरुस्कार योजना के लिये मेरे भाई को धन्यवाद और शुभकामनायें। शिवना प्रकाशन इसी तरह तरक्की की राह पर आगे बढे।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-28282935998198844462012-01-28T22:24:52.829+05:302012-01-28T22:24:52.829+05:30गुरुदेव,
आपने ब्लॉग के बैक कलर को इतनी बारीकी से च...गुरुदेव,<br />आपने ब्लॉग के बैक कलर को इतनी बारीकी से चुना है कि मन झूम झूम गया <br /><br /><br />अनन्या की ग़ज़ल के लिए क्या कहूँ <br />हर एक शेर लाजवाब<br />किस किस शेर को कोट किया जाये और कितनी बात की जाये इस ग़ज़ल पर <br /><br />आज गुरुकुल में सभी से बात हो गई और सब के पास् एक ही जुमला <br /><br />आज की पोस्ट पढ़ी ली क्या ?<br />और फिर तारीफों के पुल ...<br /><br />शाईरी का यह तेवर इस उम्र में ... <br /><br />उफ्फ्फ्फ्फ़वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-38304910565493877022012-01-28T21:40:15.914+05:302012-01-28T21:40:15.914+05:30अनन्या वाकई इस गज़ल से तुमने अपने नाम के अर्थ को सा...अनन्या वाकई इस गज़ल से तुमने अपने नाम के अर्थ को सार्थक कर डाला !Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-75430170269334042422012-01-28T21:23:32.712+05:302012-01-28T21:23:32.712+05:30बहुत खूबसूरत गज़ल कही... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ...बहुत खूबसूरत गज़ल कही... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86736366874304116152012-01-28T19:22:36.120+05:302012-01-28T19:22:36.120+05:30माँ शारदा को प्रणाम !!
और
अनन्या ’हिमाँशी को इतनी...माँ शारदा को प्रणाम !!<br />और <br />अनन्या ’हिमाँशी को इतनी सुंदर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई तथा अनंत शुभकामनाएंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-1407133592512610132012-01-28T14:53:01.467+05:302012-01-28T14:53:01.467+05:30पलाश आम और सरसों के इन फूलों ने अलग ही खुबसूरत मंज...पलाश आम और सरसों के इन फूलों ने अलग ही खुबसूरत मंज़र ग़ढा है इस ब्लोग का ... <br />माँ शारदे को प्रणाम !<br />अनन्या की ग़ज़लें अब ऐसा लगता है चौंकाने से कहीं आगे निकल चुकी हैं! इसकी सोंच की उडान किसी भी संवेदनशील और तज़र्बेकार गज़ल्गो से कम नहीं ! इसकी सोच मे एक पुख़्तगी है, एहसास हैं, मह्सुसियत है, जो ग़ज़ल साधक के लिये ज़रूरी हो जाता है ! और यही वजह है की अनन्या लगातार बेह्तरी के रास्ते पे तेजी से बढ्ती जा रही है ! ईंट से इक घर वाला शे'र जहां इसके बचपने के तज़ुर्बे को दर्शा रहा है वही गिरह ये कह रहा है की सोच की पुख़्तगी से कैसे ग़ज़ल कही जाए ! बहुत खुश रहो अनन्या ! <br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-91874628816938172742012-01-28T14:14:35.977+05:302012-01-28T14:14:35.977+05:30माँ सरस्वती की कृपा है हम सभी पर. प्रणाम! सब पर कृ...माँ सरस्वती की कृपा है हम सभी पर. प्रणाम! सब पर कृपा बनी रहे इसी प्रार्थना के साथ आचार्य सुबीर जी को विशेष प्रणाम कि जाने अनजाने बातों बातों में बहुत कुछ महत्वपूर्ण सीखा देते हैं.<br />अनन्या के लिए क्या कहूँ - अनन्या तुम्हे भी आज हाथ जोड़ प्रणाम कर रहा हूँ और सुन्दर सृजन के लिए बधाई दे रहा हूँ.<br />--Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-27743965652744467652012-01-28T13:35:26.929+05:302012-01-28T13:35:26.929+05:30गुरूवर,
अनन्या ने बहुत खूबसूरत गज़ल कही है।
टोंटि...गुरूवर,<br /><br />अनन्या ने बहुत खूबसूरत गज़ल कही है।<br /><br />टोंटियों में बूँद पाबी की इधर दिखती नही <br />पर नहर इठला के बहती है अभी तक गाँव में <br /><br />वाह...वाह <br /><br />बटलियों के भात कि खुश्बू वही है आज भी <br />चूल्हे की रोटी महकती है अभी तक गाँव में <br /><br />बहुत खूब......<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-87431036708566608162012-01-28T13:26:16.887+05:302012-01-28T13:26:16.887+05:30बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।
ऋतुराज वसंत पंचमी क...बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।<br /><br />ऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।हरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-3993494283084818862012-01-28T12:44:19.615+05:302012-01-28T12:44:19.615+05:30वाह आज तो बसंत पंचमी की मोहक छटा है ब्लॉग पर ...
...वाह आज तो बसंत पंचमी की मोहक छटा है ब्लॉग पर ... <br /><br />अनन्या ने जिस तरीके से ये ग़ज़ल कही है वो बस आप जैसे उस्ताद और कड़ी लगन का ही नतीजा हो सकता है ... इस ग़ज़ल का हर शेर सकारात्मक भाव लिए है ... गाँव की एक ऐसी छवि उभार रहा है जो दिल में बसी रहती है ... मलता बहुत ही लाजवाब ... फिर इंट से इक घर बनाती ... या फिर ... भाग आये सब नगर .. या फिर .... तोंतोयों में बूँद पानी ... हर शेर बुला रहा गाँव की सीमाओं में ... और आखरी शेर में तो आज का सच कह दिया ... स्तब्ध कर दिया इन संवेदनाओं ने ....<br /><br />आज की पीड़ी आने वाला कल का भविष्य है और लगता है की भविष्य सजग है ... जागृत है समाज के प्रति .... बहुत बहुत शुभकामनाएं है चुटकी अनन्या को (वैसे चुटकी नज़र नहीं आती किसी भी शेर से ...)दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-35016752671373876932012-01-28T12:22:23.156+05:302012-01-28T12:22:23.156+05:30'अभी तक गॉंव में' एक ऐसा रदीफ़ है जिसकी आत...'अभी तक गॉंव में' एक ऐसा रदीफ़ है जिसकी आत्मा तक पहुँचे बिना कठिन होगा एक शेर भी कहना। 'अभी तक' समय-सापेक्ष है, तुलना करता है एक काल की दूसरे काल से और 'गॉंव में' ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ स्थापित मूल्यों परंपराओं की बात करता है। गॉंव के संदर्भ में ऐसा कुछ तलाशना और उसे शेर में बावज़्न बॉंधना, दुष्कर नहीं तो सरल भी नहीं है। इस रदीफ़ में तुलना गॉंव-गॉंव से हटती है तो स्वाभाविक है कि दूसरा तत्व आता है शह्र का बदलाव जिसकी तुलना में दिखता है कि गॉंव में तो अभी भी ऐसा होता है। इसे बॉंधने में ऊहापोह की जो स्थिति बनती है उसमें से आज के सरोकारों को पिरो ले जाना तो और भी कठिन है। <br />इस सब को अनन्या की ग़ज़ल के साथ देखता हूँ तो विश्वास नहीं होता कि इस उम्र में अहसास इस स्तर पर आकर भी बोल सकता है। अनन्या के लिये एक विशेष पुरस्कार मेरी ओर से; प्रयास रहेगा शीघ्र ही स्वयं सीहोर आकर पंकज भाई के हाथ सौंपने का (मेरा शीघ्र भी कभी-कभी एक माह से लंबा खिंच जाता है)तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-54606783332418933022012-01-28T11:53:37.721+05:302012-01-28T11:53:37.721+05:30बसंत पंचमी की शुभकामनायेंबसंत पंचमी की शुभकामनायेंप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-64234760758175986222012-01-28T11:34:03.318+05:302012-01-28T11:34:03.318+05:30सबसे पहले माँ सरस्वती को नमन फिर इस शानदार साज सज्...सबसे पहले माँ सरस्वती को नमन फिर इस शानदार साज सज्जा के लिए आपको नमन।<br />तदोपरांत इस शानदार ग़ज़ल के लिए छुटकी को बहुत बहुत बधाई और ढेर सारी जलन कि ये शे’र मुझको क्यूँ नहीं सूझे।<br />क्या गिरह बाँधी है। वाह वाह...<br />हलकू, होरी के लिए अलग से बधाई।<br />और इतनी कम उम्र में ऐसे शानदार शे’र कहने के लिए (बधाई / 0 = अनंत बधाई)।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-71173418659976408252012-01-28T11:30:29.591+05:302012-01-28T11:30:29.591+05:30MERI PAHLI TIPPANI FIR GAYI SPAM MEN...YE MERE SAA...MERI PAHLI TIPPANI FIR GAYI SPAM MEN...YE MERE SAATH HI KYA HO RAHA HAI GURUDEV?????नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-44895189436931149582012-01-28T11:22:18.631+05:302012-01-28T11:22:18.631+05:30आज आपके ब्लॉग पर बसंत की छटा देख कर "मलिका पु...आज आपके ब्लॉग पर बसंत की छटा देख कर "मलिका पुखराज" और उनकी बेटी "ताहिरा सईद" का गाया अमर बसंत गीत " लो फिर बसंत आयी..." कानों में गूंजने लगा है...<br /><br />http://www.youtube.com/watch?gl=IN&v=jq3bb33sElUनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-59670188189110756112012-01-28T11:07:55.845+05:302012-01-28T11:07:55.845+05:30बेहतरीन गज़ल,वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये !बेहतरीन गज़ल,वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com