tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post7902166298118239060..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: यदि ग़ज़लों और टिप्पणियों को ही आधार बना कर कहा जाये तो कहा जा सकता है कि दीपावली तरही मुशायरे की धमाकेदार शुरुआत हुई है । और आज श्री सौरभ पांडेय तथा श्री शेषधर तिवारी ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17562824337705562032011-10-21T19:55:26.673+05:302011-10-21T19:55:26.673+05:30सभी विद्वद्जनों को मेरा सादर प्रणाम. आपको मेरा कहा...सभी विद्वद्जनों को मेरा सादर प्रणाम. आपको मेरा कहा पसंद आया यह मेरे लिये संतोष की बात है. कहना न होगा, अभी बहुत कुछ जानना और सीखना है.<br />भाई नवीनजी चतुर्वेदी ने अपनी आत्मीयता से विभोर कर दिया है. आपका स्वाध्याय तथा साहित्य की अथक साधना ने मुझे आपके प्रति आदरभाव से आप्लावित किया है.<br />तिलकराजजी, धर्मेन्द्रजी, शेषधरभाई के प्रति आदर भाव रखता हूँ. तथा वीनस के प्रति सादर स्नेह. सभी विद्वद्जनों के प्रति पुनः आभार.<br />पंकजभाईजी के प्रति सादर नमन.Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-90101301105999013652011-10-21T11:02:22.725+05:302011-10-21T11:02:22.725+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-34752728787481377532011-10-20T21:32:52.348+05:302011-10-20T21:32:52.348+05:30दोनो ही शायरों ने समा बाँधा है....
आज भी है सवाल ...दोनो ही शायरों ने समा बाँधा है....<br /><br /><b>आज भी है सवाल सहरा में,<br />आब ही आब क्यों दिखे हर सू </b><br /><br />शेषधर तिवारी जी का ये शेर <br /><br />और सौरभ जी का मतला, <br /><br /><b>जिंदगी खीझती दिखे हर सू,<br />लोग फिर भी निबाहते हर सू।</b><br /><br />खूब..बहुत खूब...कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-61031154712046009382011-10-19T19:23:06.750+05:302011-10-19T19:23:06.750+05:30Nice .Nice .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-24915403252521139192011-10-19T18:34:25.831+05:302011-10-19T18:34:25.831+05:30वाह! क्या अंदाज़-ए-बयां है दोनो हज़रात का, खूबसूरत...वाह! क्या अंदाज़-ए-बयां है दोनो हज़रात का, खूबसूरत कलाम दोनो ही! वाह!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-50802488648422086112011-10-19T16:55:23.439+05:302011-10-19T16:55:23.439+05:30आप सभी गुनीजन एवं पारखी विद्वज्जनों का बहुत बहुत आ...आप सभी गुनीजन एवं पारखी विद्वज्जनों का बहुत बहुत आभार. मुझे इलाहाबद की प्रशंसा देख कर अधिक खुशी हुई. भाई सौरभ पाण्डेय ने मुझे जो मान दिया है उसके लिए उनका विशेष आभार पर सच में देखा जाय तो उनके लिए ये कहना जायज होगा की अगर आगाज़ ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा. सौरभ जी एक सशक्त लेखनी के धनी हैं. सुबीर जी ने सौरभ जी के साथ मेरी ग़ज़ल लगाकर मुझे यह कहने पर विवश कर दिया है की अब आया है ऊँट(मैं) पहाड़ के नीचे. एक सशक्त मंचपर स्थान देने के लिए श्री पंकज सुबीर जी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं मुशायरे के आशातीत सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूँ.शेषधर तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/09259183410687906285noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-40525605021765917512011-10-19T12:41:52.791+05:302011-10-19T12:41:52.791+05:30हम्म.......गुरुदेव, वाकई इस बार हर सू के अलग अलग द...हम्म.......गुरुदेव, वाकई इस बार हर सू के अलग अलग दो मिसरों को मतले में एक के बाद बांधना है मुश्किल भरा रहा. आपने जो उदाहरण दिया है, अमीर मीनाई साब की ग़ज़ल का, वो मतला तो अमर है. सही में, बहुत सुन्दरता से बाँधा है.<br />इलाहाबाद के अमरुद मैंने भी आज तक खाए नहीं है, मगर इनके बारे में सुना बहुत है. graduation की पढाई के दौरान अमरूदों की तरह-तरह की किस्मों को रटते वक़्त, "इलाहाबादी सफेदा" तो जबानी याद हो गया था, मगर आज तक अस्ल में इसने जबां को छुआ नहीं है. इंतज़ार है, कब "इलाहाबादी सफेदा" से भेंट होती है.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-56808119457615994022011-10-19T11:44:19.409+05:302011-10-19T11:44:19.409+05:30...और अमरूदों के इस खाऊ प्रशंसक से मिल कर दिल अमरू......और अमरूदों के इस खाऊ प्रशंसक से मिल कर दिल अमरूद अमरूद हो गया :-)गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13024315300167565592011-10-19T11:42:32.267+05:302011-10-19T11:42:32.267+05:30तरही की दूसरी कड़ी पर एक दिन विलंब से आ रहा हूँ| म...तरही की दूसरी कड़ी पर एक दिन विलंब से आ रहा हूँ| मुझे लगा कि शायद दो दिन का गैप तो मिलेगा...लेकिन लगता है कि बहुत सारी ग़ज़लें आयी हैं इस बार.... <br /><br />तिवारी जी अच्छा लिखते हैं| पढ़ते रहटा हूँ उनको फेसबुक पर जब तब| आज भी सवाल है सहरा मे वाला शेर बहुत खूब है|<br /><br />सौरभ जी को पहली बार ही पढ़ रहा हूँ| अच्छे शेर कहे हैं उन्होने भी .... रात भर चाँद पास सोता है वाला शेर तो उफ़्फ़ ...गजब का कहा है उन्होने |<br /><br />मधुबनी पेंटिंग को इस ब्लौग पर देख कर मन खुश हो गया| अपना ननिहाल है|गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23237200650960746562011-10-19T11:09:07.701+05:302011-10-19T11:09:07.701+05:30तरही के शानदार आग़ाज़ के बाद, इलाहाबाद के दो शायर ...तरही के शानदार आग़ाज़ के बाद, इलाहाबाद के दो शायर अपनी ग़ज़लों के साथ आ गए हैं. और क्या खूब रंग जमाया है.<br />शेषधर जी, वाह क्या खूब शेर कहें है,<br />आज भी है सवाल, सहरा में..............वाह वा<br />ज़िन्दगी मुस्कुरा...............उम्दा शेर, लाजवाब कहन.<br />ख़्वाहिशें बढ़ गई........... जिंदाबाद शेर<br />दुःख भरे दिन...............बहुत उम्दा गिरह लगाई है.<br />वाह वा, मज़ा आ गया. बधाई स्वीकार करें.<br /><br />सौरभ जी का स्वागत है, पहली बार आये हैं और अच्छे शेर कहें हैं.<br />मतला बहुत अच्छे से बाँधा है, बधाइयाँ.<br />सूख गया पानी..............अच्छा शेर है<br />रात भर चाँद..................वाह वा, जिंदाबाद शेर<br />बात परवाज़ की................अच्छा शेर है.<br />खूबसूरत शेरों और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई कुबूल करें.<br /><br />गुरु जी, मधुबनी की बहुत सुन्दर पेंटिंग लगाई है. आनंद ही आनंद. इस बार लगता है, बेहतरीन ग़ज़लों के साथ-साथ, आपके द्वारा ढूंढ के निकाली गई चुनिन्दा पेंटिंग भी देखने को मिलेगी. डबल मज़ा. गुरुदेव, बहुत-बहुत बधाई.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-7383841641534963692011-10-19T09:31:40.411+05:302011-10-19T09:31:40.411+05:30पहले से दूसरा अंक और भी दमदार। यही है एक कुशल मंच ...पहले से दूसरा अंक और भी दमदार। यही है एक कुशल मंच संचालक की विशेषता। कहने की आवश्यकता तो नहीं, पर कहना ज़रूरी भी होता है, साहित्यिक प्रयासों के लिए समर्पित भद्रजनों के यथेष्ट साधुवाद हेतु।<br /><br />तिवारी जी शायद दूसरी बार पधारे हैं इस मंच पर। तिवारी जी की ग़ज़ल उनकी अपनी ग़ज़ल है। मतले से ही जानदार और शानदार आगाज़ करती इस ग़ज़ल के तमाम शेर न सिर्फ पुरअसर हैं, बल्कि अपनी बात को मुकम्मल तरीक़े से कहने में क़ामयाब भी हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी तिवारी जी के अंदर सीखने की तथा और बेहतर और बेहतर देने की जो ललक है, वो मेरे लिए अनुकरणीय है। तिवारी जी की लेखनी ने मनोहारी छंद भी लिखे हैं, जिनकी साहित्य रसिकों ने मुक्त कंठ से भूरि-भूरि प्रशंसाएं की हैं।<br /><br />सौरभ पाण्डेय जी से परिचय तक़रीबन एक साल पुराना है। सब से पहले फेसबुक पर पढ़ी थी उन की कविता। फिर कालांतर में उन की टिप्पणियों के साथ ग़ज़लें भी पढ़ने को मिलीं। इन की 'तुम नहीं समझोगे' कविता जिसने भी पढ़ी, मुक्त कंठ से प्रशंसा ही की। विगत दिनों हरिगीतिका जैसे कंर्ण प्रिय छंद पर अपना लोहा भी मनवा चुके हैं सौरभ भाई। मौजूदा ग़ज़ल का मतला आप के स्वभाव का सही सही परिचायक है। शुरू से आखिर तक यह ग़ज़ल कितनी प्रभावशाली है, आप सभी लिख ही चुके हैं।<br /><br />दोनों अग्रजों के साथ साथ सुबीर जी को भी बहुत बहुत बधाई, इस काव्यात्मक पर्व को यादगार बनाने के लिए।www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-92034588475787635432011-10-18T23:52:38.444+05:302011-10-18T23:52:38.444+05:30ख़्वाहिशें बढ़ गई हैं .....
एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल का स...ख़्वाहिशें बढ़ गई हैं .....<br />एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल का सब से ख़ूबसूरत शेर <br /><br />बात परवाज़ की .....<br />बहुत उम्दा !!<br /><br />दोनों शायरों को मुबारकबाद <br />इलाहाबाद से तो मुझे भी बहुत लगाव है क्योंकि मैंने भी शिक्षा वहीं से प्राप्त की हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-28956571036701827122011-10-18T22:26:01.448+05:302011-10-18T22:26:01.448+05:30क्या बात है, दोनों ही शायरों ने कमाल की ग़ज़लें कही ...क्या बात है, दोनों ही शायरों ने कमाल की ग़ज़लें कही हैं। मुझे तो हर शे’र पसंद आया क्यूँकि मुझे पता है इस ‘हर सू’ ने कितना तरसाया है। एक एक मिसरा दिमाग के हलक में हाथ डालकर निकालना पड़ता है तभी ‘हर सू’ फिट होता है शे’र में। <br /><br />शेष सौरभ मिले जो सहरा में<br />आब बनकर बिखर पड़े हर सू<br /><br />कोटिशः बधाई हो दोनों शायरों को और इलाहाबाद को जहाँ ऐसे शायर रहते हैं।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-35114924774623526962011-10-18T20:36:35.955+05:302011-10-18T20:36:35.955+05:30अरे वाह,
तिलक जी और मेरी पसंद कितनी 'सेम-सेम&#...अरे वाह,<br />तिलक जी और मेरी पसंद कितनी 'सेम-सेम' है<br /><br />:)वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-39701943090836622902011-10-18T20:35:15.418+05:302011-10-18T20:35:15.418+05:30आज भी है सवाल, सहरा में
आब ही आब क्यूँ दिखे हर सू
...आज भी है सवाल, सहरा में<br />आब ही आब क्यूँ दिखे हर सू<br /><br />ज़िंदगी मुस्कुरा नहीं पाती<br />चश्मे नम लोग दिख रहे हर सू<br /><br />ख्वाहिशें बढ़ गयी हैं अब इतनी<br />आज ईमान बिक रहे हर सू<br /><br />>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>><br /><br />रात भर चाँद पास सोता है <br />वो मगर ढूँढता दिखे हर सू<br /><br />रोटियाँ कर रही उसे नंगा<br />शर्म की बात क्यों करे हर सू<br /><br />तितलियाँ खुश दिखीं बहारों में<br />फूल ’सौरभ’ लुटा रहे हर सू <br /><br /><br />श्री शेषधर तिवारी जी, श्री सौरभ पाण्डेय जी <br /><br />यूं तो पूरी ग़ज़ल बहुत प्यारी कही है मगर इन तीन शेर की क्या ही तारीफ करू,<br />कितनी ही बार पढ़ चुका हूँ <br />दिल खुश हो गया <br /><br />आपको बहुत बहुत बधाईवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-31050579597044822582011-10-18T20:34:42.876+05:302011-10-18T20:34:42.876+05:30आज की विशेष उपलब्धि दिखे ये शेर
आज भी है सवाल, सह...आज की विशेष उपलब्धि दिखे ये शेर<br /><br />आज भी है सवाल, सहरा में<br />आब ही आब क्यूँ दिखे हर सू<br />ख्वाहिशें बढ़ गयी हैं अब इतनी<br />आज ईमान बिक रहे हर सू<br />दुःख भरे दिन को कह खुदा हाफ़िज़<br />''दीप खुशियों के जल उठे हर सू''<br /><br />रात भर चाँद पास सोता है <br />वो मगर ढूँढता दिखे हर सू <br />रोटियाँ कर रही उसे नंगा <br />शर्म की बात क्यों करे हर सू <br />बात परवाज़ की कहो क्यों हो <br />परकटे बाज़ रह गये हर सू <br />तितलियाँ खुश दिखीं बहारों में <br />फूल ’सौरभ’ लुटा रहे हर सूतिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-39424286675686648612011-10-18T20:17:58.299+05:302011-10-18T20:17:58.299+05:30ॐ
भाई श्री सौरभ पांडेय तथा भाई श्री शेषधर तिवारी ...ॐ <br />भाई श्री सौरभ पांडेय तथा भाई श्री शेषधर तिवारी जी की बेहतरीन रचनाओं के लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई तथा निरंतर ऐसी बढ़िया रचनाएँ लिखते रहने के लिए मेरी शुभेच्छाएं । इन रचनाओं से दीपावली की ओर अग्रसर होते हुए जगमगाहट दूर दूर तक फ़ैल कर शुभ लाभ का मंगलकारी पैगाम फैला रही यह पोस्ट बेहद आकर्षक लग रही है . आप की मेहनत रंग लायेगी ये जानते हैं . सभी रचनाकार साथियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं <br />स स्नेह , सादर ,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-2402587508146146222011-10-18T20:16:51.137+05:302011-10-18T20:16:51.137+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-45095820312711225492011-10-18T19:56:06.515+05:302011-10-18T19:56:06.515+05:30मधुबनी पेंटिंग देख के मन प्रसन्न हुआ:)
दोनों ग़ज़ल...मधुबनी पेंटिंग देख के मन प्रसन्न हुआ:)<br />दोनों ग़ज़लें खूबसूरत हैं. <br />शेषधर जी का ये शेर बहुत ही उम्दा है:<br />आज भी है सवाल सहरा में,<br />आब ही आब क्यूं दिखे हर सू <br />"जिन्दगी मुस्कुरा नहीं पाती ... " और "दुःख भरे दिन..." ये दोनों भी सुन्दर!<br />सौरभजी का "सूख पानी गया..." और "चाँद रात भर..." दोनों शेर पसंद आए. <br />सादर ...Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-36288800597340502462011-10-18T18:45:20.354+05:302011-10-18T18:45:20.354+05:30पाठकों की सकारात्मक प्रतिक्रियाओं पर मैं नत हूँ, म...पाठकों की सकारात्मक प्रतिक्रियाओं पर मैं नत हूँ, मुग्ध हूँ. सबसे बड़ी बात, पंकजजी ने मुझे मेरे ’बड़े भइया’ शेषधरजी के साथ बिठा कर बहुत मान दिया है. .. :-)) <br />सादर.. .<br /><br />--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-78071307821741729422011-10-18T18:09:47.828+05:302011-10-18T18:09:47.828+05:30HAR SHER PYARE HAIN...DIWALI KO JEEVANT KARANE WAL...HAR SHER PYARE HAIN...DIWALI KO JEEVANT KARANE WALE.. BADHAI..SHAYARON KO...girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-58687897925741289862011-10-18T17:29:48.190+05:302011-10-18T17:29:48.190+05:30गुरूवर,
अपनी टंकण त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी ...गुरूवर,<br /><br />अपनी टंकण त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। <br /><br />सविनय,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-51669183336533775532011-10-18T17:00:22.640+05:302011-10-18T17:00:22.640+05:30आज तो इलाहाबाद छा गया ...
बहुत ही कमाल की गज़लों ...आज तो इलाहाबाद छा गया ... <br />बहुत ही कमाल की गज़लों ला गुलदस्ता है ...<br />शेष धर जी को कई बार पढ़ा है और हर बार उनकी कलम का कायल हुवा हूँ ...<br />गुम कहाँ हो गई मुहब्बत सब ... या फिर जिंदगी मुस्कुरा नहीं पाती ... बहुत कुछ कह जाते हैं ...<br /><br />सौरभ जी ने भी कमाल किया है बहुत ही उम्दा ... संवेदनशील शील शेर हैं सभी ... <br />रोटियां कर रही उसे नंगा .. या फिर सूख पानी गया है आँखों से ... बहुत ही गहरी बात कर गए ...<br />दोनों शायरों को बहुत बहुत बधाई इन लाजवाब गज़लों पे ... मुशायरा परवान चढ रहा है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-77613732396937209022011-10-18T14:16:38.395+05:302011-10-18T14:16:38.395+05:30jiyo allahabad :)jiyo allahabad :)वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86016427787293930982011-10-18T13:11:12.339+05:302011-10-18T13:11:12.339+05:30आज तो मुशायरे की रवानी उफान पर है.दोनों फनकारों,जन...आज तो मुशायरे की रवानी उफान पर है.दोनों फनकारों,जनाब शेषधर जी और जनाब सौरभ पाण्डेय जी ने कमाल के अशआर निकाले हैं.खास कर शेषधर जी का यह शेर: "आज भी हैं सवाल सहरा मेंआब ही आब क्यूँ दिखे हर सू" .और सौरभ जी का "रात भर चाँद पास सोता है,वो मगर ढूंढता दिखे हर सू" तो हासिले-महफ़िल है.सौरभ शेखर https://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.com