tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post7691776719054064515..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: होली के रंगों में रँगा हुआ यह तरही मुशायरा आइए आज पाँच शायरों की ग़ज़लें सुनते हैं धर्मेन्द्र कुमार सिंह, दिगम्बर नासवा, गुरप्रीत सिंह, नकुल गौतम और जनाब शेख़ चिल्ली।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-70187746388883707422017-03-25T15:52:08.894+05:302017-03-25T15:52:08.894+05:30शेख चिल्ली का तो अलग ही रंग है। इस अलग रंग के लिए ...शेख चिल्ली का तो अलग ही रंग है। इस अलग रंग के लिए उन्हें साधुवाद।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8978885244226034072017-03-25T15:51:09.813+05:302017-03-25T15:51:09.813+05:30नकुल जी का आखिरी शे’र गजब का हुआ है। गजब की गिरह ल...नकुल जी का आखिरी शे’र गजब का हुआ है। गजब की गिरह लगाई है उन्होंने। नए प्रतीकों से सजी इस ग़ज़ल के लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई। ‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85610856360638583202017-03-25T15:48:01.728+05:302017-03-25T15:48:01.728+05:30आदरणीय गुरप्रीत जी ने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है। &qu...आदरणीय गुरप्रीत जी ने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है। "चढ़ गया रंग जिनपे मुहब्बत का वो...." शेर इस ग़ज़ल को नई ऊँचाई दे रहा है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय गुरप्रीत जी को।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85362629134022135022017-03-25T15:46:32.830+05:302017-03-25T15:46:32.830+05:30आदरणीय दिगम्बर जी ने बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है। बहुत...आदरणीय दिगम्बर जी ने बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस शानदार ग़ज़ल के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65760111283641032992017-03-25T15:39:07.586+05:302017-03-25T15:39:07.586+05:30बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नीरज जीबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नीरज जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-667839035662718962017-03-25T15:38:32.396+05:302017-03-25T15:38:32.396+05:30बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीयबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82544451682859705502017-03-25T15:33:15.711+05:302017-03-25T15:33:15.711+05:30बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राकेश जीबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राकेश जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-74677270618613730882017-03-25T15:32:53.422+05:302017-03-25T15:32:53.422+05:30शुक्रिया आदरणीय अश्विनी जीशुक्रिया आदरणीय अश्विनी जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32674321122112594692017-03-25T15:29:56.438+05:302017-03-25T15:29:56.438+05:30बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय द्विजेन्द्र जीबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय द्विजेन्द्र जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18553997627443636082017-03-25T15:29:33.921+05:302017-03-25T15:29:33.921+05:30बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तिलकराज जीबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तिलकराज जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-24576091903948375242017-03-25T15:29:06.968+05:302017-03-25T15:29:06.968+05:30बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुरप्रीत जीबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुरप्रीत जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-44592746776127444692017-03-25T15:28:43.484+05:302017-03-25T15:28:43.484+05:30बहुत बहुत शुक्रिया नकुल जीबहुत बहुत शुक्रिया नकुल जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-47092944507140181302017-03-25T15:28:19.187+05:302017-03-25T15:28:19.187+05:30बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नासवा जीबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नासवा जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85485730609737403702017-03-16T18:41:23.932+05:302017-03-16T18:41:23.932+05:30आपका कहना बिलकुल ... दुरुस्त व्यवधान तो है ... वाय...आपका कहना बिलकुल ... दुरुस्त व्यवधान तो है ... वायु पवन एक ही हैं ... आपने इस पंक्ति को आकार दे दिया ... आभार राकेश जी ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42051752485849869522017-03-12T15:31:20.537+05:302017-03-12T15:31:20.537+05:30शुक्रिया sir
आप का आशीर्वाद बना रहे
।
सादर
नकुल ...शुक्रिया sir<br />आप का आशीर्वाद बना रहे<br />।<br /><br />सादर <br />नकुल नकुल गौतमhttps://www.blogger.com/profile/08033870691414582297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-66848682440541764552017-03-12T13:23:12.078+05:302017-03-12T13:23:12.078+05:30धूप सेंकें पहाड़ों की मुद्दत के बाद
कर लें माज़ी ...धूप सेंकें पहाड़ों की मुद्दत के बाद <br />कर लें माज़ी नया धूप के रंग में<br />नकुल जियो ! आपके उस्ताद को नमन जिन्होंने हीरे को तराश कर इतना चमकदार बना दिया है ! पूरी गजल बेजोड है !! इतने कम समय में जो मुक़ाम आपने हासिल किया उसकी जितनी तारीफ़ की जाय कम है !!<br />घोर कलयुग है आया क़सम राम जी <br />कैसे कैसे रसायन घुले रंग में<br />ये शेर ही नहीं पूरी गजल किसी शेखचिल्ली की नहीं उस्ताद की गजल लगती है ! आप का परिचय नहीं मिल सका लेकिन क़सम से - जो भी हो तुम खुदा की क़सम लाजवाब हो !!!<br /><br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-19021416315963121722017-03-12T13:13:19.848+05:302017-03-12T13:13:19.848+05:30गाल पर प्राइमर ये गुलाबी कहे
अब तो रंग दो पिया प्...गाल पर प्राइमर ये गुलाबी कहे <br />अब तो रंग दो पिया प्रीत के रंग में<br />धर्मेन्द्र जी ज़िंदाबाद !! इस अनूठी गजल के लिये ढेरमढेर दाद कबूलें !!<br />में ही अग्नि हूँ जल पृथ्वी वायु पवन <br />आत्मा है अजर सब मेरे रंग में<br />जियो दिगंबर भाई जियो ! इस उस्तादाना गजल के लिये आपकी लेखनी को नमन !!<br />चढ़ गया रंग जिन पे मुहब्बत का वो <br />जी गए रंग में मर गए रंग में<br />गुरप्रीत जी बल्ले बल्ले - मार सुट्या बाउजी - कमाल कर दित्ता - वाह जी वाह - दिल खुश कर दित्ता- ज्यूंदे रवो !!<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13475309462126803302017-03-12T11:33:18.567+05:302017-03-12T11:33:18.567+05:30आभार sirआभार sirनकुल गौतमhttps://www.blogger.com/profile/08033870691414582297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-3097669404265141432017-03-12T11:31:54.800+05:302017-03-12T11:31:54.800+05:30आभार sir
आइये, कभी कैफे में चाय पीते हैं
:-)आभार sir<br />आइये, कभी कैफे में चाय पीते हैं<br />:-)नकुल गौतमhttps://www.blogger.com/profile/08033870691414582297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82806116706453226412017-03-12T11:30:49.596+05:302017-03-12T11:30:49.596+05:30आभार sirआभार sirनकुल गौतमhttps://www.blogger.com/profile/08033870691414582297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-84057855019640500712017-03-12T11:28:54.456+05:302017-03-12T11:28:54.456+05:30आभार sirआभार sirनकुल गौतमhttps://www.blogger.com/profile/08033870691414582297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42591363130027250222017-03-11T23:53:00.963+05:302017-03-11T23:53:00.963+05:30इसी प्रकार अंतिम पंक्ति के कमल शब्द को कमाल पढ़ें.इसी प्रकार अंतिम पंक्ति के कमल शब्द को कमाल पढ़ें.nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-2626222716117198972017-03-11T23:52:08.155+05:302017-03-11T23:52:08.155+05:30कृपया चतुर्थ पंक्ति को इस प्रकार पढ़ें:
बहुत ही उम्...कृपया चतुर्थ पंक्ति को इस प्रकार पढ़ें:<br />बहुत ही उम्दा कहन है. बधाई स्वीकार करें.nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85486931415898158192017-03-11T23:50:24.485+05:302017-03-11T23:50:24.485+05:30वाह खुबसूरत ग़ज़लों की झड़ी लग गई है.
धर्मेन्द्र जी क...वाह खुबसूरत ग़ज़लों की झड़ी लग गई है.<br />धर्मेन्द्र जी को मैं कैबर पढ़ चुका हूँ और हमेशा उनकी लेखनी से प्रभावित भी रहता हूँ. ये गज़ल भी शानदार बानी हुई है.<br />रंग फीके पड़े जाती के धर्म के.....<br /><br />बहुत ही उम्दा कहाँ है. बह्दै स्वीकार करें.<br />दिगंबर नासवा जी को भी इन्टरनेट पर पढता आ रहा हूँ.<br />भगवे रंग में दाढ़ी और हरे रंग में चोटी को रँगने वाला भाव बहुत पसंद आया.<br />गुरप्रीत साहब भी मतले से ही प्रभाव छोड़ते आ रहे हैं. मेरी बधाई है आपको भी.<br />इसी प्रकार नकुल जी के पहाड़ी वाले शेर बहुत अच्छे लगे.<br /><br />शेख चिल्ली साहब तो कमल ही कर गए इस बार. आप ने तरही रंग दी नए रंग में...<br />nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-44144737548175546092017-03-11T23:19:06.354+05:302017-03-11T23:19:06.354+05:30शेखचिल्लीजी का हर शेर अपना नया ही रंग दिखा रहा है ...शेखचिल्लीजी का हर शेर अपना नया ही रंग दिखा रहा है राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.com