tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post756835518923872687..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: रंगों का पर्व अब बहुत पास आ गया है आइए आज हम भी कुछ आगे बढ़ते हैं राकेश खंडेलवाल जी, द्विजेन्द्र द्विज जी, डा. मधु भूषण जी शर्मा 'मधुर', गिरीश पंकज जी और अंशुल तिवारी के साथ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86013167888697629692017-03-25T15:58:46.163+05:302017-03-25T15:58:46.163+05:30आदरणीय गिरीश पंकज जी और अंशुल तिवारी जी ने बेहतरीन...आदरणीय गिरीश पंकज जी और अंशुल तिवारी जी ने बेहतरीन ग़ज़लों से इस मंच को नवाजा है। बहुत बहुत बधाई उन्हें इन शानदार ग़ज़लों के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18324691763403167742017-03-25T15:57:09.369+05:302017-03-25T15:57:09.369+05:30आदरणीय मधु भूषण जी ने शानदार ग़ज़ल कही है। बहुत बहुत...आदरणीय मधु भूषण जी ने शानदार ग़ज़ल कही है। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस ग़ज़ल के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-60906584834066427282017-03-25T15:56:07.321+05:302017-03-25T15:56:07.321+05:30आदरणीय द्विजेन्द्र जी अपने पुराने अंदाज में एक लम्...आदरणीय द्विजेन्द्र जी अपने पुराने अंदाज में एक लम्बी लेकिन शानदार ग़ज़ल के साथ आये हैं। किस शे’र को कोट करें किसको छोड़ें। सभी एक से बढ़कर एक हैं। बहुत बहुत बधाई उन्हें।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18839389898493190112017-03-25T15:54:29.854+05:302017-03-25T15:54:29.854+05:30आदरणीय राकेश जी ने एक और शानदार गीत से इस मंच को न...आदरणीय राकेश जी ने एक और शानदार गीत से इस मंच को नवाजा है। बहुत बहुत धन्यवाद उन्हें यह शानदार गीत हमें सौंपने के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-11499998844875844312017-03-16T18:38:57.349+05:302017-03-16T18:38:57.349+05:30मधुर जी और अंशुल जी को भी बहुत बहुत बधाई इस कामयाब...मधुर जी और अंशुल जी को भी बहुत बहुत बधाई इस कामयाब और लाजवाब ग़ज़ल पर ... सभी शेर एक से बढ़ कर एक ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-83159963745173145342017-03-16T18:37:29.837+05:302017-03-16T18:37:29.837+05:30राकेश जी, आदरणीय द्विज जी और गिरीश जी के गीतों और ...राकेश जी, आदरणीय द्विज जी और गिरीश जी के गीतों और गजलों का आनंद कुछ अलग ही है ... बहुत कमाल के छंद और बेजोड़ शब्द समा बाँध रहे हैं ... इस मुशायरे को चार चाँद लग रहे हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-40318521277236963312017-03-16T16:59:19.816+05:302017-03-16T16:59:19.816+05:30बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब।
ज़र्रानवाज़ी है आपकी।बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब।<br />ज़र्रानवाज़ी है आपकी।Anshul Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/14789930997597445895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65822698427971905462017-03-13T16:27:29.112+05:302017-03-13T16:27:29.112+05:30राकेश खण्डेलवाल साहब का यह दूसरा गीत है तरही में।
...राकेश खण्डेलवाल साहब का यह दूसरा गीत है तरही में।<br />मान गए साहब। <br /><br />सभी बन्द एक से बढ़कर एक हुए हैं। थाप मारो ज़रा जोर से चंग में... <br />आओ पिचकारियों में उमंगें भरें...<br />द्वेष की होलिका को फूंकना.. और भांग में अपनत्व को छानना...<br />कृत्रिम कलेवर फेंकना...<br />हों मुखौटे हैरतो दंग<br /><br />कमाल के एहसास हैं। कहीं कहीं आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी साहब का अंदाज़ याद दिला रहा है यह गीत<br /><br />आदरणीय द्विज sir की ग़ज़ल में चार मतले<br />और चारों एक से बढ़ कर एक<br /><br />साल भर की उदासी! ज़रा साँस ले <br />आज आने दे मुझको मेरे रङ्ग में<br /><br />एक सपना यकायक मुझे ले गया <br />उसकी ख़ुश्बू से महके हुए रङ्ग में<br /><br />पल छिनों में गुज़र जाएगी ज़िन्दगी <br />थे अभी कुछ यहाँ बुलबुले रङ्ग में... वाह वाह वाह<br /><br />चढ़ गया रङ्ग रिश्तों पे बाज़ार का <br />कुछ तो है खोट खिलते हुए रङ्ग में। बेमिसाल<br /><br />कितने रङ्ग उनके चेहरे पे आए, गए <br />‘द्विज’! ये क्या कह दिया आपने रङ्ग में<br />वाह वाह<br /><br />सभी शेर् लाजवाब हैं। क्या उम्दा ग़ज़ल हुई है<br /><br /><br />आदरणीय मधु शर्मा sir की छोटी लेकिन बेजोड़ ग़ज़ल हुई। पढ़ कर आनंद आ गया। हर शेर् लाजवाब है।<br /><br />सात रंगों के सुर से सजा जब जहां <br />फिर सियासत है क्यूं बेसुरे रंग में<br /><br />वाह वाह वाह<br /><br />आदरणीय गिरीश पंकज जी की ग़ज़ल के मतले में हठीले का प्रयोग बहुत रोचक हुआ है।<br />क्या कहने sir। बहुत बढ़िया मतला।<br />रंग के बिन यहाँ ज़िन्दगी कुछ नहीं...<br />बहुत प्यारा शेर् हुआ है।<br />वाह वाह वाह<br /><br /><br />अंशुल भाई की ग़ज़ल का मतला भी होली की तरही के लिए उपयुक्त मतला है।<br />फागुन में हम सब मनचले हो जाते हैं। इसी लिए होली इसी महीने में आती है।<br /><br />कोई सूरज नया आसमां में रँगा। क्या कहने भाई<br />बहुत खूब शेर् हुआ है।<br />अगले शेर् में महबूब के मदभरे रंग का प्रयोग भी बेजोड़ है।<br />सभी शेर् एक से बढ़कर एक हैं<br /><br />वाह वाह वाहनकुल गौतमhttps://www.blogger.com/profile/08033870691414582297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8059606467873624812017-03-13T02:56:52.440+05:302017-03-13T02:56:52.440+05:30जय हो प्रभुजी, चने के झाद्क्स पर तो हमने गीत में च...जय हो प्रभुजी, चने के झाद्क्स पर तो हमने गीत में चढ़ाया आप हमें यहाँ चढ़ा रहे हैं . होली की शुभकामनायें राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82714521491961566032017-03-13T02:54:48.225+05:302017-03-13T02:54:48.225+05:30सौरभ भाई, होली की खुमारी इतनी ज्यादा है की फिर से...सौरभ भाई, होली की खुमारी इतनी ज्यादा है की फिर से मेरा नाम भूल गए. सादर गुलाल का टीका स्वीकार करें राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25494975502331964832017-03-12T15:48:42.857+05:302017-03-12T15:48:42.857+05:30छा ही जाता है सब पे अलग सा नशा
जब भी आती है महफ़ि...छा ही जाता है सब पे अलग सा नशा <br />जब भी आती है महफ़िल मेरे रंग में<br />सच में मधुर जी आपकी गजल से अलग सा नशा छा गया है महफिल में ! पूरी गजल एक अलग दिलकश रंग में नजर आ रही है - लाजवाब !!<br />रंग का संग जिनको मिला साथियो <br />शान से वो जिए फिर मरे रंग में<br />गिरीश भाई ज़िंदाबाद , बेमिसाल गजल कही है आपने ! सकारात्मकता से भरपूर इस गजल का जवाब नहीं !!<br />कोई सूरज नया आसमाँ में उगा, <br />धूप भी आई है कुछ खिले रंग में।<br />जियो अंशुल वाह वाह वाह आप को पहली बार पढा है शायद और आपके हुनर का क़ायल हो गया हूँ ! बेहतरीन गजल - पूरे कौर पर मुकम्मल !!! दाद कबूलें !<br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-22003221309899808022017-03-12T14:48:29.335+05:302017-03-12T14:48:29.335+05:30रङ्ग ने रङ्ग में रङ्ग से बात की
रङ्ग कितने ही और ...रङ्ग ने रङ्ग में रङ्ग से बात की <br />रङ्ग कितने ही और आ गए रङ्ग में<br />वाह उस्ताद वाह !! क्या कहें द्विज जी शायरी पर ? कहॉं से लायें शब्द इस बेमिसाल शायर की प्रशंसा के लिये ? मैंने इनसे बहुत सीखा है और इन्हें गुरू मानता हूँ !! कमाल कमाल कमाल पूरी गजल ही कमाल !!!नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42189299585695347322017-03-12T14:44:41.281+05:302017-03-12T14:44:41.281+05:30आओ पिचकारियों में उमंगें भरें
मस्तियाँ घोल लें हम...आओ पिचकारियों में उमंगें भरें <br />मस्तियाँ घोल लें हम भरी नांद में <br />द्वेष की होलिका को रखें फूंक कर <br />ताकि अपनत्व आकर छने भांग में <br />वैर की झाड़ियाँ रख दे चौरास्ते <br />एक डुबकी लगा प्रेम की गंग में <br />कत्थई बैंगनी को भुला कर तनिक <br />आओ रंग दें तुम्हे इश्क़ के रंग में<br />नमन नमन नमन सौ बार हज़ार बार नमन इस विलक्षण गीतकार को जिसका नाम राकेश खंडेलवाल है ! सरस्वती इनके क़लम पर विराजती है , विलक्षण प्रतिभा है इनकी , इनकी शान में जो कहा जाय कम ही होगी !! अद्भुत !!नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-22647748419543148772017-03-12T07:48:04.807+05:302017-03-12T07:48:04.807+05:30भाई अंशुल तिवारी की ग़ज़ल से होली का वैभिन्य सहज ही ...भाई अंशुल तिवारी की ग़ज़ल से होली का वैभिन्य सहज ही बहा आ रहा है. हार्दिक बधाई और होली की हार्दिक शुभकामनाएँ <br />शुभ-शुभ <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-2682942507215099942017-03-12T07:47:38.143+05:302017-03-12T07:47:38.143+05:30आदरणीय गिरीश पंकज जी ने अपनी प्रस्तुति को होली के ...आदरणीय गिरीश पंकज जी ने अपनी प्रस्तुति को होली के आयामों में बाँध दिया है और फिर शेर दर शेर विभिन्न रंगों से सराबोर करते जा रहे हैं. ग़िरह का शेर तो होली के उत्साह को बखूब शाब्दिक कर रहा है. <br />होली की हार्दिक शुभकामनाएँ <br />शुभ-शुभ <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-78399344229183434982017-03-12T07:37:26.558+05:302017-03-12T07:37:26.558+05:30होली की मस्ती और इसके बेलौसपन में प्रस्तुतियों की ...होली की मस्ती और इसके बेलौसपन में प्रस्तुतियों की विधाजन्य सीमाएँ किस सहजता से गौण पड़ जाती हैं, इसकी बानग़ी है, आदरणीय मधु भूषण शर्मा ’मधुर’ जी की प्रस्तुत ग़ज़ल ! ग़ज़ल और गीत के बीच का सामंजस्य मुग्ध कर रहा है. और फिर ’सजनवा’ से उमगी आती आत्मीयता का तो ज़वाब ही नहीं है. <br />वाह वाह ! <br />होली की हार्दिक शुभकामनाएँ <br />शुभ-शुभ <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-87596072144495727322017-03-12T07:30:21.304+05:302017-03-12T07:30:21.304+05:30आदरणीय द्विजेंद्र द्विज की शैली और उनके कहने का ढं...आदरणीय द्विजेंद्र द्विज की शैली और उनके कहने का ढंग उनकी ग़ज़लों को विशिष्ट बना देता है. और इस बार तो हुस्ने मतलाओं से आपने अपनी ग़ज़ल को सराबोर ही कर दिया है ! वाह वाह !!<br /><br />रंग ने रंग में रंग से बात की <br />रंग कितने ही और आ गये रंग में .. .. इस रंग के यमक को जिस कुशलता से आदरणीय ने साधा है वह रंग के विभिन्न स्वरूप से परिचित करा रहा है. चाहे जो जैसे उठा ले. <br /><br />और तिस पर ’चन्द शेर आपके हमने क्या सुम लिए..’ .. कमाल ! सानी में बेसुरे रंग का तो ज़वाब नहीं ! ऐसी परख का शाब्दिक होना शाइर की ताक़त बताया करती है.. <br />बहुत खूब ! <br />होली की हार्दिक शुभकामनाएँ <br />शुभ-शुभ <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-60757636916743380522017-03-12T07:17:52.816+05:302017-03-12T07:17:52.816+05:30घुल रही है हवा में अजब सी खुनक .. सही बात है, हवा ...घुल रही है हवा में अजब सी खुनक .. सही बात है, हवा ही मदमाती हुई बहने लगती है और सभी बहने लगते हैं उसके प्रभाव में ! तभी तो चने की झाड़ पर चढ़ाने की बात की जा रही है. <br />आदरणीय राजेश जी का यह पूरा गीत ही गीति-काव्य की समस्त विशिष्टताओं को रूपायित करता हुआ मुग्ध कर रहा है. <br />होली की हार्दिक शुभकामनाएँ <br />शुभ-शुभ <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-3119904677283549562017-03-12T00:10:32.724+05:302017-03-12T00:10:32.724+05:30नए सूरज के उगने की तस्वीर काफी सुन्दर है आदरणीय अं...नए सूरज के उगने की तस्वीर काफी सुन्दर है आदरणीय अंशुल तिवारी साहब. बधाई हो.nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32322501746708588932017-03-12T00:08:39.567+05:302017-03-12T00:08:39.567+05:30फागुन का आना और तापसी तक का मद भरे रंग में दिखना, ...फागुन का आना और तापसी तक का मद भरे रंग में दिखना, ये फागुन का मुकम्मल बयान है.गिरीश पंकज साहब नेकफी असरदार शेर कहे हैं.nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-57051088017934201822017-03-12T00:06:21.946+05:302017-03-12T00:06:21.946+05:30सात रंगों से सजा जहाँ और बेसुरे रंग में सियासत क्य...सात रंगों से सजा जहाँ और बेसुरे रंग में सियासत क्या खूब डॉ मधुर. काफी अच्छे और विविध रंगी शेर कहे हैं आपने. nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-9722537593951918042017-03-12T00:03:16.888+05:302017-03-12T00:03:16.888+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-30197880278435414002017-03-12T00:00:39.269+05:302017-03-12T00:00:39.269+05:30आदरणीय द्विज साहब ने तो चार( या पाँच) मतले कह डाले...आदरणीय द्विज साहब ने तो चार( या पाँच) मतले कह डाले और फिर शेरों का विस्तृत आयाम. काफी आनंदित हुवा आपकी गाल पढ़कर.nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-79134136352061223972017-03-11T23:58:44.500+05:302017-03-11T23:58:44.500+05:30आदरणीय राकेश खंडवाल जी का दूसरा गीत भी काफी प्रभाव...आदरणीय राकेश खंडवाल जी का दूसरा गीत भी काफी प्रभावशाली है.nistejhttps://www.blogger.com/profile/04115879525942333447noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-20565696017688231392017-03-11T16:13:20.871+05:302017-03-11T16:13:20.871+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-03-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in" rel="nofollow"><br />"आओ जम कर खेलें होली" (चर्चा अंक-2604)<br /> </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com