tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post7554673136019855030..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: आइये आज तीन और रचनाकारों की ग़ज़लें सुनते हैं, सुलभ जायसवाल, रजनी नैयर मल्होत्रा और विनोद पाण्डये की ग़ज़लें ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18783415794907992642013-03-20T08:35:51.754+05:302013-03-20T08:35:51.754+05:30दिलवालों की दिल्ली .....कुछ हाले दिल ...बहुत अच्छे...दिलवालों की दिल्ली .....कुछ हाले दिल ...बहुत अच्छे शेर सुलभ जी को गजल के लिए बधाई <br /><br />सहरा को छान देखा ...मौसम था खुश्क ..शेर लाजवाब है रजनी जी को बहुत शुभकामनाए <br /><br />विनोद जी की गजल दिल को छू गयी हर एक शेर कमाल तहे दिल से शायर को शुभकामनाए <br />Parul Singhhttps://www.blogger.com/profile/07199096531596565129noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-21265577016118627392013-03-19T13:26:24.640+05:302013-03-19T13:26:24.640+05:30आज की पोस्ट पर किन्हीं कारणों से देर से आ पाया! वि...आज की पोस्ट पर किन्हीं कारणों से देर से आ पाया! विडियो देख कर और भूमिका से गुजरने के बाद मन बहुत बोझिल है! ग़ज़लें तीनों अच्छी हैं और सुलभ भाई बहुत तेज़ी से कहाँ की एक अपनी शैली विकसित कर रहे हैं!रजनी मल्होत्रा जी और विनोद पाण्डेय जी ने भी कामयाब ग़ज़लें कही हैं! आप सब को बधाई!सौरभ शेखर https://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55248312655486048042013-03-18T20:06:34.771+05:302013-03-18T20:06:34.771+05:30सर, आपसे सीहोर की वो यादगार मुलाक़ात ऐसी है कि दुब...सर, आपसे सीहोर की वो यादगार मुलाक़ात ऐसी है कि दुबारा उसी दिसंबर की गुलाबी सुबह का कोई मुझे लालच दे तो मैं इन्तजार में एक सदी आसानी से काट सकता हूँ। आपके शब्दों और आशीर्वाद के बदले फिलहाल कुछ नहीं है देने के लिए मेरे पास। ये साथ बना रहे। बस यही कामना है। <br />Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-52561112810048973562013-03-18T20:05:20.403+05:302013-03-18T20:05:20.403+05:30ग़ज़ल सराहना के लिए, सभी पाठको का तहे दिल से शुक्र...ग़ज़ल सराहना के लिए, सभी पाठको का तहे दिल से शुक्रिया !! Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-29329950165545818092013-03-18T20:03:48.145+05:302013-03-18T20:03:48.145+05:30@दिगंबर जी, आप सब के बीच आप सब के साथ चलने का जो म...@दिगंबर जी, आप सब के बीच आप सब के साथ चलने का जो मजा है इसे शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता। बहुत शुक्रिया आपका !!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-74715567762523880392013-03-17T11:17:59.077+05:302013-03-17T11:17:59.077+05:30विनोद जी ने तो मतले के साथ ही आज के दौर का सच बयां...विनोद जी ने तो मतले के साथ ही आज के दौर का सच बयां कर दिया ...<br />जनतंत्र ओर कंकाल तंत्र ... क्या लाजवाब तारतम्य बैठाया है इस हकीकत से ...<br />पतझड़ के बाद सावन का न आना ... कैसा भयानक संकेत है ...<br />ओर प्यार बांटा सच में कई बार खता लगने लगती है ...<br />वाह विनोद जी .. कमाल कर दिया इस गज़ल में ... बधाई ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8854454911605396742013-03-17T11:14:01.565+05:302013-03-17T11:14:01.565+05:30रजनी जी के शेर सीधे कटाक्ष हैं आज की राजनीति पे .....रजनी जी के शेर सीधे कटाक्ष हैं आज की राजनीति पे ...<br />सहरा को छान देखा ... एक ऐसी सचाई को पेश करता है जो हर किसी को मालुम तो है पर निभती नहीं ...<br />सावन वाला शेर भी खूबसूरत बन पड़ा है ...<br />पूरी गज़ल कामयाब है अपने मकसद में ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65946178242399029442013-03-17T11:11:09.979+05:302013-03-17T11:11:09.979+05:30सुलभ जी हमेशा ही अपनी मुखर बातों से प्रभावित करते ...सुलभ जी हमेशा ही अपनी मुखर बातों से प्रभावित करते हैं ...<br />मतले के शेर में ही हकीकत की कडुवी सचाई डाली हुई है ...<br />नीम्बू के पड़ की शहादत के साथ महानगरीय सिकुड़ते जीवन को प्रभावी तरीके से रक्खा है ...<br />दिल्ली की सचाई को भी बाखूबी कह रही गज़ल ...<br />गूगल ओर फेसबुक का प्रयोब बाखूबी किया है सुलभ जी ...<br />पूरी गज़ल लाजवाब है ...<br /> दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-46033315991634279052013-03-17T01:40:39.748+05:302013-03-17T01:40:39.748+05:30विनोद जी की ग़ज़ल के कई अशआर पसंद आए
तेवर और तंज़, प...विनोद जी की ग़ज़ल के कई अशआर पसंद आए <br />तेवर और तंज़, प्रश्न और उत्तर सब कुछ समेटे हुए ....<br /><br />जनतंत्र लग रहा है ......<br />जिनको गले लगाया ...<br />भाई वाह वा ....<br />बहुत खूब वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-27999907366775455172013-03-17T01:37:33.912+05:302013-03-17T01:37:33.912+05:30रजनी जी की ग़ज़ल भी खूब पसंद आई,
आख़िरी के दो अशआर क...रजनी जी की ग़ज़ल भी खूब पसंद आई, <br />आख़िरी के दो अशआर के लिए ढेरों दाद.. गिरह भी खूबसूरत बांधी है वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-81348991096893218562013-03-17T01:35:06.337+05:302013-03-17T01:35:06.337+05:30सुलभ भाई
नीम्बू के पेड़ की शहादत ,,,
गिरह का शेर ...सुलभ भाई <br />नीम्बू के पेड़ की शहादत ,,, <br />गिरह का शेर <br />और मक्ता <br /><br />इन् तीन अशआर के लिए ढेरो ढेर दाद <br /><br />आपने तो चौंका ही दिया <br />भाई क्या कहने वाह वा वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13684616803371200112013-03-16T19:44:49.244+05:302013-03-16T19:44:49.244+05:30कमेन्ट देने में देरी हुई। आपकी भूमिका से मन उदास ह...कमेन्ट देने में देरी हुई। आपकी भूमिका से मन उदास हो गया उसे संयत करने में वक्त लगा इसलिए देर से आया हूँ। आपने जो लिखा है वो कटु सत्य है, सबसे बड़ा सत्य ये है के हम आत्म केन्द्रित हो गए हैं सामाजिक नहीं रहे और इसी का खामियाजा भुगत रहे हैं। संगठन में शक्ति है का पाठ बदमाशों ने रट लिया और वो अब असंगठित शरीफों पर मन चाहा अत्याचार कर रहे हैं।<br /><br />अब बातें ग़ज़लों पर :-<br />सुलभ से सीहोर में मुलाकात हुई थी, उस से मिल कर मुझे आभास हो गया था की ये साधारण सा दिखने वाला युवक असाधारण प्रतिभा वाला है। उसकी सोच आज के युवाओं की सोच से बहुत अलग है, वो समाज के मूल्यों और देश में हो रही गिरावट से चिंतित ही नहीं है उसे रोकने के प्रयास में भी जुटा है। <br />"ये बातें इंकलाबी----" माना वजीरे आज़म---" "कल हो गयी शहादत---" जैसे शेर मेरी बात की ताकीद करते हैं। मेरी दिली दाद इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए। सुलभ मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं। <br /><br />रजनी जी ने अपनी ग़ज़ल में आज के हालात की बखिया उधेड़ कर रख दी। हर शेर मारक है और सही ठिकाने पे वार करता है। "बिकते हैं बोलियों में---", "कल तक जो रास्तों में--", सहरा को छन देखा---" जैसे शेर इस बात की गवाही दे रहे हैं। रजनी जी के पास समाज में चल रही हर गतिविधि को देखने परखने की दृष्टि है जिसे वो अपने शेरोन के माध्यम से उजागर करती हैं। बहुत अच्छी ग़ज़ल--वाह। <br /><br />विनोद जी को पढना एक सुखद अनुभव से गुजरने जैसा है। मतले ने ही ऐसा बंधा के आगे बढ़ने में वक्त लग गया। कमाल का मतला .सामाजिक सरोकार से रची बसी उनकी ये ग़ज़ल विलक्षण है। मतले के अलावा "सूरज की रौशनी--", "जनतंत्र लग रहा है---", "जिनको गले लगाया--" "कहने को साथ अपने--" बहुत प्रभावशाली शेर बन पड़े हैं।<br /><br />इस बार भी हर बार की तरह, तरही में निर्मल आनंद की अखंड धारा बह रही है . <br /><br />नीरज नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13284096991412414972013-03-16T14:06:36.494+05:302013-03-16T14:06:36.494+05:30शहीदों पर तो क्या कहा जाय बस इतना ही कहा जा सकता ह...शहीदों पर तो क्या कहा जाय बस इतना ही कहा जा सकता है<br />शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले<br />वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा।<br /><br />बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है तीनों ही शायरों ने।<br /><br />सुलभ जी का हुस्न-ए-मत्ला लाजवाब है। बाकी के शे’र भी अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे हैं। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस शानदार ग़ज़ल के लिए।<br />रजनी जी ने भी खूबसरत ग़ज़ल कही है। उन्हें भी ढेरों दाद इन शानदार अश’आर के लिए।<br />विनोद जी के तो क्या कहने। मत्ला खूबसूरत। सुनसान हो डगर....बेहद खूबसूरत। बाकी के अश’आर भी शानदार। उन्हें बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17769112073962836312013-03-16T13:56:13.517+05:302013-03-16T13:56:13.517+05:30कल रेडियो प्रसारण में मैंने आधे अधूरे न्यूज़ को सु...कल रेडियो प्रसारण में मैंने आधे अधूरे न्यूज़ को सुना था , "मध्य प्रदेश सरकार, राजकीय सम्मान, शहीद ओमप्रकाश मुर्दानिया, सीहोर...." और आज आपके पोस्ट से डीटेल खबर मिली है. ऐसे समय में मेरा आक्रोश और मेरी संवेदनाएं... क्या कहूँ। खबरे सिर्फ खबर न रह जाये। श्रद्धांजलि और न्याय समुचित मिले। <br />Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-67045046201612498732013-03-16T08:55:34.558+05:302013-03-16T08:55:34.558+05:30आदरणीय पंकज जी, प्रणाम
जब पहली बार मुशायरे में श...आदरणीय पंकज जी, प्रणाम <br /><br />जब पहली बार मुशायरे में शामिल हुआ था तो बड़ा डर था कि इतने बड़े बड़े शायरों के बीच में मैं एक नया शायर कहाँ ठहर पाउँगा ..मगर मैंने निरंतरता बनाये रखी ..साथ साथ में यहाँ पर उपस्थित रहने वाले सभी मित्रों का प्यार मिलता रहा, सभी दोस्तों की हौसलाआफजाई और उसके साथ आपका आशीर्वाद जिन सब वजह से आज मुझे इतना प्यार मिला। वाकई यह पल बहुत सुखद है की कई नामचीन शायरों के साथ मैं भी इस बेमिशाल तरही मुशायरा का हिस्सा हूँ । <br /><br />सुलभ जी, मेरे खास मित्र है हर बार की तरह आज भी उन्होंने बेहतरीन ग़ज़ल प्रस्तुत पढ़ी है।।। बहुत बहुत हार्दिक बधाई <br /><br />रजनी जी ने राजनेताओं पर जो कमेन्ट लिखे है वो कटाक्ष बहुत सुन्दर बन पड़े है ..बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ <br /><br />आप लोग के साथ मेरी रचना शामिल की गई यह भी एक सुखद पल है ..धन्यवाद पंकज जी, सादर प्रणाम विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-46325353084715384232013-03-16T07:33:16.226+05:302013-03-16T07:33:16.226+05:30सबसे पहले पंकज जी को आदाब जिनसे हमसभी को ये मंच ...सबसे पहले पंकज जी को आदाब जिनसे हमसभी को ये मंच मिला है | <br /><br />तपन जी ....... तहेदिल से शुक्रिया | <br />सौरभ जी...... आभारी हूँ इस स्नेह के लिए | <br />हासमी जी ....... हौसला अफजाई का शुक्रिया | <br />तिलक राज़ जी .......आपका स्नेह यूँ ही बना रहे ........डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-832069156589226892013-03-16T07:24:48.302+05:302013-03-16T07:24:48.302+05:30तीनों ग़ज़ल एक से बढ कर एक हैं।
सुलभ जी-- कल हो गई ...तीनों ग़ज़ल एक से बढ कर एक हैं।<br /><br />सुलभ जी-- कल हो गई शहादत नीबू के पेड़ की---लाजवाब<br /><br /> रजनी जी --सहरा को छान देखा---- बेमिसाल्।<br />विनोद जी -- का मक्ता बेहतरीन् बना है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32032706402546528612013-03-15T22:33:16.131+05:302013-03-15T22:33:16.131+05:30सुलभ ने मत्ले के शेर में ही स्वंर्गीय दुष्यन्त का ...सुलभ ने मत्ले के शेर में ही स्वंर्गीय दुष्यन्त का अंदाज़ स्पष्ट कर दिया जो शेर-दर-शेर पुष्ट होता गया है। भाई कमाल की ग़ज़ल कही है। बहुत खूबसूरत। विश्वास नहीं हो रहा कि ये वही दो साल पुराना सुलभ है। दिली मुबारकबाद। <br />रजनी जी ने भी कसी हुई ग़ज़ल कही है। अच्छे कटाक्ष प्रस्तुत किये हैं। बधाई। <br />विनोद जी ने अपनी बात सीधे-सीधे खुलकर प्रस्तुत कर अपने आस-पास के वातावरण का अच्छा चित्रण किया है। बधाई। तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23534603627224927782013-03-15T22:32:37.870+05:302013-03-15T22:32:37.870+05:30हम किस घटना को किस रूप में लेते हैं यह हमारी सोच क...हम किस घटना को किस रूप में लेते हैं यह हमारी सोच का परिचायक होता है। शहीद ओमप्रकाश मुर्दानिया के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ एक तरही शेर प्रस्तुत है: <br />जांबाज़ काटते हैं, कैसी अदा से यारब<br />‘ये कैद-ए-बामशक्कत जो तूने की अता है।‘ <br />और इस दु:ख में शामिल होने वालों के लिए चार पंक्तियॉं विशेष रूप से:<br />जांबाज़ सरहदों पर कुर्बान हो रहे हैं<br />वो भी तो कम नहीं हैं जो उनको खो रहे हैं<br />नाकाम हो न जाये, उनकी शहादतें ये<br />रक्खें वो याद जो भी पलकें भिगो रहे हैं।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-27849681759786135972013-03-15T22:27:33.923+05:302013-03-15T22:27:33.923+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-72568296682285587542013-03-15T22:27:12.296+05:302013-03-15T22:27:12.296+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32021847855019037392013-03-15T22:21:37.999+05:302013-03-15T22:21:37.999+05:30अनोखे अंदाज़ के अश'आर निकाले है तीनो शायरों ने...अनोखे अंदाज़ के अश'आर निकाले है तीनो शायरों ने . दिली दाद और मुबारकबादें , सुलभ जी, रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी और विनोद पाण्डेय जी को . हर एक के एक-एक शे'र पर प्रतिक्रिया दी है , क्षमा याचना के साथ कि प्रतिक्रियाएं कुछ 'होलीमय' हुई जा रही है !!<br /><br />सुलभ जायसवाल:<br />----------------<br /><br />"क्या आपने सुना है, क्या आपको पता है <br /><br />ये बातें इनकलाबी जम्हूर में सज़ा है"<br /><br />[सुन भी रखा है मैंने, मुझको पता यक़ीनन <br /><br />'क्रांति' है बे असर अब, 'जम्हूर' में मज़ा है !]<br /><br />----------------------------------------------<br /><br />रजनी मल्होत्रा नैय्यर:<br />-----------------<br /><br /><br />"बिकते हैं बोलियों में खादी पहनने वाले <br /><br />ये राज़ अंदरूनी सबको यहाँ पता है"<br /><br /><br />['चित' चार को करे औ', 'चित' ले चुरा किसी का <br /> है राज़ अंदरूनी, V I P पहनता है !]<br />-------------------------------------------<br /><br />विनोद पाण्डेय :<br />------------------<br /><br />"जिनको गले लगाया वो पड़ गए गले ही <br /><br />तब प्यार बांटना भी लगने लगी खता है।"<br /><br />ए क़ाश ! कोई पड़ती अपने गले भी भाई<br />जब-जब भी मौक़ा आया, जूता ही बस पड़ा है!Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-28966457033339000052013-03-15T20:40:34.036+05:302013-03-15T20:40:34.036+05:30शहीदों पर कुछ ना कहना ही अच्छा है और मेरे हिसाब से...शहीदों पर कुछ ना कहना ही अच्छा है और मेरे हिसाब से यही बेहतर श्रधांजलि है ! वरना सत्तासीनो पर @@### की बातें निकलती है ! सच तो यह है कि हम सब को अपना अपना काम करना है और धर्म निभाते हुए लौट जाना है इस जहां से ! खैर ये बाते लम्बी बहस के लिए उकसाती हैं सो यही रोकता हूँ !<br /><br />सुलभ ने जो मतला लिखा है वो इन सभी बातो का नोचोड समझिये ! क्या मज़बूत मतला लिखा है वाह भाई वाह लाजवाब !<br />मतले के बाद सबसे ज्याद पसंद निम्बू वाला शे'र आया ! एक टीस उठती है इस शे'र को पढ़ कर ! और गिरह भी खूब है वाह सपनों की कल्पनाओं वाह जीओ भाई !<br /><br />रजनी जी की ग़ज़ल भी अच्छी हुई है ! कुछ बाते बहुत कठोर लहजे में हैं और यही क़ाबलियत है इनकी ! वाह वाह ! बरसात वाला शे'र भी अच्छा लगा ! बहुत बधाई रजनी जी !<br /><br />विनोद जी का मतला क्या ही खुबसूरत मतला है वाह कहने को जी चाहता है ! बहुत बधाई विनोद जी इस ख़ास मतले के लिए !सूरज की रौशनी वाला शे'र भी जबर्दस्त है !और आखिर का शे'र लाजवाब ! बहुत बधाई इस खुबसूरत ग़ज़ल के लिए विनोद जी !<br /><br />"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85517661642919280452013-03-15T17:02:32.347+05:302013-03-15T17:02:32.347+05:30भाई विनोदजी क्या मतला ले कर उपस्थित हुए हैं ! वाह-...भाई विनोदजी क्या मतला ले कर उपस्थित हुए हैं ! वाह-वाह ! <br />’सूरज की रोशनी से.. .’ में इसी तरह से दार्शनिकता को सुन्दर तरीके से बांधा गया है. <br />लेकिन जिस शेर ने सबसे अधिक प्रभावित किया है वह है भाई विनोदजी का आखिरी शेर. आज के मानवीय संबंधों की पीड़ा को परिपक्व स्वर मिला है.<br />भाई विनोदजी को हार्दिक बह्दाइयाँ. <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-44196724451266044282013-03-15T16:41:29.189+05:302013-03-15T16:41:29.189+05:30रजनी जी की ग़ज़ल ने अपनी राह बखूबी तय की है. आपने ’र...रजनी जी की ग़ज़ल ने अपनी राह बखूबी तय की है. आपने ’राज़ अन्दरुनी’ के पता होने यानि ’ओपेन सेक्रेट’ के मुहावरे को कितनी आसानी से बांधा है. वाह-वाह ! <br />इसी तरह, ’कल तक जो रास्तों पर..’ शेर हुआ है. यह तंज सुकूं पहुँचाता हुआ भी लगा है. <br />रजनीजी को मेरी हार्दिक बधाइयाँ. <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.com