tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post6849212942111160274..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: प्रतिष्ठित 'राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान' पंकज सुबीर कोपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65930112380371214772016-08-26T09:50:07.961+05:302016-08-26T09:50:07.961+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-15605736918541774932016-08-26T09:49:21.890+05:302016-08-26T09:49:21.890+05:30अरे वाह गुरु जी. ये तो हमने देखा ही नही था.बहुत ब...अरे वाह गुरु जी. ये तो हमने देखा ही नही था.बहुत बहुत बहूत बधाई हो आपको सम्मान के लिये gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-7187976522568407232016-08-26T09:47:40.854+05:302016-08-26T09:47:40.854+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-45786350596407992016-08-26T09:47:30.007+05:302016-08-26T09:47:30.007+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17008692564752894552016-08-26T09:46:27.926+05:302016-08-26T09:46:27.926+05:30नमस्कार गुरु जी.. दरअसल उस दिन mail तो हमने भेज द...नमस्कार गुरु जी.. दरअसल उस दिन mail तो हमने भेज दी आपको जोश में आकर. लेकिन बाद में देखा तो लगा कि कितना खराब लिखा है हमने । शायद इसीलिये आपने जवाब नहीं दिया. लेकिन गुरु जी इस वार हम आप को निराश नहीं करेंगे. हम तो एक और गज़ल लिख लाये है. आप ने ही कभी कक्षा में ये मिसरा दिया था कि<br /><br />अंधी बहरी गूँगी जनता<br />काफीआ था ई की मात्रा और रदीफ थी जनता और बेहर थी 2 2 2 2 2 2 2 2<br /><br />तो हम ने यूँ लिखा है कि...<br /><br />हम सब से ही बनती जनता <br />मैं भी जनता तू भी जनता<br /><br />जो गद्दी पर बैठे उसके <br />पैरों की है जूती जनता<br /><br />इक दिन जो कुछ भी मिलता है <br />साठ महीने खाती जनता<br /><br />आने वाले हैं दिन अच्छे <br />सुन कर खुश हो जाती जनता<br /><br />बिल्ली देखे आँखें मीचे <br />एक कबूतर भोली जनता<br /><br />लंगड़ी नहीं है चल दे पीछे <br />अंधी बहरी गूँगी जनता<br /><br />इक दूजे की टाँगें खींचे<br />आगे ना बढ़ पाती जनता<br /><br />झूठे वादे खाए पीये <br />ओढ़े औ सो जाती जनता<br /><br />कुर्सी वालों को लगती है<br />कुर्सी तक की सीढ़ी जनता<br /><br />हनुमन जैसे स्मरण करायें<br />अपनी ताकत भूली जनता<br /><br />आओ लिख दें ऐसी गजलें<br />उठ्ठे जागे सोई जनता <br /><br /><br />मास्साब अब के तो बता दीजिए कैसी लिखी है. और हम ये आप के ब्लॉग पे भी डाले दे रहे हैं । शायद वहाँ से कुछ जवाब मिले <br /><br />gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-88444857877714446482016-08-26T09:46:04.277+05:302016-08-26T09:46:04.277+05:30नमस्कार गुरु जी.. दरअसल उस दिन mail तो हमने भेज द...नमस्कार गुरु जी.. दरअसल उस दिन mail तो हमने भेज दी आपको जोश में आकर. लेकिन बाद में देखा तो लगा कि कितना खराब लिखा है हमने । शायद इसीलिये आपने जवाब नहीं दिया. लेकिन गुरु जी इस वार हम आप को निराश नहीं करेंगे. हम तो एक और गज़ल लिख लाये है. आप ने ही कभी कक्षा में ये मिसरा दिया था कि<br /><br />अंधी बहरी गूँगी जनता<br />काफीआ था ई की मात्रा और रदीफ थी जनता और बेहर थी 2 2 2 2 2 2 2 2<br /><br />तो हम ने यूँ लिखा है कि...<br /><br />हम सब से ही बनती जनता <br />मैं भी जनता तू भी जनता<br /><br />जो गद्दी पर बैठे उसके <br />पैरों की है जूती जनता<br /><br />इक दिन जो कुछ भी मिलता है <br />साठ महीने खाती जनता<br /><br />आने वाले हैं दिन अच्छे <br />सुन कर खुश हो जाती जनता<br /><br />बिल्ली देखे आँखें मीचे <br />एक कबूतर भोली जनता<br /><br />लंगड़ी नहीं है चल दे पीछे <br />अंधी बहरी गूँगी जनता<br /><br />इक दूजे की टाँगें खींचे<br />आगे ना बढ़ पाती जनता<br /><br />झूठे वादे खाए पीये <br />ओढ़े औ सो जाती जनता<br /><br />कुर्सी वालों को लगती है<br />कुर्सी तक की सीढ़ी जनता<br /><br />हनुमन जैसे स्मरण करायें<br />अपनी ताकत भूली जनता<br /><br />आओ लिख दें ऐसी गजलें<br />उठ्ठे जागे सोई जनता <br /><br /><br />मास्साब अब के तो बता दीजिए कैसी लिखी है. और हम ये आप के ब्लॉग पे भी डाले दे रहे हैं । शायद वहाँ से कुछ जवाब मिले <br /><br />gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-5374429392254718962016-07-30T00:25:41.456+05:302016-07-30T00:25:41.456+05:30बहुत सारी शुभकामनायें पंकज जी| हमें ऐसे ही शुभकामन...बहुत सारी शुभकामनायें पंकज जी| हमें ऐसे ही शुभकामनायें देने के ढेरों अवसर देते रहें आप ये ही दुआ है | Parul Singhhttps://www.blogger.com/profile/07199096531596565129noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-61906504817128518422016-07-29T18:42:57.143+05:302016-07-29T18:42:57.143+05:30पंकज जी बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई , सम्मान प्र...पंकज जी बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई , सम्मान प्राप्ति की जितनी ख़ुशी प्राप्त करता को होती है उस से कई गुना ख़ुशी उसके प्रशंसकों को होती है। आज हम जैसे आपके प्रशंसकों की ख़ुशी का कोई पारावार नहीं है। गर्व की अनुभूति हो रही है। ईश्वर से प्रार्थना है की आप को वो ऐसे से सक्षम बनाये रखे ताकि इसीतरह सम्मान स्वयं चल कर आप तक पहुंचें। नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com