tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post6367043953129752552..comments2024-03-08T17:02:04.713+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: अजय कनोडिया जी की दो ग़ज़लें जिनकी बहरों के बारे में तो क्या कहा जाए मगर आज सब कुछ माफ है क्योंकि खुश है जमाना आज पहली तारीख हैपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-34298018801970397762008-02-01T00:17:00.000+05:302008-02-01T00:17:00.000+05:30काश हमारी सोच साकार हो पातीबहुत ही ख़ूबसूरत है, सुन...काश हमारी सोच साकार हो पाती<BR/><BR/>बहुत ही ख़ूबसूरत है, सुनो जीवन की ये राहें<BR/>अगर हम ठान ले मन में यहाँ जन्नत उतर आए.<BR/><BR/>निराशा में आशाओं के दीपक जलाओ<BR/>Ajay prayas positive hai yahi kya kam hai.<BR/><BR/>देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32092250947158780382008-01-03T08:21:00.000+05:302008-01-03T08:21:00.000+05:30सर जी सबसे पहले तो नया साल मुबारक आपको भी और क्लास...सर जी <BR/><BR/>सबसे पहले तो नया साल मुबारक आपको भी और क्लास में उपस्थित अन्य मित्रों को भी |<BR/><BR/>और जहाँ तक ग़ज़ल में गलतियों का सवाल है , होम वर्क पुरा करने के लिए जल्दी में जो भी बना वह भेज दिया |<BR/>एक बार फिर क्षमा चाहता हूँ गलतियों के लिए, पर इससे यह बात साफ हो गई है की, बहरो के बारे में सबसे ज्यादा ज्ञान की जरूरत मुझे है, आशा है अब यह इंतज़ार जल्द ख़त्म हो जाएगा<BR/><BR/>आभार<BR/><BR/>अजयAjay Kanodiahttps://www.blogger.com/profile/05724516220148761583noreply@blogger.com