tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post5760479669332331862..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: शिवना प्रकाशन की नई पुस्तक अंधेरी रात का सूरज का हुआ वैश्विक विमोचन - एक रिपोर्टपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-6904531814619045092008-10-14T23:20:00.000+05:302008-10-14T23:20:00.000+05:30इतनी सारी शुभकामनायें, इतना अपनापन और बिखरते हुए श...इतनी सारी शुभकामनायें, इतना अपनापन और बिखरते हुए शब्द हाथ में पकड़े<BR/>व्यस्तताओं से जूझता मैं. यद्यपि मेरा प्रयास होता है कि सभी को व्यक्तिगत <BR/>तौर पर संदेशों के उत्तर लिखूँ. इस बार ऐसा होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है<BR/>इसलिये सभी को सादर प्रणाम सहित आभार व्यक्त कर रहा हूँ. भाई समीरजी, <BR/>पंकज सुबीरजी, सतीश सक्सेनाजी. नीरज गोस्वामी जी, कंचन चौहान जी,<BR/>गौतमजी, रविकान्तजी, मीतजी, राजीव रंजन प्रसादजी, पारुलजी संजय पटेलजी.<BR/>पुष्पाजी, मोनिकाजी, रमेशजी, रंजनाजी, रंजूजी, सीमाजी,अविनाशजी,फ़ुरसतियाजी,<BR/>लवलीजी,अजितजी,योगेन्द्रजी,पल्लवीजी,लावण्यजी,शारजी,संगीताजी,अनुरागजी,मोहनजी,<BR/>तथा अन्य सभी मेरे मित्रों और अग्रजों को अपने किंचित शब्द भेंट कर रहा हूँ<BR/><BR/>मन को विह्वल किया आज अनुराग ने<BR/>सनसनी सी शिरा में विचरने लगी<BR/>डबडबाई हुई हर्ष अतिरेक से<BR/>दॄष्टि में बिजलियाँ सी चमकने लगीं<BR/>रोमकूपों में संचार कुछ यूँ हुआ<BR/>थरथराने लगा मेरा सारा बदन<BR/>शुक्रिया लिख सकूँ, ये न संभव हुआ<BR/>लेखनी हाथ में से फ़िसलने लगी<BR/><BR/>आपने जो लिखा उसको पढ़, सोचता<BR/>रह गया भाग्यशाली भला कौन है<BR/>आपके मन के आकर निकट है खड़ा<BR/>बात करता हुआ, ओढ़ कर मौन है<BR/>नाम देखा जो अपना सा मुझको लगा<BR/>जो पढ़ा , टूट सारा भरम तब गया<BR/>शब्द साधक कोई और है, मैं नहीं<BR/>पूर्ण वह, मेरा अस्तित्व तो गौण है<BR/><BR/>जानता मैं नहीं कौन हूँ मैं, स्वयं<BR/>घाटियों में घुली एक आवाज़ हूँ<BR/>उंगलिया थक गईं छेड़ते छेड़ते<BR/>पर न झंकॄत हुआ, मैं वही साज हूँ<BR/>अधखुले होंठ पर जो तड़प, रह गई<BR/>अनकही, एक मैं हूँ अधूरी गज़ल<BR/>डूब कर भाव में, पार पा न सका<BR/>रह गया अनखुला, एक वह राज हूँ<BR/><BR/>आप हैं ज्योत्सना, वर्त्तिका आप हैं,<BR/>मैं तले दीप के एक परछाईं हूँ<BR/>घिर रहे थाप के अनवरत शोर में<BR/>रह गई मौन जो एक शहनाई हूँ<BR/>आप पारस हैं, बस आपके स्पर्श ने<BR/>एक पत्थर छुआ और प्रतिमा बनी<BR/>आपके स्नेह की गंध की छाँह में<BR/>जो सुवासित हुई, मैं वो अरुणाई हूँ.<BR/><BR/>सादर<BR/><BR/>राकेश खंडेलवालराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-12807992098064743152008-10-14T09:50:00.000+05:302008-10-14T09:50:00.000+05:30रिपोर्ट पढ़ कर बड़ा आनन्द आया..चन्द्र मोहन गुप्तरिपोर्ट पढ़ कर बड़ा आनन्द आया..<BR/><BR/>चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-75754900102926580112008-10-14T06:09:00.000+05:302008-10-14T06:09:00.000+05:30बहुत बहुत बधाई और आपकी मेहनत सफल हुई उसकी खुशी है ...बहुत बहुत बधाई और आपकी मेहनत सफल हुई उसकी खुशी है ~~<BR/>-लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-15406502903070973032008-10-13T19:48:00.000+05:302008-10-13T19:48:00.000+05:30Subeer g,राकेश जी के शिवना विमोचन की रपट की इंतज़ा...Subeer g,<BR/>राकेश जी के शिवना विमोचन की रपट की इंतज़ार थी...<BR/>क्या बात है बड़े भाई...<BR/>रिपोर्ट पढ़ कर बड़ा आनन्द आया..<BR/><BR/>एक दिन में एक किताब का तीन तीन जगह विमोचन<BR/>यह आप ही के बस की बात थी<BR/><BR/>आपको इस आयोजन की बधाई<BR/><BR/>इस प्रकाशन की बधाई<BR/><BR/>और हां आपके ब्लाग पर घूमता हुआ पीछे चला गया<BR/>to एक हिमाक़त और कर दी<BR/>देख लीजियेगा<BR/>दो-चार शेर कहने की हिम्मत की है<BR/>जल्दबाज़ी को नज़रअंदाज़ करेंयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18951161174731996492008-10-13T16:19:00.000+05:302008-10-13T16:19:00.000+05:30''अधेरी रात का सूरज'' प्राप्त कर पाने के साधन पर य...''अधेरी रात का सूरज'' प्राप्त कर पाने के साधन पर यदि प्रकाश डालें तो अतिशय कृपा होगी.<BR/>आभार.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-14956609285030953212008-10-13T16:11:00.000+05:302008-10-13T16:11:00.000+05:30एक तो कवि राकेश खंडेलवाल जी की कवितायें दूसरे शिवन...एक तो कवि राकेश खंडेलवाल जी की कवितायें दूसरे शिवना प्रकाशन का प्रयास...याने सोने में सुहागा...कार्यक्रम तो सफल होना ही था...अफ़सोस हम न हुए वहां...चलिए भरपायी स्वरुप रिपोर्ट मिल गयी...अब किताब का इंतज़ार है... <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-76072732496350612162008-10-13T14:21:00.000+05:302008-10-13T14:21:00.000+05:30...कुछ जल्द ही बेताबी दिखा दी मैंने...और इधर आपके ......कुछ जल्द ही बेताबी दिखा दी मैंने...और इधर आपके रपट आ भी गयी.<BR/>मुझे सर तीन-चार प्रतियों की जरुरत है.कितने का ड्राफ्ट वगैरह भेजना पड़ेगा?गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-35055427636280801932008-10-13T11:22:00.000+05:302008-10-13T11:22:00.000+05:30'aayojkon shett sbhee ko bhut bhut bdhaee, how to ...'aayojkon shett sbhee ko bhut bhut bdhaee, how to get this book, please let me know'<BR/><BR/>regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com