tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post5603190858948641443..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: वक्त की गोद से हर लम्हा चुराया जाए, इक नई तर्ज़ से दुनिया को बसाया जाएपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-62064337267024038002009-09-20T11:53:48.599+05:302009-09-20T11:53:48.599+05:30आपकी कक्षा में गुरुवर
हम सबसे ज्यादा लेट हैं
अबतक...आपकी कक्षा में गुरुवर <br />हम सबसे ज्यादा लेट हैं<br />अबतक जो भी पढ़े हैं हम<br />बस शिक्षक आप ग्रेट हैं <br />आज ही पहिला दिन है मेरा<br />हम शिष्या आपकी सेट हैं<br />शाष्टांग दंडवत करते हैं <br />औ धरती पर लमलेट हैं <br />मान्यवर,<br />प्रणाम,<br />श्री गौतम राजरिशी जी ने आपके ब्लॉग का मार्गदर्शन किया है...<br />आज ही से पढना शुरू किया है मैंने ..<br />मेरा प्रणाम स्वीकारें....<br />गज़ल की विधा को देखने कि चेष्टा कर रहे हैं इनदिनों....<br />भाग्यशाली हैं कि आपका ब्लॉग मिला है..<br />ह्रदय से धन्यवाद कि आपने हम जैसे अनाडियों के लिए इतनी जानकारी दे रखी है.. <br />एक बार फिर प्रणाम...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-78614852110503001922007-09-08T08:38:00.000+05:302007-09-08T08:38:00.000+05:30आज मैं थोड़ा लेट हो गया,देर से किंतु आ तो गया,आपको...आज मैं थोड़ा लेट हो गया,<BR/>देर से किंतु आ तो गया,<BR/><BR/>आपको, हे गुरुवर, प्रणाम,<BR/>काफिया जाग कर सो गया। (ये आखिरी पंक्ति केवल तुक मिलाने हेतु लिखी गई है।)अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-30727212664171918082007-09-06T04:29:00.000+05:302007-09-06T04:29:00.000+05:30सुबीर जी:इतनी अच्छी तरह से समझानें के लिये शुक्रिय...सुबीर जी:<BR/>इतनी अच्छी तरह से समझानें के लिये शुक्रिया । <BR/>आनन्द आ रहा है कक्षा मे ।<BR/>एक बात और बताइये :<BR/>क्या वह गज़ल जिस में लगभग पूरा शब्द काफ़िये की तरह प्रयोग हो जैसे "करना, मरना, धरना, हरना" बेहतर मानी जाती है बजाय इस के कि वह गज़ल जिस में सिर्फ़ मात्रा ही काफ़िया हो जैसे <BR/>"करना, करता , चलता" । ये मेरा भ्रम हो सकता है लेकिन जितनी अच्छे शायरों की अच्छी गज़लें पढी हैं वह पहली श्रेणी में आती है । <BR/>हाँ पहली श्रेणी की गज़लों में ’काफ़िये’ का निर्वाह तो मुश्किल होगा ही ...।<BR/><BR/>धन्यवाद<BR/><BR/><BR/><BR/><BR/><BR/>काफ़िये अगर आ की मात्रा मान कर चलें तो करना, करता , चलता सभी ठीक है , या<BR/>करना , मरना , धरना , हरना ज़रूरी है ?अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48584545114773498002007-09-05T17:52:00.000+05:302007-09-05T17:52:00.000+05:30तेरी हर बात में वजन हैक्योंकि काफिये में दम है.-बस...तेरी हर बात में वजन है<BR/>क्योंकि काफिये में दम है.<BR/><BR/><BR/><BR/>-बस काफिया मिलाने की कोशिश की है. :) अच्छी रही यह क्लास भी. हाजिरी लगा लिजिये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com