tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post5202300813370224024..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: हर ऋतु का अपना आनंद है, लेकिन हम सबकी यादों में जो ऋतु बसी रहती है वो होती है ग्रीष्म । हम सब जो पिछली पीढ़ी के हैं, जिन्होंने गर्मी की छुट्टियां देखी हैं । तो हो जाये मुसलसल ग़ज़लों का ग्रीष्म तरही मुशायरा ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17534013347788678732011-04-25T22:42:38.881+05:302011-04-25T22:42:38.881+05:30bahut badhiya misira..holi mushayre me shamil n ho...bahut badhiya misira..holi mushayre me shamil n ho pane ka afsos hai<br /><br />is baar jarur shamil ho jaunga...prnaam pankaj jiविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-9408804645798875722011-04-25T17:10:26.231+05:302011-04-25T17:10:26.231+05:30आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ....आपकी रचनात्म...आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ....आपकी रचनात्मकता सच में प्रभावी है ......आशा है आपका मार्गदर्शन मुझे भी मिलता रहेगा .....आपका आभारकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-43716149664361940792011-04-25T00:04:48.718+05:302011-04-25T00:04:48.718+05:30ब्लौग पर लगी नई जिल्द ने वो माहौल बनाया है की हाय ...ब्लौग पर लगी नई जिल्द ने वो माहौल बनाया है की हाय रेssssssssss....!!!<br /><br />एनडीए जाने तक उम्र के सतरह साल गाँव में ही गुजरे हैं, जाने कितनी यादें ताजा कर गई आज की पोस्ट आपकी गुरूदेव..... <br /><br />मुसलसल ग़ज़ल का अपना ही आकर्षण है एक| चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है वाला आकर्षण ... प्रयास में जुटे हैं| देखें, क्या निकाल के लाती है गर्मियों की ये या वो दुपहरी...!!!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-47238411960319099922011-04-23T16:18:19.260+05:302011-04-23T16:18:19.260+05:30do द्दिन बाद देख पाई हूँ । खूब याद दिलाई गर्मिओं क...do द्दिन बाद देख पाई हूँ । खूब याद दिलाई गर्मिओं के अपने तो पसीने छूट गये। मगर इस बार शायद ही भाग ले पाऊँ। कोशिश करती हूँ। धन्यवाद शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-24404024147543172232011-04-23T15:44:50.564+05:302011-04-23T15:44:50.564+05:30जी तिलक भाई साब आप की बात नोट कर ली और मथुरा की गर...जी तिलक भाई साब आप की बात नोट कर ली और मथुरा की गर्मियों की दुपहरी वाली ग़ज़ल भेज दी है, आशा करता हूँ आप लोगों को पसंद आएगीwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48248193338140109692011-04-22T19:45:37.946+05:302011-04-22T19:45:37.946+05:30नवीन भाई,
'ये' की जगह 'वो' नहीं &...नवीन भाई,<br />'ये' की जगह 'वो' नहीं 'ये' अथवा 'वो' दो विकल्प, <br />किसी के भी साथ कहें<br />चाहें जिसके साथ, बहें।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48200556567020236062011-04-22T16:02:56.638+05:302011-04-22T16:02:56.638+05:30चेंज नोट कर लिया है 'ये' की जगह 'वो...चेंज नोट कर लिया है 'ये' की जगह 'वो'www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-62972775337267149102011-04-22T14:38:53.815+05:302011-04-22T14:38:53.815+05:30आचार्य जी, यही तो ख़ास बात है.
आपने बहुत कुछ दर्श...आचार्य जी, यही तो ख़ास बात है. <br />आपने बहुत कुछ दर्शन करा दिया.. मेरे पास भी बहुत सारी यादें कैद हैं. <br />क्या कहूँ, सब एक पर एक अनमोल है.<br /><br />मुसलसल ग़ज़ल में एक एक समंदर का निर्माण होता है जहाँ हम गहरे डूबते जाते हैं. मजा भी बहुत आएगा जब सभी फनकार ग़ज़ल कहेंगे यादों के संग.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-80696780302096163222011-04-22T00:37:15.273+05:302011-04-22T00:37:15.273+05:30गुरु जी प्रणाम,जो मंज़रकशी आपने की पढ़ कर लगा यह त...गुरु जी प्रणाम,जो मंज़रकशी आपने की पढ़ कर लगा यह तो स्वर्ग जैसा कुछ है <br /><br />मैं शहर में पैदा हुआ और आज तक गाँव को महसूस करने का मौका नहीं मिला है , कसबे और गाँव में दो चार दिन रहा तो हूँ मगर महसूस करने का सुख प्राप्त नहीं हो सका <br />दो तीन मुसलसल ग़ज़ल लिखीं हैं, बहर मेरी मनपसंद है, अपनी लुटी पिटी यादों को समेटता हूँ और कुछ लिखने का प्रयास करता हूँ <br /><br />-- <br />आपका वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-84046719738279022122011-04-21T23:32:36.223+05:302011-04-21T23:32:36.223+05:30स्वागत है इस नए तरही मुशायरे का
आप की मंज़र कशी क...स्वागत है इस नए तरही मुशायरे का <br />आप की मंज़र कशी का तो जवाब नहीं ,बहुत उम्दा <br />इस सिलसिले से ये शेर पढ़ना चाहती हूं <br /><br />है सुकून ओ अम्न गाँव का नसीब <br />ख़ौफ़ से शह्रों में सोता कौन हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-4595653280783926672011-04-21T23:26:30.958+05:302011-04-21T23:26:30.958+05:30जैसे गाँव कसबे का जिक्र आपने अपनी शसक्त लेखनी से क...जैसे गाँव कसबे का जिक्र आपने अपनी शसक्त लेखनी से किया है वैसे गाँव कसबे में बचपन बिताने का ख्वाब ख्वाब ही रह गया, अलबत्ता बचपन में जयपुर के जिस भाग में हम रहे तब वो किसी गाँव कसबे जैसा ही था, शहर से दूर , और सूखे पहाड़ घर से कोई एक किलोमीटर दूर जिसमें बबूल के पेड़ों का बाहुल्य था...आम नहीं थे, बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय....घर के बाहर लगे गुलमोहर का पेड़ लाल सुर्ख फूलों से भर जाया करता था, दिन में पीली और शाम को काली आंधियां चला करती थीं...घर पर करोंदों की बड़ी सी झाडी थी जिसमें काले लाल हरे रंग के करोंदे लगा करते थे, उनके अचार का स्वाद अभी तक ज़बान पर है...राजस्थान में फालसे और डांसरे गर्मियों में आया करते हैं, स्कूल के बाहर खड़े ठेले वाला कागज की पुडिया में नमक दाल कर बच्चों को खिलाया करता था...डांसरे छोटा छोटा गोल गोल सा खट्टा मीठा फल होता है, आपने खाया है या नहीं कह नहीं सकता,...उफ्फ्फ..कितने हसीं दिन याद दिला दिए आपने...रात को बाहर चारपाई लगा कर सोना,रात भर चलने वाली ठंडी हवाएं जो अब न कूलर दे पाता है और ना ही ऐ सी....कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...<br />तरही का मिसरा दिलकश है...तिलक जी हमेशा बहुत समझदार पढ़े लिखों जैसी राय देते हैं जिसे अनसुना करना मुश्किल होता है....ग़ज़ल कहने की कोशिश करेंगे बाकि ऊपर वाले के हाथ है...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17114732603266428812011-04-21T23:07:57.991+05:302011-04-21T23:07:57.991+05:30प्रणाम गुरु देव,
स्वागत है इस तरही मुशायरे का ! को...प्रणाम गुरु देव,<br />स्वागत है इस तरही मुशायरे का ! कोशिश करूँगा समय रहते पहुँच जाऊं इस बार ! पुरानी यादें ताज़ा हो जाएँगी इसी बहाने ! <br />और पेश करने का नया अंदाज़ भी खूब भायेगा लोगों को ! <br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-60254248225850399332011-04-21T20:41:22.440+05:302011-04-21T20:41:22.440+05:30Bhai ji,
Tilak ji ne bhi sahi sujhaya......
5 m...Bhai ji, <br />Tilak ji ne bhi sahi sujhaya......<br /><br />5 may ko Bhagwaan Parshuraam Jayanti hai....5 se 9 vyast rahunga..<br />to koshish karta hoon ki us se pahle kuch sher tapak pade....<br /><br />shesh us ki marji...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42523298629516575012011-04-21T19:13:30.188+05:302011-04-21T19:13:30.188+05:30तिलक जी ने एक सुझाव दिया है जो मेरे हिसाब से ठीक ह...तिलक जी ने एक सुझाव दिया है जो मेरे हिसाब से ठीक है यदि लोग भूतकाल की बात करना चाहते हैं तो वे मिसरे में ये के स्थान पर वो का प्रयोग करें । <br />प्रिय पंकज भाई, <br />तरही के मिसरे को लेकर एक सुझाव है; काल संबंधी। <br />कुछ लोग 'ये दुपहरी' पर ग़ज़ल कहना चाहेंगे और कुछ 'वो दुपहरी' पर; अगर यह छूट मिल जाये तो कहन का दायरा बढ़ जायेगा। वैसे तुलनात्मरक अध्यायन लाकर 'ये दुपहरी' पर भी कोई विशेष कठिनाई तो न होगी लेकिन 'वो दुपहरी' में याद वाली बात आ जायेगी। <br />सादर<br />तिलकपंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25461082648660165392011-04-21T16:36:07.748+05:302011-04-21T16:36:07.748+05:30और पोस्ट पढ़ कर वो गर्मियँ सामने आ गई, जो काश हमने ...और पोस्ट पढ़ कर वो गर्मियँ सामने आ गई, जो काश हमने भी बिताई होतीं...कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-76444843638547419252011-04-21T16:35:28.259+05:302011-04-21T16:35:28.259+05:30कोशिश करती हूँ, ५ मई तक ज़रूर भेज दूँ, नही भेजूँगी...कोशिश करती हूँ, ५ मई तक ज़रूर भेज दूँ, नही भेजूँगी तो खुद ही भुगतूँगी...!!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-76585302006228496582011-04-21T15:39:17.318+05:302011-04-21T15:39:17.318+05:30इस बार गर्मियों में धूम मचने वाली है। मुझे बचपन या...इस बार गर्मियों में धूम मचने वाली है। मुझे बचपन याद आ गया। आम, नदी, भैंस, मछली, खीरा, ककड़ी, छत पर रातें, आम का पना, नहर में डुबकी सब याद आ गये। इस बार धमाल होकर रहेगा लगता है।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86157237695049819082011-04-21T13:53:17.061+05:302011-04-21T13:53:17.061+05:30मेरा पूरा बचपन देहातों में हर गुजरा, आज फिर बहुत द...मेरा पूरा बचपन देहातों में हर गुजरा, आज फिर बहुत दिनों बाद वो यादें ताज़ा हो गयीं।<br />फिर से वातायन खुला और फिर वो यादें आ गयीं<br />छॉंट कर मोटी परत वो फिर ज़ेह्न पर छा गयीं। <br />देहाती जीवन का एक अलग ही आनंद होता है और ईश्वर ने सलामत रखा तो सेवानिवृत्ति पर किसी तथाकथित पिछड़े गॉंव में बस जाने की दिली तमन्ना है। <br />तरही का मिसरा पढ़कर आनंद आ गया, तय है कि खूबसूरत ग़ज़ल आयेंगी।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65823614645192667972011-04-21T13:50:48.738+05:302011-04-21T13:50:48.738+05:30प्रणाम गुरु जी,
आप ने अपनी यादें इतने अच्छे से कह ...प्रणाम गुरु जी,<br />आप ने अपनी यादें इतने अच्छे से कह के सभी के ज़ेहन में सहेजी हुई सुनहरी यादें ताज़ा कर दी. गर्मियों की छुट्टियों का इंतज़ार हर बचपन मन करता है, हर किसी की खूबसूरत यादें इससे जुडी होती हैं और इस बार का ये तरही-मुशायेरा इन्ही यादों और लम्हों को पिरोयेगा.<br />मुसलसल ग़ज़ल पे लिखने का ये पहला अनुभव होगा.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-66678991951241823192011-04-21T12:10:01.101+05:302011-04-21T12:10:01.101+05:30नमस्कार गुरुदेव .... गानों का आनंद नही ले पा रहा ह...नमस्कार गुरुदेव .... गानों का आनंद नही ले पा रहा हूँ ... मेरे लेपटॉप पर खुल नही रहे पता नही क्यों पर अहमद हुसैन मुहमद हुसैन के गाने का अंदाज़ा लगा सकता हूँ .... मौसम आएँगे जाएँगे ... हम तुमको भूल न पाएँगे ... ये दोनो मेरे पसंदीदा हैं ... <br />तरही का मिस्रा मौसम की याद दिला रहा है .... लगता है इस बार बहार आने वाली है गर्मियों में ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82773694239571173012011-04-21T09:42:32.617+05:302011-04-21T09:42:32.617+05:30आपने पुरानी यादों का इतना सुंदर चित्रण किया कि मैं...आपने पुरानी यादों का इतना सुंदर चित्रण किया कि मैं भी २०-२५ साल पीछे चला गया. तरही का मिसरा बहुत सुंदर है. बहुत अच्छी अच्छी ग़ज़लें सुनने को मिलेंगी..Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-30771543154841383482011-04-21T09:29:57.334+05:302011-04-21T09:29:57.334+05:30गानों का आनंद लिया, और मिसरा नोट कर लिया है| मथुरा...गानों का आनंद लिया, और मिसरा नोट कर लिया है| मथुरा जाने का प्रोग्राम बन गया है, कोशिश करता हूँ, उस से पहले ग़ज़ल भेजने का|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.com