tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post4406103401658751951..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: ख़्वाब के नर्म एहसास देंगे बता, रात रेशम से मैंने बुनी है प्रिये, तरही मुशायरे के क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज सुनते हैं तरही मुशायरे में शायद पहली बार आ रहीं परिधि बडोला से उनकी ग़ज़ल ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-35675439971479931102012-07-18T21:42:49.142+05:302012-07-18T21:42:49.142+05:30रेशम से बुनी रात
वाह वाह वाहरेशम से बुनी रात<br /><br />वाह वाह वाहराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48639372327070108062012-07-17T13:58:26.009+05:302012-07-17T13:58:26.009+05:30परिधि जी का मुशायरे में स्वागत है.अपनी ग़ज़ल में वे ...परिधि जी का मुशायरे में स्वागत है.अपनी ग़ज़ल में वे सरल शब्दों में गहरे भावों को अभिव्यक्त करने में सफल रही हैं.एक अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार हो.'आसान अरुज' के विमोचन के मोबाइल अपलोड पहले भी देखे थे.गुरुदेव के साथ-साथ सभी को इसकी हार्दिक बधाई.सौरभ शेखर https://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8472591976114030302012-07-16T22:36:31.986+05:302012-07-16T22:36:31.986+05:30खूबसूरत गज़ल!खूबसूरत गज़ल!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25990794426868121992012-07-16T14:06:40.609+05:302012-07-16T14:06:40.609+05:30आज़म साब की पुस्तक 'आसान अरूज़' के शानदार...आज़म साब की पुस्तक 'आसान अरूज़' के शानदार विमोचन के लिए बधाइयाँ.<br /><br />परिधि जी ने बहुत खूब शेर कहे हैं, मतले का सानी जब उला से जुड़ रहा है तो एक अलग ही दुनिया में पहुंचा दे रहा है.<br />सभी शेर पसंद आये, गिरह भी बहुत उम्दा बाँधी है. एक बेहद उम्दा ग़ज़ल कहने के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और आशा हैं की आगे भी आपकी उपस्थिति यहाँ दर्ज़ होती रहेगी.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-36054470076856525272012-07-16T11:54:07.172+05:302012-07-16T11:54:07.172+05:30परिधि जी को पहली बार पढने का मौका मिला...एक बेहतरी...परिधि जी को पहली बार पढने का मौका मिला...एक बेहतरीन ग़ज़ल कार बनने के सारे गुण उनमें दिखाई दिए... हर शेर मोतियों सा ग़ज़ल की माला में जड़ा है...मेरी हार्दिक बधाई .<br /><br />महरून से कुरते में खूब ही जंच रहे हैं गुरुदेव...चश्म-ऐ बद-दूर...और तिलक जी विजय जी के साथ काफी अकड़े बैठे हैं...<br />ज़हीर कुरैशी जी से अगर तिलक जी मिल लेते तो उनका जीवन धन्य हो जाता...लेकिन हत भाग्य...चलिए फिर सही.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37732910606684631012012-07-16T09:37:54.519+05:302012-07-16T09:37:54.519+05:30नर्म से एहसासों से और कोमल हाथों से लिखी गयी शानदा...नर्म से एहसासों से और कोमल हाथों से लिखी गयी शानदार गज़ल।मै भी कल भूल गयी थी। मेल खोली तो पहली मेल मे ही हुन्डई वालों की वेब साइट पर एक शिकायत दर्ज करवाते ही समय निकल गया। परिधी जी ने तो कमाल कर दिया। जितनी सुन्दर वो आप हैं उतनी ही सुन्दर उनकी गज़ल। उन्हें बहुत बहुत बधा पुस्तक विमोचन की भी बहुत बहुत बधाईयाँ।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-61527728751437209482012-07-16T09:20:09.790+05:302012-07-16T09:20:09.790+05:30तुम को खोकर ही मेरा पाना लिखा ,जैसे सागर से मिलती ...तुम को खोकर ही मेरा पाना लिखा ,जैसे सागर से मिलती नदी है प्रिये।<br /><br />मनभावन शे"र, सुन्दर ग़ज़ल्।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-68312665156578219122012-07-16T08:44:32.593+05:302012-07-16T08:44:32.593+05:30बहुत खुबसूरत ग़ज़ल...परिधि जी को बधाई !!बहुत खुबसूरत ग़ज़ल...परिधि जी को बधाई !!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-87600138192133052902012-07-15T18:48:17.177+05:302012-07-15T18:48:17.177+05:30अच्छी रपट लगाई है आपने।
ग़ज़ल तो उम्दा है ही।अच्छी रपट लगाई है आपने।<br />ग़ज़ल तो उम्दा है ही।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-79131639376746225092012-07-15T16:05:59.408+05:302012-07-15T16:05:59.408+05:30गुरू जी चित्र भी की कलात्माकता भी अति प्रशंसनीय है...गुरू जी चित्र भी की कलात्माकता भी अति प्रशंसनीय है....कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-12733078853622062522012-07-15T16:02:43.070+05:302012-07-15T16:02:43.070+05:30एक बारगी फोटो और ग़ज़ल दोनो को देख कर तो लगा कि को...एक बारगी फोटो और ग़ज़ल दोनो को देख कर तो लगा कि कोई नवोढ़ा है और शायद नव्या और लव्या के बावजूद भावनाएं नवल ही हैं परिधि जी की। <br /><br />बहुत सुंदर भाव बिना किसी लाग लपेट के, बिना किसी ग्लैमराईजेशन के।<br /><br />मतला ही एक नारी के मन की मध्यम मगर असरदार गूँज है।<br /><br />खो कर ही पाने की बात, आसमाँ से डोर बँधना... ये सब एक पवित्र नारी मन ही लिख सकता है।<br /><br />यदि आप बिना किसी ग़ज़ल शिक्षा के इतना अच्छा लिख रही हैं, तो निश्चित ही आप में काव्य के गुण प्राकृत हैं।कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17428865304635101872012-07-15T14:50:13.152+05:302012-07-15T14:50:13.152+05:30आयोजन कैसा रहा होगा इसकी कल्पना कर सकते हैं हम तो ...आयोजन कैसा रहा होगा इसकी कल्पना कर सकते हैं हम तो ... और कल्पना और सच पास पास ही रहे हैं ... सफल रहा कार्यक्रम इसकी बहुत बहुत बधाई ... <br />परिधि की गज़ल बहुत ही कोमल प्रेम के धागों से सजी है ... प्रेम, समर्पण और दिल को छू के गुज़र जाता है हर शेर ...<br />मतला इतना खूबसूरत है की प्रेम की पींग बढ़ने लगती है ... फिर तुम में खो कर ही मेरा है पाना लिखा ... तो जैसे समर्पण की नई ऊँचाइयों को छू रहा है ... हम तो किरदार हैं इस कहानी के दो ... बहुत ही खूबसूरत शेर है इस गज़ल का ...<br />ये मुशायरा अब फलक पे विचरण कर रहा है ... पता नहीं कहां रुकने वाला है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55147181566517418272012-07-15T14:11:27.062+05:302012-07-15T14:11:27.062+05:30उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल अज़ीज़ कुर्रेशी ...उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल अज़ीज़ कुर्रेशी साहब के लिये आपका यह कहना सटीक लगा कि उनका नाम तो हर दिल अज़ीज़ कुर्रेशी होना चाहिये।<br />वर्ष 1998 में तत्कालीन उप मुख्य मंत्री श्री सुभाष यादव के निवास पर उनसे एक छोटी सी मुलाकात हुई थी जब संभावित उम्मीदवारों की सूची को पहली बार कम्प्यूटर की मदद से अंतिम रूप दिया जा रहा था। उस छोटी सी मुलाकात में ही उनकी सादग़ी, सहजता और विनम्रता ने दिल जीत लिया था। <br />विजय बहादुर सिंह जी से मिलना एक सौभाग्य रहा, उनका नाम तो सुनता रहता था लेकिन घर और ऑफिस से बाहर कम निकलता हूँ तो मिलने की स्थिति अब तक नहीं बनी थी। <br />ज़हीर कुर्रेशी जी की ग़ज़लें तो काफ़ी समय से पढ़ रहा हूँ, उन्हें प्रत्यक्ष देखने और सुनने का अवसर भी मिल गया। हिन्दी पर उनका प्रभावी नियंत्रण देखकर दंग रह गया। ऐसे ही व्यक्ति धारणाओं को तोड़ते हैं।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-24407405768936155842012-07-15T13:54:40.916+05:302012-07-15T13:54:40.916+05:30अगर एतराज़ न हो तो कार्यक्रम में आपने जो ग़ज़ल पढ़...अगर एतराज़ न हो तो कार्यक्रम में आपने जो ग़ज़ल पढ़ी थीं उन्हें ब्लॉग पाठकों के हितार्थ अगली पोस्ट में ले लें। उतना आनंद तो सभी को मिल जाये (प्रत्यक्ष सुनना और बात होता है, फिर भी)।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-22066630114321962202012-07-15T12:21:45.095+05:302012-07-15T12:21:45.095+05:30दिल से आयोजित कार्यक्रम का दिल से तब्सिरा. पंकजभाई...दिल से आयोजित कार्यक्रम का दिल से तब्सिरा. पंकजभाईजी, आपने जिस सहज लहजे में कार्यक्रम के विषय में साझा किया है वह मनभावन लगा. आपकी प्रस्तुतियों में सुर की लचक, पद्य का लालित्य और गद्य की कथ्यात्मकता है. देखिये, आपको सस्वर कब सुन पाते हैं. <br />आयोजन में तिलकराज भाई साहब सदेह उपस्थित थे. वाह ! <br />*****************<br />परिधि बडोला जी का इस परिवार में स्वागत है. और प्रस्तुत ग़ज़ल के विषय में क्या कहूँ ! प्रत्येक शेर कोमल है. <br /><i>रात को रेशम से बुनना</i> हृदय के तंतुओं को झंकृत कर गया. <br /><i>तुझ में खो कर ही मेरा है पाना लिखा / जैसे सागर से मिलती नदी है प्रिये</i>... . <br />इस शास्वत भाव के लिये परिधिजी हार्दिक बधाइयाँ. <br /><i>साथ रहन सदा, आसमां हो कोई / डोर तुमसे ही मेरी बंधी है प्रिये</i>.. . <br />इस शेर में ’आसमां’ के शाब्दिक और भावुक दोनों विस्तारों ने मन मोह लिया है. बहुत खूब !<br /><i>प्यार क रंग.. </i> .. हथेलियों पर हिना के गहराते रंग की लोकोक्ति को बहुत ही सुन्दर ढंग से पिरोया गया है. <br />परिधिजी की कहन ससंदर्भ किन्तु कोमल प्रस्तुतियों की आश्वस्ति है. आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और बधाइयाँ. <br />*****************<br />पंकजभाईजी, इस बार की ग़ज़ल के साथ का चस्पां चित्र विगत कई-कई-कई स्मृतियों के अनायास कुलबुलाने का कारण बना है. <br />’गुनाहों का देवता’ का वह शब्द-दृश्य याद होगा न.. सुधा के पाँवों को हथेलियों में ले चंदर युगल-कपोत की तरह दुलराता है. कुछ देर, मैं यों ही उस ’इलाहाबादी’ को याद करता रहा.. चुपचाप..<br /><br />--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-50268362483037497732012-07-15T11:07:43.598+05:302012-07-15T11:07:43.598+05:30वाह.. परिधि जी को पहली बार बढ़ रहा हूँ लेकिन ज़ाहिर ...वाह.. परिधि जी को पहली बार बढ़ रहा हूँ लेकिन ज़ाहिर है की वो एक मंझी हुई गज़लकार हैं. बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही है. बहुत बढ़िया शेर. मतला तो बहुत ही पसंद आया. बहुत बहुत बधाई.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-34811156237775403432012-07-14T22:34:37.841+05:302012-07-14T22:34:37.841+05:30परिधि जी,
ग़ज़ल आपने खूबसूरत कही। मत्ले की भावना ...परिधि जी,<br />ग़ज़ल आपने खूबसूरत कही। मत्ले की भावना ही सुखद् परिवार का आधार होती है। <br />ख्वाब के नर्म ... में जादुई प्रभाव है।<br />सागर और नदिया की बात तो ऐसी है कि:<br />सागर तो हर पल नदिया से कहता है<br />जैसी भी हो बॉंहों में आ जाओ तुम। <br />इस ब्लॉंग पर अपका स्वागत है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-67967635300140328512012-07-14T22:24:39.325+05:302012-07-14T22:24:39.325+05:30गड़बड़ हो गयी। अवकाश होने के बावज़ूद (कितनी सहजता ...गड़बड़ हो गयी। अवकाश होने के बावज़ूद (कितनी सहजता से हम इस शब्द का खुलकर उपयोग करते हैं बा वज़ूद) आज सुब्ह से कछ पुस्तकों में ऐसा उलझा कि इस ओर ध्यान ही नहीं गया कि आज पोस्ट लग सकती है।<br />बहरहाल यानि ब-हर-हाल विमोचन कार्यक्रम के बाद हुआ ये कि मुशायरे में पढ़ने के इरादे से बैठे आगे की तीन पंक्तियॉं के स्थानीय शायर कार्यक्रम समाप्त होते ही मंच की ओर बढ़ लिये महामहिम से मिलने के लिये और मैनें देखा कि इस प्रक्रिया में अच्छा ख़ासा समय लगना है तो क्यूँ न एक छोटा सा काम निबटा लूँ, इस इरादे से बाहर निकला तो ग़लती से मैं जिस प्रसाधन में घुसने लगा वह चित्र संकेत से समझ आया कि यह तो स्त्रियों के लिये है, पुरुषों के लिये प्रसाधन तलाशते आगे बढ़ा तो गेट तक पहुँच गया। अब मन है, कुछ करने को तैयार हो जाये तो पीछे हटना नहीं चाहता सो सारे तर्क सिमट गये इसी उत्तर में कि भाई अब बाहर आ ही गये हो, घर को ही बढ़ लो। बस मन की बात मान ली। <br />और ये किसी हास्य-व्यंग्य का अंश नहीं, मेरे साथ झाटी वास्तविकता है। <br />जल्दबाजी़ में बधाईयॉं देनी रह गयीं, जो अब क्षमायाचना सहित अर्पित हैं।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55561641133717391402012-07-14T18:08:11.042+05:302012-07-14T18:08:11.042+05:30वाह!कोमल भाव सुन्दर शब्द चयन से और निखर कर आये हैं...वाह!कोमल भाव सुन्दर शब्द चयन से और निखर कर आये हैं! वाह!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-33630399077039046652012-07-14T16:24:54.946+05:302012-07-14T16:24:54.946+05:30इंतज़ार था कि समाचार मिले आसान अरूज़ के विमाचन का....इंतज़ार था कि समाचार मिले आसान अरूज़ के विमाचन का. महामहिम कुरैशी जी के बारे में जानने को मिला. <br /> और तिलक जी भी दृष्टिगोचर हुए.<br />-<br />परिधि बडोला जी को मैं भी पहली बार सुन रहा हूँ. कोमल और हृदयस्पर्शी ग़ज़ल के लिए परिधि जी आपको बहुत बहुत बधाई!<br />उम्मीद हैं अब आप नियमित आयेंगी. ख्वाब के नर्म अहसास.... हम तो किरदार हैं इस कहानी के दो... गिरह भी क्या खूब बंधा है. बहुत सुन्दर !!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-50753641513637339712012-07-14T15:36:37.643+05:302012-07-14T15:36:37.643+05:30बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल !
ख़ास तौर पर मतला बहुत सुंदर ...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल !<br />ख़ास तौर पर मतला बहुत सुंदर है <br />पूरी ग़ज़ल ही बहुत soft और समर्पित भावों के साथ लिखी गई है<br />जो इस ग़ज़ल के सौंदर्य को बढ़ा रहे हैं <br /><br />परिधि जी बधाई हो !इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32718938012572121232012-07-14T14:31:32.882+05:302012-07-14T14:31:32.882+05:30बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है। हर शे’र तारीफ़ के काबिल ...बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है। हर शे’र तारीफ़ के काबिल है मगर कुछ शे’र ऐसे हैं जो एकदम से चौंका देते हैं। बहुत बहुत बधाई परिधि जी को।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-56062394642121368742012-07-14T14:10:45.234+05:302012-07-14T14:10:45.234+05:30कोमल एहसास से रची रचना ....
मुबारक स्वीकारें!कोमल एहसास से रची रचना ....<br />मुबारक स्वीकारें!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.com