tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post4222481474146691522..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: तरही के समापन से ठीक पहले का ये अंक जिसमें श्री अश्विनी रमेश जी की एक ग़ज़ल और आदरणीया लावण्या शाह जी की मुक्त छंद कविता ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-63839599304427792642012-09-13T20:04:36.741+05:302012-09-13T20:04:36.741+05:30आदरणीय लावन्या जी,
सर्प्रथम तो क्षमा चाहता हूँ कि ...आदरणीय लावन्या जी,<br />सर्प्रथम तो क्षमा चाहता हूँ कि आपकी टिप्पणी देर से पढ़ सका ! आपने बिल्कुल ठीक कहा है कि माँ तो बस माँ होती है ! यह सत्य है कि यह संसार का सबसे प्रिय रिश्ता है ! कुछ भी हो माँ मेरी आत्मा में सदैव जीवित रहेगी ! संवेदना के अमूल्य शब्दों हेतु आभार !Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-83057545270392915312012-08-25T20:00:56.401+05:302012-08-25T20:00:56.401+05:30रचना संसार के सभी सुह्रदय स्नेही साथियों के प्रो...रचना संसार के सभी सुह्रदय स्नेही साथियों के प्रोत्साहन भरे शब्दों को सर माथे लेते हुए <br />सच्चे ह्रदय से आभार - लावण्या लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-49588578044577789452012-08-25T19:58:44.345+05:302012-08-25T19:58:44.345+05:30भाई श्री अश्विनी रमेश जी
आपकी पूजनीय माता जी की प...भाई श्री अश्विनी रमेश जी <br />आपकी पूजनीय माता जी की पावन स्मृति को मेरे सादर प्रणाम <br />माम तो बस माँ होती है उनका बिछोह मर्मान्तक वेध जाता है <br />और जीवन के अंतिम क्षण तक ह्दय में साथ रहतीं हैं ..<br />किन शब्दों में सांत्वना दें ? <br />परम कृपालु ईश्वर उन्हें अपनी महा ज्योत में स्थान दें <br />और आप उनके आशिष से निरंतर उत्कृष्ट रचना करते रहें <br />जैसी इस तरही में आपने प्रस्तुत की है ये कामना सहित <br />- लावण्या लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-91507958081082244672012-08-10T19:13:05.091+05:302012-08-10T19:13:05.091+05:30नीरज गोस्वामी जी , गज़ल पर उत्साहवर्धक टिप्पणी के ल...नीरज गोस्वामी जी , गज़ल पर उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए तह दिल से आपका आभारी हूँ !Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-91885921323244158312012-08-09T19:41:29.170+05:302012-08-09T19:41:29.170+05:30ये मुशायरा अपने अंत की और बढ़ रहा है जान कर एक हूक...ये मुशायरा अपने अंत की और बढ़ रहा है जान कर एक हूक सी उठी है मन में...इस से ऐसा जुड़ाव हो गया था के अब इसके समाप्त होने पर होने वाले खाली पन का एहसास अभी से विचलित कर रहा है. <br />रमेश जी ने अपनी ग़ज़ल के प्रत्येक शेर में प्रेम की कोमल भावनाओं को बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति दी है. सीधे सादे शब्दों में की गयी प्यार की बौछारों से सभी को भिगो दिया है. वाह...मेरी दाद उनतक पहुंचा दें.<br /><br />लावण्या दी की तो बात ही निराली है. वो स्वयं स्नेह की मूर्ती है उनकी कलम से निकला हर शब्द स्नेहसिक्त है..."नील नभ तारिका सी..." से शुरू की गयी पंक्तियाँ धानी चुनरिया तक आते आते अपने जादुई आगोश में पाठक को बाँध लेती हैं...इस रचना की प्रशंशा में मुझे शब्द नहीं मिल रहे...हम सौभाग्य शाली है जो उन्हें पढने का मौका आपके ब्लॉग पर पा रहे हैं...उन्हें मेरा प्रणाम. <br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25737833922513767452012-08-08T19:26:41.229+05:302012-08-08T19:26:41.229+05:30संजय झा जी , मेरा गम (यानि अशवनी भारद्वाज जी ),दिग...संजय झा जी , मेरा गम (यानि अशवनी भारद्वाज जी ),दिगम्बर नासवा जी का भी दिल से आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने मेरा उत्सावर्धन किया है !Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-77826785956198329022012-08-08T19:21:12.355+05:302012-08-08T19:21:12.355+05:30सौरभ पांडे जी , आपके सान्त्व्नात्मक और संवेदनात्मक...सौरभ पांडे जी , आपके सान्त्व्नात्मक और संवेदनात्मक शब्दों के लिए आपका आभारी हूँ !आपने बिल्कुल सही कहा कि यह एक ऐसी क्षति है जिसकी पूर्ति नहीं हो सकती ,माँ का रिश्ता संसार का सबसे सच्चा और अच्छा रिश्ता है !<br />रचना पर टिप्पणी उद्धरण सहित देने और उत्साहवर्धन के लिए भी आभारी हूँ !Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-52694968411618017672012-08-08T09:05:11.324+05:302012-08-08T09:05:11.324+05:30अश्विनी रमेशजी के प्रति सादर भाव रखता हूँ. आपकी इन...अश्विनी रमेशजी के प्रति सादर भाव रखता हूँ. आपकी इन दुखद घड़ियों में अपनी हार्दिक संवेदनाओं के साथ मैं आपके साथ हूँ. इस क्षति की पूर्ति ही नहीं है. यह आपकी रचनाधर्मिता का उन्नयन है कि प्रस्तुत साहित्य-यज्ञ में आपकी समिधा पड़ी है. सादर नमन.<br /><br /><i>मानता हूँ कि तुम हो बहुत दूर पर.. . </i> की व्यावहारिकता ने मोह लिया. बहुत सुन्दर. <br /><i>प्रेम की डोर बाँधे न हमको अगर.. . </i> वाह-वाह ! इस सनातनी पंक्तियों के लिये हृदय से बधाई.<br />आपकी प्रस्तुत प्रविष्टि के प्रति मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ. <br /><br />**************<br /><br />आदरणीया लावण्याजी की प्रस्तुत रचना एक अलग संसार में ले जाती है, प्रेमपगी टेर लगाती द्वैत के अद्भुत संयोजन को साधती हुई. हृदय से महसूस कर निरंतर झंकृत हो रहा हूँ. शब्दों का अंतर्निहित विस्तार अन्वर्थ को नया रूप दे रहा है. वाह !<br />सादर <br /><br />--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-10520750897609935712012-08-08T08:45:13.560+05:302012-08-08T08:45:13.560+05:30तीनों विन्दु मानक सदृश हैं. जय होऽऽऽतीनों विन्दु मानक सदृश हैं. जय होऽऽऽSaurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-90355333771427055122012-08-07T17:45:14.841+05:302012-08-07T17:45:14.841+05:30प्रीत की अल्पना में सजी ये लाजवाब गज़ल रमेश जी कुछ...प्रीत की अल्पना में सजी ये लाजवाब गज़ल रमेश जी कुछ नया गुल खिला रही है ... प्रेम की इक बूँद की चाह में पपीहा बने .. गज़ब के शेर हैं सभी ... ये मुशायरा समापन की और अग्रसर है अपनी नई ऊँचाइयों को छूता हुवा ...<br />आदरणीय लावण्या जी ने प्राकृति के मोहक रंग ले के अल्पनाएं सजाई हैं ... उसको अनरस से महसूस किया जा सकता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25900928765501384502012-08-07T16:52:53.063+05:302012-08-07T16:52:53.063+05:30अरे भाई इसमें संदेह क्योंअरे भाई इसमें संदेह क्योंतिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-76587789182426891832012-08-07T11:53:46.982+05:302012-08-07T11:53:46.982+05:30सर बहुत ही खूब है लिखा है ,आपने अपने प्रिये के इंत...सर बहुत ही खूब है लिखा है ,आपने अपने प्रिये के इंतज़ार की ब्याकुलता को जो इस प्रेम प्रसंग में उतारा है अतुलनीय है..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-67284357338403591342012-08-07T10:21:38.334+05:302012-08-07T10:21:38.334+05:30tar-hi kya hota hai...mujhe kya pata
radif.....kaf...tar-hi kya hota hai...mujhe kya pata<br />radif.....kafiya se mera kya basta<br />mishri se mishre au' gur si gazal<br />guruji ke kuti me milte aisi hi fal????<br /><br />sat-chitt-aanand.......<br /><br />is bhaw-sagar ke sabhi khevan-har ko mera<br />hardik <br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-78208818837813807982012-08-07T10:00:15.929+05:302012-08-07T10:00:15.929+05:30राकेश खंडेलवाल जी ,आपके गीत ने मन बाग बाग कर दिया ...राकेश खंडेलवाल जी ,आपके गीत ने मन बाग बाग कर दिया ,शुक्रिया !समार्ट इंडियन जी ,शुक्रिया ! रोशन जी यहाँ पर भी उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया !Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-77169189605968682652012-08-07T06:44:06.533+05:302012-08-07T06:44:06.533+05:30अश्विनी जी सुन्दरअश्विनी जी सुन्दररौशन जसवाल विक्षिप्तhttps://www.blogger.com/profile/02927646540761405419noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-88375483346396681502012-08-07T06:19:01.038+05:302012-08-07T06:19:01.038+05:30जहाँ आदरणीय लावण्य जी की मधुर रचना बहा ले जाती है ...जहाँ आदरणीय लावण्य जी की मधुर रचना बहा ले जाती है वहीं अश्विनीजी की गज़ल गहराई तक छूती है. भाई अश्विनीजी की मनस्थिति को समर्पित<br /><br /><br /><br />तू विद्यापति का अनुयायी<br /> <br />तुझे जायसी ने शिक्षा दी <br /><br />तू ही तो जीवन्त रखे है<br /> <br />खुसरो,तुलसी की परिपाटी<br /> <br />तुझ में है कबीर का दर्शन<br /> <br />भक्ति भाव है योगक्षेम का<br /> <br />तूने मीरा से सीखा है<br /> <br />दीवानापन अमर प्रेम का<br /> <br /> <br /> <br />मिला विरासत में जो तुझको<br /> <br />उसका कर्ज चुकाया कर तू<br /> <br />पीढ़ी नई दिशायें पाये<br /> <br />ऐसे गीत सुनाया कर तूराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-36510582326702945442012-08-06T22:28:07.127+05:302012-08-06T22:28:07.127+05:30अश्विनी रमेश जी को मेरी सम्वेदनायें! उन्हें पढना अ...अश्विनी रमेश जी को मेरी सम्वेदनायें! उन्हें पढना अच्छा लगा। लावण्या जी का तो नियमित पाठक हूँ। उनकी रचना बहुत पसन्द आई। आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-12043716436030634972012-08-06T21:33:34.809+05:302012-08-06T21:33:34.809+05:30सर्वप्रथम आदरणीय सुबीर जी का आभारी हूँ जिन्होंने न...सर्वप्रथम आदरणीय सुबीर जी का आभारी हूँ जिन्होंने न केवल विलम्ब से भेजी मेरी इस गज़ल को स्वीकार किया बल्कि जब मैंने उन्हें बताया कि 23 मई ,2012 को मेरी पूजनीय माता जी का देहांत हुआ है, तो उन्होंने जो सान्त्वनात्मक शब्द कहे ,वे मेरे लिए सकून देने वाले थे !<br />मुझे लगा कि माँ ने ही तो मुझे फ़र्ज़ सिखाया है तो कविता या गज़ल लिखने का कर्म भी तो फ़र्ज़ ही तो है ! इसी भावना से प्रेरित होकर दुखी होते हुए भी माँ के कर्मठ जीवन से प्रेरित होकर कलम को अपना फ़र्ज़ समझकर गज़ल लिख और भेज डाली (जबकि पांच शेर तरही की घोषणा के एक दिन बाद ही लिख दिए थे, जब माता जी ज्यादा बीमार नहीं थे )<br />सान्त्वना के लिए तिलकराज कपूर जी और अर्श जी का भी आभार !<br />आने वाले कल की चिंता समेटे इस अंक की खूबसूरत पृष्ठभूमि बांधने के लिए सुबीर जी का फ़िर से आभारी हूँ !<br />निर्मला कपिला जी ,राजेश कुमारी जी , तिलकराज कपूर जी , विनय प्रजापति जी ,सुलभ जायसवाल जी ,धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी ,अर्श जी --आप सब का उत्साहवर्धन के लिए तह दिल से शुक्रिया !<br />लावण्या जी के गीत की रवानगी पढकर बहत अच्छा लगा !Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-77867237781342821862012-08-06T16:46:34.468+05:302012-08-06T16:46:34.468+05:30अश्विनी जी के दु:ख पर गहरा दु:ख प्रकट !
उनकी ग़ज...अश्विनी जी के दु:ख पर गहरा दु:ख प्रकट ! <br /><br />उनकी ग़ज़ल का शे'र पपीहा ... ने कमाल कर दिया है ! क्या ख़ूब शे'र कहे हैं इन्होनें ! और इसके बाद के शे'र में "पी" को जिस तरह से काफ़ीये में प्रयोग किया है वो भी बेहद ख़ूबसूरत है ! <br />एक अच्छी ग़ज़ल के लिये इन्हें बहुत बधाई !<br /><br />आ. लवण्या दी के द्वारा लिखी कविता वाह वाह कहने का मन हो उठता है !"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-81684290066660193542012-08-06T16:39:55.211+05:302012-08-06T16:39:55.211+05:30धर्मेन्द्र जी की बात पर पूर्ण सहमत !धर्मेन्द्र जी की बात पर पूर्ण सहमत !"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-14825421582645922542012-08-06T14:21:44.636+05:302012-08-06T14:21:44.636+05:30तरही का समापन संचालक जी की ग़ज़ल के बिना कैसे हो सकत...तरही का समापन संचालक जी की ग़ज़ल के बिना कैसे हो सकता है। ऐसा करने के कुछ विशेष कारण भी हैं जो नीचे दिए गए हैं।<br />१. विषय तो देखिए<br />२. मौसम तो देखिए<br />३. नवयुगल को आशीर्वाद स्वरूप एक ग़ज़ल तो होनी ही चाहिए<br /><br />मैं संचालक महोदय को सादर आमंत्रित कर रहा हूँ। उम्मीद है कि आप सब मेरा साथ देंगे।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-35276642351019197862012-08-06T14:16:18.815+05:302012-08-06T14:16:18.815+05:30बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है अश्विनी जी ने। लावण्या ...बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है अश्विनी जी ने। लावण्या जी की रचना भी शानदार है। दोनों रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-64366752496328995332012-08-06T13:31:31.580+05:302012-08-06T13:31:31.580+05:30जैसे भी हो जीवन रसमय बना रहे. तरही का हम स्वागत क...जैसे भी हो जीवन रसमय बना रहे. तरही का हम स्वागत करते हैं, निभाते हैं और विदा लेते हैं. <br />प्रीत किसको नहीं बांधती है प्रिये... श्री अश्विनी रमेश जी की पंक्तियाँ इसकी पुष्टि कर रहे हैं. <br /><br />आदरणीया लावण्या जी के गीत में शब्द सुन्दरता के साथ प्रेम आग्रह और अन्य दृश्य हैं. <br />--Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-83970036272096030442012-08-06T12:49:12.262+05:302012-08-06T12:49:12.262+05:30बहुत आनंद आया
--- शायद आपको पसंद आये ---
1. ब्लॉग...बहुत आनंद आया<br /><br />--- शायद आपको पसंद आये ---<br />1. <a href="http://techprevue.blogspot.com/2012/08/LinkWithin-advance-installation.html" rel="nofollow">ब्लॉगर में LinkWithin का Advance Installation</a><br />2. <a href="http://ghazalen.blogspot.com/2012/08/aisaa-bhii-hotaa-hai.html" rel="nofollow">मुहब्बत में तेरे ग़म की क़सम ऐसा भी होता है</a><br />3. <a href="http://vinayprajapati.wordpress.com/" rel="nofollow">तख़लीक़-ए-नज़र</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42985365237199545412012-08-06T12:41:51.052+05:302012-08-06T12:41:51.052+05:30द्वार पर अल्पना सजाये प्रतीक्षारत ऑंखों में मिलन ...द्वार पर अल्पना सजाये प्रतीक्षारत ऑंखों में मिलन के सपने लिये आरंभ हुई रमेश जी की ग़ज़ल आखिर शेर तक पहुँचते-पहुँचते दार्शनिक हो उठी। बधाई।<br />लावण्या शाह जी के गीत की प्रतीक्षा थी। यहॉं अल्पना सजा कर निमंत्रण से प्रारंभ होता हुआ गीत मनमोहक दृश्य खींचता हुआ उपयुक्त गृह स्थिति का संदेश देकर आमंत्रित करता हुआ स्वागत में खड़ा है। बधाई।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.com