tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post4189586429082811838..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: प्यार के दो बोल सुनकर वो तेरा हो जायेगा, फिर भी इन्सां है किसी दिन वो जुदा हो जायेगा, नेकदिल है वो भला है हुक्मरां पर है नया, इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जायेगापंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-78682495817710542362008-09-22T16:28:00.000+05:302008-09-22T16:28:00.000+05:30Gautam ji ko badhai...homework note kar liyaGautam ji ko badhai...homework note kar liyaकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-53397088552345948672008-09-21T22:23:00.000+05:302008-09-21T22:23:00.000+05:30पुनश्चः- गुरूजी दोष का निवारण तो बता देते.और एक और...पुनश्चः- गुरूजी दोष का निवारण तो बता देते.और एक और सवाल कि मुतदारिक बहर मे २१२ के साथ २२२ जोड़ा जा सकता है क्या?गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-993260294732222152008-09-21T22:17:00.000+05:302008-09-21T22:17:00.000+05:30...हे ईश्वर.मुझे तो सहज ही विश्वास नहीं हो रहा इतन......हे ईश्वर.मुझे तो सहज ही विश्वास नहीं हो रहा इतने दिग्गजों के बीच मेरा ये अदना सा शेर .<BR/>कंचन जी का "हर नफ़स रोशन किये..." और रविकांत जी का "सर हथेली पे रखा है..." और वीनस का लाजवाब शेर "आज मैने मय के प्याले..." इन सबके समक्ष हमारे शेर की तो बिसात ही क्या.नीरज जी के तो अभी हम चरण-धूल तक नहीं पहुँचे तो टिप्पणी क्या करूँ...<BR/>बस आप्का आशिर्वाद बना रहे गुरूदेव.<BR/>और इस बार के होमवर्क का रदीफ़ इतना मुश्किल दे दिया है आपने कि निर्वाहन में तो....<BR/>करते हैं कोशिश..<BR/>एक सवाल था गुरूजी,आपकी पुरानी कक्षायें देख रहा था.आपने बस चार रुक्कनों के बारे में बताया है.यानि कि हम एक मिश्रे में अधिक-से-अधिक चार रुउक्कन ही रख सकते हैं?गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-19105171134411605602008-09-21T01:09:00.000+05:302008-09-21T01:09:00.000+05:30गुरु जी प्रणाम आपने हमारी बात को ध्यान रखते हुए टे...गुरु जी प्रणाम <BR/>आपने हमारी बात को ध्यान रखते हुए टेस्ट लिया इसके लिए कोटि कोटि धन्यवाद <BR/>हम तो ग़ज़ल भेजे थे की सीखने की एक प्रक्रिया है <BR/>हमको न पता था की परिणाम भी घोषित होंगे <BR/>मगर फ़िर भी परिणाम के प्रति उत्सुक थे <BR/>सरताज शेर पढ़ कर लगा की वाकई गौतम जी का ये शेर तो सरताज है <BR/>आगे बढे तो परिणाम तो कही दिखा ही नही <BR/>जैसे की आपने लिखा है <BR/>(तो पहले तरही मुशायरे का सरताज शेर है)<BR/>इससे लगा की ये तो परिणाम का एक अंश है <BR/>मगर आगे तो कुछ था ही नही <BR/>हमने तो सोंचा था की हमारे दोष पूर्ण शेर के लिए कोई कमेन्ट होगा या कोई हिदायद या शेर को सही करने का तरीका या शेर को ग़ज़ल से दूर करने की हिदायद<BR/>नीरज जी की बात पर भी ध्यान दीजिये<BR/><BR/><BR/>होम वर्क नोट कर लिए हैं जल्दी ही पूरा करके भेजते है <BR/><BR/>कहने को बहुत कुछ है कम लिखा ज्यादा समझियेगा <BR/><BR/>वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-69530111360940475702008-09-20T17:42:00.000+05:302008-09-20T17:42:00.000+05:30आह्हा!! आनन्दम-अति आनन्दम!! बहुत गजब रहा..सभी को ब...आह्हा!! आनन्दम-अति आनन्दम!! बहुत गजब रहा..सभी को बधाई और गौतम जी को दो बार. :) माड़स्साब को तीन बार!!! :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65968359818708996032008-09-20T17:12:00.000+05:302008-09-20T17:12:00.000+05:30अद्भुत..मुर्दा होते संस्कारों को पुनर्जीवन दे रहे ...अद्भुत..<BR/>मुर्दा होते संस्कारों को पुनर्जीवन दे रहे हैं आप.<BR/>बधाई सुबीर जी..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55411254585741746002008-09-20T13:44:00.000+05:302008-09-20T13:44:00.000+05:30मजेदार! गौतम जी बधाईयाँ। ऐसे ही सुन्दर-सुन्दर शेर ...मजेदार! गौतम जी बधाईयाँ। ऐसे ही सुन्दर-सुन्दर शेर और सुनने की उम्मीद बढ़ गई है आपसे। नीरज जी की बात पर गुरूदेव ध्यान दें। जो कमी रह गई है गौतम जी के शेर में उसे बता दें तो हमारे सीखने की प्रक्रिया उत्तरोत्तर बढ़ती रहे।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-61726384635363344582008-09-20T10:11:00.000+05:302008-09-20T10:11:00.000+05:30गुरूजीआप ने जिस शेर को सरताज के खिताब से नवाजा है ...गुरूजी<BR/>आप ने जिस शेर को सरताज के खिताब से नवाजा है वो यकीनन इस लायक है...आप की पारखी नज़र को सलाम बजा लाता हूँ...अगर आप जो दोष बता रहे हैं उस शेर में, उसका भी खुलासा कर देते तो हम जैसे रंगरूटों पर रहम होता.<BR/>बहुत खुशी होती है जब वीनस जी, गौतम जी और रविकांत जैसे युवाओं को बेमिसाल शेर कहते देखता हूँ...ये नई पौध है मुरझाये नहीं और इनमें खूबसूरत फूल खिले ये देखने की जिम्मेवारी हम सब की है.<BR/>नीरज <BR/>पुनश्च: खाकसार के नाम के आगे ग़ज़ल सम्राट लिखना "टाट पर मखमल का पैबंद " लगाने जैसा है.नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-84603191065445480072008-09-20T10:05:00.000+05:302008-09-20T10:05:00.000+05:30शानदार...शानदार...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.com