tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post3585638398291405448..comments2024-03-08T17:02:04.713+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: रात भर आवाज़ देता है कोई उस पार से । स्व. ओम व्यास स्मृति तरही मुशायरे में आज सुनिये दो युवाओं को अंकित सफर को और प्रकाश अर्श को ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-87863701419663707292011-03-01T10:30:29.114+05:302011-03-01T10:30:29.114+05:30और हां एक चीज और कि जैसा कहा गया है कि सूद मूल से ...और हां एक चीज और कि जैसा कहा गया है कि सूद मूल से जियादा प्यारा होता है उसी तर्जूमे पर जिस इन्टेंसिटी के शानदार कमेंट गिरे है वो बेहद बेशकीमती है...............किसिम-किसिम के...............अच्छा लगा यहां टहलकर...........साधुवादMeet.....https://www.blogger.com/profile/06794152669587124744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-32568415579373786232011-03-01T10:27:06.127+05:302011-03-01T10:27:06.127+05:30Being Very Formal
ह्दय की अंतरतम गहराइयों से उद्ग...Being Very Formal<br /><br />ह्दय की अंतरतम गहराइयों से उद्गार व्यक्त कर रहां हूं कि<br /><br />करेजा जूडा गईल...........Meet.....https://www.blogger.com/profile/06794152669587124744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-28827152686609325492009-09-11T16:37:29.899+05:302009-09-11T16:37:29.899+05:30बहुतही देरीसे लिख रहा हूं, लेकिन इतनी सारी टिप्पणि...बहुतही देरीसे लिख रहा हूं, लेकिन इतनी सारी टिप्पणियां पढके रहा नही गया...<br /><br />मैं मराठी हूं और बहरोंके बारेमें पढनेको बहुत मजा आ रहा है ।<br /><br />ऐसा लगता है कि बहर की संकल्पना संस्कृत-वृत्त के समकक्ष है ।<br /><br />यह 'नमामी शमीशान...' तो बहुतही परिचित 'भुजंगप्रयात-वृत्त' है !<br />शंकराचार्यजी की एक रचना जो 'पांडुरंगाष्टक' के नामसे मुझे याद आती है ।<br />-- "परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ।"<br /><br />और एक गजल भी याद आई -<br /><br />तेरी बेरुखी और तेरी मेहेरबानी<br />येही मौत है और येही जिंदगानी<br />..<br />(कवि का नाम पता नही । :( )<br /><br />और जो सबसे पहले याद आया वो कुछ ऐसा था-<br /><br />बळें आगळा राम कोदंडधारी ।<br />महाकाळ विक्राळ तोही थरारी ॥<br />पुढें मानवा किंकरा कोण केवा ।<br />प्रभाते मनीं राम चिंतीत जावा ॥<br />--<br />शार्दूल व्यासShardulhttps://www.blogger.com/profile/02205190778239719943noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-76138946703585680452009-07-24T12:39:56.113+05:302009-07-24T12:39:56.113+05:30प्रणाम गुरु जी,
गुरु जी अब तो अर्श जी ने भी शादी क...प्रणाम गुरु जी,<br />गुरु जी अब तो अर्श जी ने भी शादी की अर्जी दे दी है.......चलिए अब आपका ध्यान मुझसे थोडा तो हटेगा.<br />अर्श जी की ग़ज़ल के क्या कहने, शुरुआत से ही यानी मतले से समां बाँध दिया है. और शेर तो लाजवाब बन पड़े हैं. मेरी तरफ से लाखों बधाइयाँ अर्श जी को. <br />आपके द्वारा की गयी हौसलाफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया, ये जो लफ्जों को पिरो पाया हूँ ये आपके दिए हुए मिसरे का जादू है, जिससे शेर खुदबखुद बनते चले गए.<br />प्राण जी को बातों को मैंने गाँठ बांध के रख लिया है और आगे से पूरी कोशिश करूँगा की कहन में गलती ना के बराबर हो.<br />सभी की शुभकामनाओं और आर्शीवाद के लिए धन्यवाद.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48304050828213104702009-07-21T02:03:17.293+05:302009-07-21T02:03:17.293+05:30नीरज जी के कथन से साहमात हूँ.
अंकित और अर्श दोनों ...नीरज जी के कथन से साहमात हूँ.<br />अंकित और अर्श दोनों ने ही कमाल किया है...इस उम्र में ये हाल है तो आगे चल कर क्या होगा...समझन मुश्किल नहीं...शायरी का भविष्य उज्जवल है...बशर्ते शादी के बाद ये लोग नून तेल लकडी के चक्कर में अपनी प्रतिभा खो न दें तो.<br /><br />बंद कर दें वार करना अब ज़ुबाँ की धार से <br />दोस्ती की आओ सीखें हम अदा गुल-ख़ार से <br /><br />अपनी मर्ज़ी से कहाँ कोई है टूटा आज तक<br />होता है लाचार आदम बेबसी की मार से<br /><br />बोझ उठाकर झुक गया है अब वो बूढ़ा पेड़ भी <br />रखते हैं उम्मीद कितनी बूढ़े़ उस आधार से<br /><br />नज़रे-आतिश बस्तियों में कोहरा है छा गया<br />सॉफ कुछ शायद दिखेगा धुंध के उस पार से<br /><br />मन की भाषा बोलके-सुनके बिताई उम्र यूँ<br />याद अमल का पाठ कर लें आओ गीता-सार से<br /><br />क्या है लेना क्या है देना दर्द से किसको भला <br />कर लिया ग़म से निबह भी दर्द के इसरार से<br /><br />बेख़बर खुद से सभी हैं, कौन किसकी ले खबर<br />सुर्ख़ियों की शोखियां झाँकें हैं हर अख़बार से<br />देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48786085663422981882009-07-16T01:03:44.058+05:302009-07-16T01:03:44.058+05:30@अंकित भाई
आपके मतले में मुझे सोचने पर मजबूर कर द...@अंकित भाई<br /><br />आपके मतले में मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है वास्तव में बात यह है की मैंने जो गजल भेजी है मुशायरे के लिए, वो बहुत निगेटिव है मैं वैसा लिखता नहीं मगर जाने किस रौ में लिख कर भेजी है आज जब आपकी गजल पढ़ रहा हूँ तो अपने ऊपर ग्लानि हो रही है <br /><br />या तो वादा न करो....... <br />इस शेर की तो जितनी दाद दी जाये कम है ..सुभानाल्लाह <br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-88780438215571626662009-07-16T00:56:35.493+05:302009-07-16T00:56:35.493+05:30@अर्श
आपकी इस गजल के हर शेर ने एक अलग अहसाह को ज...@अर्श <br /><br />आपकी इस गजल के हर शेर ने एक अलग अहसाह को जन्म दिया <br /><br />ज़िंदगी भर पाला पोसा जिसको इतने प्यार से<br />कर दिया बूढा बता के बेदखल घर बार से ॥<br />(इस शेर ने एक बूढी औरत की याद दिलाई जिसके तीन बेटों ने उसको घर से निकाल दिया था )<br /><br /><br />रतजगों का सुर्ख आंखों का सबब बतलायें क्या<br />रात भर आवाज देता है कोई उस पार से ॥<br />(जब मैहर माँ दर्शन करने जाता हूँ तो रात भर जाग कर आँखे सुर्ख हो जाती है और माँ पहाडी के उस पार से बुलाती रहती हैं वो सफ़र याद आया इस शेर से) <br /><br />इश्क के दरिया को सोचा पार कर लूँ डूब के<br />डर गया ग़ालिब के कहने भर इसी मझधार से ॥<br />(कितनी बार लड़कियों से दोस्ती हुई और हर बार मैं इस दोस्ती को आगे बढ़ने से डर कर भगोड़ा बना :) इस शेर ने अहसास करवाया )<br /><br />मेरी धड़कन, मेरी साँसे, मेरी ये तश्नालाबी<br />अब तलक भी दूर है बस एक निगाहे यार से ॥<br />(मेरा अब तक का पूरा जीवन ही इस शेर का तलबगार है )<br /><br />वो मेरे कहने पे देखो आगया था बाम पर<br />है ख़बर उसको भी मैं जिन्दा हूँ दीदार से ॥<br />{काश मेरे साथ भी ऐसा होता :)}<br /><br />वो जवानी भूल बैठा चौकसी सीमा पे कर<br />और हम सोते रहे निर्भय किसी भी वार से ॥<br />(इस शेर को पढ़ते ही तुंरत गौतम साहब की याद आई )<br /><br />चीखती है अस्मतें और चुप है सारी गोलियां<br />जनपदों में दर्ज शिकवे रहते है बेकार से ॥<br />(सरकार का निकम्मापन और हो रहे अत्याचार की सजग दास्ताँ )<br /><br />अर्श कातिल कर रहा है मुन्सफी ख़ुद कत्ल का<br />फैसला पढ़ लेना ये तुम भी किसी अखबार से ॥<br />(देश दुनिया में इसके सिवा क्या हो रहा है )<br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-39821721519858325982009-07-16T00:56:00.269+05:302009-07-16T00:56:00.269+05:30गुरु जी प्रणाम
पोस्ट कल ही पढ़ ली ठ कमेन्ट आज कर ...गुरु जी प्रणाम <br />पोस्ट कल ही पढ़ ली ठ कमेन्ट आज कर रहा हूँ <br />सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा..... इस गजल को सुना कर आपने मुझ पर अहसान किया ये मेरी आल टाइम फेवरेट है <br /><br />और तो कई उदहरण दिए जा चुके हैं मगर आपने और नीरज जी ने जो जुगलबंदी की है उस बहर का उदाहरण अब तक शायद किसी ने नहीं दिया है <br />२१२२, २१२२, २१२ <br />इस बहर की एक गजल जो मुझे बहुत पसंद है <br /><br />दिल के अरमाँ, आसुओ में, बह गए <br />हम वफ़ा कर, के भी तनहा, रह गए <br /><br />शायद उनका, आख़री हो, ये सितम <br />हर सितम ये, सोच कर हम, सह गए <br /><br />शिव तांडव और नमामी शमीशान के विषय में कोई जानकारी नहीं है, न मैं मंदिर जाता हूँ न ही पूजा पाठ से कोई लगाव है (आप मुझे थोडा बहुत नास्तिक भी कह सकते है)<br /><br />बुलेट तो शानदार लोगों की शानदार सवारी है आज भी जिधर से गुजर जाये लोग पलट कर देखते है <br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-16091403072455471172009-07-15T18:45:23.196+05:302009-07-15T18:45:23.196+05:30अंकित, प्रकाश, सुन्दर ग़ज़लें--
अंकित --''...अंकित, प्रकाश, सुन्दर ग़ज़लें--<br />अंकित --''एक नई उम्मीद ले के और ''भीग सारे ही गए बहुत खूब.<br />प्रकाश --''जिंदगी भर पला पोसा और ''वो जवानी भूल बैठा बहुत भाये.<br />दोनों रचनाएँ अपने -आप में उत्तम हैं पर कुछ शेर भीतर कहीं कुछ हलचल मचा जाते हैं.<br />दोनों को बधाई!Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-67614429284707221622009-07-15T16:40:21.096+05:302009-07-15T16:40:21.096+05:30DEKH AUR PADHKAR ACHCHHA LAGTA HAI
KI NAYE-NAYE GA...DEKH AUR PADHKAR ACHCHHA LAGTA HAI<br />KI NAYE-NAYE GAZALKAAR SAAMNE AA<br />RAHE HAIN AUR ACHCHHEE GAZALEN KAH<br />RAHE HAIN.JANAAB ANKIT AUR JANAAB<br />ARSH KEE GAZALEN KHOOB HAIN.UNMEIN<br />" FRESHNESS " HAI.<br /> EK SALAAH DENAA CHAHUNGAA.BURA<br />NAHIN MAANEN AAP.ZARAA BHASHA PAR<br />BHEE DHYAAN DEN.GAZAL SAAF-SUTHREE<br />BHASHA KEE BHEE MAANG KARTEE HAI.<br />MISAAL KE TAUR PAR JANAAB ANKIT KE<br />DO MISRE HAIN---<br />BAS YAHEE HOON CHAAHTA<br />MAIN HIND KEE SARKAAR SE<br /> ----------<br />CHAHTAA PAANAA HAI SAB KUCHH<br />TOO BADEE RAFTAAR SE<br /> AGAR YE DONO MISRE YUN KAHE<br />JAATE TO UNMEIN AUR NIKHAAR AATAA--<br /><br />BAS YEHEE MAIN CHAAHTA HOON<br />HIND KEE SARKAAR SE<br /> --------------<br />CHAAHTA HAI PAANAA SAB KUCHH <br />TOO BADEE RAFTAAR SE<br /> MAIN SHREE SUBEER JEE KO BADHAAEE DETA HOON KI VE NAYE-NAYE<br />GAZALKAARON KO APNE BLOG PAR APNA-<br />APNA JOHAR DIKHAANE KAA SUNEHRA<br />AVSAR DETE HAIN.KHOOB,BAHUT KHOOB.<br /><br /><br /><br />MAIN HIND KEE SARKAR SE<br /> ------------<br />CHAAHTA PAANAA HAI SAB KUCHH<br />TOO BADEE RAFTAAR SE<br /> AGARpran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14595198332257086105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-47984104283094149902009-07-15T09:29:02.442+05:302009-07-15T09:29:02.442+05:30अंकित और अर्श दोनों ने कमाल के शेर कहे है...अंकित ...अंकित और अर्श दोनों ने कमाल के शेर कहे है...अंकित का मतला और "भीग सारे गये..." वाला मुझे बेहतरीन लगा।<br />और अर्श का तो हर शेर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरा कातिल वाला, ग़ालिब वाला, बाम वाला- सब के सब दिलक्श। अहा!<br />बुलेट वाली तस्वीर तो हाय रेsssss....हम भे बुलेट फैन हैं गुरूदेव..<br /><br />शिव तांदव स्त्रोत एक बचपन से रोज पाठ करता आ रहा हूँ...अब तो कंठाग्र है। आप यकीन नहीं करेंगे, मेरी बहन की बेटी जो महज सात साल की मेरे संग सुर में सुर मिला कर इस जटाटवीगलजल को गाती है।<br />रवि भाई ने नमामी शमीशान ने कुछ अच्छे उदाहरण निकाले। एक-दो जो मुझे याद आ रहे हैं<br />१. ये दिल और उनकी निगाहों के साये<br />२. मेरा प्यार वो है कि मरकर भी तुझको जुदा अपनी बाँहों से होने न देगा<br />३. ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनिया<br />ये इसां के दुश्मन समाजों की दुनिया...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-39462377516046154992009-07-15T00:11:40.548+05:302009-07-15T00:11:40.548+05:30अंकित सफ़र और अर्श भाई दोनों ने जो लिखा है पढ़ कर आ...अंकित सफ़र और अर्श भाई दोनों ने जो लिखा है पढ़ कर आनंद आगया.हर मिसरे को पढ़ कर बार बार पढने को जी चाहा है.और अंदाज तो गजब ढा रहा है.<br />बात jisne भी कही ये khoob ही उसने कही.<br />हो किसी को jeetna तो jeet लेना प्यार से<br />अंकित भाई क्या khoob कहा है और कितने sarl shbdon में कहा है.<br />और अर्श भाई apki gajal से मन के taar बज रहे है.<br />मुझे तो सारे sher pasand है....<br />पर सबसे achchha तो ये लगा<br />ishk के dariya को सोचा paar कर loon ddob के <br />दर गया galib के kahne पर इसी majhdhaar से <br /><br />gurudev <br />आपकी kripa से कितनी sundar rachnaaon से roobaroo हो रहे है.<br />indic transliteration काम नहीं कर रहा है isliye thodi सी roman हिंदी aarahi है.प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8659512459172429402009-07-14T21:56:12.226+05:302009-07-14T21:56:12.226+05:30लता जी के स्वर में एक और-
यूं ही दिल ने चाहा थ रो...लता जी के स्वर में एक और-<br /> यूं ही दिल ने चाहा थ रोना-रुलाना<br /> तेरी याद तो बन गई इक बहानारविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-11352689346013701772009-07-14T21:44:55.301+05:302009-07-14T21:44:55.301+05:30गुरूजी, उस समय दरअसल याद नहीं आ रहा था तो गाने का ...गुरूजी, उस समय दरअसल याद नहीं आ रहा था तो गाने का उदाहरण ये रहा-<br /><br />सबसे पहले तो जिस बहर पर आपने नीरज के साथ युगलबंदी की है-<br />२१२२ २१२२ २१२<br />दिल के अरमां आंसूओं में बह गये<br />हम वफ़ा करके भी तन्हा रह गये<br /><br />अब आते है दूसरी बहर पर-<br />१२२ १२२ १२२ १२२<br />१.अगर तेरी जलवा नुमाई न होती<br /> खुदा की कसम ये खुदाई न होती<br /><br />२. वो जब याद आये बहुत याद आये<br /> गमे जिंदगी के अंधेरे में हमने<br /> चरागे मुहब्बत जलाये बुझाये<br /><br />३. इशारों इशारों में दिल लेने वाले<br /> बता ये हुनर तुमने सीखा कहां सेरविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-51763497109961785402009-07-14T21:00:40.172+05:302009-07-14T21:00:40.172+05:30आदरणीय गुरु देव सादर प्रणाम,
ब्यास जी के चले जाने...आदरणीय गुरु देव सादर प्रणाम,<br /><br />ब्यास जी के चले जाने से मन वाकई आहात और ब्यथित है मगर तरही को उनके नाम करके जो समर्पण आपने दिखया है उसे सर माथे पे .... <br /><br />मेरे हमनाम गुरु भाई का नाम पाखी है ... ये जानकार सुखद अनुभूति हो रही है ,.. बहोत ही प्यारा नाम है ... बहोत ही खुबसूरत...<br /><br />सर झुकवोगे तो पत्थर देवता हो जायेगा... <br />जगजीत सिंह जी के मखमली आवाज़ में क्या खूब लग रही है ... वाह शाम की पूरी मजा ले रहा हूँ....<br /><br />और मासूम से अंकित के क्या कहने क्या खूब शे'र कहे है उसने..<br />ग़ज़ल का मतला तो बेहद खुबसूरत है और मिसरे पे जो गिरह बाँधी है वो अपने आप में कबीले तारीफ़ है दिल से लाखो बधाईयाँ और दुयाएँ इस मासूम गज़लकार के लिए .....<br /><br />आप अंकित के साथ मेरे लिए भी थोडी सी चिंता करलो गुरु देव हा हा हा हा ... क्या पता ढाई साल में बहोत देर हो जाये.... हा हा हा <br /><br />वाकई जो जानकारियाँ आपने दी है वो अपने साथ आत्मसात करने के लिए जरुरी है हम जैसे सिखने वालों के लिए ....<br /><br />नमामी शमीशान निर्वाण रूपं ..<br />१२२ , १२२ , १२२, १२२ <br /><br />१. अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो ,<br /> हमें साथ लेलो जहां जा रहे हो..<br /><br />२. एक और सोंग है बारिश का चांदनी फिल्म का ... अभी एकाएक यद् नहीं आरहा है ... <br /><br />और गुरु देव आपके अंदाज बुल्लेट पे उफ्फ्फ्फ़ कातिलाना है क्या स्टाइल है और आश्चर्य की और बातें है मगर वो आखिर में इस तरह हो जाती है रूठने के बाद मुझे भी पता चल रहा है ....<br />जहां तक श्रधेय नीरज की बात है तो उस्ताद गज़लकार है गुरु देव मेरी तुलना उनसे बिलकुल ना की जाये वो कहाँ और मैं कहाँ ... ऐसा पाप ना करे गुरु देव .... वो तो आदरणीय हैं मेरे लिए, अगर मैं एक प्रतिशत भी नीरज जी की तरह ग़ज़ल कह पाऊं तो मेरे जीवन सार्थक जो जायेगा.. ... और ये उपमा के पाकेट संस्करण है नया है मेरे लिए सुनना हा हा हा ..<br /><br />बहन कंचन ने जो बात कही है कुछ तो ठीक है मगर कुछ... गुरु देव अगर बड़ी बहन कुछ चीज देने में ना कहेगी तो कोई भी बच्चा जिद तो करेगा ही ,... अब उस दिन ही जब आप उनसे मिठाई मांगे उनके हासिल मुशायरा शे'र पे तो मैंने बस इतना ही कहा के मुझे मिठाई तो चाहिए मगर काजू की बर्फी चाहिए मुझे मिठाई में .. उन्होंने आपको तो दी मगर मुझे नहीं दी ... तो इसमें तो गुरु देव कोई भी संकोची प्राणी जिद करेगा ही .... आप खुद उनसे पूछे की उन्होंने आपके सामने मुझे मिठाई कुन नहीं दी.... हा हा हा ...<br /><br />आप सभी ने मेरी ग़ज़ल को पसंद किया और सराहा उसके लिए दिल से आभार इसी तरह से सभी का प्यार और आर्शीवाद बना रहे ता-उम्र ही उम्मीद और गुजारिश करूँगा....<br /><br />आप सभी का <br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-30945388539573831122009-07-14T18:59:07.708+05:302009-07-14T18:59:07.708+05:30बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.बहुत शुभकामनाएं. <br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23936286720993508342009-07-14T18:21:47.543+05:302009-07-14T18:21:47.543+05:30अरे वाह, मजा आ गया।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secre...अरे वाह, मजा आ गया।<br /><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37760453469666412042009-07-14T17:53:34.220+05:302009-07-14T17:53:34.220+05:30अंकित और अर्श को पढ़वा कर आपने तो आज का दिन बनवा दि...अंकित और अर्श को पढ़वा कर आपने तो आज का दिन बनवा दिया. बेहतरीन गज़ल कही है दोनों ने. बहुत आभार आपका.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37076537269208601812009-07-14T15:26:47.773+05:302009-07-14T15:26:47.773+05:30सचमुच इन्हें पढ़ यही लगता है की अभी ये ऐसा लिख रहे ...सचमुच इन्हें पढ़ यही लगता है की अभी ये ऐसा लिख रहे हैं तो आगे क्या कमाल करेंगे....ईश्वर इनके जोरे कलम को हमेशा बुलंद रखें...लाजवाब लिखा है इन्होने...हर शेर पढ़ मुंह से अपने आप वाह !! निकलता जा रहा था और कई कई बार पढ़ उस रस में डूबे रहने को मन बाध्य कर रहा था...<br /><br />आपलोगों की जुगलबंदी देखी.......कमाल का तालमेल है आप दोनों में...यदि बताया न जाता तो किसी हालत में पता न चलता की यह दो लोगों का संयुक्त प्रयास है...<br /><br />तरही मुशायरे का स्तर इतना ऊंचा है की क्या कहूँ.....इसे ऐसे ही जारी रखें.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-39787701693615980902009-07-14T14:52:50.784+05:302009-07-14T14:52:50.784+05:30सुबीर जी आपके बोये बीज अब देखिये किस तरह अपकी फुल्...सुबीर जी आपके बोये बीज अब देखिये किस तरह अपकी फुल्वारी को महका रहे हैं अँकित भी बहुत अच्छा लिखते है और अर्श के बारे मे कंचन जी ने बिलकुल सही कहा है इसकी चुप्पी अपके प्रति सम्मान है इसकी शायरी ही बहुत कुछ ब्यां करती है अब आप भी इसे कहिये कि जो उस पार से आवाज़ देता है उसे सुन ले ैसकी ये गज़ल मैने नहीं पढी थी इस लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद नीरज जी की गज़लें तो हर हाल मे लाजवाब हैं आपकी ये पोस्ट सहेज ली है बहुत बहुत धन्यवाद््लाजवाब हैंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55221497377201592432009-07-14T14:45:43.090+05:302009-07-14T14:45:43.090+05:30इस बार तो कमाल की ग़ज़लें लिखी हैं दोनो युवा तुर्क...इस बार तो कमाल की ग़ज़लें लिखी हैं दोनो युवा तुर्कों ने............. दिल में आशा जैसे कूट कूट कर भारी हुई है ........ आज के युवा पॉज़िटिव सोच के होंगे तो देश का भविष्य भी उन्नत होगा ....... और उमीद की शुरुआत इन ग़ज़लों को पढ़ कर मिल रही है........कुछ न कुछ मैं सीखता हूँ अपनी हर इक हार से....... लाजवाब है......और अर्श जी की तारीफ़ तो हमेशा बहूत से ब्लॉग्स पर सुनता रहता हूँ...... अगली बार देहली जाने पर उनसे मिलना ही पढ़ेगा...... उनके भी सारे शेर लाजवाब बन पढ़े हैं.......... बाकी जो कुछ कसर बाकी रह जाती है वो आप पूरी कर देते हैं............ ये मुशायरा लाजवाब तरीके से आगे बढ़ रहा है.........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-9684362790633035382009-07-14T14:43:11.737+05:302009-07-14T14:43:11.737+05:30बशीर जी की तबीयत खराब चल रही है ये जान कर अचानक अच...बशीर जी की तबीयत खराब चल रही है ये जान कर अचानक अच्छा नही लगा। ये गज़ल और खासकर इसका मतला मुझे बेहद पसंद है..शायद जिंदगी का बहुत बड़ा फलसफा कहता है ये।<br /><br />अंकित जी और प्रकाश दोनो ने ही बेहतरीन शेर निकाले है। अंकित जी का तो हर शेर खुद में सवासेर है..! बधाई बधाई<br /><br />और अर्श अच्छा सीख रहा है। धीरे धीरे मगर स्थिर प्रगति हैं उसमें। और एक बात का ज़िक्र कर दूँ। कि ये जो बात बार बार कही जाती है कि ये बहुत गंभीर है, इसमें मुझे थोड़ा संशय है। हाँ ये हो सकता है कि यदि आपकी भी कोई बड़ी बहन होगी तो आप को भी पता होगा कि ये लड़के माँ और बड़ी बहनो से अधिक खुलते हैं। पिता और अग्रज के सामने अच्छे बच्चे बन जाते हैं। शायद इसी मनोविज्ञान के अंतर्गत मुझ से तो हमेशा ये जिद करता रहता है, बच्चों की तरह आप लोगो के सामने चुप। तो बता दूँ इसके भोले चेहरे पर मत जाइये। मुझ से इस बच्चे की शेतानियाँ :):) आजकल मैं भी लगी हुई हूँ एख सुघड़ बहू ढूँढ़ने में इसके लिये। आशीष..!<br /><br />शिवतांडव लगभग ५ साल तक मेरी रोज की पूजा का हिस्सा हुआ करता था। कुछ भावनात्मक कारणों से अब नही गाती। मगर जब गाती थी तब भी रविकांत जी की ही तरह जयशंकर प्रसाद जी की कविता याद आती थी। सबसे पहले इसे टी०वी० सीरियल रामायण में सुना था और तभी से पसंद आने लगा था। फिर घर में पंडित जी एक कोई विशेष पूजा करते थे तो उन्होने बताया कि रावण की लय वीर रस में थी और घरों में वो जो करते हैं वो थोड़ी कोमल लय होती है, ये बात अच्छी लगी और इसे मैं रोज अपनी आराधना में गाने लगी।<br /><br />ये रामायण में उद्धृत नमामीशमीशान निर्वाणरूपं से बी मैं भावनात्मक रूप से ही जुड़ी हूँ और ये तो अभी भी मेरी रोज की पूजा का हिस्सा है। अगर मन से गा दूँ तो अब भी आँसू निकल आते हैं। गुरू और शिष्य के अद्भुत प्रेम का उदाहरण है ये भी।<br /><br />आज की तरही में प्रैक्टिकल क्लास भी हो गई। इसी बहाने मैने पिछली सारे नोट्स दुहराये। मगर बहर का नाम नही समझ नही आया ये पता है कि ये सालिम बहर है ४ रुक्न होने के कारण मुसमन और फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन इस पर एक फिल्मी कव्वाली है<br /> <b>ये माना मेरी जाँ, मुहब्बत सज़ा है, <br />मजा इसमें इतना मगर किसलिये है। </b>कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23512664548675182472009-07-14T14:39:41.007+05:302009-07-14T14:39:41.007+05:30रविकांत आपने छंद तो पकड़ लिया और बहर भी निकाल ही ल...रविकांत आपने छंद तो पकड़ लिया और बहर भी निकाल ही ली । किन्तु मैंने हिंदी का कोई लोकप्रिय गीत जो बहुत लोकप्रिय गीत हो वो देने को कहा है आपने जो ग़ज़लें दी हैं वो लोकप्रिय नहीं है इसलिये लोग समझ नहीं पायेंगें । कुछ ढ़ढिये न लता मंगेशकर जी और मधुबाला जी का काम्बिनेशन । या याद न आये तो सुनील दत्त जी की फिल्म में लता जी का वो गीत याद करें । क्या कहा फिल्म का नाम ... शायद प्रेमचंद जी की किसी पुस्तक का नाम है ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-38154638505631950042009-07-14T13:52:41.191+05:302009-07-14T13:52:41.191+05:30अरे मैं भूल ही गया ये उदाहरण देना-
122 122 122 12...अरे मैं भूल ही गया ये उदाहरण देना-<br /><br />122 122 122 122<br />ये दौरे मसर्रत ये तेवर तुम्हारे<br />उभरने से पहले न डूबें सितारे<br />सफ़ीने वहां डूबकर ही रहे हैं<br />जहां हैसले नाखुदाओं ने हारे<br />भंवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो<br />कहां तक चलोगे किनारे-किनारे<br />अजब चीज है ये मुहब्बत की बाजी<br />जो हारे वो जीते जो जीते वो हारेरविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-52349426380885781842009-07-14T13:21:30.319+05:302009-07-14T13:21:30.319+05:30गुरूदेव,ये पोस्ट तो सहेज कर रखे जाने योग्य है। अंक...गुरूदेव,ये पोस्ट तो सहेज कर रखे जाने योग्य है। अंकित और अर्श जी की गज़लें और आपका विश्लेषण बहर के बारे में, सब कुछ तो लाजवाब है। खासकर दोनों ने सुंदर गिरह बांधी है। और नीरज जी के साथ आपका जो <b>मणिकांचन</b>योग है उसके बारे में कुछ भी कहूं तो कम होगा। ये अपने आप में एक मिशाल है।<br /><b>आज के सवाल का जवाब</b>-<br />नमामी शमीशान निर्वाण रूपं- ये है बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम(122 122 122 122) उदाहरण-१. कहां मेरा घर उनके आने के काबिल<br />बुलाऊं अगर हो बुलाने के काबिल<br /><br />२.नहीं चाहिये दिल दुखाना किसी का<br /><br />हिंदी छंदों की दृष्टि से ये भुजंगप्रयात छंद है(चार यगण)रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.com