tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post3268986961236080231..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: तरही अब अपने आखिरी दौर से गुज़र रही है, इस तरही को और ऊंचाइयों पर ले जाने आज राकेश खंडेलवाल जी की एक नज़्म, एक ग़ज़ल, और देवी नागरानी जी की ग़ज़ल ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65477397979073667342010-09-03T14:08:56.897+05:302010-09-03T14:08:56.897+05:30आदरणीय राकेश जी, का कहना कि इस तरही में अच्छे शेर ...आदरणीय राकेश जी, का कहना कि इस तरही में अच्छे शेर और ग़ज़लें कही गयी हैं और आशीर्वाद स्वरुप ग़ज़ल और नज़्म का मिलना ..अहा<br /><br />ये रंगतों से चमन की है हो रहा जाहिर<br /><br />जली यहां पे नई पौध की चितायें हैं<br /><br />कभी यहां पे बहा करती थी नदी कोई<br /><br />ये जाने कौन सी तारीख की कथायें हैं<br /><br />उफ़क से लौटी है सूनी नजर ये टकरा के<br /><br />करी कबूल नहीं इन्द्र ने दुआयें हैं<br />इन तीनो शेरों को बारहां पढ़ रहा हूँ और राकेश जी को प्रणाम कर रहा हूँ.<br />वाकई किसी पहुँचे तपस्वी की दुआयें ही हैं जो फ़लित हो गयी हैं..................................<br /><br />आदरणीय नागरानी जी, को पढ़ते आया हूँ........<br />ग़ज़ल के शेर एक अलग एहसास लिए हुए हैं, बात को सहज शब्दों में असरदार ढंग से कहने को फ़न को सलाम.<br /><br />परिंदे आस के बुनते हैं आशियाँ फिर भी<br /><br />भले ही तूफाँ उन्हें लाख आज़माएँ हैं<br /><br />ज़मीर में जो कभी बंदगी हुई रौशन<br /><br />अक़ीदतों के चरागाँ भी जगमगाएँ हैं.<br /><br />है राज़ दिल में छिपे कितने गहरे ऐ देवी<br /><br />पता लगा कि गुफाओं में भी गुफ़ाएँ हैं<br />मक्ता के बारे में क्या कहूं, वाकई कितने आचे से बात कही है, बस पढ़ के वही सोचे जा रहा हूँ. पहली बार इस तरेह से आवृत्ित के प्रयोग देख रहा हूँ, और ये आवृत्ित मेरे मन में शेर की फिर से आवृत्ित कर रही है.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-34727514203970147562010-08-31T02:24:36.100+05:302010-08-31T02:24:36.100+05:30राकेश जी की नज़्म और ग़ज़ल दोनों ही अच्छी लगीं.
देव...राकेश जी की नज़्म और ग़ज़ल दोनों ही अच्छी लगीं.<br />देवी नागरानी जी की ग़ज़ल भी बहुत भाई.. "परिदे आस के.." वाला शेर बहुत अच्छा लगा.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-11731880737446699322010-08-30T22:23:12.119+05:302010-08-30T22:23:12.119+05:30ये रंगतों से चमन की है हो रहा जाहिर
जली यहाँ पे नई...ये रंगतों से चमन की है हो रहा जाहिर<br />जली यहाँ पे नई पौध की चिताएं हैं<br /><br />ये शे'र बेहतरीन लगा राकेश जी का ......!!<br /><br />और नज़्म अपनी जगज़ खूबसूरती बिखेर रही है ....<br />सच है कई बार ग़ज़ल को दायरों में समेटते वक़्त भाव खिल नहीं पाते....<br />इस नज़्म में भाव पूरी तरह खुल कर आये हैं ....!1<br /><br />देवी नागरानी जी से परिचय सुभाष नीरव जी के ब्लॉग से हुआ था ....<br />गजलों की रानी हैं ये ...<br />शे'र तो जैसे इनके हर लफ्ज़ से फूटते हैं ...<br /><br />परिंदे आस के बुनते हैं आशियाँ फिर भी<br />भले ही तूफां उन्हें लाख आजमायें है<br /><br />ये शे'र बहुत ही अच्छा लगा नागरानी जी का ....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-76661647405949905862010-08-30T00:18:37.350+05:302010-08-30T00:18:37.350+05:30गुरु जी प्रणम,
देर से आने के लिये माफ़ी चाह्ता हूं...गुरु जी प्रणम,<br />देर से आने के लिये माफ़ी चाह्ता हूं<br /><br />मेरा ही नुक्सान हुआ :।<br /><br />उस्तादों के लिये कुछ कह पाना हमेशा मुश्किल रहा है <br />आज भी यही सोच रहा हूं क्या लिखूं<br /><br />राकेश जी की गज़ल का अन्तिम शेर पढ कर तो देर तक मुस्कुराता रहा :)<br /><br />देवी जी की गज़ल का हर शेर झूमने को विवश कर रहा है और मक्ते के लिये तो एक ज़ोरदार सलाम...<br /><br />तरही के ये अकं जो उचाइयां पा रहे है और जो मेह्नत इसमें लगी है उसके लिये आपको दोहरा सलाम.वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-31257854453095819682010-08-29T21:06:38.561+05:302010-08-29T21:06:38.561+05:30गीत सम्राट आदरणीय श्री राकेश खंडेलवाल जी को पढ़ना ह...गीत सम्राट आदरणीय श्री राकेश खंडेलवाल जी को पढ़ना हमेशा ही सुखद रहा है .... आज इनकी ग़ज़ल और नज़्म ने वाकई तरही को ऊँचाई पर ला खडा किया है ... हर शे'र मुकम्मल और नज़्म को जिस बारीकी से तरह-ए-मिसरा के साथ बांध कर रखा है वाकई इनके बस की ही ये बात थी .... आदरणीय देवी नागरानी जी को हमेशा ब्लॉग पर पढता रहा हूँ , वाकई मतला शानदार है मगर दूसरा शे'र भी कम नहीं मैं इस शे'र से बहार नहीं निकाल पा रहा खुद को ..... दोनों ही अज़ीम शाईर को सलाम और खड़े होकर तालियाँ ........<br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-89606752777313062112010-08-29T12:46:44.911+05:302010-08-29T12:46:44.911+05:30बेहतरीन.....दोनों गज़ले अद्भुत है और नज़्म के तो क्...बेहतरीन.....दोनों गज़ले अद्भुत है और नज़्म के तो क्या कहने...पढ़कर बस आनंदित हूँ|दोनों शायरों को सर झुकाकर प्रणाम|राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh)https://www.blogger.com/profile/17152336988382481047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-14204355626343232010-08-29T01:06:33.251+05:302010-08-29T01:06:33.251+05:30आदरणीय पंकज जी, इस तरही में बेहतरीन कलाम पढने को म...आदरणीय पंकज जी, इस तरही में बेहतरीन कलाम पढने को मिल रहा है...मुबारकबाद कुबूल फ़रमाएं<br />आज की पोस्ट में दोनों रचनाकारों ने कई उम्दा शेर पेश किए हैं...<br />जिनके लिए वे दाद के हकदार हैं.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-38869706400101857192010-08-28T19:16:53.978+05:302010-08-28T19:16:53.978+05:30आज तो सच मे अलग ही आनंद था……………हर शेर बेशकीमती…………...आज तो सच मे अलग ही आनंद था……………हर शेर बेशकीमती……………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-61908753920531954052010-08-28T17:41:20.642+05:302010-08-28T17:41:20.642+05:30दोनो महान हस्तियों की ग़ज़ल का बस आनंद ही लिया जा ...दोनो महान हस्तियों की ग़ज़ल का बस आनंद ही लिया जा सकता है ... कोई टिप्पणी चाँद को दिया दिखाने वाली बात है ... बस आनद ही आनंद ले रहे हैं हम तो ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86710702649572179052010-08-28T16:10:19.681+05:302010-08-28T16:10:19.681+05:30आदरणीय राकेश जी और देवी नागरानी जी की उपस्थ्थी ने ...आदरणीय राकेश जी और देवी नागरानी जी की उपस्थ्थी ने यहाँ मानो चार चाँद लगा दिए हैं. दोनों ही विलक्षण प्रतिभाओं को मेरा सादर नमन .seema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-3943957807848186812010-08-28T16:10:10.446+05:302010-08-28T16:10:10.446+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.seema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-75015246978329995122010-08-28T15:57:41.146+05:302010-08-28T15:57:41.146+05:30पिछले कुछ दिनों से नेट से दूर रहा और इसी वजह से यह...पिछले कुछ दिनों से नेट से दूर रहा और इसी वजह से यहाँ तक पहुँचने में देरी हुई. आज आया और देखा तो दो महान हस्तियाँ तरही की खूबसूरत ग़ज़लें लिए इंतज़ार में हैं. आँखें और दिल दोनों तृप्त हुए. भाई राकेश जी की प्रशंशा के लिए शब्द न पहले मेरे पास थे न अब हैं...शायद बने ही नहीं...ऐसे विलक्षण रचनाकार की रचनाएँ पढना ही हमारे लिए सौभाग्य की बात है...जब जब पढता हूँ सर उनके सम्मान में झुक जाता है...<br /><br />नागरानी दीदी का तो कहना ही क्या...जितनी मिठास उनके व्यवहार में है उतनी ही उनके लेखन में...उनसे मिलिए तो लगता है दुनिया कितनी हसीन है...मेरी खुश किस्मती है के मुझे उनके साथ कुछ वक्त गुज़ारने का मौका मिला है...उनकी ग़ज़लें उन्हीं के मुंह से सुनना एक ऐसा अनुभव है जिस से गुजरने को बार बार दिल चाहता है...तरही का एक एक शेर बेशकीमत मोती है जिसे ग़ज़ल की माला में उन्होंने पिरोया है...और गुफाओं में गुफाएं वाला करिश्मा सिर्फ उन्हीं के बस की बात है...<br /><br />आज इतना आनंद आया है के क्या कहूँ...भाव विभोर हो गया हूँ...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-88438787574836798342010-08-28T10:14:47.341+05:302010-08-28T10:14:47.341+05:30बिलकुल आज, बोनस और एक्स्ट्रा बोनस का दिन है.
आदरणी...बिलकुल आज, बोनस और एक्स्ट्रा बोनस का दिन है.<br />आदरणीय खंडेलवाल जी ने क्या नज़ारें दिखाएँ है.<br />शानदार नज़्म ढेरो कथाएं समेटे हुए.<br /><br />आदरणीय देवी नागरानी जी के ग़ज़ल पर क्या कहूँ, बस डूब कर आनंद ले रहा हूँ.<br />ये कैसा दिल के समंदर में उठ रहा तूफाँ...<br />ऐ माँ मुझे जो मिली छाँव तेरे आंचल की...<br />...पता लगा कि गुफाओं में भी गुफ़ाएँ हैं <br />लाजवाब!!!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.com