tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post3085338076533315755..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: जला है जिस्म जहां दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है, हरेक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है तुम्हीं कहो के ये अंदाज़े गुफ्तपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-19863204191422961182007-11-29T04:16:00.000+05:302007-11-29T04:16:00.000+05:30सर जी सवमेरे भी कुछ शेर्र इस श्रंखला मेंतस्वीर तेर...सर जी <BR/>सव<BR/>मेरे भी कुछ शेर्र इस श्रंखला में<BR/><BR/><BR/>तस्वीर तेरी जिगर में मैं उतारूं कैसे<BR/>जुबाँ बंद है मेरी तुझको मैं पुकारूं कैसे<BR/><BR/>हल्का सा एहसास दुनिया ने दिया है मुझको<BR/>इसको अपनी मोहब्बत से मैं सवारूं कैसे<BR/><BR/>इक मिसाल बन गया हूँ मैं दिलों में सबके <BR/>उसको अपने ही हाथों से मैं बिगाडूं कैसे<BR/><BR/><BR/>आभार<BR/>अजयAjay Kanodiahttps://www.blogger.com/profile/05724516220148761583noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42506810151956676102007-09-17T08:02:00.000+05:302007-09-17T08:02:00.000+05:30सुबीर जी:कुछ दिन पहले एक मुक्तक लिखा था जिसमें 'ऊ'...सुबीर जी:<BR/><BR/>कुछ दिन पहले एक मुक्तक लिखा था जिसमें 'ऊ' का काफ़िया बैठता है । 'होमवर्क' की जगह ये दिया जा सकता है ?<BR/><BR/>गुनगुनी सी हवा है बहूँ ना बहूँ<BR/>गैर की वेदना है सहूँ ना सहूँ<BR/>मुस्कुराते हुए गीत और छन्द में<BR/>अनमनी सी व्यथा है कहूँ ना कहूँ ?<BR/><BR/>सादरअनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8292672388028253142007-09-16T06:28:00.000+05:302007-09-16T06:28:00.000+05:30मास्साबअभी बहर का आईडिया तो है नहीं. वो तो आप ट्यू...मास्साब<BR/><BR/>अभी बहर का आईडिया तो है नहीं. वो तो आप ट्यूशन देने घर आये थे और दुखी हो कर कल लौटे तब आपने देख ही लिया. बस कोशिश करते रहते हैं. <BR/><BR/>एक बार आप बहर सिखाने लगेंगे तब भूल कम होगी. तब तक इतने दुखी न हों जैसा आपने ट्यूशन में कहा. <BR/><BR/>अभी आपने बहर सिखाई ही कहाँ है जो दुखी हो गये उतनी पुरानी कोशिश पर. अब मुस्कराईये और बिना बहर की जानकारी के यह दो पेशकश देखिये ऊ के काफिये पर, पता नहीं कैसी कोशिश है.<BR/><BR/>गलत भी है तो सिवाय दुखी होने के,सही वाली भी बताईये. मैने कोशिश बस की है: <BR/><BR/><BR/><BR/>तुझ बिन जिन्दगी में कोई भी आरजू कैसी<BR/>उजड़े चमन से जो आये वो हो खुशबू कैसी<BR/><BR/>सोचता तुझे नहीं, मगर तू आ ही जाती है<BR/>तेरा जिक्र न हो जिसमें वो हो गुफ्तगू कैसी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com