tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post3047506670352648923..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: सुना है ऐसे में पहले भी बुझ गए हैं चराग़, दिलों की ख़ैर मनाओ बड़ी उदास है रात, ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रातपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-46647463494046654142008-01-05T12:08:00.000+05:302008-01-05T12:08:00.000+05:30हाज़िर जनाब ...मेरे पास 'जी टौक' है मैं भी शामिल ह...हाज़िर जनाब ...<BR/><BR/>मेरे पास 'जी टौक' है मैं भी शामिल होना चाहूँगा।<BR/><BR/>रिपुदमन पचौरीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-41229931781934725152008-01-03T21:58:00.000+05:302008-01-03T21:58:00.000+05:30सचमुच बहुत उदास है रात...हम तो चाह कर भी कुछ लिख न...सचमुच बहुत उदास है रात...<BR/>हम तो चाह कर भी कुछ लिख नही पाते<BR/>रहते है खड़े राह में मगर चल नही पातेसुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-8881060030337266172008-01-03T20:57:00.000+05:302008-01-03T20:57:00.000+05:30सर जी मेरी भी हाजिरी लगा लीजिये जब शेरो की बात चली...सर जी <BR/><BR/>मेरी भी हाजिरी लगा लीजिये <BR/><BR/>जब शेरो की बात चली है तो मैं भी अपने एक-दो शेर पेश करता हूँ<BR/><BR/><BR/>तुम्हारी खामोशी पर बडा परेशान है ये दिल<BR/>इसको हाँ समझे तो मुश्किल , ना समझे तो मुश्किल <BR/><BR/><BR/>किसी भी झील में कहीं पर ना होता जो कमल कोई<BR/>कमल कहता निगाहों को तेरी दुनिया में हर कोई <BR/><BR/><BR/>सर जी ये दोनों शेर सुनने में तो ठीक लगते हैं, लेकिन क्या यह बहर के हिसाब से ठीक है ?<BR/><BR/>आभार<BR/><BR/>अजयAjay Kanodiahttps://www.blogger.com/profile/05724516220148761583noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-15697517046745635542008-01-03T15:34:00.000+05:302008-01-03T15:34:00.000+05:30अभिनव जी को सुनकर मुझे भी एक शेर याद आ गया जो आज ...अभिनव जी को सुनकर मुझे भी एक शेर याद आ गया जो आज ही पढा है <BR/><BR/>दुआ के रोशन चिराग अपनी हथेलियों पर सजाये जाये हमने <BR/>खुदा से लेकिन सवाल करना तुझको आया न मुझको आयाकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13259746688508121422008-01-03T12:38:00.000+05:302008-01-03T12:38:00.000+05:30यस सर,विन्यास के बारे में पहली क्लास अच्छी लगी.बोल...यस सर,<BR/><BR/>विन्यास के बारे में पहली क्लास अच्छी लगी.<BR/><BR/>बोलचाल में से मिसरे निकलने में हमारे उदय प्रताप सिंह जी भी बहुत आगे हैं. उनकी कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं,<BR/><BR/>पुरानी कश्ती को पार लेकर फकत हमारा हुनर गया है,<BR/>नए खिवैये कहीं न समझें नदी का पानी उतर गया है,<BR/><BR/>तुम होशमंदी के झूठे वादे किसी मुनासिब जगह पे करते,<BR/>ये मैकदा है यहाँ से कोई कहीं गया बेखबर गया है,अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-68354034228903432402008-01-03T12:35:00.000+05:302008-01-03T12:35:00.000+05:30guruvar mera naam likh le.nguruvar mera naam likh le.nकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.com